Wednesday 10 March 2021

महाशिवरात्रि : शिवलिंग गुप्तांग नहीं है, जानें शिवलिंग का वास्तविक अर्थ

Mahashivaratri : Shivling is not a genitals, know the true meaning of Shivling



आम लोग और हिंदू धर्म की आलोचना करने वाले लोग शिव लिंग को महज एक गुप्तांग या जननांग ही समझते हैं। लेकिन विद्वानों के अनुसार इसका वास्तविक अर्थ यह नहीं है, बल्कि कुछ और है। आइए जानते हैं कि समातन धर्म के मर्मज्ञों के अनुसार शिवलिंग का वास्तविक अर्थ क्या है।

  • संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है। इसे देववाणी भी कहा जाता है। लिंग का अर्थ संस्कृत में चिन्ह या प्रतीक होता है। इस हिसाब से शिवलिंग का अर्थ हुआ शिव का प्रतीक या शिव का चिह्न।
  • जब हम पुरुषलिंग या पुल्लिंग कहते हैं तो इसका अर्थ होता है- पुरुष का प्रतीक।
  • इसी प्रकार जब हम स्त्रीलिंग कहते हैं तो उसका अर्थ हुआ स्त्री का प्रतीक। नपुंसकलिंग का अर्थ होता है नपुंसक का प्रतीक।
  • जहां तक गुप्तांग या जननांग का प्रश्न है तो संस्कृत में पुरुष जननांग को शिश्न कहा जाता है।
  • अगर हम पुल्लिंग या पुरुषलिंग का अर्थ पुरुष के लिंग यानी जननांग से लगाएंगे तो स्त्रीलिंग का अर्थ भी स्त्री का लिंग होना चाहिए, लेकिन क्या स्त्री का लिंग होता है? जी नहीं।
  • विद्वानों के अनुसार शून्य, आकाश, अनंत, ब्रह्मांड और निराकर परम पुरुष का प्रतीक होने से शिव के प्रतीक को शिवलिंग कहा गया है। स्कंदपुराण में कहा गया है कि आकाश स्वयं लिंग है। वातावरण सहित घूमती धरती तथा सारे अनंत ब्रह्मांड का अक्स या धुरी ही शिवलिंग है।
  • शिवलिंग का अर्थ अनंत भी है यानी जिसका कोई अंत नहीं है और न ही उसकी कोई शुरुआत है।
  • हम जानते हैं कि एक ही शब्द के विभिन्न भाषाओँ में अलग-अलग अर्थ निकलते हैं। इसी कारण से शिवलिंग को लेकर लोग अपने-अपने अर्थ निकाल लेते हैं।
  • शिवलिंग के संदर्भ में लिंग शब्द का अर्थ चिह्न, निशानी, गुण, व्यवहार या प्रतीक है। धरती उसकी पीठ या आधार है और सब अनंत शून्य से पैदा हो उसी में विलय होने के कारण इसे लिंग कहा जाता है।
  • विद्वानों के अनुसार शिवलिंग को कई अन्य नामों से भी संबोधित किया गया है। जैसे प्रकाश स्तंभ/लिंग, अग्नि स्तंभ/लिंग, ऊर्जा स्तंभ/लिंग, ब्रह्माण्डीय स्तंभ/लिंग। ब्रह्मांड में दो ही चीजें हैं- ऊर्जा और पदार्थ। हमारा शरीर पदार्थ से निर्मित है और आत्मा ऊर्जा है। इसी प्रकार शिव, पदार्थ और ऊर्जा का प्रतीक बनकर शिवलिंग कहलाते हैं।
  • ब्रह्मांड में उपस्थित समस्त ठोस तथा ऊर्जा शिवलिंग में निहित है। वास्तव में शिवलिंग हमारे ब्रह्मांड की आकृति है।
  • शिवलिंग भगवान शिव और देवी शक्ति (पार्वती) का आदि-आनादि एकल रूप माना जाता है। यह पुरुष और प्रकृति की समानता का प्रतीक भी है। इसका अर्थ हुआ कि इस संसार में न केवल पुरुष का और न केवल प्रकृति (स्त्री) का वर्चस्व है अर्थात दोनों समान हैं।
  • इसी प्रकार योनि शब्द का भी संस्कृत में अर्थ है- प्रादुर्भाव या प्रकटीकरण। जैसे- मनुष्ययोनि, पशुयोनि, पेड़-पौधों की योनि, जीव-जंतु योनि। अर्थात योनि का अर्थ केवल स्त्री का जननांग ही नहीं है।
  • जीव अपने कर्म के अनुसार विभिन्न योनियों में जन्म लेता है। सनातन धर्म में 84 लाख योनि बताई जाती है। यानी 84 लाख प्रकार के जन्म हैं। विज्ञान भी इस बात स्वीकारता है कि कि इस धरती पर 84 लाख प्रकार के जीव मौजूद हैं।
  • संस्कृत में पुरुष और स्त्री दोनों को मिलाकर मनुष्य योनि कहलाता है। अकेले स्त्री या अकेले पुरुष के लिए मनुष्य योनि शब्द का प्रयोग नहीं होता है।
  • इस तरह यह स्पष्ट है कि शिवलिंग में लिंग से तात्पर्य प्रतीक से है। शिवलिंग का अर्थ है पवित्रता का प्रतीक
  • शिवलिंग भगवान शिव और देवी शक्ति (पार्वती) का आदि-आनादि एकल रूप माना जाता है। यह पुरुष और प्रकृति की समानता का प्रतीक भी है। इसका अर्थ हुआ कि इस संसार में न केवल पुरुष का और न केवल प्रकृति (स्त्री) का वर्चस्व है अर्थात दोनों समान हैं।
  • इसी प्रकार योनि शब्द का भी संस्कृत में अर्थ है- प्रादुर्भाव या प्रकटीकरण। जैसे- मनुष्ययोनि, पशुयोनि, पेड़-पौधों की योनि, जीव-जंतु योनि। अर्थात योनि का अर्थ केवल स्त्री का जननांग ही नहीं है।
  • जीव अपने कर्म के अनुसार विभिन्न योनियों में जन्म लेता है। सनातन धर्म में 84 लाख योनि बताई जाती है। यानी 84 लाख प्रकार के जन्म हैं। विज्ञान भी इस बात स्वीकारता है कि कि इस धरती पर 84 लाख प्रकार के जीव मौजूद हैं।
  • संस्कृत में पुरुष और स्त्री दोनों को मिलाकर मनुष्य योनि कहलाता है। अकेले स्त्री या अकेले पुरुष के लिए मनुष्य योनि शब्द का प्रयोग नहीं होता है।
  • इस तरह यह स्पष्ट है कि शिवलिंग में लिंग से तात्पर्य प्रतीक से है. शिवलिंग का अर्थ है पवित्रता का प्रतीक।
  • विद्वानों के अनुसार दीपक की प्रतिमा बनाये जाने से शिवलिंग की शुरुआत हुई। बहुत से हठ योगी दीपशिखा पर ध्यान लगाते हैं। हवा में दीपक की ज्योति टिमटिमा जाती है और स्थिर ध्यान लगाने की प्रक्रिया में अवरोध उत्पन्न करती है। इसलिए दीपक की प्रतिमा स्वरूप शिवलिंग का निर्माण किया गया। ऐसा इसलिए ताकि बिना किसी बाधा के एकाग्र होकर ध्यान लग सके।
प्रस्तुति- लव कुमार सिंह


