Wednesday, 20 May 2020

यूपी में बसों की राजनीति पर एक कविता

A poem on the 'Bus Politics' in U.P.



प्रधानमंत्रियों का स्टेट हैबड़ा अनूठा अपना यूपी
भारत में एक अनार है येसौ बीमार यहां हैं चूंकि
सो राजनीति के खेल मेंखूब होती है लुका-छीपी
और महारथियों की चाल मेंभोली जनता जाए पीसी।

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अब देखिए न कल का खेलाबात ज्यादा नहीं है बीती
खाली समय काटे न कटे, तो चिल्लाईं प्रियंका दीदी
कोई बोला- राजस्थान/महाराष्ट्र चलेंबोलीं- ना-ना पगले यूपी
2022 यूपी में हैवहीं राजनीति चमकेगी तीखी।

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नेता के आदेश पर हुआ अमलयूपी भेज दीं बसें रीती
पर योगी जी भी ऊंचे खिलाड़ीझट जेब में रख ली सीटी
कई दोपहिया पर बसों का चोला, कांग्रेस की भद्द गई पीटी
बस चलाओ, ना-ना वहीं रुक जाओबस इसी में रतिया बीती।

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बसों की रेलमपेल मेंराजनीति हुई खूब झूठी
प्रियंका यूपी पर अड़ी रहींअन्य राज्यों से आंखें मींची
योगी भी जिद के पक्के निकलेपत्रों की डोर से बसें खींची
कामगारों के कदम बढ़ते रहेराजस्थान हो या यूपी।

-लव कुमार सिंह


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