Saturday 18 December 2021

विराट ने 'धोनी टू कोहली' जैसे सुगम सफर की कल्पना की होगी, लेकिन बीसीसीआई ने 'कोहली टू रोहित' को पथरीला बना दिया

विराट ने 'धोनी टू कोहली' जैसे सुगम सफर की कल्पना की होगी, लेकिन बीसीसीआई ने 'कोहली टू रोहित' को पथरीला बना दिया


कप्तानी का सफर 'कोहली टू रोहित' पथरीला और पीड़ादायक हो गया

जबकि यह 'धोनी टू कोहली' की तरह समतल और सुगम हो सकता था। 

क्रिकेट के 'निरक्षर' कहे गये विनोद राय यह काम आसानी से कर गए

लेकिन क्रिकेट के पंडित सौरव गांगुली यह करने से चूक गए।

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संयुक्त अरब अमीरात में 2021 में हुए टी-20  विश्व कप से पहले भारत में हल्ला मचा कि यदि भारत यह विश्व कप नहीं जीतता है तो विराट कोहली को टी-20 टीम की कप्तानी से हटा दिया जाएगा। क्या मीडिया में यह हल्ला भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के पदाधिकारियों द्वारा लीक की गई सूचनाओं के बिना मच सकता था?  बिल्कुल नहीं।

इस हल्ले का यह असर हुआ कि विराट कोहली ने टी-20 विश्व कप से पहले ही घोषणा कर दी कि वह इस विश्व कप के बाद टी-20 टीम की कप्तानी छोड़ देंगे। उस दौरान यानी सितंबर 2021 में मैंने लिखा था कि- "भारतीय क्रिकेट के कर्णधारों, क्रिकेट में सक्रिय विभिन्न लॉबी और मीडिया के अनेक धड़ों ने क्या टी-20 विश्व कप में अभी से भारतीय टीम की संभावनाएं 50 प्रतिशत कम नहीं कर दीं है?" 

हुआ भी ठीक ऐसा ही और भारतीय टीम विश्व कप जीतना तो दूर अंतिम चार में भी जगह नहीं बना सकी।

उस पोस्ट में मैंने यह भी लिखा था कि- "चिंता इस बात की भी है कि कोहली कोई शांत व्यक्ति नहीं हैं। यदि उन्हें ठीक से संभाला नहीं गया तो वे जल्दी ही टीम से ही विदा न ले लें। भगवान करें ऐसा कुछ ना हो।" 

आज तीन महीने बाद ही ऐसी आशंका उत्पन्न होने लगी है। आप मेरी वह पोस्ट नीचे दिये गये लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं। 

https://stotybylavkumar.blogspot.com/2021/09/How-will-the-Indian-team-perform-in-the-T20-World-Cup.html


बहरहाल, वर्तमान विवाद पर आते हैं। कोहली ने जब टी-20 की कप्तानी छोड़ी तो शायद वह संभावित अपमान से बचना चाहते थे। वे चाहते होंगे कि विश्व कप के बाद ऐसा न लगे कि उन्हें हटाया गया है। वे शायद चाहते थे कि जिस प्रकार कप्तानी का स्थानांतरण धोनी से उनके पास तक बहुत सुगमता से और धीरे-धीरे हुआ, उसी प्रकार उनसे रोहित शर्मा तक कप्तानी का स्थानांतरण हो।

हमें याद रखना होगा कि धोनी से कोहली तक कप्तानी का स्थानांतरण बेहद शालीनता से हुआ। और यह उस समय में हुआ जब विनोद राय बीसीसीआई की कमान संभाल रहे थे, जिनके बारे में अब कहा जा रहा है कि उन्हें क्रिकेट का कुछ पता नहीं था।

कप्तानी के 'धोनी टू कोहली' स्थानांतरण में एक बार भी ऐसा नहीं लगा कि धोनी की अक्षमता या असफलता की वजह से कप्तानी कोहली को मिली है। कोहली ने यह स्थानांतरण स्वयं देखा था इसलिए वह ऐसा ही 'कोहली टू रोहित' में चाहते होंगे। जब उन्होंने टी-20 की कप्तानी छोड़ी और उसे भारतीय क्रिकेट टीम के लिए अच्छा कदम बताया गया तो सभी को लगा कि कप्तानी का मामला 'धोनी टू कोहली' जैसी सुगमता की तरफ बढ़ रहा है।

लेकिन इसके तुरंत बाद लाल और सफेद गेंद का हल्ला मचा दिया गया। यह भी ध्यान में नहीं रखा गया कि कोहली वनडे के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों में से एक हैं। बहुत जल्दबाजी करते हुए चयनकर्ताओं ने कोहली को वनडे की कप्तानी से हटा दिया। बस यहीं कोहली को झटका लग गया। उनकी 'धोनी टू कोहली' वाली कल्पना टूट गई। 'गरिमा से पद छोड़ने' की जगह 'अपमानजनक ढंग से हटाने का भाव' आ गया। अक्षमता, विफलता जैसे शब्द ऊपर आ गए।

कुल मिलाकर बीसीसीआई ने कप्तानी के 'कोहली टू रोहित' सफर को पथरीला बना दिया है। बीसीसीआई के पदाधिकारी वनडे की कप्तानी पर फैसला करने से पहले बड़े आराम से विराट कोहली के साथ बैठक कर सकते थे। उसमें उन्हें प्यार से समझा सकते थे कि टी-20 की कप्तानी आपने जिस भी परिस्थिति में छोड़ी लेकिन अब यह हकीकत है कि आप टी-20 में कप्तान नहीं हैं। आपने जो फैसला लिया, वह भारतीय क्रिकेट के हित में है और हम उसकी प्रशंसा करते हैं। लेकिन हम चाहेंगे कि वनडे की कप्तानी भी रोहित शर्मा को दे दी जाए ताकि अगले टी-20 विश्व कप के साथ ही वन-डे विश्व कप की भी तैयारी पुख्ता तरीके से शुरू हो सके। 

हो सकता है कि विराट कोहली इस तरीके से बात करने पर सहमत हो जाते और ऐसी अप्रिय स्थिति पैदा नहीं होती। हो सकता है कि वह कहते कि मुझे एक वन-डे विश्व कप में कप्तानी का मौका और दिया जाए, उसके बाद मैं स्वयं कप्तानी छोड़ दूंगा। इस प्रस्ताव पर अधिकारी परिस्थिति अनुसार फैसला कर सकते थे। कुल मिलाकर ऐसा करने पर कप्तानी का स्थानांतरण सुगमता से हो सकता था।