Wednesday 3 March 2021

मैं तो लुट गया भगवान, मेरी मदद करो श्रीमान....(यूपी पंचायत चुनाव 2021)

UP Panchayat Election 2021

उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव की सुगबुगाहट बीते साल यानी 2020 में दीवाली के समय से ही शुरू हो गई थी। कई जगह तो इससे पहले भी भावी प्रत्याशी अपने चुनाव प्रचार में लग गए थे। तब से मार्च 2021 तक गांव वासियों की मौज आ रही थी। चुनाव लड़ने के इच्छुक प्रत्य़ाशियों ने जैसे अपनी तिजोरियों का मुंह खोल दिया था। अब मार्च में शासन-प्रशासन ने पंचायत चुनाव का आरक्षण तय किया है। इसके अनुसार अनेक सामान्य सीटें आरक्षित हो गई हैं और आरक्षित सीेटें सामान्य हो गई हैं। हजारों लोगों का चुनाव लड़ने का सपना अधूरा रह गया है। अब प्रधान या अन्य पदों पर चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों का बुरा हाल है। जरा सुनिए उनकी व्यथा....




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मैं तो लुट गया भगवान

मेरी मदद करो श्रीमान

मैंने खूब सजाई दुकान

फीके हो गए सब पकवान

मैं था भावी ग्राम प्रधान

पर अब नहीं कोई पहचान

जनरल सीट हुई आरक्षित

मिट गए मेरे सब अरमान।

मैं तो लुट गया भगवान

मेरी मदद करो श्रीमान।

.......

नौकरी छोड़ के बनवाया

गांव में नया मकान

कपड़े बांटे, बर्तन बांटे

दिया जरूरत का सामान

नदी बहा दी दारू की

रोज बनवाए पकवान

पर डूबी लुटिया जबसे आया

ये सरकारी फरमान।

मैं तो लुट गया भगवान

मेरी मदद करो श्रीमान।

.........

पैर पूजे उनके जिनसे

न थी कोई पहचान

की दामाद जैसी सेवा

चाहे लुच्चा या बेईमान

मुफ्त का माल था खूब उड़ाया

ना माने कोई अहसान

अब चुनाव रेस से बाहर हुआ

जब कर दिया सब कुर्बान।

मैं तो लुट गया भगवान

मेरी मदद करो श्रीमान।

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- लव कुमार सिंह