Saturday 18 December 2021

विराट ने 'धोनी टू कोहली' जैसे सुगम सफर की कल्पना की होगी, लेकिन बीसीसीआई ने 'कोहली टू रोहित' को पथरीला बना दिया

विराट ने 'धोनी टू कोहली' जैसे सुगम सफर की कल्पना की होगी, लेकिन बीसीसीआई ने 'कोहली टू रोहित' को पथरीला बना दिया


कप्तानी का सफर 'कोहली टू रोहित' पथरीला और पीड़ादायक हो गया

जबकि यह 'धोनी टू कोहली' की तरह समतल और सुगम हो सकता था। 

क्रिकेट के 'निरक्षर' कहे गये विनोद राय यह काम आसानी से कर गए

लेकिन क्रिकेट के पंडित सौरव गांगुली यह करने से चूक गए।

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संयुक्त अरब अमीरात में 2021 में हुए टी-20  विश्व कप से पहले भारत में हल्ला मचा कि यदि भारत यह विश्व कप नहीं जीतता है तो विराट कोहली को टी-20 टीम की कप्तानी से हटा दिया जाएगा। क्या मीडिया में यह हल्ला भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के पदाधिकारियों द्वारा लीक की गई सूचनाओं के बिना मच सकता था?  बिल्कुल नहीं।

इस हल्ले का यह असर हुआ कि विराट कोहली ने टी-20 विश्व कप से पहले ही घोषणा कर दी कि वह इस विश्व कप के बाद टी-20 टीम की कप्तानी छोड़ देंगे। उस दौरान यानी सितंबर 2021 में मैंने लिखा था कि- "भारतीय क्रिकेट के कर्णधारों, क्रिकेट में सक्रिय विभिन्न लॉबी और मीडिया के अनेक धड़ों ने क्या टी-20 विश्व कप में अभी से भारतीय टीम की संभावनाएं 50 प्रतिशत कम नहीं कर दीं है?" 

हुआ भी ठीक ऐसा ही और भारतीय टीम विश्व कप जीतना तो दूर अंतिम चार में भी जगह नहीं बना सकी।

उस पोस्ट में मैंने यह भी लिखा था कि- "चिंता इस बात की भी है कि कोहली कोई शांत व्यक्ति नहीं हैं। यदि उन्हें ठीक से संभाला नहीं गया तो वे जल्दी ही टीम से ही विदा न ले लें। भगवान करें ऐसा कुछ ना हो।" 

आज तीन महीने बाद ही ऐसी आशंका उत्पन्न होने लगी है। आप मेरी वह पोस्ट नीचे दिये गये लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं। 

https://stotybylavkumar.blogspot.com/2021/09/How-will-the-Indian-team-perform-in-the-T20-World-Cup.html


बहरहाल, वर्तमान विवाद पर आते हैं। कोहली ने जब टी-20 की कप्तानी छोड़ी तो शायद वह संभावित अपमान से बचना चाहते थे। वे चाहते होंगे कि विश्व कप के बाद ऐसा न लगे कि उन्हें हटाया गया है। वे शायद चाहते थे कि जिस प्रकार कप्तानी का स्थानांतरण धोनी से उनके पास तक बहुत सुगमता से और धीरे-धीरे हुआ, उसी प्रकार उनसे रोहित शर्मा तक कप्तानी का स्थानांतरण हो।

हमें याद रखना होगा कि धोनी से कोहली तक कप्तानी का स्थानांतरण बेहद शालीनता से हुआ। और यह उस समय में हुआ जब विनोद राय बीसीसीआई की कमान संभाल रहे थे, जिनके बारे में अब कहा जा रहा है कि उन्हें क्रिकेट का कुछ पता नहीं था।

कप्तानी के 'धोनी टू कोहली' स्थानांतरण में एक बार भी ऐसा नहीं लगा कि धोनी की अक्षमता या असफलता की वजह से कप्तानी कोहली को मिली है। कोहली ने यह स्थानांतरण स्वयं देखा था इसलिए वह ऐसा ही 'कोहली टू रोहित' में चाहते होंगे। जब उन्होंने टी-20 की कप्तानी छोड़ी और उसे भारतीय क्रिकेट टीम के लिए अच्छा कदम बताया गया तो सभी को लगा कि कप्तानी का मामला 'धोनी टू कोहली' जैसी सुगमता की तरफ बढ़ रहा है।