बीसीसीआई के पास अभी भी यह करने का अवसर है। सबसे पहले तो बीसीसीआई के पदाधिकारियों को बेसिर-पैर की खबरों को मीडिया में प्लांट करने से बचना होगा। इसके बाद वे विराट कोहली के साथ बैठकर बात करें। उन्हें समझाया जाए कि अब चूंकि चयनकर्ता फैसला कर चुके हैं तो वनडे की कप्तानी को लेकर हम कोई विवाद नहीं चाहते। आप शांत मन से टेस्ट टीम की कप्तानी करें और टीम को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाएं। साथ ही आप वन-डे और टी-20 में भी अपना बहूमूल्य योगदान दें। आप महान खिलाड़ी हैं। हमारे मन में आपके प्रति कोई दुर्भावना नहीं है। जो भी गलतफहमियां हुईं, उन्हें भूलकर आगे बढ़ें। ऐसा करने पर ही इस आग पर पानी पड़ सकता है और भारतीय टीम इस आग की तपन से बच सकती है।

देखते हैं सौरव गांगुली और बीसीसीआई के पदाधिकारी क्या कदम उठाते हैं। गेंद तो अब उनके ही पाले में है।

- लव कुमार सिंह

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आप क्या सोचते हैं?

How will the controversy surrounding the captaincy of the Indian cricket team be resolved?

Will Virat Kohli bid farewell to the Indian team?

Will the Indian team win the Test series in South Africa after the captaincy dispute?

Saturday 4 December 2021

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#AjazPatel एक टेस्ट पारी में #10Wickets लेने वाले क्रिकेट इतिहास के महज तीसरे गेंदबाज बन गए हैं...
मजे की बात ये है कि तीन में से दो मौकों पर #TeamIndia की शेयरिंग है...
जिम लेकर (Eng) vs Aus 1956
अनिल कुंबले (Ind) vs Pak 1999
एजाज पटेल (NZ) vs Ind 2021
मजे की बात ये भी है कि #RahulDravid इनमें से 2 मौकों पर #TeamIndia का हिस्सा हैं...

साथ ही ये भी #InterestingFact है कि #AjazPatel खुद एक भारतीय हैं और #Mumbai में ही जन्मे हैं...

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बिहार में अगले महीन (दिसंबर 21) होने वाले विधान परिषद 24 सीटों के चुनाव के लिए आरजेडी और कांग्रेस पिछले महीने उपचुनाव में दिखी कड़वाहट भुलाकर फिर साथ आ सकते हैं.

बिहार विधानपरिषद में कुल 75 सीटें है. निकाय कोटे की 24 सीटों के लिए चुनाव पंचायत चुनाव के बाद होने हैं. पंचायत चुनाव 12 दिसंबर को ख़त्म होंगे.

सोमवार को पटना पहुंचने के बाद आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने गठबंधन के सवाल पर कहा, "इसमें ग़लत क्या है? सबके साथ गठबंधन होना चाहिए. कांग्रेस पार्टी भी है. हम सब एक साथ है."

लालू प्रसाद यादव के इस बयान में 'लोजपा' से ज्यादा महत्व 'कांग्रेस' को दिया जा रहा है जिसके साथ अक्टूबर में विधानसभा की दो सीटों के उपचुनाव में वाकयुद्ध हुआ था.

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न्यू वर्ल्ड आर्डर की पहली बड़ी कम्पनी कल रात को लॉन्च कर दी गयी है, फेसबुक इंक को अब मेटावर्स के नाम से जाना जाएगा, कुछ लोग यह सोच रहे होंगे कि आखिर इस नाम फेसबुक में क्या बुरा है जो उसे एक बिलकुल नया नाम दिया जा रहा है, दरअसल मेटावर्स एक पेरेंट कंपनी है जिसके अंदर फेसबुक, वॉट्सऐप, इंस्टाग्राम और कंपनी के दूसरे प्लेटफॉर्म आएंगे। ठीक वैसे ही जैसे गूगल की मालिक अल्फाबेट है
फेसबुक के मालिक मार्क जुकरबर्ग की निगाह भविष्य पर गड़ी हुई है इंटरनेट का भविष्य वह मेटावर्स में देख रहे हैं यह बिलकुल एक नयी दुनिया होगी जो कहने को तो आभासी होगी लेकिन जितना समय गुजरता जाएगा आभासी दुनिया ही वास्तविक बनती जाएगी, जिसमे आप न सिर्फ जिंदा लोगो से बात कर पाएंगे बल्कि अपने मृत परिजनों से भी बात कर पाएंगे,


लालू यादव ने उपचुनाव से पहले बिहार में कांग्रेस के प्रभारी और पार्टी के वरिष्ठ नेता भक्त चरण दास को भकचोन्हर (स्थानीय शब्द,जिसका मतलब है बेवकूफ) कहा था.

तारापुर और कुशेश्वर स्थान - इन दोनों सीटों पर सत्ताधानी दल और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू के उम्मीदवार जीते. लेकिन इस जीत को वोटों की संख्या से देखा जाना भी ज़रूरी है.


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राजनीति

26 अक्टूबर

भारतीय लोकतंत्र में अस्मिता या पहचान की राजनीति को विस्थापिक कर आकांक्षा की राजनीति ने जन्म ले लिया है। राजनीतिक दलों के परंपरागत जनाधार में आमूलचूल परिवर्तन हो रहा है और अस्मिता की राजनीति करने वाले दलों के हाथ से सजातीय मतदाता छिटक रहा है। ...गहराती लोकतांत्रित जड़ें धीरे-धीरे मतदाता को सामाजिक संरचना के खांचे से निकालकर नूतन राजनीतिक संरचनाओं के खांचे में डालने लगी हैं।...वास्तव में एक अदृश्य मतदाता समूह प्रकट हो गया है जो सामाजिक स्तर पर अपनी जातीयता को पकड़े है, लेकिन राजनीतिक स्तर पर उसे छोड़ने को तैयार है। यही वह मनोवैज्ञानिक परिवर्तन है, जो अस्मिता की राजनीति करने वाले दल अभी तक समझ नहीं पा रहे हैं और वे पुराने प्रयोगों में ही उलझे हैं। इसी में चुनावी विजय और पराजय के सूत्र छिपे हैं।

