Wednesday 29 April 2020

टीवी पर प्राइम टाइम बहस का ड्राइंग रूम में अनूठा असर

The prime time debate on TV has a unique effect in the drawing room



करीब 70 साल के रामपाल सिंह पुलिस विभाग में थे। अब वे विपक्ष में हैं। सत्ताधारी दल से बहुत नाराज हैं। शाम के छह-सात बजे से लेकर रात के नौ बजे तक टीवी पर होने वाली बहसों को  देखना उनका प्रिय टाइमपास है। लेकिन टीवी की बहसें देखते-देखते उनका टीवी देखने का ढंग एकदम निराला हो गया है। टीवी के अंदर किसी कार्यक्रम को एंकर नियंत्रित करता है, लेकिन अपने कमरे में रामपाल सिंह भी टीवी की बहस को अपने नियंत्रण में लेने का पूरा प्रयास करते हैं।

ऐसे ही एक दिन टीवी पर प्राइम टाइम में बड़ी बहस चल रही थी। रामपाल सिंह रात का भोजन निपटाकर कमरे में अकेले टीवी के सामने जमे थे। बगल के कमरे में उनका पौत्र रवि बोर्ड परीक्षा की तैयारी कर रहा था, मगर इस वक्त उसने किताब अलग रख दी थी। टीवी की आवाज इतनी तेज थी कि कार्यक्रम के खत्म होने तक पढ़ना संभव नहीं था। रवि भी अपनी जगह बैठा कार्यक्रम सुनने लगा।

“...तो मैं कह रहा था कि इस मामले में जितना हमारी पार्टी ने किया, उतना तो कोई भी नहीं कर पाया।" बहस के दौरान एक नेता जी अपना पक्ष रख रहे थे।

“ओए-ओए, क्यूं बकवास कर रा है...क्या हम नहीं जानते?" दादा जी ने कमरे से ही विरोध किया।

“जो मैं झूठ बोल रहा होऊं तो आप मुझे कोई भी सजा दे सकते हैं।” नेता जी फिर बोले।

“उल्ले के पट्ठे, जबान काट लूंगा तेरी...।" दादा जी फिर कमरे में गरजे।

तभी पैनल में शामिल कोई महिला बोलने लगी।

“तू भी बोली...तू भी बोली...चुप ही रहती...।“ महिला वक्ता ने दादा जी को और नाराज कर दिया।

सत्ताधारी दल के नेता किसी बात पर स्पष्टीकरण देने लगे।

“हरामजादो, बेच खाओ देश को...।" दादा जी ने तिरस्कार भाव से कहा।

सत्ताधारी दल के नेता ने अपनी सरकार के काम गिनाए।

“ये काम पहले क्यों नहीं किया। मैं पूछ रहा हूं तुम्हारी सरकार ने ये काम पहले क्यों नहीं कर दिया। अब गाल बजाने से कुछ फायदा है?" दादा जी ने अपनी बात रखी।

अब विपक्षी नेता बोलने लगे। दादा जी ध्यान से सुनने लगे। तभी सत्ताधारी दल का नेता बीच में बोल पड़ा।

“हट-हट, तुझे बीच में बोलने को किसने कहा?" दादा जी ने कमरे से ही आपत्ति की।

सत्ताधारी दल का नेता बोलता ही रहा।

“ओ-ओ-ओ...चुप रह। शर्म नहीं आ रही हरामखोर...।"

नेता दादा जी की बात सुन रहा होता तो ध्यान भी देता। वह बोलता रहा।

“ये चप्पल देखी है। इससे पीटूंगा तुझे...।“ रवि ने साफ सुना, दादा जी ने चप्पल उठाकर कई बार फर्श पर पटकी।

नेता के वक्तव्य पर कोई असर नहीं हुआ।

“किसे बेवकूफ बना रहे हो। ऐं... जनता को बिल्कुल उल्लू ही समझ रखा है।"

नेता बोलता रहा।

“अरे इसे कहां से ले आए। चुप कराओ भई इसे। जब देखो बकबक-बकबक। कोई इसे बाहर क्यों नहीं ले जाता।“
आखिर एंकर दूसरे वक्ता की तरफ मुखातिब हुआ।

“बोलो, तुम भी बोलो, सबै पता है क्या बोलोगे।" दादा जी उस वक्त के बोलने से पहले ही बिफर उठे।

तभी बीच में कोई और बोल पड़ा।

“ओ हो, अरे भई बोलने क्यों नहीं देता। जब तेरी बारी आएगी खूब बोलना तू भी।" दादा जी ने फिर ऐतराज जताया।

फिर एक विपक्षी दल के वक्ता की बात दादा जी ने पूरे ध्यान से सुनी।

“बहुत अच्छे, बहुत अच्छे...।“ पहली बार किसी वक्ता की बात रामपाल सिंह को अच्छी लगी।

कार्यक्रम खत्म हुआ। घर में लगा जैसे बहस का नहीं लाफ्टर चैलेंज का कार्यक्रम खत्म हुआ है। मम्मी, पापा, बहन सब हंस रहे थे। रवि ने किताब उठा ली पर उसे कोर्स के जवाब की जगह मम्मी को पापा द्वारा दिया जवाब ही याद आ रहा था। पापा एक दिन मम्मी से कह रहे थे, “अरे, दिन भर किसी से बोलते नहीं हैं। कहीं आते-जाते नहीं है। पुलिस की नौकरी में ड्राइवर से लेकर दारोगा तक हर मातहत इनकी तीखी जुबान और गालियों का शिकार होता था। अब आदत तो जाने से रही। सारी भड़ास टीवी पर निकलती है।"

“पर ये टीवी वाले भी तो जान-बूझकर ऐसी फालतू की बहस कराते हैं। ये नेता भी ऐसे-ऐसे शब्द बाण छोड़ते हैं जो सीधे लोगों के ड्राइंगरूम में जाकर गिरते हैं," मम्मी ने पापा से शिकायती लहजे में कहा था।
- लव कुमार सिंह
#PrimeTime #TVDebate #NewsChannel #TVChannel #TVAnchor

Use of Graphics or Info-graphics in newspapers (अखबारों में ग्राफिक्स या इन्फोग्राफिक्स का प्रयोग)

Graphics or Info-graphics




What are Graphics or Info-graphics?

  • The word graphics is derived from the Greek (Greek) language word graphicos.
  • In Hindi, Graphics is called Chitraalekh.
  • In terms of definition, graphics is called a visual presentation which is created for knowledge, entertainment, message, guidance, identity or any other purpose on any wall, cloth, stone, paper, computer screen or any other surface.
  • Graphics mainly consists of a mixture of images, articles and colours.
  • In the newspaper graphics are called info-graphics. That is, visual representation of information.

Why are info-graphics necessary in newspapers?