लेकिन इसके तुरंत बाद लाल और सफेद गेंद का हल्ला मचा दिया गया। यह भी ध्यान में नहीं रखा गया कि कोहली वनडे के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों में से एक हैं। बहुत जल्दबाजी करते हुए चयनकर्ताओं ने कोहली को वनडे की कप्तानी से हटा दिया। बस यहीं कोहली को झटका लग गया। उनकी 'धोनी टू कोहली' वाली कल्पना टूट गई। 'गरिमा से पद छोड़ने' की जगह 'अपमानजनक ढंग से हटाने का भाव' आ गया। अक्षमता, विफलता जैसे शब्द ऊपर आ गए।

कुल मिलाकर बीसीसीआई ने कप्तानी के 'कोहली टू रोहित' सफर को पथरीला बना दिया है। बीसीसीआई के पदाधिकारी वनडे की कप्तानी पर फैसला करने से पहले बड़े आराम से विराट कोहली के साथ बैठक कर सकते थे। उसमें उन्हें प्यार से समझा सकते थे कि टी-20 की कप्तानी आपने जिस भी परिस्थिति में छोड़ी लेकिन अब यह हकीकत है कि आप टी-20 में कप्तान नहीं हैं। आपने जो फैसला लिया, वह भारतीय क्रिकेट के हित में है और हम उसकी प्रशंसा करते हैं। लेकिन हम चाहेंगे कि वनडे की कप्तानी भी रोहित शर्मा को दे दी जाए ताकि अगले टी-20 विश्व कप के साथ ही वन-डे विश्व कप की भी तैयारी पुख्ता तरीके से शुरू हो सके। 

हो सकता है कि विराट कोहली इस तरीके से बात करने पर सहमत हो जाते और ऐसी अप्रिय स्थिति पैदा नहीं होती। हो सकता है कि वह कहते कि मुझे एक वन-डे विश्व कप में कप्तानी का मौका और दिया जाए, उसके बाद मैं स्वयं कप्तानी छोड़ दूंगा। इस प्रस्ताव पर अधिकारी परिस्थिति अनुसार फैसला कर सकते थे। कुल मिलाकर ऐसा करने पर कप्तानी का स्थानांतरण सुगमता से हो सकता था।

बीसीसीआई के पास अभी भी यह करने का अवसर है। सबसे पहले तो बीसीसीआई के पदाधिकारियों को बेसिर-पैर की खबरों को मीडिया में प्लांट करने से बचना होगा। इसके बाद वे विराट कोहली के साथ बैठकर बात करें। उन्हें समझाया जाए कि अब चूंकि चयनकर्ता फैसला कर चुके हैं तो वनडे की कप्तानी को लेकर हम कोई विवाद नहीं चाहते। आप शांत मन से टेस्ट टीम की कप्तानी करें और टीम को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाएं। साथ ही आप वन-डे और टी-20 में भी अपना बहूमूल्य योगदान दें। आप महान खिलाड़ी हैं। हमारे मन में आपके प्रति कोई दुर्भावना नहीं है। जो भी गलतफहमियां हुईं, उन्हें भूलकर आगे बढ़ें। ऐसा करने पर ही इस आग पर पानी पड़ सकता है और भारतीय टीम इस आग की तपन से बच सकती है।

देखते हैं सौरव गांगुली और बीसीसीआई के पदाधिकारी क्या कदम उठाते हैं। गेंद तो अब उनके ही पाले में है।

- लव कुमार सिंह

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आप क्या सोचते हैं?

How will the controversy surrounding the captaincy of the Indian cricket team be resolved?

Will Virat Kohli bid farewell to the Indian team?

Will the Indian team win the Test series in South Africa after the captaincy dispute?