- डॉ. ए.के. वर्मा (राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ स्तंभकार)

यूपी में 2022 के चुनावों के मद्देनजर मुसलमानों की राजनीतिक पसंद जानने के लिये हमने उनकी संयुक्त आबादी और बहुमत वाले गांवों पर अध्ययन किया। इसमें कई विमर्श बने। तमाम मिथक टूटे। कुछ अवधारणाएं भी पुष्ट हुईं। मुस्लिम समुदाय की सामाजिक संरचना उसे बहुल रूपी समाज के रूप में प्रस्तुत करती है। अशराफ, अजलाफ और अरजाल जैसे सामाजिक स्तरों पर तो  मुस्लिम समुदाय बंटा ही है, ततवा, रंगरेज, जोगी, डफाली, ललबेगी और बुनकर जैसे पैशों से बनीं अनेक जातियां और उनके प्रतिस्पर्धी टकरावों की ध्वनि इस समूह के ताने-बाने में प्रतिध्वनित होती है। जब कोई भी समूह इतने स्तरों में बंटा हो तो धार्मिक अस्मिता पर केंद्रीय गहन गोलबंदी के बावजूद उसके बीच भी कायम राजनीतिक असहमति के स्वर सुनाई पड़ते हैं।

हमने पाया कि मुस्लिम बस्तियों में एक समूह ऐसा भी है जो भाजपा की तारीफ करता है। ऐसे परिवारों में धार्मिक और जातीय अस्मिता की चेतना के साथ-साथ 'लाभार्थी' (आवास, बिजली, रसोई गैस, आयुष्मान आदि से) होने का भाव भी बनने लगा है। हालांकि उनकी 'लाभार्थी चेतना' के निर्माण और उभार की प्रक्रिया अभी धीमी है। संभव है कि ये भाजपा की तारीफ करने के बावजूद वोट कहीं और दें या हो सकता है कि इनमें से अनेक भाजपा को वोट दें।

हालांकि मध्यवर्गीय और ओबीसी मुस्लिम मतदाताओं का एक वर्ग भी दिखा या तो सपा के पक्ष में गोलबंद हो रहा है या फिर होने की तैयारी में है। मध्य आयु वर्ग और उम्रदराज मुस्लिमों का एक तीसरा समूह भी दिखा जो कांग्रेस शासन को याद कर रहा था। ऐसे में मुस्लिम वोट के एकरूपी या समरूपी होने को एक मिथक ही माना जाना चाहिये। शिया और सुन्नी की राजनीतिक पसंद में विविधता को पहले ही मान्यता मिल गई है और आज नहीं तो कल मुस्लिम समाज की विविधता राजनीतिक विमर्श को हिस्सा बनेगी।

यह रूपांतरण इसलिए हो रहा है क्योंकि जनतंत्र स्वयं में अपनी एक आत्मचेतना रचता है। यह धीरे-धीरे ही सही 'अपनी जनती' बनाता जाता है, जो किसी विशेष जाति, वर्ग या धर्म से जुड़े होने के बावजूद सत्ता एवं शासन से मिलने वाले लाभों से अपनी राजनीतिक पक्षधरता तय करता है। 
सत्ता संचालित जनतंत्र इन समूहों में एक दूसरा वर्ग भी रचता है जिसे हम प्रशासनजनित विकास की भाषा में 'एस्पिरेंट' यानी आकांक्षी समूह कहते हैं। यह समूह आगे बढ़ने की चेतना से लैस होता है, जिसमें जाति, धर्म, सुरक्षा एवं विकास की चाह सभी में एक-दूसरे से आबद्ध होती है।
यदि इन परिवर्तनों को गहराई से समझा जाए तो न केवल मुस्लिम मतदाताओं में, बल्कि अस्मिताओं पर आधारित किसी भी मतदातावर्ग में हो रहे ऐसे रूपांतरण का अहसास किया जा सकता है।
- बद्री नारायण (जीबी पंत सामाजिक विज्ञान संस्थान, प्रयागराज के निदेशक)


  1. टीआरपी (TRP) की फुल फॉर्म क्या है? What is the full form of TRP? (Television Rating Point)
  2. जैसे टेलीविजन चैनलों की रेटिंग 'टीआरपी' (TRP) से तय होती है, वैसे ही रेडियो स्टेशन की रेटिंग किस सिस्टम से तय होती है? Like the rating of television channels is decided by 'TRP', in the same way the rating of radio station is decided by which system? (RAM- Radio Audience Measurement)
  3. हिंदी पत्रकारिता दिवस कब मनाया जाता है? When is Hindi Journalism Day celebrated? (30 May 1826, हिंदी का पहला अखबार- उदंत मार्तंड, पंडित जुगर किशोर शुक्ल)
  4. अंतरराष्ट्रीय प्रेस दिवस कब मनाया जाता है? When is International Press Day celebrated? (3 मई, गिलेरमो कानो वर्ल्ड प्रेस फ्रीजम प्राइज, 1993 में प्रस्ताव स्वीकार किया)
  5. भारत का पहला समाचार पत्र कौन सा था? इसके संपादक कौन थे? Which was the first newspaper of India? Who was its editor? (हिकीज बंगाल गजट, जेम्स आगस्टस हिकी, 29 जनवरी 1780 में अंग्रेजी में)
  6. भारतीय भाषाओं में सबसे पहला समाचार पत्र कौन सा था? Which was the first newspaper in Indian languages? (मार्शमैन द्वारा दिग्दर्शन, 1818 में बांग्ला भाषा में)
  7. प्रसार भारती के वर्तमान अध्यक्ष कौन हैं? Who is the present Chairman of Prasar Bharati? (ए. सूर्यप्रकाश, शशिशेखर वैंपती सीईओ)
  8. प्रेस परिषद का गठन कब किया गया? इसके वर्तमान अध्यक्ष कौन हैं? When was the Press Council formed? Who is its current chairman? (4 जुलाई 1966 को प्रेस परिषद की स्थापना हुई। 17 नवंबर 1966 को इसने काम करना शुरू किया। 17 नवंबर को राष्ट्रीय पत्रकारिता दिवस मनता है। जस्टिस चंद्रमौली कुमार प्रसाद)
  9. एडिटर्स गिल्ड क्या है? इसके अध्यक्ष कौन है? What is Editors Guild? Who is the President of the Editors Guild? ( गिल्ड का अर्थ होता है समाज, संघ, मंडली, संगठन। इस प्रकार एडिटर्स गिल्ड का अर्थ हुआ- संपादकों का संघ, मंडल या संगठन। एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया देश के प्रमुख समाचार पत्र-पत्रिकाओं, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के चैनलों के संपादकों का संगठन है। देशभर के संपादक एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के सदस्य हैं। सीमा मुस्तफा)
  10. What is the full name of RNI? आरएनआई का पूरा नाम क्या है? (रजिस्ट्रार ऑफ न्यूजपेपर फॉर इंडिया)