  • Many times it is seen that any important and interesting news is left without reading by the readers due to poor presentation. On the contrary, the reader's eyes catch the news with better presentation, and he reads it.
  • Therefore, graphics or info-graphics are required to attract the attention of the reader towards the news or any page.
  • Nowadays readers have a shortage of time. Readers do not have the newspaper for a long time. They want to read the newsletter with a pleasant feeling without any tension. The reader wants that the news has some visual value and it is written in least words, so that he read it easily. Graphics fulfill this requirement of today's readers.
  • Many times there are so much information and data in the news that by presenting them in general, that means only by expressing them in words, the news not only lengthens but it also gets difficult to read and understand. Therefore graphics or info-graphics are used to present the essence of the news in front of readers with speed, accuracy and clarity.

What are the functions of graphics in the newspaper or magazine?


The following are the functions of graphics in the newspaper or magazine
  • Graphics present information in an attractive and simple form.
  • Graphics make the news readable by making it a visual appearance.
  • Graphics are able to express large information in lesser words.
  • Graphics help the reader to understand the news well.
  • Graphics enhance the beauty of the page and stop the reader on the page.
  • Graphics complete the shortage of photographs.

What are the different components or elements of the graphics?  or
In which forms graphics can be presented?


The different components or elements of the graphics are as follows-

Table

Table can be used in any graphics. The table works to present large data in simple and concise form. The information comes in front of the readers at a glance.

Graph

Graph is also used in graphics, which presents data in graphical (pictorial) manner. The graph has X and Y axis. The graph works to clarify the relationship among different types of data.

Charts

Charts are also used in graphics. It also presents data in graphical form. The chart helps to compare different types of data. Chart can be used in three variations (pai charts, pictorial charts, map charts).

Photographs, drawing  and diagrams

Photos, painting and drawing are also used in graphics. These three work to support text. With the help of these it becomes possible to say which is difficult to say in words.

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ग्राफिक्स या इन्फोग्राफिक्स क्या है?
  • ग्राफिक्स शब्द की उत्पत्ति यूनानी (ग्रीक) भाषा के शब्द ग्राफिकोस से हुई है।
  • हिंदी में ग्राफिक्स को चित्रालेख कहते हैं।
  • परिभाषा की बात करें तो ग्राफिक्स ऐसे दृश्य प्रदर्शन (विजुअल प्रजेंटेशन) को कहते हैं जो किसी दीवार, कपड़े, पत्थर, कागज, कंप्यूटर के स्क्रीन या अन्य किसी सतह पर ज्ञान, मनोरंजन, संदेश, मार्गदर्शन, पहचान या अन्य किसी उद्देश्य के लिए बनाया गया हो।
  • ग्राफिक्स में मुख्यतः चित्र, लेख और रंगों का मिश्रण होता है।
  • समाचार पत्र में ग्राफिक्स को इन्फोग्राफिक्स कहा जाता है। अर्थात सूचना का दृश्यात्मक प्रस्तुतीकरण।

समाचार पत्र-पत्रिका में इन्फोग्राफिक्स क्यों जरूरी हैं?

  • कई बार ऐसा देखने में आता है कि कोई महत्वपूर्ण और रुचिकर समाचार भी समाचार पत्र में खराब प्रस्तुतिकरण के कारण पाठकों द्वारा पढ़े बिना रह जाता है। इसके विपरीत बेहतर प्रस्तुति वाले समान्य समाचार पर पाठक की नजर जरूर पड़ती है और वह उसे पढ़ता है। इसलिए समाचार या किसी पेज की तरफ पाठक का ध्यान आकृष्ट करने के लिए ग्राफिक्स की जरूरत पड़ती है।
  • आजकल पाठकों के पास समय की कमी है। पाठक ज्यादा देर तक अखबार नहीं पड़ते। वे समाचार पत्र को बिना किसी तनाव के खुशनुमा अहसास के साथ पढ़ना चाहते हैं। पाठक चाहता है कि समाचार दृश्यात्कम भी हो और कसा हुआ यानी कम शब्दों में हो ताकि वह आसानी से उसे पढ़ ले। आज के पाठक की इसी आवश्यकता की पूर्ति ग्राफिक्स करता है।
  • कई बार किसी समाचार में इतनी ज्यादा सूचनाएं और आंकड़े होते हैं कि उनका सामान्य रूप से प्रस्तुतीकरण यानी उन्हें केवल शब्दों में व्यक्त करने से समाचार न केवल लंबा हो जाता है बल्कि उसे पढ़ने व समझने में भी मुश्किल आती है। इसलिए समाचार के सार को तेजी, सटीकता और स्पष्टता के साथ पाठकों के सामने प्रस्तुत करने के लिए ग्राफिक्स या इन्फोग्राफिक्स का प्रयोग किया जाता है।

समाचार पत्र या पत्रिका में ग्राफिक्स के क्या कार्य हैं?

समाचार पत्र या पत्रिका में ग्राफिक्स के निम्नलिखित कार्य हैं-
  • ग्राफिक्स सूचना को आकर्षक और सरल रूप में प्रस्तुत करता है।
  • ग्राफिक्स सूचना को दृश्यात्मक रूप देकर समाचार को पठनीय बनाता है।
  • ग्राफिक्स बड़ी सूचना को कम शब्दों में व्यक्त करने में समर्थ होता है।
  • ग्राफिक्स पाठक को समाचार को अच्छी तरह समझाने में मदद करता है।
  • ग्राफिक्स पृष्ठ की सुंदरता बढ़ाता है और पाठक को पृष्ठ पर रोकने का काम करता है।
  • ग्राफिक्स फोटोग्राफ की कमी दूर करता है।

ग्राफिक्स के विभिन्न अवयव या तत्व कौन से हैं? या ग्राफिक्स किन-किन रूपों में प्रस्तुत किया जा सकता है?

उत्तर- ग्राफिक्स के विभिन्न अवयव या तत्व निम्न प्रकार से हैं-

तालिका-

किसी ग्राफिक्स में तालिका का प्रयोग हो सकता है। तालिका बड़े आंकड़ों को सरल और संक्षिप्त रूप में प्रस्तुत करने का काम करती है। इससे सूचना एक ही नजर में पाठकों के सामने आ जाती है।

ग्राफ- 

ग्राफिक्स में ग्राफ का प्रयोग भी होता है, जो आंकड़ों को चित्रमय (पिक्टोरियल) तरीके से प्रस्तुत करता है। ग्राफ में एक्स और वाई अक्ष (एक्सेस) होते हैं। ग्राफ विभिन्न प्रकार के आंकड़ों के बीच संबंध स्पष्ट करने का काम करता है।

चार्ट- 

ग्राफिक्स में चार्ट का प्रयोग भी किया जाता है। यह भी आंकड़ों को चित्रमय रूप में प्रस्तुत करता है। चार्ट विभिन्न प्रकार के डाटा (आंकड़ों) के बीच तुलना करने में मदद करता है। चार्ट तीन रूपों (पार्ई चार्ट, पिक्टोरियल चार्ट, मैप चार्ट) में प्रयोग हो सकता है।

