Wednesday 20 May 2020

दूरदर्शन : याद आते हैं वे दिग्गज एंकर जिन्हें लोग समाचार के साथ 'देखते' थे

दूरदर्शन : याद आते हैं वे दिग्गज एंकर जिन्हें लोग समाचार के साथ 'देखते' थे

Doordarshan anniversary: Remember those veteran anchors whom people 'watched' with news


15 सितंबर को दूरदर्शन की वर्षगांठ मनाई जाती है। 15 सितंबर 1959 को ही भारत में दूरदर्शन का प्रसारण शुरू हुआ था। ये वो जमाना था जब लोग खबरें सुनने और देखने के साथ ही खबर पढ़ने वाले या पढ़ने वाली को भी ध्यान से देखते थे। ऐसा इसलिए होता था क्योंकि उस समय सभी खबरों के साथ बहुत ज्यादा तस्वीरें नहीं होती थीं, इसलिए न्यूज रीडर का चेहरा काफी समय तक स्क्रीन पर रहता था। ऐसे में लोग न्यूज रीडर के चेहरे, हेयर स्टाइल और पहनावे को काफी ध्यान से देखते थे। उस दौर में अनेक न्यूज एंकर ऐसे रहे जिन्होंने करोड़ों दर्शकों को अपने व्यक्तित्व और खबर पढ़ने के अंदाज का दीवाना बनाया।
...तो चलिए दूरदर्शन की वर्षगांठ के मौके पर याद करते हैं दूरदर्शन के उन दिग्गज न्यूज एंकरों को जिन्होंने बहुत शालीनता और गरिमा के साथ टीवी पर खबरें पढ़ीं और करोड़ों लोगों के दिल में जगह बनाई। 

सलमा सुल्तान- याद आता है बालों में गुलाब का फूल


सलमा सुल्तान ने 1967 से लेकर 1997 तक यानी 30 वर्षों तक दूरदर्शन में बतौर एंकर काम किया। उनके एंकरिंग करियर से केवल दो वर्ष पहले यानी 1965 में ही दूरदर्शन ने पहली बार पांच मिनट का समाचार बुलेटिन शुरू किया था। 31 अक्टूबर 1984 की शाम को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या की खबर सलमा सुल्तान ने ही पूरे देश को दी थी।

समाचार पढ़ते समय सलमा सुल्तान अपने बाएं कान के पास बालों में गुलाब लगाकर बैठती थीं। साथ में उनकी साड़ी का बार्डर उनकी गर्दन के पास आधुनिक मगर परंपरागत शैली में नजर आता था। बाद में दूरदर्शन की लगभग सभी न्यूज रीडर इस प्रकार से साड़ी पहनने लगी थीं। हां बालों में गुलाब केवल सलमा सुल्तान ही लगाती थीं। सलमा सुल्तान खबर पढ़ते समय कुछ शब्दों को खा भी जाती थीं यानी पूरा नहीं बोलती थीं, लेकिन इसके बावजूद वह उस समय की चर्चित एंकर थीं।

एंकरिंग छोड़ने के बाद सलमा सुल्तान निर्देशक बन गईं और ‘लेंसव्यू प्राइवेट लिमिटेड’ के नाम से अपना प्रोडक्शन हाउस खोला। इसके तहत उन्होंने पंचतंत्र से, सुनो कहानी, स्वर मेरे तुम्हारे और जलते सवाल जैसे लोकप्रिय व चर्चित धारावाहिक बनाए।

आजकल सलमा सुल्तान दक्षिण दिल्ली के जंगपुरा इलाके में रहती हैं। उनके पति आमिर किदवई की मृत्यु हो चुकी है, जो इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड में काम करते थे। उनके एक पुत्र साद किदवई आयकर आयुक्त हैं और एक पुत्री सना कोरियाग्राफर हैं। सलमा भोपाल में जन्मी थीं। उनके पिता असगर अंसारी कृषि मंत्रालय में सचिव थे। सलमा की बड़ी बहन मैमूना सुल्तान भोपाल से चार बार कांग्रेस की सांसद रहीं। सलमा और मैमूना अफगानिस्तान के शाह शुजा की परपोती थीं।

शम्मी नारंग- अपने समय में दूरदर्शन न्यूज रीडिंग का प्रमुख चेहरा थे

शम्मी नारंग 1970 और 1980 के दशक में दूरदर्शन पर न्यूज रीडिंग का प्रमुख चेहरा थे। इंजीनियरिंग की डिग्री लेने के बाद शम्मी नारंग ने वॉयस ऑफ अमेरिका की हिंदी डिवीजन में वॉयस ओवर आर्टिस्ट के रूप में काम शुरू किया था। यही से उनका चयन दूरदर्शन के लिए हुआ।

