Thursday 30 January 2020

#Sports क्रिकेट में क्या होती है कैरम बॉल?

What is a Carrom Ball in Cricket?



क्रिकेट की दुनिया में आजकल जब भी कोई मैच होता है तो कैरम बॉल की काफी चर्चा होती है। कैरम तो क्रिकेट से अलग खेल है, फिर कैरम बॉल का क्रिकेट में क्या काम? जी हां, कैरम क्रिकेट से अलग है, मगर कैरम बॉल क्रिकेट में ही है।

2014 में बांग्लादेश में संपन्न हुए टी-20 विश्व कप क्रिकेट टूर्नामेंट के सेमीफाइनल में भारत के ऑफ स्पिन गेंदबाज रविचंद्रन अश्विन ने दक्षिण अफ्रीकी बल्लेबाज हाशिम अमला को जिस गेंद पर बोल्ड आउट किया, उसे कुछ क्रिकेट विशेषज्ञों ने टी-20 क्रिकेट की महानतम गेंद करार दिया। यह गेंद कैरम बॉल ही थी। दरअसल अश्विन ने इस टूर्नामेंट में ऑफ स्पिन से ज्यादा कैरम बॉल का ही इस्तेमाल किया और बल्लेबाजों को बहुत परेशान किया।

रविचंद्रन अश्विन

अब तो आप समझ ही गए होंगे कि कैरम बॉल कोई कैरम की गेंद नहीं है, बल्कि यह क्रिकेट की ही गेंद को एक विशेष तरीके से फेंकने या स्पिन कराने का तरीका है। शुरू में पूरी दुनिया में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दो ही गेंदबाज इस तरीके की गेंद को फेंकने में माहिर माने जाते थे। एक भारत के अश्विन और दूसरे श्रीलंका के अजंता मेंडिस। हालांकि अब गेंदबाजों की नई पीढ़ी में भी कई गेंदबाज इस तरह की गेंद फेंकने लगे हैं। 

कैरम बॉल क्रिकेट में कितनी विशिष्ट है और इसके लिए कितने अभ्यास की जरूरत है, इसका पता हमें इसकी संक्षिप्त कहानी से लग जाएगा। क्रिकेट की दुनिया को कैरम बॉल का ज्ञान 40 के दशक से ही है। सबसे पहले इस प्रकार की गेंद आस्ट्रेलिया के जैक इवरसन ने दूसरे विश्व युद्ध के बाद टेस्ट मैचों में फेंकी थी। उसके एक दशक बाद उन्हीं के देश के जॉन ग्लीसन ने इस तरह की गेंद फेंकनी शुरू की। उसके बाद यानी 70 के दशक से इस गेंद को लगभग भुला ही दिया गया। किसी भी स्पिन गेंदबाज ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस प्रकार की गेंद को फेंकने में रुचि नहीं दिखाई।

अनेक दशक बाद यानी 2008 में श्रीलंका के ऑफ स्पिनर अजंता मेंडिस ने फिर से इस प्रकार की गेंद के दर्शन क्रिकेट की दुनिया को कराए और इस गेंद को कैरम बॉल नाम भी तभी से मिला। दिलचस्प तथ्य यह है कि मेंडिस ने 2008 के एशिया कप में इस तरह की गेंद फेंकी तो अश्विन ने भी एशिया कप से कुछ हफ्ते पहले 2008 के आईपीएल में इस तरह से गेंद फेंककर दिखाई। इससे यह सवाल भी उठ खड़ा हुआ कि इतने सालों बाद इस गेंद को इनमें से कौन से गेंदबाज ने पुनर्जीवित किया?


अजंता मेंडिस

यह तो तय था कि अश्विन या मेंडिस ने एक-दूसरे की नकल नहीं की, क्योंकि एक गेंदबाज को इस तरह की गेंद का पता चल भी जाए तो उसे सीखने और सही तरीके से फेंकने का अभ्यास करने में काफी समय लगता है। अश्विन का कहना था कि उन्होंने चेन्नई में सड़कों पर क्रिकेट खेलते हुए टेनिस बॉल से इस तरह की गेंद का अभ्यास किया था। बहरहाल, कैरम बॉल को पुनर्जीवित करने का श्रेय अजंता मेंडिस को ही मिला, क्योंकि एशिया कप आईपीएल से ज्यादा वैधानिक अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट था और मेंडिस उस समय इस गेंद के जरिये बल्लेबाजों को परेशान करने में भी खूब सफल रहे थे।

हालांकि अश्विन अपनी गेंद को सोडुकू बॉल कहते हैं, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस तरह की गेंद को कैरम बॉल ही कहा जाता है। तमिल भाषा में सोडुकू का मतलब अंगुलियों को तेजी से झटका देना होता है। वैसे 2013 में उत्तर प्रदेश के गेंदबाज अजित यादव ने भी यह दावा किया था सबसे पहले उन्होंने ही गेंद फेंकने की इस शैली को विकसित किया था।

कैरम बॉल से पहले “गुगली” और “दूसरा” की बात

हम किसी गेंद को कुछ भी नाम दे दें, लेकिन क्रिकेट में गेंदबाज द्वारा फेंकी गई गेंद मोटे तौर पर तीन तरह से आगे बढ़ती है।
एक- गेंद टप्पा खाकर गेंदबाज के बाएं हाथ की दिशा (ऑफ साइड) में मुड़ेगी
दो- गेंद टप्पा खाकर गेंदबाज के दाएं हाथ की दिशा (लेग साइड) में मुड़ेगी
तीन- गेंद न बाएं मुड़ेगी, न दाएं मुड़ेगी बल्कि सीधी जाएगी।