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ढाकेश्वरी बांग्लोदश का सबसे बड़ा मंदिर है और इसके नाम पर ही राजधानी ढाका का नाम पड़ा है. 2018 की दुर्गा पूजा में बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख़ हसीना ने दुर्गा पूजा के मौक़े पर राजधानी ढाका स्थित ढाकेश्वरी हिंदू मंदिर को 1.5 बीघा ज़मीन दी थी.

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भूटान और चीन के बीच राजनयिक संबंध नहीं है इसलिए दोनों देश नई दिल्ली के ज़रिए ही राजनयिक संपर्क साधते हैं.

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भारत में कोयले के ओद्योगिक खनन की कहानी पश्चिम बंगाल के रानीगंज से शुरू हुई जहां ईस्ट इंडिया कंपनी ने नारायणकुड़ी इलाक़े में 1774 में पहली बार कोयले का खनन किया.

लेकिन उस दौर में ओद्योगिक क्रांति भारत तक नहीं पहुंची थी और कोयले की मांग बहुत कम थी. ऐसे में अगली एक सदी तक भारत में बड़े पैमाने पर कोयला उत्पादन नहीं हुआ.

1853 में ब्रिटन में भाप चलित रेल इंजन के विकास के बाद कोयले का उत्पादन और खपत दोनों में ही बढ़ोतरी आई. बीसवीं सदी की शुरुआत तक भारत में कोयला उत्पादन 61 लाख टन प्रतिवर्ष तक पहुंच गया था.

लेकिन आज़ादी के बाद भारत की आकांक्षाएं बढ़ी और कोयला इन बढ़ती आकांक्षाओं की ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा करने का अहम ज़रिया बन गया. आज भारत कोयले के उत्पादन और खपत के मामल में चीन के बाद दूसरे नंबर पर है.

भारत दुनिया के उन पांच देशों में से एक है जहां कोयले के सबसे बड़े भंडार हैं. दुनिया में कोयले के सबसे बड़े भंडार अमेरिका, रूस, ऑस्ट्रेलिया, चीन और भारत में हैं.

भारत सरकार के कोयला मंत्रालय के मुताबिक़ भारत के पास 319 अरब टन का कोयला भंडार हैं. भारत में कोयले के सबसे बड़े भंडार झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, तेलंगना और महाराष्ट्र में हैं. इसके अलावा आंध्र प्रदेश, बिहार, उत्तर प्रदेश, मेघालय, असम, सिक्किम, नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश में भी कोयला मिला है.

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1949 में माओत्से तुंग ने पीपल्स रिपब्लिक ऑफ़ चाइना का गठन किया. एक अप्रैल 1950 को भारत ने इसे मान्यता दी और राजनयिक संबंध स्थापित किए. चीन को इस तरह तवज्जो देने वाला भारत पहला ग़ैर-कम्युनिस्ट देश बना.

1954 में भारत ने तिब्बत को लेकर भी चीनी संप्रभुता को स्वीकार कर लिया. मतलब भारत ने मान लिया कि तिब्बत चीन का हिस्सा है. 'हिन्दी-चीनी, भाई-भाई' का नारा भी लगा.

साल 1914 में शिमला समझौते के तहत मैकमोहन रेखा को अंतरराष्ट्रीय सीमा माना गया, लेकिन 1954 में नेहरू ने तिब्बत को एक समझौते के तहत चीन का हिस्सा मान लिया.

जून 1954 से जनवरी 1957 के बीच चीन के पहले प्रधानमंत्री चाउ एन लाई चार बार भारत के दौरे पर आए. अक्टूबर 1954 में नेहरू भी चीन गए.

1950 में चीन ने तिब्बत पर हमला शुरू कर दिया और उसे अपने नियंत्रण में ले लिया. तिब्बत पर चीनी हमले ने पूरे इलाक़े की जियोपॉलिटिक्स को बदल दिया.

चीनी हमले से पहले तिब्बत की नज़दीकी चीन की तुलना में भारत से ज़्यादा थी. आख़िरकार तिब्बत एक संप्रभु मुल्क नहीं रहा. भारतीय इलाक़ों में भी अतिक्रमण की शुरुआत चीन ने 1950 के दशक के मध्य में शुरू कर दी थी. 1957 में चीन ने अक्साई चिन के रास्ते पश्चिम में 179 किलोमीटर लंबी सड़क बनाई.

सरहद पर दोनों देशों के सैनिकों की पहली भिड़ंत 25 अगस्त 1959 को हुई. चीनी गश्ती दल ने नेफ़ा फ़्रंटियर पर लोंगजु में हमला किया था. इसी साल 21 अक्टूबर को लद्दाख के कोंगका में गोलीबारी हुई.

इसमें 17 भारतीय सैनिकों की मौत हुई थी और चीन ने इसे आत्मरक्षा में की गई कार्रवाई बताया था. भारत ने तब कहा था कि 'उसके सैनिकों पर अचानक हमला कर दिया गया.'

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साल 1985 में वे भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के लिए चुने गए. पहले बिहार और बिहार विभाजन के बाद (2000) में झारखंड कैडर के अधिकारी रहे अमित खरे भारतीय प्रशासनिक सेवा से अपनी हालिया सेवानिवृति के बाद अब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सलाहकार नियुक्त किए गए हैं.