फोटोग्राफ, ड्राइंग (चित्रकारी) और डाइग्राम (रेखाचित्र)- 

ग्राफिक्स में फोटो, चित्रकारी और रेखाचित्र का भी प्रयोग हो सकता है। ये तीनों ही पाठ्य (टेक्स्ट) को समर्थन देने का काम करते हैं। इनकी मदद से वह कहना संभव हो जाता है जिसे शब्दों में कहना मुश्किल होता है।
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#Newspaper #Journalism #Reporter #Editor #Editing #PrintMedia #News #Info-graphics


Tuesday 28 April 2020

जब ताई ने ससुर का गाली देना छुड़ा दिया

When Tai broke the father-in-law's abusive habit



पिछले दिनों काफी अर्से बाद अपने गांव जाना हुआ। वैसे तो क्या शहर, क्या गांव, गालियां (Abuses) सभी जगह कानों में पड़ जाती हैं। अब देखिए ना, पिछले दिनों कांग्रेस की अलका लांबा ने महिला होकर पहलवान योगेश्वर दत्त को किस प्रकार से गाली दी। लेकिन गांव में गालियों की बरसात कुछ ज्यादा हो रही थी। वहां जाकर मन में सवाल उठा कि गांव के लोगों को भोला भाला और सीधा सच्चा कहा जाता है, फिर ये लोग इतनी गालियां क्यों देते हैं? इनके ज्यादातर वाक्य बिना गालियों के पूरे ही नहीं होते। गालियां भी ऐसी-ऐसी कि “उल्लू का पट्ठा“ तो उनके सामने पानी भरता नजर आता है। 

मैंने सोचा कि क्यों ने गांव वालों से ही इसका कारण पूछा जाए। गांव के एक रिटायर्ड प्रिंसिपल बोले, “इसका कारण ये हो सकता है कि पुराने जमाने से ही गांव वालों को राजा, महाराजाओं, शहंशाहों और जमींदारों के आदमियों के बहुत ही कड़वे और अपमानजनक वचन सुनने को मिलते थे। देखादेखी ये कड़वाहट खुद उनकी जबान में भी उतर आई।" एक बेपढ़े मगर दुनियादार सज्जन बोले, “पढ़-लिखकर आदमी अपने मन की बात छिपा लेता है। गांव का आदमी इसीलिए तो भोला है कि जो उसके मुंह में आता है वही कह देता है।"

मैंने शहर आकर भी कुछ विद्वानों से पूछा। एक सज्जन बोले, “गाली देने का मतलब है कि आप प्रकृति के ज्यादा करीब हैं। पढ़-लिखकर, सभ्य बनकर हम अपनी इस मूल भावना को दबा देते हैं या छिपा लेते हैं, लेकिन यह हम सबके अंदर होती है।"

एक और विद्वान ने कहा, “गाली एक तरह का हथियार है। इससे सामने वाला डर भी सकता है। गाली देकर एक तरह से आदमी खुद को नंगा कर देता है। अब नंगे से आखिर कौन पंगा ले। हां, यदि गाली खाने वाला भी नंगा होने को तैयार हो तो फिर मुश्किल हो जाती है।"

इन प्रतिक्रियाओं को सुनकर मेरे ज्ञान चक्षु कुछ खुल से गए। नंगा होने की बात से मुझे गांव की एक ताई की कहानी याद आ गई। कहानी ये कि ताई जब बहू बनकर ससुराल आई तो उनकी सास स्वर्गवासी हो चुकी थी। घर में ससुर से ही सामना होता था। ससुर ऐसा था, जिसके मुंह पर ही गाली रखी रहती थी। जब भी ससुर गुस्सा होता तो वह नाराज तो ताई से होता, मगर उसके निशाने पर ताई की मां रहती, जो कि उसके सामने भी नहीं होती थी। ससुर कहता, “अरै तेरी महतारी के कान पे मारूं...अरै इसकी मां की...अरै तेरी मां की ...।” ताई बेचारी घूंघट में मन मसोसकर रह जाती।

एक बार ताई अपने मायके जा रही थी। पति को काम था, इसलिए ताई के  साथ ससुर का जाना तय हुआ। ससुराल में ताई सब सहन कर रही थी पर मायके में ससुर की गाली सुनने को तैयार नहीं थी। ताई ने चलने से पहले यह सुनिश्चित करके कि घर के दूसरे कमरे में ससुर मौजूद है, अपनी मां को फोन लगाया। उस वक्त गांव के इक्का-दुक्का लैंडलाइन फोन में से एक ताई की ससुराल में भी था। ताई ने बातों से ऐसा जाहिर किया जैसे उसे ससुर की उपस्थिति का पता नहीं है।
ताई अपनी मां से जोर से बोली, “हां री मां, राम-राम। मैं बोलू हूं। हां सुन...मेरी गैल सुसरो भी आ रौ है। थोड़ी बच कै रहिए।” 
“क्यूं ?” ताई की मां ने पूछा।
“....अरी क्यूं का, ये सुसरो यहीं तुझै एक भी दिन ना छोड़ै है। रोज तेरे उप्पर सवार रहवै है। अब तो तू सामने मिलैगी। पता ना थारा के हाल करकै छोड़ै?”
"म्हारे न कहा कहवै है थारा सुसरो?" मां ने पूछा तो ताई ने सारी शर्म छोड़कर वे सारी गालियां फोन पर कह डालीं जो उनका ससुरा उन्हें देता था। इसके अलावा भी ससुर के खिलाफ मन में भरी भड़ास फोन पर खूब निकाली।

ताई की बात सुन ससुर चुपचाप घर से खिसक गया। बाहर जाकर उसने बहुत देर सोचते-विचारते हुए हुक्का गुड़गुड़ाया। पता नहीं उसने क्या सोचा, लेकिन उसके बाद उसने कभी ताई को गाली नहीं दी। मां वाली गाली तो बिल्कुल नहीं दी।

- लवकुमार सिंह

#abused #Gaali #AbusiveLanguage #swearing #slanging #slagging #गाली


Major Types of Page Layout in Newspapers and Magazines (पेज लेआउट के प्रमुख प्रकार)

Major Types of Page Layout (Under Principles of layout and design)




पृष्ठ सज्जा (पेज लेआउट) के प्रमुख प्रकारMajor form or type of page layout


पृष्ठ सज्जा को मुख्यतः दो श्रेणियों में बांटा गया है-

मॉड्यूलर लेआउट 

  • यदि लेआउट में लगी प्रत्येक खबर एक रेक्टेंगल या स्क्वेयर के फ्रेम में घिरी होती है तो ऐसा लेआउट मॉड्यूलर लेआउट कहलाता है। 
  • इसका अर्थ यह है कि पेज पर प्रत्येक खबर चारों तरफ से अलाइन रहती है।
  • वर्टिकल लेआउट, हॉरिजेंटल लेआउट, इंटरचेंज लेआउट, सर्कुलर ले आउट आदि मॉड्यूलर श्रेणी के लेआउट हैं।

इरेगुलर लेआउट 

  • लेआउट की इस श्रेणी में समाचार किसी आयत या वर्ग के फ्रेम में नहीं होता है, बल्कि उसका नीचे का बायां या दायां हिस्सा पूंछ की तरह लटका रहता है।
  • इस प्रकार के समाचार के निचले हिस्से के सभी कॉलम की लाइनें एक सीध में नहीं होती हैं। डायगोनल लेआउट इस श्रेणी के लेआउट का उदाहरण है।
  • डायगोनल लेआउट इस श्रेणी के लेआउट का उदाहरण हैं।