Saturday 4 December 2021

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#AjazPatel एक टेस्ट पारी में #10Wickets लेने वाले क्रिकेट इतिहास के महज तीसरे गेंदबाज बन गए हैं...
मजे की बात ये है कि तीन में से दो मौकों पर #TeamIndia की शेयरिंग है...
जिम लेकर (Eng) vs Aus 1956
अनिल कुंबले (Ind) vs Pak 1999
एजाज पटेल (NZ) vs Ind 2021
मजे की बात ये भी है कि #RahulDravid इनमें से 2 मौकों पर #TeamIndia का हिस्सा हैं...

साथ ही ये भी #InterestingFact है कि #AjazPatel खुद एक भारतीय हैं और #Mumbai में ही जन्मे हैं...

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बिहार में अगले महीन (दिसंबर 21) होने वाले विधान परिषद 24 सीटों के चुनाव के लिए आरजेडी और कांग्रेस पिछले महीने उपचुनाव में दिखी कड़वाहट भुलाकर फिर साथ आ सकते हैं.

बिहार विधानपरिषद में कुल 75 सीटें है. निकाय कोटे की 24 सीटों के लिए चुनाव पंचायत चुनाव के बाद होने हैं. पंचायत चुनाव 12 दिसंबर को ख़त्म होंगे.

सोमवार को पटना पहुंचने के बाद आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने गठबंधन के सवाल पर कहा, "इसमें ग़लत क्या है? सबके साथ गठबंधन होना चाहिए. कांग्रेस पार्टी भी है. हम सब एक साथ है."

लालू प्रसाद यादव के इस बयान में 'लोजपा' से ज्यादा महत्व 'कांग्रेस' को दिया जा रहा है जिसके साथ अक्टूबर में विधानसभा की दो सीटों के उपचुनाव में वाकयुद्ध हुआ था.

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न्यू वर्ल्ड आर्डर की पहली बड़ी कम्पनी कल रात को लॉन्च कर दी गयी है, फेसबुक इंक को अब मेटावर्स के नाम से जाना जाएगा, कुछ लोग यह सोच रहे होंगे कि आखिर इस नाम फेसबुक में क्या बुरा है जो उसे एक बिलकुल नया नाम दिया जा रहा है, दरअसल मेटावर्स एक पेरेंट कंपनी है जिसके अंदर फेसबुक, वॉट्सऐप, इंस्टाग्राम और कंपनी के दूसरे प्लेटफॉर्म आएंगे। ठीक वैसे ही जैसे गूगल की मालिक अल्फाबेट है
फेसबुक के मालिक मार्क जुकरबर्ग की निगाह भविष्य पर गड़ी हुई है इंटरनेट का भविष्य वह मेटावर्स में देख रहे हैं यह बिलकुल एक नयी दुनिया होगी जो कहने को तो आभासी होगी लेकिन जितना समय गुजरता जाएगा आभासी दुनिया ही वास्तविक बनती जाएगी, जिसमे आप न सिर्फ जिंदा लोगो से बात कर पाएंगे बल्कि अपने मृत परिजनों से भी बात कर पाएंगे,


लालू यादव ने उपचुनाव से पहले बिहार में कांग्रेस के प्रभारी और पार्टी के वरिष्ठ नेता भक्त चरण दास को भकचोन्हर (स्थानीय शब्द,जिसका मतलब है बेवकूफ) कहा था.

तारापुर और कुशेश्वर स्थान - इन दोनों सीटों पर सत्ताधानी दल और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू के उम्मीदवार जीते. लेकिन इस जीत को वोटों की संख्या से देखा जाना भी ज़रूरी है.


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राजनीति

26 अक्टूबर

भारतीय लोकतंत्र में अस्मिता या पहचान की राजनीति को विस्थापिक कर आकांक्षा की राजनीति ने जन्म ले लिया है। राजनीतिक दलों के परंपरागत जनाधार में आमूलचूल परिवर्तन हो रहा है और अस्मिता की राजनीति करने वाले दलों के हाथ से सजातीय मतदाता छिटक रहा है। ...गहराती लोकतांत्रित जड़ें धीरे-धीरे मतदाता को सामाजिक संरचना के खांचे से निकालकर नूतन राजनीतिक संरचनाओं के खांचे में डालने लगी हैं।...वास्तव में एक अदृश्य मतदाता समूह प्रकट हो गया है जो सामाजिक स्तर पर अपनी जातीयता को पकड़े है, लेकिन राजनीतिक स्तर पर उसे छोड़ने को तैयार है। यही वह मनोवैज्ञानिक परिवर्तन है, जो अस्मिता की राजनीति करने वाले दल अभी तक समझ नहीं पा रहे हैं और वे पुराने प्रयोगों में ही उलझे हैं। इसी में चुनावी विजय और पराजय के सूत्र छिपे हैं।