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एम्स

देश में 2014 से पहले छह एम्स थे। 2021 में एम्स की संख्या 22 हो चुकी है। 170 से ज्यादा नए मेडिकल कॉलेज तैयार हो चुके हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने राजस्थान में चार नए मेडिकल कॉलेजों के शिलान्यास समारोह में यह जानकारी दी। सरकार हर जिले में मेडिकल कॉलेज खोलने की योजना पर काम कर रही है।

कचरा निस्तारण

देश में 2014 से पहले 20 फीसदी से भी कम कचरे की प्रोसेसिंग होती थी, जबकि अब रोजाना करीब 70 फीसदी कचरे की प्रोसेसिंग हो रही है। प्रधानमंत्री मोदी ने यह दावा शहरी सुधार के लिए अटल मिशन (अमृत) के दूसरे चरण की  शुरूआत करते हुए किया।

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10 अक्टूबर - विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस

प्रथम

सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला जज- जस्टिस एम फातिमा बीबी (1989 में बनीं)

दुनिया की पहली बोलती फिल्म- द जैज सिंगर (न्यूयार्क में 1927 में, निर्देशक एलन क्रासलैंड, 1 घंटा 28 मिनट)

भारत की पहली बोलती फिल्म- आलमआरा (1931)

भारत में पहली हवाई उड़ान- 15 अक्टूबर 1932 कराची से मुंबई जेआरडी टाटा द्वारा। टाटा एयर सर्विस के विमान से।

नाव से दुनिया का चक्कर लगाने वाली पहली एशियाई महिला- उज्जवला पाटिल 15 अक्टूबर 1988

हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश बनने वाली पहली महिला- लीला सेठ (1991 में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश बनीं और तब वह इस पद पर बैठने वाली पहली महिला न्यायाधीश थीं।)

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भाषण टिप्स....

भारतीय जनसंचार संस्थान (आईआईएमसी) के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने नवागत विद्यार्थियों से संवाद कर उन्हें करियर में आगे बढ़ने के टिप्स दिए। इस दौरान प्रो. द्विवेदी का कहना था, ‘समय के साथ मीडिया की भूमिका बदली है। आज पारंपरिक मीडिया स्वयं को डिजिटल मीडिया में परिवर्तित कर रहा है। इस 'डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन' को अगर कोई चला रहा है, तो वो चार 'C' हैं। इन चार 'C' का मतलब है, Content (कंटेंट), Communication (कम्युनिकेशन), Commerce (कॉमर्स) और Context (कॉन्टेक्स्ट)। जब ये चारों 'C' मिलते हैं, तब ये 'डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन' पूरा होता है।’

प्रो. द्विवेदी ने कहा कि हमें भारत को सिर्फ बीपीओ और आउटसोर्सिंग के जरिये तकनीकी विश्व शक्ति नहीं बनाना है, बल्कि उसे एक ज्ञान समाज में तब्दील करना है। तकनीक भारत में सामाजिक परिवर्तनों तथा आर्थिक विकास का निरंतर चलने वाला जरिया बन सकती है और भारतीय भाषाओं की इसमें बड़ी भूमिका होने वाली है।

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देश के चार बड़े शहरों दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और बेंगलुरु के लिए वर्ष 2021 के 30वें हफ्ते से 33वें हफ्ते (18 जुलाई 2021 से 14 अगस्त 2021) के बीच की ‘रेडियो ऑडियंस मीजरमेंट’ (RAM) रेटिंग्स जारी हो गई हैं। इन रेटिंग्स के अनुसार, दिल्ली और मुंबई के मार्केट में इस बार भी ‘फीवर एफएम’ (Fever FM) का दबदबा बना रहा है। बेंगलुरु में ‘रेडियो सिटी’ (Radio City) ने ‘बिग एफएम’ (BIG FM) को पछाड़ दिया और इस अवधि में सबसे ज्यादा सुना गया, जबकि कोलकाता में ‘रेडियो मिर्ची’ (Radio Mirchi) टॉप पर रहा है।

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Sunday 21 November 2021

Difference between Magazine and Newspaper Writing

पत्रिका और अखबारी लेखन में अंतर


Difference between Magazine and Newspaper Writing



पाठक

Reader

·       पत्रिका में पाठकों के एक पूर्व निर्धारित विशेष समूह के लिए लिखना होता है और पत्रिका के संपादक का प्रयास होता है कि इन पाठकों पर पत्रिका की पकड़ बनाए रखी जाए।

·       इसके विपरीत अखबार में पाठकों का पूर्व निर्धारित समूह नहीं होता है। अखबार की कोशिश निरंतर नए पाठकों को आकर्षित करने की होती है।

·       ज्यादातर पत्रिकाएं मनोरंजन के लिए पढ़ी जाती हैं, जबकि अखबार सप्रयोजन यानी खास मतलब से पढ़े जाते हैं।

·        Writing for a predetermined specific group of readers in a magazine and the editor of the magazine tries to maintain the hold of the magazine over these readers.

·        In contrast, newspapers do not have a predetermined set of readers. The effort of the newspaper is to attract new readers continuously.

·        Most magazines are read for entertainment, whereas newspapers are read for a specific purpose.


पाठक की इच्छा

Reader's desire

·       पत्रिका का पाठक ऐसा लेख या स्टोरी चाहता है जो उसे कुछ मूल्य (वैल्यूज) सिखाने या बाकी मानव समाज से जोड़ने का एहसास कराए। या फिर पाठक को पत्रिका के जरिये विश्राम और मनोरंजन की प्राप्ति हो। पत्रिकार पढ़कर पाठक को यह एहसास होना चाहिए कि उसने अपने खाली समय का अच्छा उपयोग किया है।

·       अखबार का पाठक प्रमुख समसामयिक घटनाओं और रुझानों पर ज्यादा ध्यान देता है और वह इसलिए अखबार पढ़ता है क्योंकि उसे महसूस होता है कि उसे इसकी जरूरत है। उसे यह जानना होता है कि उसके आसपास क्या चल रहा है। हालांकि अखबार का पाठक जल्दबाजी में होता है।

·       अखबार का पाठक जो पढ़ता है, उससे सहमत होना वह जरूरी नहीं समझता है। उधर पत्रिका का पाठक उन लेखों या लेखकों को पढ़ना पसंद करता है जो उसके ही समान सोच रखते हैं।

·       पत्रिका में वह छपता है जो पाठक को अच्छा महसूस कराए और उसे सूचना दे। उधर, अखबार में वह छपता है जो खबर है।

·        The reader of the magazine wants an article or story that will teach him some value or feel connected to the rest of human society. Or the reader may get relaxation and entertainment through the magazine. After reading the magazine, the reader should realize that he has made good use of his free time.