मॉड्यूलर लेआउट के विभिन्न प्रकार


मॉड्यूलर लेआउट के कुछ प्रमुख प्रकार इस प्रकार हैं-

वर्टिकल लेआउट

(वर्टिकल पेज लेआउट)
  • इस लेआउट में पृष्ठ की ज्यादातर प्रभावी लाइनें वर्टिकल (ऊपर से नीचे या नीचे से ऊपर खड़ी रेखा की तरह) होती है। पेज थोड़ा लंबा नजर आता है।
  • इस प्रकार का लेआउट हमारे सामान्य बाइनोकुलर फील्ड ऑफ विजन (दोनों आंखों की सामान्य दृष्टि) को तोड़ता है।
  • यह प्रभावशाली और आक्रामक शैली का लेआउट है और पाठक पर भावनात्मक असर डालता है। यह फीचर जैसे आइटम के लिए उपयुक्त माना जाता है।
  • इस प्रकार के ले-आउट में आठ कॉलम के बड़े आकार वाले अखबार के पृष्ठ को 1-4-3 कॉलम के बार में बांट दिया जाता है। 5 कॉलम वाले टेबलायड को 2-3 कॉलम के बार में बांटा जाता है।
  • इस लेआउट में खबरें लगाना आसान होता है क्योंकि छोटी खबरें 1 कॉलम के बार में लगा दी जाती हैं और बड़ी खबरें 4 कॉलम के बार में।
  • फोल्ड (जहां अखबार मुड़ता है) के ऊपर ज्यादा खबरें लगाना संभव होता है।
  • यह लेआउट का सबसे पुराना रूप है और न्यूज वैल्यू की दृष्टि से एक सीमित प्रकार का लेआउट है। इसे विजुअली डिप्रेशिव माना जाता है।

हॉरिजेंटल (अनुप्रस्थ) लेआउट

                              (हारिजेंटल पेज लेआउट)
  • इस लेआउट में पृष्ठ की ज्यादातर लाइनें अनुप्रस्थ या हॉरिजेंटल रूप में होती हैं।
  • यह लेआउट शांतिदायक माना जाता है। इस लेआउट शांति और बुद्धिमत्ता का संदेश देता है। यह सूचनात्मक और गंभीर लेखों के लिए उपयुक्त है।
  • हॉरिजेंटल लेआउट के सामान्य रूप में समाचारों को बाएं से दाएं फैलाकर लगाया जाता है। इस प्रकार समाचार लगाने से पेज पर बाएं से दाएं एक रेखा खींची जा सकती है।
  • हॉरिजेंटल लेआउट का प्रयोग तब ज्यादा अच्छा होता है जब बड़ी खबरों की संख्या ज्यादा होती है।
  • बड़ी खबर को बाएं से दाएं फैलाकर लगाने से उसकी लंबाई छोटी हो जाती है। इससे पाठक के मन में संदेश जाता है कि यह स्टोरी छोटी है। इससे वह उसे पढ़ने के लिए आसानी से तैयार हो जाता है।
  • इस लेआउट में खबर को ज्यादा फोकस के साथ दिखाने की क्षमता होती है।
  • पूरा समाचार फोल्डेड समाचार पत्र में भी पढ़ा जा सकता है।
  • इस लेआउट में खबरों के शीर्षकों के बीच समाचार सामग्री रहती है, जिससे शीर्षक अलग व प्रमुखता से दिखाई देते हैं।
  • इसमें पेज की चौड़ाई का पूरा प्रयोग होता है।
  • इसमें फोल्ड के ऊपर कम संख्या में समाचार लग पाते हैं।
  • इसके अतिरिक्त यह ठहराव और विश्राम को प्रदर्शित करता है।
  • इसमें एकरसता दिखाई दे सकती है।

वर्टिकल-हॉरिजेंटल लेआउट (इंटरचेंज लेआउट)

  • र्टिकल और हॉरिजेंटल ले-आउट को मिलाया प्रयोग किया जा सकता है।
  • इसके तहत पेज के ऊपरी हिस्से को हॉरिजेंटल और निचले हिस्से को वर्टिकल रूप दिया जा सकता है। या फिर ऊपरी हिस्से को वर्टिकल तथा निचले हिस्से को हॉरिजेंटल बनाया जा सकात है। इसे इंटरचेंज लेआउट कहते हैं।
  • इंटरचेंज लेआउट तब प्रयोग में लाया जाता है जब किसी के पास विभिन्न लंबाई वाली खबरें होती हैं। समाचार पत्रों में ऐसी ही स्थिति होती है। वहां अलग-अलग प्रकार की अलग-अलग लंबाई वाली खबरों का ढेर होता है।
  • इस लेआउट के तहत पेज की शुरुआत हॉरिजेंटल लेआउट से की जा सकती है जिसके तहत 2-3 बड़ी खबरें पेज के ऊपरी हिस्से में लगाई जाती है। इसके बाद छोटी खबरों को वर्टिकल लेआउट में लगाया जाता है।
  • इसका उल्टा भी किया जा सकता है। अर्थात ऊपर का हिस्सा वर्टिकल रूप लिए होता है जबकि निचले हिस्से में समाचार हॉरिजेंटल फैला रहता है।

सर्कुलर लेआउट

  • सर्कुलर लेआउट में मुख्य खबर पेज के मध्य में रखी जाती है और बाकी खबरें उसके चारों तरफ घेरा बनाती हैं।
  • इसका उद्देश्य वर्टिकल और हॉरिजेंटल लेआउट का इस प्रकार से प्रयोग करने का होता है कि जिससे यह दोनों प्रकार के लेआउट के ढांचे को तोड़ सके।
  • यहां पेज के लिए व्यवस्थित कॉलम संरचना बनाने का उद्देश्य नहीं होता है।
  • इस लेआउट में काफी बड़े हैडिंग, ढेर सारे टाइपोग्राफिक प्रभाव और बड़ी तस्वीरें प्रयोग की जा सकती हैं। तस्वीरें अनियमित आकार की या तिरछी भी हो सकती हैं।
  • इस प्रकार का लेआउट टेबलॉयड और सनसनी फैलानी की इच्छुक पत्रिकाओं द्वारा मुख्यतः अपनाया जाता है।
  • इसके लेआउट का उद्देश्य पाठक का ध्यान खींचना, अपनी साहसी रिपोर्टिंग को समर्थन देना और तस्वीर को भव्य रूप में पेश करना होता है।

फोटो-सेंटर्ड लेआउट

  • सर्कुलर लेआउट का ही एक रूप फोटो-सेंटर्ड लेआउट होता है। इसमें चित्रों पर ज्यादा फोकस किया जाता है।
  • तस्वीरों को पेज की सबसे प्रमुख जगह पर, अंदरूनी हिस्से में लगाया जाता है।
  • जब तस्वीर लग जाती है तो फिर उससे जुड़ी खबर को लगाया जाता है।
  • बिना तस्वीर वाली खबरों को बाएं तरफ या अन्य स्थान पर तस्वीरों के साथ-साथ लगाया जाता है।