दूरदर्शन छोड़ने के बाद शम्मी नारंग ने न्यूज एंकर, पत्रकार, वॉयस ओवर ऑर्टिस्ट बनने के इच्छुक युवाओं को प्रशिक्षण देने का काम शुरू किया। वे दिल्ली स्थित पिनड्रॉप मीडिया ग्रुप के निदेशक हैं। भारतीय रेलवे और मेट्रो ट्रेनों में हिंदी में जो संदेश और घोषणाएं हमें माइक पर सुनाई देती हैं, उनमें पुरुष आवाज शम्मी नारंग की ही होती है।

शम्मी नारंग सिख परिवार से आते हैं और उनके दादा व पिता सेना में रह चुके हैं। गजल गायिका डॉली नारंग से शम्मी नारंग ने शादी की, जो संगीतकार जयदेव की शिष्या रही हैं। शम्मी नारंग एक पुत्र के पिता हैं और दक्षिण दिल्ली में रहते हैं। नारंग एक जमाने में स्टंट राइडर का भी शौक रखते थे, लेकिन 1980 के दशक में एक दुर्घटना के बाद उन्होंने इससे किनारा कर लिया। इसी दुर्घटना में उनकी नाक में चोट लगी, जिससे समाचार पढ़ते समय लोगों का ध्यान अनायास ही नारंग की आगे से थोड़ी मोटी नाक पर चला जाता था।

अविनाश कौर सरीन- माथे पर बड़ी बिंदी को जिन्होंने फैशन बना डाला

1970, 80 और 90 के दशक में अविनाश कौर सरीन भी दूरदर्शन के न्यूज रीडिंग का प्रमुख चेहरा थीं। अविनाश कौर बहुत साफ और स्पष्ट खबर पढ़ती थीं। उनकी आवाज में खबर के अनुसार उतार-चढ़ाव भी देखने को मिलता था। समाचार पढ़ना छोड़ने के बाद उन्होंने डॉक्यूमेंटरी निर्देशक के रूप में अपनी पहचान बनाई।

अविनाश कौर सरीन सिख परिवार से आती हैं। उनके पिता संगीत के प्रोफेसर थे। अविनाश कौर ने भौतिकी में डबल स्नातक डिग्री ली थी। उन्होंने सबसे पहले 1979 में विज्ञान शो ‘विज्ञान पत्रिका’ से अपने दूरदर्शन करियर की शुरूआत की थी। उसके बाद वे खबरों की दुनिया में आईं और सबसे लोकप्रिय न्यूज एंकर बन गईं। 1984 में दिल्ली दंगों के दौरान वे बीमारी के कारण करीब एक महीने तक खबरों की दुनिया से दूर रहीं। इस पर दूरदर्शन के मुख्यालय में उनका हालचाल जानने के लिए लाखों पत्र पहुंच गए थे। इनमें एक पत्र राष्ट्रपति भवन से भी था।

जैसे सलमा सुल्तान बालों में लगे गुलाब के लिए जानी जाती थीं, उसी प्रकार खूबसूरत अविनाश कौर सरीन अपने माथे पर लगी बड़ी बिंदी के लिए प्रसिद्ध थीं। 80 के दशक में उन्होंने भारतीय महिलाओं में माथे पर बड़ी बिंदी को फैशन ही बना दिया था। इसी के साथ उनके द्वारा पहनी गईं हाथ से बुनी गईं साड़ियां भी चर्चा का विषय रहती थीं।

अविनाश कौर सरीन ने दिल्ली के उद्यमी मनजीत सिंह सरीन से शादी की। उनके एक पुत्री रुबेन है जो कि कलाकार है और एक पुत्र अविजित है जो वर्किंग प्रोफेशनल है।

गीतांजलि अय्यर- महिलाएं उनकी हेयर स्टाइल पर फिदा थीं

अंग्रेजी में समाचार पढ़ने वाली गीतांजलि दूरदर्शन पर आधुनिक फैशनेबल महिला के रूप में अवतरित होती थीं। उनकी हेयरस्टाइल महिलाओं का बहुत ध्यान खींचती थी और उस समय की महिलाएं, सैलून में गीतांजलि अय्यर की हेयर स्टाइल की मांग करती थीं।

गीतांजलि 1971 में दूरदर्शन में आई थीं। 30 साल के न्यूज रीडिंग के करियर में उन्होंने चार बार बेस्ट एंकर का खिताब जीता था। बीए ऑनर्स करने के अतिरिक्त गीतांजलि नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से थिएटर में डिप्लोमा होल्डर रहीं। उन्होंने समाचार पढ़ने के अलावा इंटरव्यू भी खूब लिए और ‘खानदान’ धारावाहिक में अभिनय भी किया। उस समय के कई विज्ञापनों भी दर्शकों को उनका चेहरा दिखाई दिया।