- डॉ. ए.के. वर्मा (राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ स्तंभकार)

यूपी में 2022 के चुनावों के मद्देनजर मुसलमानों की राजनीतिक पसंद जानने के लिये हमने उनकी संयुक्त आबादी और बहुमत वाले गांवों पर अध्ययन किया। इसमें कई विमर्श बने। तमाम मिथक टूटे। कुछ अवधारणाएं भी पुष्ट हुईं। मुस्लिम समुदाय की सामाजिक संरचना उसे बहुल रूपी समाज के रूप में प्रस्तुत करती है। अशराफ, अजलाफ और अरजाल जैसे सामाजिक स्तरों पर तो  मुस्लिम समुदाय बंटा ही है, ततवा, रंगरेज, जोगी, डफाली, ललबेगी और बुनकर जैसे पैशों से बनीं अनेक जातियां और उनके प्रतिस्पर्धी टकरावों की ध्वनि इस समूह के ताने-बाने में प्रतिध्वनित होती है। जब कोई भी समूह इतने स्तरों में बंटा हो तो धार्मिक अस्मिता पर केंद्रीय गहन गोलबंदी के बावजूद उसके बीच भी कायम राजनीतिक असहमति के स्वर सुनाई पड़ते हैं।

हमने पाया कि मुस्लिम बस्तियों में एक समूह ऐसा भी है जो भाजपा की तारीफ करता है। ऐसे परिवारों में धार्मिक और जातीय अस्मिता की चेतना के साथ-साथ 'लाभार्थी' (आवास, बिजली, रसोई गैस, आयुष्मान आदि से) होने का भाव भी बनने लगा है। हालांकि उनकी 'लाभार्थी चेतना' के निर्माण और उभार की प्रक्रिया अभी धीमी है। संभव है कि ये भाजपा की तारीफ करने के बावजूद वोट कहीं और दें या हो सकता है कि इनमें से अनेक भाजपा को वोट दें।

हालांकि मध्यवर्गीय और ओबीसी मुस्लिम मतदाताओं का एक वर्ग भी दिखा या तो सपा के पक्ष में गोलबंद हो रहा है या फिर होने की तैयारी में है। मध्य आयु वर्ग और उम्रदराज मुस्लिमों का एक तीसरा समूह भी दिखा जो कांग्रेस शासन को याद कर रहा था। ऐसे में मुस्लिम वोट के एकरूपी या समरूपी होने को एक मिथक ही माना जाना चाहिये। शिया और सुन्नी की राजनीतिक पसंद में विविधता को पहले ही मान्यता मिल गई है और आज नहीं तो कल मुस्लिम समाज की विविधता राजनीतिक विमर्श को हिस्सा बनेगी।

यह रूपांतरण इसलिए हो रहा है क्योंकि जनतंत्र स्वयं में अपनी एक आत्मचेतना रचता है। यह धीरे-धीरे ही सही 'अपनी जनती' बनाता जाता है, जो किसी विशेष जाति, वर्ग या धर्म से जुड़े होने के बावजूद सत्ता एवं शासन से मिलने वाले लाभों से अपनी राजनीतिक पक्षधरता तय करता है। 
सत्ता संचालित जनतंत्र इन समूहों में एक दूसरा वर्ग भी रचता है जिसे हम प्रशासनजनित विकास की भाषा में 'एस्पिरेंट' यानी आकांक्षी समूह कहते हैं। यह समूह आगे बढ़ने की चेतना से लैस होता है, जिसमें जाति, धर्म, सुरक्षा एवं विकास की चाह सभी में एक-दूसरे से आबद्ध होती है।
यदि इन परिवर्तनों को गहराई से समझा जाए तो न केवल मुस्लिम मतदाताओं में, बल्कि अस्मिताओं पर आधारित किसी भी मतदातावर्ग में हो रहे ऐसे रूपांतरण का अहसास किया जा सकता है।
- बद्री नारायण (जीबी पंत सामाजिक विज्ञान संस्थान, प्रयागराज के निदेशक)