सिमिट्रिकल लेआउट

  • इस प्रकार के लेआउट में पेज के दोनों तरफ या प्रत्येक हिस्से में बराबर भार रखा जाता है। जिस प्रकार से खबरें बाएं तरफ लगाई जाती हैं, उसी प्रकार से दाएं तरफ लगती हैं।
  • दोनों तरफ के शीर्षकों का आकार भी समान होता है। समाचार की लंबाई भी बराबर रखी जाती है।
  • इस प्रकार का लेआउट किसी गंभीर समाचार पत्र के लिए एक शक्तिशाली अपील का काम करता है।
  • हमारे मस्तिष्क की स्वाभाविक मांग संतुलन की होती है, इसलिए यह मस्तिष्क को संतुष्ट करता है।
  • इससे न्यूज वैल्यू का रूप बिगड़ जाता है। पता नहीं चलता कि कौन सी खबर ज्यादा महत्वपूर्ण है।
  • इस लेआउट को हासिल करना भी काफी मुश्किल होता है। यह आसान नहीं है। इसे आउटडेटेट ले-आउट माना जाता है।

एसिमिट्रिकल लेआउट

  • जैसा की नाम से ही जाहिर है, यह लेआउट सिमिट्रिकल का उल्टा होता है।
  • इसमें विभिन्न समाचारों के बीच लेआउट की दृष्टि से समानता नहीं होती है।
  • बाएं और दाएं तरफ की डिजाइन असमान होती है।
  • लेकिन एसिमिट्रिकल का अर्थ असंतुलन नहीं होता है।

सर्कस लेआउट

  • यह लेआउट तब प्रयोग किया जाता है जब उपलब्ध समाचार छोटे आकार के होते हैं।
  • इस लेआउट में प्रत्येक खबर की हैडिंग को अटेंशन के लिए लड़ाई लड़नी पड़ती है।
  • इसमें कई सारी खबरें एक साथ-एक ही फ्रेम में लगाई जाती हैं।

सेंटर स्प्रेड लेआउट


  • जब कोई समाचार सामग्री आमने-सामने के पृष्ठों को जोड़कर एक साथ प्रस्तुत की जाती है तो उसे सेंटर स्प्रेड ले-आउट कहा जाता है।
  • इसमें आमने-सामने के दोनों पृष्ठ मिलकर एक बड़े पृष्ठ का आकार ले लेते हैं।
  • इससे सामग्री को बड़ा और भव्य रूप देने में आसानी होती है।

इरेगुलर लेआउट का प्रकार


डायगोनल लेआउट (तिरछा लेआउट)

  • इस लेआउट में मुख्य खबर पेज के बाहरी किनारे से शुरू होती है और उसका शीर्षक बड़ा होता है।
  • इसी के साथ खबर का अंतिम हिस्सा एक संकरी पूंछ जैसा होता है।
  • इस लेआउट में हैडिंग ज्यादा प्रमुखता से उभरती है और हैडिंग पाठक को पेज के ऊपर बाएं से नीचे दाएं तक जाने में गाइड करते हैं।
  • इसमें ज्यामितीय कर्कशता दिखती है। समाचारों के लटके रहने से पेज उतना सुंदर नहीं लगता है।   

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 Major type of page layout


The page layout is divided into two main categories-

Modular layout 

  • If every news in the layout is surrounded by a rectangle or square frame, such a layout is called modular layout.
  • It means that every news on the page is aligned from all sides.
  • Vertical layout, horizontal layout, interchange layout, circular layout etc. are the examples of modular layout.

Irregular layout 

  • In this category of layout, the news is not in any rectangle or square frame, but its lower left or right part hangs like a tail.
  • The lines of all the columns in the lower part of this type of news are not in a straight line. Diagonal layout is an example of this category.
  • Diagonal layout is an example of this layout

Prominent Types of Modular Layout 


Some prominent types of modular layout are as follows:

Vertical Layout

  • The most effective lines of the page in this layout are vertical. The page appears slightly longer.
  • This type of layout breaks down our normal Binocular Field of Vision (normal vision of both eyes).
  • It's an impressive and aggressive style layout and puts emotional impact on the reader. This is considered suitable for feature type items.
  • In this type of layout, the eight column large-sized newspaper page is divided into bars of 1-4-3 columns. The 5 column tabloid is divided into a bar of 2-3 columns.
  • It is easy to place news in this layout because small news are placed in one column bar and big news in 4 column bars.
  • It is possible to put more information on above the fold.
  • This is the oldest form of layout and has a limited type layout with the view of the news value.

Horizontal (transverse) layout

  • Most layers of the page are in transverse or horizontal form in this layout.
  • This layout is considered as peaceful. This layout gives the message of peace and wisdom. It is suitable for informative and serious articles.
  • In the normal form of Horizontal Layout, the news is spread from left to right. By applying the news in this way, a line from left to right can be drawn on the page.
  • Horizontal layout is better used when large numbers of big news are more.
  • By spreading the big news from left to right, its length becomes small. It is in the mind of the reader that the story is small. This makes him readily ready to read it.
  • The layout has the ability to show news with more focus.
  • The whole news can be read in the folded newsletter also.
  • The layout contains news content between the headings of the news, from which the titles appear differently and prominently.
  • The width of the page is fully utilized.
  • There is a small number of news on the fold.
  • In addition, it displays pause and relaxation.
  • There can be monotony in it.

Vertical-horizontal layout (interchange layout)

  • Combinations of vertical and horizontal layouts can be used.
  • Under this, the upper part of the page can be given a horizontal look and lower part can be given a vertical look. This is called an interchange layout.
  • Interchange layouts are used when someone has news of various lengths. There is a similar situation in the newspapers. There is a pile of news of different types of different lengths.
  • Under this layout, the page can be started with horizontal layout, under which 2-3 big news items are placed in the upper part of the page. After this, small news are put in vertical layout.
  • It can also be reversed. That is, the upper part is for the vertical form whereas the horizontal news are spread in the lower part.

Circular layout

  • The main news in the circular layout is placed in the middle of the page and the rest of the news surrounds it.
  • Its purpose is to use vertical and horizontal layout in such a way that it can break the structure of both types of layouts.
  • There is no purpose of creating a systematic column structure for the page here.
  •  Large layouts, a lot of typographic effects and big pictures can be used in this layout. Photos may be irregular or skewed.
  • This type of layout is mainly adopted by tabloid newspapers and magazines who want to spread sensation.
  • The purpose of its layout is to draw the attention of the reader, to support its courageous reporting and present the image in a grand way.

Photo-centered layout

  • One form of circular layout is photo-centered layout. It focuses more on the pictures.
  • Photos are placed in the inner part of the page, at the most prominent place of the page.
  • When the picture is taken, then the news related to it is attached.
  • News without pictures are placed alongside photographs on the left or other places.