पब्लिक रिलेशन, प्रेस रिलेशन, गवर्नमेंट रिलेशन और इवेंट मैनेजमेंट में उन्हें महारत हासिल थी। इसीलिए उन्होंने ताज और ओबेराय होटल समूह के लिए भी काम किया। दूरदर्शन को छोड़ने के बाद वे वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ फंड से जुड़ गईं और पर्यावरण के संरक्षण पर काम करने लगीं।

कोमल जी.बी सिंह- देश के प्रमुख कार्यक्रमों की आवाज बनीं

कोमल जी.बी. सिंह भी अपने शानदार ड्रेस सेंस के लिए जानी जाती थीं। वे एक बहुत अच्छी इंटरव्यूकर्ता होने के अतिरिक्त खुशी या गम के प्रमुख समारोह, आयोजनों की आवाज मानी जाती थी। राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों का प्रसारण हो, गणतंत्र दिवस की परेड हो, राष्ट्रपति का शपथ ग्रहण समारोह हो या पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के अंतिम संस्कार की कवरेज हो, हर जगह लोगों को कोमल जी.बी. सिंह की आवाज सुनाई देती थी।

कोमल ने युववाणी कार्यक्रम में अभिनय के जरिये शुरुआत की थी। इसके बाद वे न्यूज रीडर बनीं। उन्होंने 16 साल तक दूरदर्शन पर खबरें पढ़ीं। अब वे निफ्ट (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी) के बोर्ड ऑफ डायररेक्टर्स में होने के अतिरिक्त फॉरच्यून इंस्टीट्यूट ऑफ कम्युनिकेशन से जुड़ी हुई हैं और जामिया मिलिया विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में संचार की गेस्ट लेक्चर भी हैं।

सरला माहेश्वरी-  नाम के अनुरूप सरलता से छाप छोड़ी

अपने नाम के अनुरूप सरला माहेश्वरी टीवी स्क्रीन पर बहुत ही सरल अंदाज में आती थीं और दर्शकों को मोह लेती थीं। वे आभूषण पहनने से परहेज करती थीं। उनके गोरे चेहरे पर एक छोटा मस्सा भी था। वे बहुत शांति के साथ मगर प्रभावी तरीके से समाचार पढ़ती थीं। बीच में कभी-कभी वे हल्की सी मुस्कराहट चेहरे पर लातीं जो दर्शकों को काफी पसंद आती थी।

नीथि रविंद्रन- लोग उन्हें देखकर 'न्यूज-न्यूज' चिल्लाते थे

नीथि रविंद्रन ने 1976 से 2001 तक दूरदर्शन पर खबरें पढ़ीं। उन्होंने मीडिया के साथ बातचीत में कहा कि उनके समय में ज्यादातर खबरें पढ़ी जाती थीं और उनके साथ दृश्य कम होते थे, इसलिए न्यूज रीडर को स्क्रीन पर ज्यादा समय तक रहना पड़ता था। इसी वजह से न्यूज रीडर पर लोगों का इतना ज्यादा ध्यान भी जाता था। सार्वजनिक स्थानों पर जाने पर लोग उन्हें देखकर 'न्यूज-न्यूज' चिल्लाते थे।

दूरदर्शन छोड़ने के बाद नीथि रविंद्रन वॉयस ओवर आर्टिस्ट के रूप में काम करने लगीं। साथ में उन्होंने डाक्यूमेंटरी, लघु फिल्में बनाईं और विशेष कार्यक्रमों की एंकरिंग भी की। पुरस्कार प्राप्त डॉक्यूमेंटरी ‘फिफ्टी ईयर्स ऑफ इंडियाज इंडिपेंडेंस’ के लिए भी नीथि रविंद्रन को विशेष रूप से जाना जाता है।

रिनी सिमोन खन्ना- बॉब कट बाल और अंग्रेजी का लहजा भाता था

रिनी सिमोन खन्ना के बॉब कट बाल और अंग्रेजी न्यूज पढ़ने का उनका अंदाज लोगों को बहुत भाता था। वे साड़ी या सलवार-कमीज में खबरें पढ़ती थीं। दूरदर्शन के साथ उनका करियर करीब 30 वर्ष का रहा। रिनी की सारी शिक्षा दिल्ली में ही हुई। स्नातक करने के बाद उन्होंने भारतीय जन संचार संस्थान से पत्रकारिता में पीजी डिप्लोमा लिया।