  1. टीआरपी (TRP) की फुल फॉर्म क्या है? What is the full form of TRP? (Television Rating Point)
  2. जैसे टेलीविजन चैनलों की रेटिंग 'टीआरपी' (TRP) से तय होती है, वैसे ही रेडियो स्टेशन की रेटिंग किस सिस्टम से तय होती है? Like the rating of television channels is decided by 'TRP', in the same way the rating of radio station is decided by which system? (RAM- Radio Audience Measurement)
  3. हिंदी पत्रकारिता दिवस कब मनाया जाता है? When is Hindi Journalism Day celebrated? (30 May 1826, हिंदी का पहला अखबार- उदंत मार्तंड, पंडित जुगर किशोर शुक्ल)
  4. अंतरराष्ट्रीय प्रेस दिवस कब मनाया जाता है? When is International Press Day celebrated? (3 मई, गिलेरमो कानो वर्ल्ड प्रेस फ्रीजम प्राइज, 1993 में प्रस्ताव स्वीकार किया)
  5. भारत का पहला समाचार पत्र कौन सा था? इसके संपादक कौन थे? Which was the first newspaper of India? Who was its editor? (हिकीज बंगाल गजट, जेम्स आगस्टस हिकी, 29 जनवरी 1780 में अंग्रेजी में)
  6. भारतीय भाषाओं में सबसे पहला समाचार पत्र कौन सा था? Which was the first newspaper in Indian languages? (मार्शमैन द्वारा दिग्दर्शन, 1818 में बांग्ला भाषा में)
  7. प्रसार भारती के वर्तमान अध्यक्ष कौन हैं? Who is the present Chairman of Prasar Bharati? (ए. सूर्यप्रकाश, शशिशेखर वैंपती सीईओ)
  8. प्रेस परिषद का गठन कब किया गया? इसके वर्तमान अध्यक्ष कौन हैं? When was the Press Council formed? Who is its current chairman? (4 जुलाई 1966 को प्रेस परिषद की स्थापना हुई। 17 नवंबर 1966 को इसने काम करना शुरू किया। 17 नवंबर को राष्ट्रीय पत्रकारिता दिवस मनता है। जस्टिस चंद्रमौली कुमार प्रसाद)
  9. एडिटर्स गिल्ड क्या है? इसके अध्यक्ष कौन है? What is Editors Guild? Who is the President of the Editors Guild? ( गिल्ड का अर्थ होता है समाज, संघ, मंडली, संगठन। इस प्रकार एडिटर्स गिल्ड का अर्थ हुआ- संपादकों का संघ, मंडल या संगठन। एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया देश के प्रमुख समाचार पत्र-पत्रिकाओं, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के चैनलों के संपादकों का संगठन है। देशभर के संपादक एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के सदस्य हैं। सीमा मुस्तफा)
  10. What is the full name of RNI? आरएनआई का पूरा नाम क्या है? (रजिस्ट्रार ऑफ न्यूजपेपर फॉर इंडिया)




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ढाकेश्वरी बांग्लोदश का सबसे बड़ा मंदिर है और इसके नाम पर ही राजधानी ढाका का नाम पड़ा है. 2018 की दुर्गा पूजा में बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख़ हसीना ने दुर्गा पूजा के मौक़े पर राजधानी ढाका स्थित ढाकेश्वरी हिंदू मंदिर को 1.5 बीघा ज़मीन दी थी.

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भूटान और चीन के बीच राजनयिक संबंध नहीं है इसलिए दोनों देश नई दिल्ली के ज़रिए ही राजनयिक संपर्क साधते हैं.

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भारत में कोयले के ओद्योगिक खनन की कहानी पश्चिम बंगाल के रानीगंज से शुरू हुई जहां ईस्ट इंडिया कंपनी ने नारायणकुड़ी इलाक़े में 1774 में पहली बार कोयले का खनन किया.

