A poem on the 'Bus Politics' in U.P.
प्रधानमंत्रियों
का स्टेट है, बड़ा
अनूठा अपना यूपी
भारत
में एक अनार है ये, सौ
बीमार यहां हैं चूंकि
सो
राजनीति के खेल में, खूब
होती है लुका-छीपी
और
महारथियों की चाल में, भोली
जनता जाए पीसी।
अब
देखिए न कल का खेला, बात
ज्यादा नहीं है बीती
खाली
समय काटे न कटे, तो चिल्लाईं
प्रियंका दीदी
कोई
बोला- राजस्थान/महाराष्ट्र चलें, बोलीं-
ना-ना पगले यूपी
2022 यूपी में है, वहीं
राजनीति चमकेगी तीखी।
नेता
के आदेश पर हुआ अमल, यूपी भेज
दीं बसें रीती
पर
योगी जी भी ऊंचे खिलाड़ी, झट जेब में रख ली सीटी
कई दोपहिया पर बसों का चोला, कांग्रेस की भद्द गई पीटी
बस
चलाओ, ना-ना वहीं रुक जाओ, बस
इसी में रतिया बीती।
000000
बसों
की रेलमपेल में, राजनीति
हुई खूब झूठी
प्रियंका
यूपी पर अड़ी रहीं, अन्य
राज्यों से आंखें मींची
योगी भी
जिद के पक्के निकले, पत्रों
की डोर से बसें खींची
कामगारों
के कदम बढ़ते रहे, राजस्थान
हो या यूपी।
-लव कुमार सिंह
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