दूरदर्शन से पहले वे ऑल इंडिया रेडियो पर खबरें पढ़ती थीं। दूरदर्शन से नाता टूटने के बाद वे कॉन्फ्रेंस, सिम्पोजिया, सांस्कृतिक कार्यक्रमों की एंकरिंग से जुड़ गईं। इसी के साथ फिल्म, रेडियो और टेलीविजन विज्ञापन, कॉरपोरेट फिल्मों, डॉक्यूमेंटरी आदि में उनकी आवाज सुनाई देती है। एयरटेल, दिल्ली मेट्रो, एयर इंडिया आदि में भी उनकी आवाज सुनाई देती है।

साधना श्रीवास्तव- चेहरा देखकर लोग खुश हो जाते थे

बहुत ही खुशमिजाज चेहरा, बॉब कट बाल, हैंडलूम की साड़ी और उसी से मैच करते ईयर रिंग व बिंदी के साथ जब साधना श्रीवास्तव हिंदी में खबरें पढ़ती थीं तो लोग उन्हें देखते रह जाते थे। इतनी ही महारत के साथ वे अंग्रेजी में भी कार्यक्रम संचालित करती थीं। इंटरनेशन कांग्रेस ऑफ वुमन ने उन्हें 2009 में इंटरनेशनल लाइफटाइम एचीवमेंट अवार्ड दिया था। न्यूज एंकर के साथ-साथ उन्होंने अनेक डॉक्यूमेंटरी, लघु फिल्में और धारावाहिक भी बनाए हैं।

मंजरी जोशी- साहित्यकार और रूसी भाषा की जानकार

प्रसिद्ध कवि और पत्रकार रघुवीर सहाय की बेटी मंजरी जोशी भी टेलीविजन की शुरुआती समाचार वाचिकाओं में से एक रही हैं। वे रूसी भाषा की भी जानकार हैं। उनका जन्म तो कानपुर में हुआ था लेकिन उनकी सारी शिक्षा दिल्ली में हुई। दिल्ली के मिरांडा हाउस में पढ़ाई करने के अलावा रूसी भाषा और साहित्य में एमए की डिग्री उन्होंने दिल्ली स्थित जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय से ली। उनके पति हेमंत जोशी भारतीय जनसंचार संस्थान में हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष पद से कुछ ही वर्ष पहले रिटायर हुए हैं।

मंजरी जोशी ने कई किताबें लिखने के अलावा रूसी से हिंदी में अनुवाद भी किया है। अब वह अनुवाद और टेलीविजन पत्रकारिता प्रशिक्षण का काम करती हैं। मंजरी जोशी दो पुत्रों पीयूष और गुंजन की माता हैं।

वेदप्रकाश- बेहद सौम्य न्यूज रीडर

वेदप्रकाश दूरदर्शन के बेहद सौम्य और अहंकार से बिल्कुल दूर नजर आने वाले न्यूज रीडर थे। वे बहुत ही सधे हुए अंदाज में खबरें पढ़ते थे। उन्हें भी दर्शक बहुत पसंद करते थे। दूरदर्शन में आने से पहले वे वॉयस ओवर आर्टिस्ट के रूप में काम करते थे। वे 'स्टूडेंट टुडे' के मुख्य संपादक भी रहे और अखबारों में उनके अनेक लेख भी प्रकाशित होते रहे हैं।

शोभना जगदीश- तीखे नयननक्श और हल्की मुस्कराहट

यहां जिन एंकरों की चर्चा हो रही है, उनसे शोभना जगदीश काफी जूनियर रहीं, लेकिन उन्होंने स्क्रीन पर आते ही अपनी उपस्थिति दर्ज करा दी थी। वे बहुत जल्दी दर्शकों में लोकप्रिय हो गईं। उनका चेहरा किसी शास्त्रीय नृत्यांगना जैसा था। खबरें पढ़ने के दौरान पूरे समय उनका अंदाज गंभीर रहता था लेकिन समाचार के शुरू में और आखिर में वे हल्का सा मुस्कराती थीं, जो दर्शकों को बहुत पसंद आता था। वे साड़ी के साथ गले में चेन और माथे पर छोटी सी बिंदी के साथ समाचार पढ़ने आती थीं।

मीनू तलवार-  हेयरस्टाइल और बिंदी से ध्यान खींचती थीं

मीनू तलवार के चेहरे पर थोड़ी शरारत झलकती थी, इसलिए जब वे खबरें पढ़ती थीं तो दर्शकों को एक खुशनुमा एहसास होता था। मीनू तलवार का दूरदर्शन में करियर करीब 35 साल का रहा। उनकी हेयरस्टाइल और बिंदी भी लोगों का ध्यान खींचती थी। वे खूबसूरत थीं और लोग उन्हें उनकी जवान होती बेटी की बड़ी बहन समझते  थे।

- लव कुमार सिंह


1 comment:

  1. सर हमारे योग्य भी है कोई पद

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