·        The reader of the newspaper pays more attention to the major current events and trends and reads the newspaper because he feels that he needs it. He has to know what is going on around him. However, the reader of the newspaper is in a hurry.

·        The reader of the newspaper does not consider it necessary to agree with what he reads. On the other hand, the reader of the magazine likes to read those articles or writers who have the same thinking as him.

·        The magazine publishes that which makes the reader feel good and informs him. On the other hand, what is published in the newspaper is news.

 

लिखने का स्थान

Place of Writing

·        पत्रिका में लिखने के लिए लेखक को ज्यादा स्थान मिलता है, इसलिए पत्रिका के लेख लंबे हो सकते हैं। पत्रिका में कोई स्टोरी 500 से लेकर 3500 शब्दों तक हो सकती है।

·        इसके विपरीत अखबार में जगह की कमी होती है, इसलिए अपनी बात को कम शब्दों में व्यक्त करना होता है। अखबारों में कोई खबर या लेख अमूमन 900 शब्दों से ज्यादा नहीं होता है।

·        अगर किसी व्यक्ति ने पत्रिका खरीदी है तो सामान्यतः यह समझा जाता है कि उसके पास पढ़ने के लिए समय है। वह लंबी अवधि में भी इसे पढ़ सकता है। इसीलिए पत्रिका के लेख, फीचर आदि अखबारों की तुलना में काफी लंबे रखे जा सकते हैं।

·        The author gets more space to write in the magazine, so magazine articles can be longer. A story in a magazine can range from 500 to 3500 words.

·        On the contrary, there is a shortage of space in the newspaper, so you have to express your point in lesser words. A news article or article in newspapers usually does not exceed 900 words.

·        If a person has bought a magazine, it is generally assumed that he has time to read. He can even read it over a long period of time. That is why magazine articles, features etc. can be kept much longer than newspapers.


कहानी कहने का तत्व

Storytelling Element

·        पत्रिका लेखन में कथात्मक लेखन की काफी गुंजाइश होती है। कथा की तरह (जैसे उपन्यास), पत्रिका लेखन में मनोरंजन का तत्व होता है। पत्रिका लेखक पाठक को केवल तथ्यों को बताए जाने के बजाय लोगों, स्थानों या मुद्दों का वर्णन करके दृश्य दिखाने का प्रयास करता है। जैसे उपन्यास लेखक अपने उपन्यासों में चरित्रों का इस्तेमाल करते है, उसी प्रकार पत्रिका लेखक वास्तविक दुनिया से लोगों की वास्तविक कहानियों (जिन्हें केस स्टडीज कहा जाता है) और वार्तालापों का प्रयोग करते हैं।

·        अखबारी लेखन में भी विशेष परिशिष्ट वाले पेजों पर पत्रिका जैसी सामग्री छपती है, लेकिन अखबार के मुख्य स्थानों पर कथा तत्व की ज्यादा गुंजाइश नहीं होती है। वहां पर समाचार में किसी बात को सीधे-सपाट तरीके से यथास्थिति अनुसार लिखा जाता है।

·       There is a lot of scope for narrative writing in magazine writing. Like fiction (such as a novel), magazine writing has an element of entertainment. The magazine writer tries to show the reader a scene by describing people, places or issues rather than simply stating facts. Just as novel writers use characters in their novels, magazine writers use real stories (called case studies) and conversations from people from the real world.

·       Even in newsprint, magazine-like material is printed on pages with special appendices, but there is not much scope for the narrative element in the main places of the newspaper. There, something in the news is written in a straight-forward manner according to the status quo.

 

विस्तार और विवरण
Detail and Description

·        उपन्यास की तरह पत्रिका लेखन में विस्तार और विवरण पर बहुत ध्यान दिया जाता है। विस्तृत विवरण पाठक को अपनी तरफ खींचता है। विस्तृत विवरण होने के बावजूद इस बात का ध्यान रखा जाता है कि यह प्रासंगिक, मनोरंजक, टू द प्वाइंट और छोटे-छोटे वाक्यों में लिखा गया हो।

·        अखबारी पत्रकारिता या लेखन में विस्तार के तत्व को अनावश्यक और अनुचित माना जाता है।

·        Like the novel, great attention is paid to detail and description in magazine writing. The detailed description draws the reader in. Despite the detailed description, care is taken that it is relevant, entertaining, to the point and written in short sentences.

·        The element of detail in newsprint journalism or writing is considered unnecessary and inappropriate.


तथ्य और राय
Facts and Opinions

·        पत्रिका लेखन में तथ्य और लेखक की राय, यानी दोनों को ही प्रस्तुत किया जा सकता है।

·        समाचार पत्र में रिपोर्टिंग, रिपोर्टर की राय के बजाय ठोस तथ्यों पर आधारित होती है।

·        व्यक्तिगत राय या दृष्टिकोण का अर्थ यह नहीं है कि पत्रिका लेखक कुछ भी लिख सकते हैं। वे जो कुछ भी लिखते हैं, वह सब कुछ साक्षात्कारों और अनुसंधान से जमा किया जाना चाहिए। पत्रिका लेखन में, लेखक को सही तथ्यों को प्रस्तुत करने का प्रयास करना चाहिए। राय संतुलित व सूचनाप्रद होनी चाहिए।

·        In journal writing, both the facts and the opinion of the author, that is, can be presented.

·        Reporting in the newspaper is based on concrete facts rather than the opinion of the reporter.

·        Personal opinion or point of view does not mean that magazine writers can write anything. Everything they write must be gathered from interviews and research. In journal writing, the writer should try to present the correct facts. Opinion should be balanced and informative.


मजबूत कोण या एंगल
Strong Angle

·        पत्रिका में किसी लेख के लिए एक विशेष कोण या एंगल बहुत जरूरी होता है। इस कोण या एंगल के आसपास लेख का प्रस्तुतीकरण होता है। यह कोण, विवादास्पद, विशेष या सनसनीखेज हो सकता है। यह पत्रिका लेख की तरफ पाठक का ध्यान केंद्रित करता है। पत्रिका लेख की हर पंक्ति इस कोण के साथ संगत होनी चाहिए।

·        अखबारी लेखन में किसी खबर में इस प्रकार का विशेष कोण या एंगल नहीं बन पाता है। वहां ठोस तथ्यों को उसी प्रकार प्रस्तुत किया जाता है, जैसे घटनाक्रम के दौरान वे सामने आते हैं।

·        A particular angle is very important for an article in the magazine. The presentation of the article takes place around this angle. This angle can be controversial, special or sensational. It shifts the reader's attention to the magazine article. Every line of the magazine article should be consistent with this angle.

