Sunday 31 May 2020

धूम्रपान करने से हमें क्यों डरना चाहिए?

Why should we be afraid of smoking?

Because it causes so many diseases whose list does not end



धूम्रपान करने से हमें क्यों डरना चाहिए? क्योंकि धूम्रपान से होने वाले रोगों की लिस्ट ही इतनी लंबी है। आइए देखते हैं कि सिगरेट पीने या अन्य तरीकों से धूम्रपान करने से हमारे शरीर को क्या-क्या नुकसान हो सकते हैं-

तरह-तरह के कैंसर और सांस नली के रोग


धूम्रपान से सबसे अधिक खतरा कैंसर, विशेष रूप से फेफड़े के कैंसर का होता है। सिगरेट के कागज में मौजूद टार नामक पदार्थ कैंसर पैदा करने वाला होता है। इसके कारण सांस की नली में संकरेपन से हार्ट अटैक पड़ सकता है। सिगरेट के धुएं में कैंसर की पहल करने वाले, कैंसर को बढ़ावा देने वाले और कैंसर की वृद्धि को तेज करने वाले 40 से ज्यादा तत्व मिलते हैं।

धूम्रपान से पैदा होने वाली विषैली गैसें जैसे कार्बन मोनोऑक्साइड, हाइड्रोजन ऑक्साइड और ऑक्सीडाइट निकोटीन फेफड़ों के कैंसर के साथ ही हार्ट अटैक, अस्थमा, दमा, क्षय रोग जैसे रोगों को जन्म देती हैं।

गले का कैंसर, मुंह कैंसर, भोजन नली का कैंसर और मूत्राशय का कैंसर भी धूम्रपान करने वालों में बहुतायत में होता है। साथ में लोगों को गुर्दे, अग्न्याशय, पेट और गर्भाशय ग्रीवा (सरविक्स) के कैंसर भी होते देखे गए हैं।

हृदय को परेशानी    

     

धूम्रपान से रक्त वाहिकाओं के फैलने-सिकुड़ने की क्रिया घट जाती है, जिससे हृदय की गति पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। इससे हृदय से जुड़े विभिन्न रोग हो सकते हैं। खास बात यह है कि सिगरेट पीने वाले व्यक्ति में हार्ट अटैक की आशंका सामान्य व्यक्ति के मुकाबले पांच गुना ज्यादा बढ़ जाती है। धूम्रपान से अच्छे कोलेस्ट्रॉल (एचडीएल) का स्तर घटने और हानिकारक कोलेस्ट्रॉल (एलडीएल) का स्तर बढ़ने से रक्तवाहिनियों में वसा का जमाव बढ़ जाता है।

सिगरेट का मुख्य तत्व निकोटीन, एड्रीनेलाइन और नॉन एड्रीनेलाइन नाम के हार्मोन के स्राव को उत्तेजित करता है। इससे हृदय के धड़कने की गति और रक्तचाप, दोनों ही बढ़ते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार केवल 2 सिगरेट पीने से रक्तचाप में 8 से 10 मिलीमीटर की वृद्धि हो जाती है और यह वृद्धि 15 मिनट से ज्यादा समय तक कायम रहती है। इस स्थिति में हृदय की मांसपेशियां ज्यादा ऑक्सीजन की मांग करती हैं। दूसरी तरफ सिगरेट के धुएं मौजूद कार्बन मोनोऑक्साइड रक्त की ऑक्सीजन धारण करने की क्षमता को घटा देती है। कुल मिलाकर बिना किसी बाहरी जरूरत के हृदय को ज्यादा काम करना पड़ता है और वह कमजोर हो जाता है।

धूम्रपान रक्त का लसलसापन (विस्कॉसिटी) और इसके थक्का बनने की प्रक्रिया को बढ़ाता है। इससे धमनियों में अवरोध और नसों में खून का थक्का बनने की समस्या पैदा होती है। इस प्रक्रिया में मस्तिष्क को जाने वाली धमनियां और कोरोनरी धमनी सबसे ज्यादा प्रभावित होती हैं। इसके अलावा यदि शरीर में विटामिन सी की  कमी हो तो धूम्रपान के कारण धमनियों में कोलेस्ट्रल जमा होने लगता है।