लेकिन उस दौर में ओद्योगिक क्रांति भारत तक नहीं पहुंची थी और कोयले की मांग बहुत कम थी. ऐसे में अगली एक सदी तक भारत में बड़े पैमाने पर कोयला उत्पादन नहीं हुआ.

1853 में ब्रिटन में भाप चलित रेल इंजन के विकास के बाद कोयले का उत्पादन और खपत दोनों में ही बढ़ोतरी आई. बीसवीं सदी की शुरुआत तक भारत में कोयला उत्पादन 61 लाख टन प्रतिवर्ष तक पहुंच गया था.

लेकिन आज़ादी के बाद भारत की आकांक्षाएं बढ़ी और कोयला इन बढ़ती आकांक्षाओं की ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा करने का अहम ज़रिया बन गया. आज भारत कोयले के उत्पादन और खपत के मामल में चीन के बाद दूसरे नंबर पर है.

भारत दुनिया के उन पांच देशों में से एक है जहां कोयले के सबसे बड़े भंडार हैं. दुनिया में कोयले के सबसे बड़े भंडार अमेरिका, रूस, ऑस्ट्रेलिया, चीन और भारत में हैं.

भारत सरकार के कोयला मंत्रालय के मुताबिक़ भारत के पास 319 अरब टन का कोयला भंडार हैं. भारत में कोयले के सबसे बड़े भंडार झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, तेलंगना और महाराष्ट्र में हैं. इसके अलावा आंध्र प्रदेश, बिहार, उत्तर प्रदेश, मेघालय, असम, सिक्किम, नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश में भी कोयला मिला है.

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1949 में माओत्से तुंग ने पीपल्स रिपब्लिक ऑफ़ चाइना का गठन किया. एक अप्रैल 1950 को भारत ने इसे मान्यता दी और राजनयिक संबंध स्थापित किए. चीन को इस तरह तवज्जो देने वाला भारत पहला ग़ैर-कम्युनिस्ट देश बना.

1954 में भारत ने तिब्बत को लेकर भी चीनी संप्रभुता को स्वीकार कर लिया. मतलब भारत ने मान लिया कि तिब्बत चीन का हिस्सा है. 'हिन्दी-चीनी, भाई-भाई' का नारा भी लगा.

साल 1914 में शिमला समझौते के तहत मैकमोहन रेखा को अंतरराष्ट्रीय सीमा माना गया, लेकिन 1954 में नेहरू ने तिब्बत को एक समझौते के तहत चीन का हिस्सा मान लिया.

जून 1954 से जनवरी 1957 के बीच चीन के पहले प्रधानमंत्री चाउ एन लाई चार बार भारत के दौरे पर आए. अक्टूबर 1954 में नेहरू भी चीन गए.

1950 में चीन ने तिब्बत पर हमला शुरू कर दिया और उसे अपने नियंत्रण में ले लिया. तिब्बत पर चीनी हमले ने पूरे इलाक़े की जियोपॉलिटिक्स को बदल दिया.

चीनी हमले से पहले तिब्बत की नज़दीकी चीन की तुलना में भारत से ज़्यादा थी. आख़िरकार तिब्बत एक संप्रभु मुल्क नहीं रहा. भारतीय इलाक़ों में भी अतिक्रमण की शुरुआत चीन ने 1950 के दशक के मध्य में शुरू कर दी थी. 1957 में चीन ने अक्साई चिन के रास्ते पश्चिम में 179 किलोमीटर लंबी सड़क बनाई.

सरहद पर दोनों देशों के सैनिकों की पहली भिड़ंत 25 अगस्त 1959 को हुई. चीनी गश्ती दल ने नेफ़ा फ़्रंटियर पर लोंगजु में हमला किया था. इसी साल 21 अक्टूबर को लद्दाख के कोंगका में गोलीबारी हुई.

इसमें 17 भारतीय सैनिकों की मौत हुई थी और चीन ने इसे आत्मरक्षा में की गई कार्रवाई बताया था. भारत ने तब कहा था कि 'उसके सैनिकों पर अचानक हमला कर दिया गया.'

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साल 1985 में वे भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के लिए चुने गए. पहले बिहार और बिहार विभाजन के बाद (2000) में झारखंड कैडर के अधिकारी रहे अमित खरे भारतीय प्रशासनिक सेवा से अपनी हालिया सेवानिवृति के बाद अब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सलाहकार नियुक्त किए गए हैं.