·        In newsprint writing, this type of special angle or angle is not made in any news. There concrete facts are presented as they appear during the course of the event.


लेखन की संरचना
Writing Structure

·        पत्रिका में फीचर लेखन में किसी मुद्दे का समर्थन करने के लिए कोटेशन का उपयोग किया जाता है या फिर दिए गए तर्क का नाटकीय रूप से विरोध किया जाता है। इसके लिए न केवल विशेषज्ञों या अधिकारियों का साक्षात्कार किया जाता है, बल्कि अक्सर व्यक्तिगत कहानियों और असामान्य व्यक्तित्वों का उल्लेख भी किया जाता है। इस प्रकार पत्रिका लेखन की संरचना एक बहस की तरह होती है।

·        अखबारी लेखन में वक्तव्य, अधिकारियों से बातचीत आदि तो होती है पर लेखन की संरचना बहस की तरह नहीं होती है।

·        Quotations are used in magazine feature writing to support an issue or to dramatically oppose a given argument. Not only are experts or executives interviewed, but individual stories and unusual personalities are often cited. Thus, the structure of journal writing is like a debate.

·        Statements, talks with officials, etc. happen in newsprint writing, but the structure of writing is not like a debate.


साहित्यिक उपकरणों का उपयोग
Use of Literary Devices

·        पत्रिका के लेखन में उन सभी साहित्यिक उपकरणों का उपयोग भी किया जाता है जो कथा लेखन के लिए बहुत सामान्य बात है। इसके तहत अलंकारपूर्ण प्रश्न, रूपक, अलंकार, गहराई आदि का प्रयोग शामिल हैं।

·        ठोस समाचारों पर आधारित अखबारी पत्रकारिता में इस तरह का प्रयोग उपयुक्त नहीं होता है।

·        All those literary devices are also used in magazine writing which is very common for fiction writing. It includes the use of rhetorical questions, metaphors, rhetoric, depth etc.

·        This type of use is not appropriate in newsprint journalism based on solid news.


गति
Speed


·        समाचार लेखन में पहले पैराग्राफ में ही पांच डब्लू (कौन, क्या, कहां, कब और क्यों) और एक एच (कैसे) का प्रस्तुतीकरण देने का प्रयास होता है।

·        पत्रिका लेखन के तहत अक्सर इन प्रश्नों में से कुछ के उत्तर को बाद के लिए रोक दिया जाता है। पत्रिका में पाठक को पहले कहानी सुनाने के साथ लेख के साथ बांधा जाता है। इसके बाद बाद पाठक के सामने ठोस तथ्यों को रखा जाता है।

·        पत्रिका लेखन में आम तौर पर, प्रत्येक पैराग्राफ में एक या दो ठोस तथ्यों को प्रस्तुत किया जाता है, जबकि अखबार के लेखन में आपको प्रति पैराग्राफ चार या पांच तथ्य देने होते हैं।

·        In news writing, an attempt is made to present five W's (Who, What, Where, When and Why) and one H (How) in the first paragraph itself.

·        In magazine writing, answers to some of these questions are often put on hold for later. In the magazine, the reader is first engaged with the article by telling the story. After this, concrete facts are placed before the reader.

·        Generally in magazine writing, one or two concrete facts are presented in each paragraph, whereas in newspaper writing you have to provide four or five facts per paragraph.


लेखन शैली
Writing Style

·        अखबार की समाचार रिपोर्टिंग में जिस लेखन शैली का उपयोग किया जाता है, वह वास्तविक, औपचारिक और कसी हुई होती है।

·        पत्रिका लेखन की शैली अनौपचारिक, व्यक्तिगत, यहां तक कि बोलचाल की तरह भी हो सकती है। इस शैली में कठबोली और बोलचाल का भाव आम है। हालांकि, लेखन की शैली सरल और स्पष्ट होती है, न कि काव्यात्मक।

·        समाचार रिपोर्टिंग हमेशा अन्य पुरुष (थर्ड पर्सन) में की जाती है, जैसे- उसने कहा, उन्होंने कहा आदि। पत्रिका लेखन में कभी-कभी प्रथम पुरुष (मैं) का उपयोग भी उपयुक्त होता है।

·        The writing style used in newspaper news reporting is genuine, formal and tight.

·        The style of magazine writing can be informal, personal, even colloquial. Slang and colloquial expressions are common in this style. However, the style of writing tends to be simple and clear, not poetic.

·        News reporting is always done in other person (third person) like- he said, he said etc. Sometimes the use of the first person (I) is also appropriate in magazine writing.


टोन
Tone

·        टोन या स्वर का अर्थ है कि किसी आलेख को पढ़कर कोई पाठक किस प्रकार का भाव महसूस करता है। समाचार रिपोर्टिंग में अधिकतर एक गंभीर, तटस्थ स्वर होता है। यह पत्रिका लेख के स्वर से अलग है।

·        पत्रिका लेखन में लेखों का टोन या स्वर विनोदी, प्रश्न करने वाला, विश्वसनीय, अप्रिय, व्यंग्यात्मक, भावनात्मक, हृदय को उद्देलित करने वाला या जानकारीपूर्ण हो सकता है।

·        Tone refers to the kind of emotion a reader feels after reading an article. News reporting mostly has a serious, neutral tone. This differs from the tone of the magazine article.

·        The tone of articles in magazine writing can be humorous, questioning, believable, unpleasant, sarcastic, emotional, heartwarming or informative.


परिप्रेक्ष्य
Perspective

·        पत्रिका के लेखों में विश्लेषण करने का एक तरीका यह है कि इसमें किसी पीस को कैमरे के लेंस के रूप में देखा जाता है। पत्रिका लेखक एक बारीक विवरण (व्यक्तिगत अनुभव या परिप्रेक्ष्य, किसी विशेष पल) के जरिये अपने लेख की शुरू कर सकता है। इसके बाद कैमरे की तरह पाठक को विस्तृत दृश्य या पृष्ठभूमि में ले जाने के लिए लेंस को खोलता है। इसके बाद अंत में वह लेख को समाप्त करने के लिए  फिर से महीन विवरण के जरिये कैमरे के लेंस को कम करता है।

·        अखबारी लेखन में उल्टा पिरामिड शैली का प्रयोग होता है जिसमें सबसे महत्वपूर्ण बातें और तथ्य खबर के शुरू में ही बताने होते हैं। इसके बाद घटते महत्व के क्रम में तथ्यों को प्रस्तुत किया जाता है।

·        One way of analyzing magazine articles is by viewing a piece as the lens of a camera. The magazine writer may begin his or her article with a finer detail (personal experience or perspective, at a particular moment). It then opens the lens to take the reader into the wider scene or background, like a camera. He then finally lowers the camera lens through finer details again to end the article.