हड्डियों को हानि



सिगरेट के धुएं में कैडमियम नामक तत्व मौजूद होता है जो हड्डियों को विशेष रूप से नुकसान पहुंचाता है। कैडमियम की थोड़ी सी मात्रा भी हड्डियों में मौजूद कैल्शियम को 20-30 प्रतिशत तक नुकसान पहुंचाती है। महिलाओं में धूम्रपान से एस्ट्रोजन हार्मोन पर विपरीत असर होता है जिससे उनकी हड्डियों में ऑस्टियोपोरोसिस नाम की बीमारी हो जाती है। इस रोग में हड्डियों में लगातार दर्द का एहसास होता है और अचानक किसी हड्डी में फ्रैक्चर भी हो सकता है। अमेरिकन केमिकल सोसायटी के अध्ययन के अनुसार सिगरेट पीने से शरीर में दो विशेष प्रकार के प्रोटीन ज्यादा बनने लगते हैं जिससे हड्डियों के ऊतकों को हटाने वाली अस्थि कोशिकाओं ‘ओस्टेओक्लास्टस’ के निर्माण में तेजी आ जाती है और ऊतकों के हटने से हड्डियां कमजोर होने लगती हैं।

लकवा


धूम्रपान के सेवन से रक्त के लसलसेपन और थक्का बनने को बढ़ावा मिलता है, इसलिए धूम्रपान करने वाले व्यक्ति में सामान्य व्यक्ति के मुकाबले पक्षाघात का दौरा (पैरालिसिस) पड़ने की आशंका ज्यादा बढ़ जाती है।

डायबिटीज


निकोटीन द्वारा एट्रीनेलाइन और नॉनएड्रीनेलाइन हार्मोन के स्राव को बढ़ावा देने से यकृत और मांसपेशियां रक्त में ज्यादा ग्लूकोज छोड़ती हैं। इसके रक्त में ग्लूकोज का स्तर बढ़ता है जिसे नियंत्रित करने के लिए अग्न्याशय बार-बार ज्यादा से ज्यादा इंसुलिन पैदा करने की कोशिश करता है। ऐसा करते-करते एक समय ऐसा आता है जब यह कमजोर हो जाता है और इंसुलिन का निर्माण नहीं कर पाता। इसका परिणाम डायबिटीज रोग के रूप में सामने आता है।

परेशानी ही परेशानी





  • सिगरेट के सेवन से ब्रोंकाइटिस, फेफड़ों के अवकों में विटामिन की कमी, खांसी, दमा, जुकाम आदि हो सकता है।
  • सिगरेट के सेवन से मुंह का स्वाद बिगड़ जाता है। पेड़ से जुड़ी बीमारियां मुंह उठाने लगती हैं। नींद न आने की समस्या भी पैदा हो सकती है। बलगम ज्यादा बनता है। दांतों में रोग लग जाता है। हाथ पीले हो जाते हैं और मुंह से बदबू आती है। 
  • धूम्रपान करने से सूंघने की शक्ति कम हो जाती है। उंगलियों का रंग कत्थई हो जाता है। चेहरे पर वक्त से पहले झुर्रियां पड़ जाती है और चमड़ी के कई रोग हो सकते हैं। 
  • निकोटीन और कार्बन मोनोऑक्साइड के कारण आंखों की रोशनी कम हो सकती है। यौवन शक्ति में भी गिरावट आती है। रक्त की संरचना बिगड़ने से यौन हार्मोन उचित क्रिया नहीं कर पाते हैं।
  • सिगरेट पीने से मानसिक कमजोरी आती है, सुनने की शक्ति कम हो जाती है और विशेषज्ञों के अनुसार व्यक्ति की आयु में प्रतिदिन 6 मिनट की कमी आती है।
  • सिगरेट पीने से रक्त जमने की क्रिया भी अनियमित होती है। यदि व्यक्ति को मधुमेह है तो इस रोग पर नियंत्रण करना मुश्किल होता है क्योंकि धूम्रपान से इंसुलिन पैदा करने वाली ग्रंति पैंक्रियाज पर विपरीत असर पड़ता है।
  • अधिक धूम्रपान से पैरों की नसों में समस्या आ जाती है और कभी-कभी पैर काटने की भी नौबत आ जाती है। इसे बर्जर की बीमारी भी कहते हैं।


महिलाओं पर दुष्प्रभाव



महिलाओं में उपरोक्त सभी दुष्प्रभावों के अलावा धूम्रपान करने से उनकी प्रजनन क्षमता पर भी प्रतिकूल असर पड़ता है। महिलाओं में रजनोवृत्ति (मीनोपॉज) भी समय से पूर्व आरंभ हो सकती है। यदि गर्भवती महिला धूम्रपान करती है तो इससे गर्भपात की आशंका बढ़ जाती है। साथ ही बच्चा समय से पहले, मरा हुआ या रोगग्रस्त पैदा हो सकता है। महिलाओं में सिगरेट के सेवन से ब्रेन हेमरेज की आशंका पुरुषों के मुकाबले ज्यादा होती है।


- लव कुमार सिंह

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