Symmetrical layout


  • In this type of layout, equal load is placed on both sides of the page or in each part. The way news is put on the left side, the same way is applied to the right.
  • The size of the headings on either side is also the same. The length of the news is also kept equal.
  • This type of layout works as a powerful appeal for a serious newspaper.
  • Since the natural demand of our brain is balanced, it satisfies the brain.
  • But this makes the appearance of news value worse. It does not know which news is more important.
  • It is also very difficult to achieve this layout. It's not easy. It is considered outdated layout.

Asymmetrical layout


  • As the name suggests, this layout is inverted to the Symmetrical layout.
  • There is no similarity between various news stories according to layout.
  • The left and right side design is uneven.
  • But the meaning of asymmetrical is not imbalance. 

Circus layout

  • This layout is used when the news available  are of small size.
  • Headings of every news in this layout have to fight for the attention.
  • Many news stories are put together in one frame.

Center Spread Layout

  • When news content is presented together by adding face-to-face pages, it is called a center spread layout.
  • In this, both face-to-face pages take up the size of a larger page.
  • This makes it easier to give a bigger and more sophisticated look.

Type of irregular layout

Diagonal layout (slant layout)

  • The main news in this layout starts with the outer edge of the page and its title is larger.
  • With this, the last part of the news is like a narrow tail.
  • In this layout, headings emerge more prominently and headings guide the reader to going from the left to the bottom right of the page.
  • It appears in geometric rigidity. The hanging news do not make the page look so beautiful.
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थेराप्यूटिक आहार : बच्चों में कुपोषण से लड़ने का नया हथियार, मगर विवादग्रस्त

Therapeutic diet: new weapon to fight malnutrition in children, but controversial

  • थेराप्यूटिक आहार को पकाने की जरूरत नहीं पड़ती
  • सीधे पैकेट से निकालकर खाया जा सकता है
  • लेकिन भारत में इसके प्रयोग पर काफी विवाद है


यह कोरोना संकट से पहले की बात है। केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों से कहा था कि वे अपने यहां कुपोषित बच्चों को थेराप्यूटिक आहार दे सकते हैं। लेकिन साथ ही केंद्र ने यह भी कहा है कि नीति के तहत इसका (थेराप्यूटिक डाइट)  इस्तेमाल स्वीकार्य नहीं है। इसका कारण यह बताया गया है कि थेराप्यूटिक आहार बच्चों के लिए बेहतरीन डाइट है, इसका पुख्ता प्रमाण उपलब्ध नहीं हैं।

तीन चार पंक्तियों की यह खबर पढ़कर यह जानने की उत्सुकता जागी कि आखिर ये थेराप्यूटिक आहार है क्या। पता चला कि थेराप्यूटिक का शाब्दिक अर्थ है- वह चीज, जिसका संबंध किसी रोग को ठीक करने से हो। थेराप्यूटिक आहार एक ऐसी आहार योजना है जो कुछ निश्चित खाद्य या पोषक तत्वों को शरीर द्वारा ग्रहण करने को नियंत्रित करती है। यह किसी चिकित्सकीय अवस्था में किए जा रहे उपचार का हिस्सा है और सामान्यतः इस आहार को किसी चिकित्सक या आहार विशेषज्ञ की सिफारिश पर ही लिया जाता है। 

थेराप्यूटिक आहार, सामान्य प्रकार के आहार का एक सुधरा हुआ रूप होता है। इसके तहत भोजन के पोषक तत्वों, उनके गठन और खाद्य एलर्जी या शरीर की खाद्य अरुचि में सुधार किया जाता है। आम थेराप्यूटिक आहार के उदाहरण ग्लूटिन मुक्त आहार, पूर्ण तरल आहार,  सांद्रित मीठे से रहित आहार, डायबिटीक (कैलोरी नियंत्रित) आहार, रेनाल आहार (किडनी की समस्या में दिया जाने वाला आहार), कम वसा वाला आहार, उच्च रेशायुक्त आहार, अतिरिक्त नमक इस्तेमाल किए बिना बना आहार आदि हैं।

कुपोषित बच्चों और पाचन संबंधी समस्याओं से घिरे अन्य बच्चों के लिए भी थेराप्यूटिक आहार का चलन दुनिया में तेजी से बढ़ा है। थेराप्यूटिक आहार को सामान्यतः प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, लिपिड, विटामिन और मिनरल को मिलाकर बनाया जाता है। कुपोषित बच्चों के लिए इसमें सूखा दूध, वनस्पति तेल, चीनी, मूंगफली का मक्खन आदि भी मिलाए जाते हैं। इस प्रकार के आहार में ये सभी तत्व एक साथ मिलाकर पीस दिए जाते हैं और फिर उन्हें अच्छे तरह से मिला लिया जाता है। अच्छी तरह मिलाने से प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट, लिपिड (वसा) के खांचों में अच्छे से सन्निहित हो जाते हैं।

इस प्रकार के आहार को तैयार करने और फिर पैकिंग करने तक पानी का प्रयोग नहीं किया जाता है, क्योंकि लिपिड ही अपने आप में लसदार होता है जिससे मिक्सिंग में मदद मिलती है। पानी का प्रयोग न करने से आहार के खराब होने की आशंका काफी कम हो जाती है। 
थेराप्यूटिक आहार को इस प्रकार तैयार किया जाता है कि इसे पैकेट खोलकर सीधे किसी स्नैक्स की तरह खाया जा सके। यानी इसे खाने के लिए इसमेें अन्य कुछ भी मिलाने की जरूरत नहीं होती है। इस प्रकार इसे न तो पकाने की जरूरत होती है औऱ न ही इसमें बैक्टीरिया के संक्रमण का खतरा होता है।थेराप्यूटिक आहार की विशेषता यह है कि यह लंबे समय तक खराब नहीं होता है।

पिछले कुछ वर्षों से विश्व स्वास्थ्य संगठन और संयुक्त राष्ट्र संघ बाल कोष गंभीर रूप से कुपोषण के शिकार बच्चों को थोड़ी अवधि के लिए थेराप्यूटिक आहार देने की वकालत कर रहे हैं, लेकिन भारत में हुए अध्ययनों में इसे घर में पकाए भोजन से ज्यादा प्रभावी नहीं पाया गया है। इसी के साथ इसका प्रयोग महंगा भी पड़ता है।

पिछले दिनों महाराष्ट्र सरकार ने आंगनबाड़ी के जरिये कुपोषित बच्चों को थेराप्यूटिक आहार की आपूर्ति की योजना बनाई थी, लेकिन सरकार द्वारा जारी किए गए टेंडर के खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर हो गई है। इसके बाद महाराष्ट्र सरकार ने अपने फैसले पर अमल को रोक दिया।

जब महाराष्ट्र सरकार ने यह फैसला लिया था तो केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्रालय ने उसे पत्र लिखकर अपनी आपत्ति दर्ज कराई थी। मंत्रालय का कहना था कि कुपोषण से थेराप्यूटिक आहार के जरिये लड़ना भारत सरकार द्वारा स्वीकृत नीति नहीं है। इसके बावजूद महाराष्ट्र सरकार ने 38 करोड़ का टेंडर जारी कर दिया था। इसके तहत राज्य के 85000 कुपोषित बच्चों को इस आहार की आपूर्ति की जानी थी।

