Monday, 11 May 2020

सामान्य जनों की तो छोड़िए, उच्च शिक्षित लोग भी फेक न्यूज फैलाने से परहेज नहीं कर रहे

Leave aside the common people, even highly educated people are not avoiding spreading fake news

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फर्जी खबर, पुरानी खबर, फेक न्यूज आदि का धंधा सोशल मीडिया पर खूब चल रहा है। पत्रकारों के प्रमुख संगठन नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स इंडिया (एनयूजेआई) ने कोरोना संक्रमण काल के इस कालखंड में फर्जी खबरों के जरिये मानवता, समाज और राष्ट्र की संप्रभुता के साथ किए जा रहे खिलवाड़ पर एक रिपोर्ट जारी की है। इसमें कहा गया है कि बिना पंजीकरण के हजारों न्यूज वेबसाइट पर राष्ट्रविरोधी अभियान चलाया जा रहा है। इसी के साथ सोशल मीडिया फर्जी खबरों का सबसे बड़ा जरिया बन गया है। खास बात यह है कि अब सामान्य जन ही नहीं बल्कि उच्च शिक्षित लोग भी फेक न्यूज फैलाने में परहेज नहीं कर रहे हैं।


देखिए कितनी तेजी से आगे बढ़ती है गलत खबर


11 मई 2020 को एक फेसबुक एकाउंट से एक खबर साझा की गई। इसका स्क्रीन शॉट नीचे दिया गया है। इसे देखने से पता चलता है कि यह खबर 'टाइम्स इंडिया 24 हिंदी डॉट इन' नामक वेबसाइट की है। इसका शीर्षक है- 'कैबिनेट मंजूरी- सांसदों का भत्ता बढ़ा, अब 3 लाख 20 हजार रुपये मिलेंगे हर महीने'।

इस शेयर की गई खबर के स्क्रीन शॉट को देखने पर पता चलता है कि इस पोस्ट को 1 हजार लोगों ने शेयर किया है। साथ में पोस्ट करने वाले ने टिप्पणी भी की है- 'इन्हें शर्म क्यों नहीं आती।'

इस पोस्ट को देखकर ऐसा लगता है कि कोरोना जैसे महासंकट के बीच भी सरकार ने सांसदों का भत्ता बढ़ा दिया है जबकि दूसरी तरफ हर विभाग में वेतन कटौती और डीए आदि के स्थगित होने की खबरें आ रही हैं। हालांकि यदि कोई व्यक्ति पिछले दिनों की खबरों पर नजर बनाए रखे होगा तो उसे पता होगा कि वास्तविकता यह है कि कोरोना संकट के बीच सरकार ने सांसदों का भत्ता कम करने की घोषणा की है। इसी के साथ ही सांसदों की सांसद निधि पर भी सरकार ने कैंची चलाई है।


फेसबुक पर 11 मई  2020 को की  गई पोस्ट

इस पोस्ट को पढ़कर मैंने 'टाइम्स इंडिया 24 हिंदी डॉट इन' नामक वेबसाइट पर जाने का फैसला किया। इस वेबसाइट की खबर का स्क्रीन शॉट नीचे है। इस वेबसाइट पर जाकर देखा तो पता चला कि वहां इस खबर को 'लाइव हिंदुस्तान' नामक वेबसाइट का हवाला देकर छापा गया है। खबर प्रकाशित करने की तारीख 10 मई 2020 है।


'टाइम्स इंडिया 24 हिंदी डॉट इन' पर 10 मई 2020 की खबर

इस पर मैंने लाइव हिंदुस्तान को क्लिक किया। इसका स्क्रीन शॉट नीचे है। लाइव हिंदुस्तान पर जाकर पता चला कि यह खबर तो मार्च 2018 की है। कुल मिलाकर निचोड़ यह निकला कि लाइव हिंदुस्तान की मार्च 2018 की खबर को 'टाइम्स इंडिया 24 हिंदी डॉट इन' नामक वेबसाइट ने 10 मई 2020 को एक नई खबर के रूप में छाप दिया।


लाइव हिंदुस्तान वेबसाइट पर 1 मार्च 2018 की खबर जिसे 'टाइम्स इंडिया 24 हिंदी डॉट इन'  ने  10 मई 2020 को छाप दिया

इसके बाद भाजपा और मोदी विरोधी किसी सज्जन ने बिना पढ़े इसे फेसबुक पर साझा कर दिया। फेसबुक पर इस पोस्ट को 1 हजार बार शेयर किया गया। इस प्रकार एक पुरानी खबर बड़ी तेजी से चारों तरफ फैल गई और सांसदों के भत्तों व सांसद निधि पर कैंची चलाने के बावजूद संदेश यह गया कि ऐसे संकट की घड़ी में भी सरकार सांसदों के भत्ते बढ़ाकर असंवेदनशीलता दिखा रही है।

खास बात यह है कि उच्च शिक्षित लोग भी फर्जी खबरें शेयर करने से परहेज नहीं कर रहे हैं। जिस फेसबुक पोस्ट का यहां जिक्र किया गया है वह पीएचडी डिग्रीधारी व्यक्ति की है। जिन लोगों ने उनकी पोस्ट को पसंद और शेयर किया है, उनमें भी पीएचडी डिग्री धारी और उच्च पदों पर रहे शिक्षकगण तक शामिल हैं।

हताशा इतनी बढ़ी कि योगेंद्र यादव जैसे व्यक्ति भी गलत सूचनाएं दे रहे


पिछले दिनों स्वराज इंडिया के संस्थापक योगेंद्र यादव ने भी दावा किया कि सरकार ने चुपचाप सांसदों के निर्वाचन क्षेत्र भत्ते बढ़ा दिए हैं। योगेंद्र यादव ने लिखा-
लेकिन इस ट्वीट में योगेंद्र यादव यह बात छिपा गए कि अगर 49,000 रुपये भत्ता किया गया है तो पहले भत्ता क्या था। यदि वह ऐसा करते तो उनकी पोल खुल जाती। वास्तविकता यह है कि अभी तक सांसदों को निर्वाचन क्षेत्र भत्ते के रूप में 70,000 रुपये मिल रहे थे जिसमें सरकार ने कोरोना संकट के मद्देनजर 30 प्रतिशत की कटौती करके इसे 49,000 हजार रुपये कर दिया है। यानी भत्ता बढ़ा नहीं है बल्कि घटाया गया है। संसद की संयुक्त समिति ने इसकी सिफारिश की थी जिसे राज्यसभा अध्यक्ष वेकैया नायडू और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने स्वीकार किया था।
इससे पहले सरकार ने सांसद निधि को भी दो वर्ष के लिए निलंबित कर दिया है। यानी 2020-21 और 2021-2022 में सांसदों को सांसद निधि नहीं मिलेगी।
- लव कुमार सिंह
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