·        Inverted pyramid style is used in newsprint writing, in which the most important things and facts have to be told at the beginning of the news. The facts are then presented in order of decreasing importance.


फिल्मी तत्व
Film Element

·        अनेक पत्रिका लेख किसी फिल्म की तरह चरित्र, प्लॉट, संवाद, चरमोत्कर्ष और एक तीव्र अंत के साथ कहानी की परतों को खोलते हैं। पत्रिका का कोई पीस या लेख अक्सर सबसे पहले सेटिंग और चरित्रों की स्थापना करता है। इसके बाद जैसे ही एक बार पाठक उस लेख से बंध जाता है, लेखक उसका परिचय तथ्यों से कराना शुरू कर देता है।

·        अखबारी लेखन में इस प्रकार की गुंजाइश बहुत कम होती है। इसमें यदि सेटिंग की कोशिश की जाए तो पाठक उकता सकता है। इसलिए यहां लेखक को सीधे तथ्यों पर आना होता है।

·        Multiple magazine articles unfold the story like a movie with characters, plot, dialogue, climax and a sharp ending. A piece or article in a magazine is often the first to establish the setting and characters. After this, once the reader gets attached to that article, the author starts introducing him to the facts.

·        This type of scope is very rare in newsprint writing. If the setting is tried in this, then the reader may get tired. So here the author has to come straight to the facts.


विज्ञापन और पाठक
Advertisements and Readers

·        पत्रिकाएं, अखबारों के मुकाबले ज्यादा विज्ञापन उन्मुख होती हैं। पत्रिकाओं में विज्ञापनदाता चाहते हैं कि उनका विज्ञापन उस लेख के पास लगे जो उसके उत्पाद के विषय से संबंधित है। ऐसी स्थिति में पत्रिका में छप रहे लेख का बहुत सावधानी से निरीक्षण किया जाता है कि कहीं वह विज्ञापन में दी गई बातों से उलट तो कुछ नहीं कह रहा है। यह इसलिए भी जरूरी होता है क्योंकि पाठक भी किसी लिखी गई सामग्री को उस विज्ञापन से जोड़कर देखते हैं जो लेख के साथ लगा होता है।

·        इसके विपरीत अखबार विज्ञापन से ज्यादा पाठक उन्मुख होते हैं। इसलिए अखबारों ऐसे लेख या समाचार भी हो सकते हैं जो विज्ञापनदाताओं को अप्रसन्न कर सकते हैं।

·        Magazines are more advertisement oriented than newspapers. Advertisers in magazines want their ad to be placed near the article that is related to the topic of their product. In such a situation, the article published in the magazine is inspected very carefully to see if it is saying anything contrary to what is given in the advertisement. This is also important because readers also associate any written material with the advertisement that is attached to the article.

·        In contrast, newspapers are more reader oriented than advertisements. So newspapers can also contain articles or news that can displease advertisers.


उम्र
Ages

·        अखबार की उम्र बहुत छोटी होती है। अखबार के संबंध में लोगों की प्रकृति उसे पढ़कर रद्दी में डाल देने की होती है। इसीलिए अखबारों के लेख, समाचार छोटे, प्रहार करने वाले और जल्द मुद्दे की बात करने वाले होते हैं। यहां आधारभूत अवधारणा प्रस्तुत करने के बजाय आकर्षक शीर्षक पर ज्यादा जोर रहता है। पूरा जोर जल्दी से जल्दी पाठक का ध्यान आकर्षित करने पर रहता है ताकि अखबार के पुराना होने से पहले पाठक उसे पढ़ ले।

·        पत्रिकाओं की उम्र अखबार से काफी लंबी होती है। अनेक पाठक पत्रिकाओं को एक साल तक भी पढ़ते रहते हैं। कई बार उन्हें दोबारा भी पढ़ा जाता है। विभिन्न प्रतिष्ठानों के प्रतीक्षालयों में हमें पुरानी पत्रिकाएं भी रखी मिल जाती हैं, लेकिन अखबार पुराना नहीं रखा जाता। वह नया ही रखा जाता है।

·        The life of the newspaper is very short. It is the nature of people to read a newspaper and throw it in the trash. That's why newspaper articles, news stories are short, striking and quick to talk about the issue. There is more emphasis on catchy title than on presenting a basic concept. The whole emphasis is on grabbing the reader's attention as quickly as possible so that the reader can read the newspaper before it becomes obsolete.

·        Magazines have a much longer life span than newspapers. Many readers keep reading magazines even for a year. Sometimes they are read again and again. We also find old magazines kept in the waiting rooms of various establishments, but the newspaper is not kept old. It is kept as new.


विषय,विचार
Idea

·        अखबार के लिए हमेशा रोचक, आकर्षक, नए और अलग आइडियाज की जरूरत होती है।

·        पत्रिका में जो विषय पिछले अंक में पसंद किया गया, वह सामान्यतः आगे भी पसंद किया जाता है।

·        There is always a need for interesting, attractive, new and different ideas for a newspaper.

·        The topic which was preferred in the previous issue of the magazine is generally preferred in the future also.


विविधता
Diversity

·        समाचार पत्र में विषयों की काफी विविधता (कारोबार, अपराध, मनोरंजन, राजनीति, खेल आदि) होती है।

·        पत्रिकाएं ज्यादातर किसी विशेष विषय से जुड़ी हुई होती हैं जैसे कि महिलाओं की पत्रिका, खेल की पत्रिका, कंप्यूटर की पत्रिका, राजनीति की पत्रिका आदि।

·        Newspapers cover a wide variety of topics (business, crime, entertainment, politics, sports, etc.).

·        Magazines are mostly related to a particular subject such as women's magazine, sports magazine, computer magazine, politics magazine etc.