थेराप्यूटिक आहार के  विरोधियों का कहना है कि जब इस बात के पर्याप्त प्रमाण नहीं है कि थेराप्यूटिक आहार कुपोषण से लड़ने के लिए घर में पकाए गए आहार से बेहतर नहीं है तो फिर इस पर भारी-भरकम रकम क्यों खर्च की जाए।

उधर, इस आहार के समर्थकों का तर्क है कि जब आप घर में पकाए भोजन से अभी तक भारत में कुपोषण की समस्या दूर नहीं कर पाए तो थेराप्यूटिक आहार को आजमाने में भी क्या हर्ज है? बात तो ठीक लगती है। थेराप्यूटिक आहार के समर्थक यह भी कहते हैं कि कुपोषण की समस्या से लड़ने के लिए थेराप्यूटिक आहार को एक चांस तो देना ही चाहिए। उनका तर्क है कि राजस्थान, गुजरात आदि में इस आहार के उपयोग के पायलट प्रोजेक्ट सफल रहे हैं। इसके अलावा अंतराष्ट्रीय स्तर पर दो मिलियन (20 लाख) से ज्यादा कुपोषित बच्चों का उपचार थेराप्यूटिक आहार से किया जा रहा है।

बहरहाल अब केंद्र सरकार ने नीतिगत न सही लेकिन व्यवहार में थेराप्यूटिक आहार के प्रयोग की इजाजत राज्यों की दी है। आगे देखते हैं कि भारत में  बच्चों में कुपोषण की समस्या और थेराप्यूटिक आहार का क्या भविष्य होता  है?
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  • भारत में 5 वर्ष से नीचे के 44 प्रतिशत बच्चे अंडरवेट यानी मानक वजन से कम के हैं। 
  • भारत के 72 प्रतिशत नवजात बच्चे और 52 प्रतिशत विवाहित महिलाएं खून की कमी वाले एनीमिया रोग से पीड़ित हैं। 
  • अध्ययन यह भी कहते हैं कि गर्भावस्था के दौरान कुपोषण का शिकार हुआ बच्चा आगे अन्य असाध्य बीमारियों का शिकार भी बन सकता है।
यहां कुछ शब्द संक्षेप भी काम के हैं-
RUTF- रेडी टू यूज थेराप्यूटिक फूड (Ready to Use Therapeutic Food))
SAM- सेवेयर एक्यूट मालन्यूट्रिशन (Severe Acute Malnutrition)
- लव कुमार सिंह


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#Diet #TherapeuticDiet #Malnutrition #NutritionIsMedicine #nutrition #health



Monday 27 April 2020

Principles of layout and design in print media (लेआउट और डिजाइन के सिद्धांत)

Principles of layout and design

लेआउट और डिजाइन के सिद्धांत



पृष्ठ सज्जा (लेआउट) के सामान्य नियम


पृष्ठ सज्जा के सामान्य नियम निम्नलिखित हैं-

संतुलन (बैलेंस)

पृष्ठ सज्जा में पृष्ठ पर लगी विभिन्न खबरों और चित्रों के बीच एक संतुलन रखना जरूरी होता है। जैसे कि चित्रों को किसी एक हिस्से में लगाने के बजाय ऊपर-नीचे, दाएं-बाएं एक संतुलन बनाकर लगाया जाता है। यदि सारे चित्र पृष्ठ के ऊपरी हिस्से में लगा दिए जाएं तो नीचे वाला हिस्सा खाली रह जाता है और पृष्ठ सुंदर नहीं लगता। इसी प्रकार यदि ज्यादा चित्र नीचे वाले हिस्से में लगते हैं तो पृष्ठ इस प्रकार दिखाई देता है जैसे किसी गाड़ी को उलट दिया गया हो।

फोकस (फोकस)

इसके तहत समाचार सामग्री को इस प्रकार से लगाया जाता है कि पाठक प्राथमिकता से उन्हीं समाचारों को पहले पढ़े, जिन्हें पत्रकार पहले पढ़वाना चाहता है। इसके लिए पृष्ठ की सबसे महत्वपूर्ण खबर को सबसे प्रमुख स्थान (ऊपर बाएं या दाएं) पर सबसे मोटे शीर्षक के साथ लगाया जाता है। इसी तरह किसी रोचक खबर को बॉक्स के अंदर प्रस्तुत किया जाता है ताकि पाठक की नजर तुरंत उस खबर पर पड़े।

विरोधाभास- (कंट्रास्ट)

पृष्ठ को आकर्षक बनाने के लिए कंट्रास्ट यानी विरोधाभास का भी प्रयोग जरूरी है। इस प्रकार का विरोधाभास रंगों का विरोधाभास हो सकता है। यह विरोधाभाश लंबवत और क्षैतिज खबर का भी हो सकता है।

संगति- (हार्मोनी)

समाचारों को पृष्ठ पर सजाने में संगति या हार्मोनी का ध्यान रखना भी जरूरी है। किसी पृष्ठ पर एक परत या लेयर में लगे समाचारों में यदि शुरू का समाचार दो कॉलम का है तो उसके बाद एक कॉलम का समाचार लगाकार फिर से दो कॉलम का समाचार लगाया जाता है जो बाएं-दाएं सगति बनाने का काम करता है।

गति- (मोशन)

इससे यह तात्पर्य है कि पृष्ठ सज्जा इस प्रकार से होनी चाहिए कि उसमें एक गति नजर आए यानी पाठक जब पृष्ठ पर नजर घुमाए तो उसकी नजर गति में कहीं रुकावट न पैदा हो। वह खबर या खबरों को एक तरफ से देखता या पढ़ता हुआ दूसरी तरफ चला जाए और इस प्रक्रिया में कोई व्यवधान पैदा न हो।

पृष्ठ सज्जा के प्रमुख बिंदु


पृष्ठ सज्जा के प्रमुख बिंदु इस प्रकार हैं-

सुरुचिपूर्ण सजावट 

दृश्यात्मक प्रभाव सुरुचिपूर्ण सजावट का सबसे महत्वपूर्ण अंग है। पत्र/पत्रिकाएं ब्लीड पिक्चर्स और क्राप्ड पिक्चर्स की तकनीक का सहारा लेते हुए दृश्यात्मक प्रभाव उत्पन्न करने की हरसंभव चेष्टा करती हैं।
प्रयोग के स्तर पर ‘ब्लीड पिक्चर्स’ ऐसे चित्र हैं जो उस पन्ने से बड़े होते हैं जिन पर वे छापे जाते हैं। ऐसी स्थिति में चारों ओर से ट्रिमिंग पद्धति द्वारा उन्हें एडजस्ट’ किया जाता है।
दूसरी ओर क्राप्ड पिक्चर्स ऐसी तस्वीरों को कहते हैं जिनके कमजोर हिस्से को हटाने के लिए उन तस्वीरों की क्रापिंग करनी पड़ती है। इस प्रक्रिया में चित्र के सबसे रोचकप्रासंगिक और नाटकीय पक्ष को उभारने का प्रयास किया जाता है।