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एम्स

देश में 2014 से पहले छह एम्स थे। 2021 में एम्स की संख्या 22 हो चुकी है। 170 से ज्यादा नए मेडिकल कॉलेज तैयार हो चुके हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने राजस्थान में चार नए मेडिकल कॉलेजों के शिलान्यास समारोह में यह जानकारी दी। सरकार हर जिले में मेडिकल कॉलेज खोलने की योजना पर काम कर रही है।

कचरा निस्तारण

देश में 2014 से पहले 20 फीसदी से भी कम कचरे की प्रोसेसिंग होती थी, जबकि अब रोजाना करीब 70 फीसदी कचरे की प्रोसेसिंग हो रही है। प्रधानमंत्री मोदी ने यह दावा शहरी सुधार के लिए अटल मिशन (अमृत) के दूसरे चरण की  शुरूआत करते हुए किया।

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10 अक्टूबर - विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस

प्रथम

सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला जज- जस्टिस एम फातिमा बीबी (1989 में बनीं)

दुनिया की पहली बोलती फिल्म- द जैज सिंगर (न्यूयार्क में 1927 में, निर्देशक एलन क्रासलैंड, 1 घंटा 28 मिनट)

भारत की पहली बोलती फिल्म- आलमआरा (1931)

भारत में पहली हवाई उड़ान- 15 अक्टूबर 1932 कराची से मुंबई जेआरडी टाटा द्वारा। टाटा एयर सर्विस के विमान से।

नाव से दुनिया का चक्कर लगाने वाली पहली एशियाई महिला- उज्जवला पाटिल 15 अक्टूबर 1988

हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश बनने वाली पहली महिला- लीला सेठ (1991 में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश बनीं और तब वह इस पद पर बैठने वाली पहली महिला न्यायाधीश थीं।)

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भाषण टिप्स....

भारतीय जनसंचार संस्थान (आईआईएमसी) के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने नवागत विद्यार्थियों से संवाद कर उन्हें करियर में आगे बढ़ने के टिप्स दिए। इस दौरान प्रो. द्विवेदी का कहना था, ‘समय के साथ मीडिया की भूमिका बदली है। आज पारंपरिक मीडिया स्वयं को डिजिटल मीडिया में परिवर्तित कर रहा है। इस 'डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन' को अगर कोई चला रहा है, तो वो चार 'C' हैं। इन चार 'C' का मतलब है, Content (कंटेंट), Communication (कम्युनिकेशन), Commerce (कॉमर्स) और Context (कॉन्टेक्स्ट)। जब ये चारों 'C' मिलते हैं, तब ये 'डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन' पूरा होता है।’

प्रो. द्विवेदी ने कहा कि हमें भारत को सिर्फ बीपीओ और आउटसोर्सिंग के जरिये तकनीकी विश्व शक्ति नहीं बनाना है, बल्कि उसे एक ज्ञान समाज में तब्दील करना है। तकनीक भारत में सामाजिक परिवर्तनों तथा आर्थिक विकास का निरंतर चलने वाला जरिया बन सकती है और भारतीय भाषाओं की इसमें बड़ी भूमिका होने वाली है।

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देश के चार बड़े शहरों दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और बेंगलुरु के लिए वर्ष 2021 के 30वें हफ्ते से 33वें हफ्ते (18 जुलाई 2021 से 14 अगस्त 2021) के बीच की ‘रेडियो ऑडियंस मीजरमेंट’ (RAM) रेटिंग्स जारी हो गई हैं। इन रेटिंग्स के अनुसार, दिल्ली और मुंबई के मार्केट में इस बार भी ‘फीवर एफएम’ (Fever FM) का दबदबा बना रहा है। बेंगलुरु में ‘रेडियो सिटी’ (Radio City) ने ‘बिग एफएम’ (BIG FM) को पछाड़ दिया और इस अवधि में सबसे ज्यादा सुना गया, जबकि कोलकाता में ‘रेडियो मिर्ची’ (Radio Mirchi) टॉप पर रहा है।

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