पहले प्रकार की गेंद लेग स्पिन कहलाती है। अपने टप्पे के आधार पर यह विकेट में भी घुस सकती है और विकेट से बाहर भी जा सकती है। टप्पा अगर लेग स्टंप के बाहर या लेग स्टंप पर पड़ेगा तो यह विकेट में घुस सकती है, लेकिन मिडिल स्टंप या ऑफ स्टंप की सीध में टप्पा खाने पर यह ऑफ स्टंप से बाहर निकल सकती है।

दूसरे प्रकार की गेंद ऑफ स्पिन कहलाती है. इसका टप्पा ऑफ स्टंप की सीध से बाहर पड़ा तो यह विकेट में घुस सकती है। मिडिल या लेग स्टंप की सीध में टप्पा पड़ने पर यह लेग स्टंप से बाहर निकल सकती है।

लेग स्पिन फेंकने के लिए गेंदबाज अमूमन अपनी कलाई को एंटी क्लॉक (घड़ी की सुई से विपरीत दिशा में) घुमाता है, जबकि ऑफ स्पिन करते वक्त उंगलियों या कलाई को क्लॉक वाइज (घड़ी की सुई की दिशा में) घुमाता है।

अपनी कलाई या अंगुलियों के जादू को और धार देकर जब कोई ऑफ स्पिनर (जैसे मुरलीधरन और हरभजन सिंह) ऑफ स्पिन गेंदबाजी के एक्शन से ही लेग स्पिन गेंद फेंक देता है तो यह गेंद क्रिकेट जगत में “दूसरा” के नाम से जानी जाती है। इसी तरह जब कोई लेग स्पिनर (जैसे अमित मिश्रा) अपने लेग स्पिन वाले एक्शन से ही ऑफ स्पिन करा देता है तो यह गेंद “गुगली” कहलाती है। “दूसरा” और “गुगली”, दोनों ही काफी खतरनाक गेंद मानी गई हैं क्योंकि ये बल्लेबाज की आशा के विपरीत दूसरी दिशा में घूम जाती हैं।


कैसे फेंकी जाती है कैरम बॉल


अब 
कैरम बॉल पर आते हैं। कैरम बॉल भी एक स्पिन बॉल ही है, लेकिन यह इन सबसे अलग इसलिए है कि इसे फेंकने में कलाई या हाथ की सभी अंगुलियों का नहीं बल्कि सिर्फ एक अंगुली और अंगूठे का इस्तेमाल होता है।

कैरम बॉल की ग्रिप या पकड़



कैरम बॉल फेंकते समय गेंद को हथेली पर अंगूठे और बीच वाली अंगुली यानी रिंग फिंगर के बीच रखा जाता है। रिंग फिंगर को अंदर की तरफ यानी हथेली की तरफ मोड़ लिया जाता है, जिससे गेंद इस अंगुली और अंगूठे के बीच फंस जाए और छिटके नहीं। अंगूठे के बाद वाली अंगुली यानी फोर फिंगर गेंद के ऊपर आ जाती है और यह भी गेंद पर पकड़ बनाने में मदद करती है। उसके बाद गेंद को हाथ से छोड़ते समय बीच की मुड़ी अंगुली और अंगूठे को कुछ इस प्रकार से झटका और ऐंठा जाता है जैसे कैरम खेलते समय डाइस को बीच वाली अंगुली से आगे धकेला जाता है।

कोई ऑफ स्पिनर वैसे तो “दूसरा” के जरिये भी लेग स्पिन करा सकता है, लेकिन अश्विन और अंजता मेंडिस लेग स्पिन के लिए कैरम बॉल पर निर्भर करते हैं। कैरम बॉल ज्यादा फ्लाइट नहीं करती यानी हवा में ज्यादा ऊंची नहीं जाती, बल्कि थोड़ी कम ऊंचाई पर ही रखी जाती है। हाशिम अमला जिस गेंद पर बोल्ड हुए, उस गेंद ने उनके लेग स्टंप की सीध में या उससे थोड़ा बाहर टप्पा खाया था और वहां से लेग स्पिन होते हुए वह गेंद उनका ऑफ स्टंप उड़ा ले गई थी। जैसा कि नीचे के चित्र में दिखाई दे रहा है।



अमूमन यह माना जाता है कि कैरम बॉल के जरिये एक ऑफ स्पिनर बल्लेबाज को धोखा देने के लिए लेग स्पिन ही कराता है। अजंता मेंडिस और अश्विन भी ज्यादातर ऐसा ही करते देखे गए हैं, लेकिन विशेषज्ञों ने पाया है कि गेंद की स्पिन बीच की अंगुली की गेंद पर पकड़ के आधार पर तय होती है। यदि गेंद पर बीच की अंगुली की पकड़ लेग साइड की तरफ होती है तो गेंद लेग से ऑफ साइड की तरफ जाती है। जब अंगुली की पकड़ ऑफ साइड की तरह होती है तो गेंद ऑफ से लेग साइड की तरफ जाती है। इस पकड़ के आधार पर ही कैरम बॉल एकदम सीधी भी जा सकती है।

- लव कुमार सिंह


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