पाठकों को आकर्षित करने की क्षमता

प्रतिस्पर्धी पत्र/पत्रिकाओं से भिन्नता वाली आधार-सामग्री (जैसे पत्र का लोगोडेटलाइनपंचलाइनफ्लैगइयर्सहेड रूलमास्ट हेड) बिना किसी फेरबदल के प्रकाशित की जाती है। इससे समाचार पत्रों की भीड़ में उसकी एक पहचान बनती है और पाठक एक नजर में ही पहचान लेता है कि फलां अखबार जागरण है, अमर उजाला है या हिन्दुस्तान है। पृष्ठों का प्रोफाइल भी उसे अन्य अखबारों से अलग करता है। जैसे किसी अखबार में खेल पेज अंतिम पृष्ठ होता है तो किसी में देश-विदेश की खबरें अंतिम पृष्ठ पर होती हैं।

पर्याप्त खाली जगह

पृष्ठ सज्जा में व्हाइट स्पेस को अक्सर निगेटिव स्पेस के रूप में व्यक्त किया जाता है। यह पेज का वह हिस्सा होता है जिस पर कोई सामग्री नहीं होती है। यह मार्जिन, गटर और कॉलम, टाइप लाइन, ग्राफिक्स, चित्रों के बीच का स्थान होता है। यह डिजाइन का बहुत ही महत्वपूर्ण तत्व है। पॉजीटिव (नॉन व्हाइट) और निगेटिव (व्हाइट) स्पेस का संतुलन सुरुचिपूर्ण पेज मेकअप की कुंजी कहा जाता है।

सही टाइप का चुनाव

लेआउट में सही टाइप का चुनाव भी महत्वपूर्ण है। सैकड़ों फोंट्स के बीच में सही फोंट टाइप का चुनाव आसान नहीं है। इसमें इस बात का ध्यान रखना पड़ता है कि फोंट टाइप न केवल देखने में सुंदर हो बल्कि दूसरे समाचार पत्रों से अलग भी हो। इसके साथ ही वह ज्यादा स्थान घेरने वाला भी न हो।

बॉक्सग्राफिक्सफोटोग्राफ का सही चुनाव 

पेज पर लगे बॉक्स, फोटोग्राफ और ग्राफिक्स पेज की सुंदरता बढ़ाने में बेहद महत्वूर्ण योगदान देते हैं। बहुत ज्यादा बॉक्स का प्रयोग करने से भी पेज की सुंदरता नष्ट होती है। इसी प्रकार फोटो की गुणवत्ता और उनकी संख्या का भी लेआउट में ध्यान रखना पड़ता है। फोटोग्राफ की अनुपस्थिति में ग्राफिक्स उनकी कमी पूरी करने का काम करते हैं।

रंग-संयोजन

पेज लेआउट में रंग संयोजन बहुत ही महत्वपूर्ण कारक है। किसी गलत रंग का चुनाव पेज की डिजाइन को बर्बाद कर सकता है। टेक्स्ट का रंग बैकग्राउंड के रंग के विपरीत (कंट्रास्ट) होना चाहिए। तीसरी पीढ़ी के लेआउट में टाइपोग्राफिक और विजुअल लेआउट के सिद्धांतों के मिश्रण का प्रयोग होता है।

नवीनता और विविधता

पेज लेआउट में हमेशा कुछ नया और अलग हटकर करने की कोशिश की जाती है। रोजाना एक ही प्रकार का पेज मेकअप एकरसता उत्पन्न करता है।
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General rules of page layout


The general rules for page layout are as follows:

Balance

In page layout, it is important to keep a balance between the various news and pictures on the page. The pictures are applied by making a balance in the top-bottom, right-left rather than in any one part. If all the images are placed in the upper part of the page, then the bottom part is left blank and the page does not look beautiful. Similarly, if more images appear in the lower part, then the page appears as if a cart is reversed.

Focus

Under this, news content is put in such a way that the reader can read the news according to the priority. For this, the most important news on the page is put in the most prominent place (top left or right) with the larger title. Similarly, interesting news is presented inside the box so that the reader's notice immediately falls on that news.

Contrast

In order to make the page attractive, it is also necessary to use contrasts i.e. contradictions. This type of contradiction can be a contradiction of colours. This contradiction can be of vertical and horizontal news too.

Harmony

Consistency or harmony is also important for decorating the news on the page. If starting news in a layer on a page is of the two columns then after one column is, the news of two columns is placed again. This helps to create left-right harmony.

Motion

This means that the page should be layout in such a way that it has a motion in it. It means when the reader turns his attention on the page, his eyes should not have any obstruction. He/she should see or read the news from one side and go on the other side and there is no interruption in the process.

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Main points of Page layout


The main points of page layout are as follows:

Elegant decoration

In this, visual effect is very important.  Newspapers and magazines make every effort to create visual effects with the help of the technology of bleed pictures and cropped pictures.
At the level of experiment, bleed pictures are the images that are larger than the pages on which they are printed. In such a situation, they are adjusted by the trimming system around them.
On the other hand, cropped pictures are such pictures, which have some weak parts and that weak parts are removed by cropping. In this process, we try to highlight the most interesting, relevant and dramatic side of the picture.

The ability to attract readers

Various variations from competing newspapers/ magazines (often the content of the paper published regularly in the newspaper like logo, dateline, punchline, flag, ear, head rule, mast head etc) are published without any modifications. This creates an identity in the crowd of newspapers and the reader recognizes that the newspaper is Jagaran, Amar Ujala or Hindustan. The profile of pages also separates them from other newspapers. For example, in some newspaper, the sports page is the last page, but there are national and international news on the last page in other newspaper.

Ample white space

In page layout, white space is often referred to as negative space. It is the portion of a page left unmarked: margins, gutters, and space between columns, lines of type, graphics, figures, or objects drawn or depicted. It is an important element of design which enables the objects in it to exist at all; the balance between positive (non-white) and negative spaces is key to aesthetic composition.

Choose the right type

The choice of the right type in the layout is also important. It is not easy to choose the correct font type for the newspaper among hundreds of fonts. It needs to be kept in mind that the font type is not only beautiful but also different from others. Along with this, it should not be too much occupant.

The right choice of box, graphics, photograph

Boxes, photographs and graphics on the page make extremely important contributions to enhancing the beauty of the pages. Using too much box also destroys the beauty of the page. Similarly, the quality of the photo and their number also need to be kept in mind. In the absence of a photograph, the graphics work to complete their shortcomings.

Colour combination

Colour is an important element in page layout. A poor choice of colour may ruin the whole page's design. The text color must contrast well with the background colour. A third generation page is a combination of typographic and visual layout principles with a creative design.

Innovation and variety

In page layout, we should always try something new and different in everyday. The same type of page makeup everyday creates monotony.
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 #Newspaper #Journalism #Reporter #Editor #Editing #PrintMedia #Layout #Design