Thursday, 2 April 2020

पैरोल पर छूटा हुआ था विकास दुबे...संजय दत्त भी यही सुविधा लेकर जेल से घर आते थे... क्या होता है फरलो और पैरोल?

What is furlough and parole?


Vikas Dubey was left on parole ... Sanjay Dutt also used to come home from jail with the same facility ... What are furlough and parole?



फिल्म अभिनेता संजय दत्त जब जेल गए थे तो फरलो और पैरोल शब्द काफी चर्चा में रहे थे। पैरोल शब्द एक बार फिर से चर्चा में तब आया जब कोरोना वायरस की महामारी के कारण कम गंभीर मामलों में जेलों में बंद कैदियों को पैरोल पर छोड़ने के आदेश सुप्रीम कोर्ट ने दिए। इसके बाद पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारे गए कानपुर के बिकरू गांव के अपराधी विकास दुबे के मामले में पैरोल शब्द फिर से चर्चा में है। 

विकास दुबे एनकाउंटर पर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई में यूपी सरकार के वकील की तरफ से बताया गया कि बिकरू गांव में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या से पहले ही विकास दुबे के खिलाफ जघन्य अपराधों को 65 मामले दर्ज थे। हत्या के एक मामले में उसे उम्रकैद की सजा भी मिल चुकी थी। सितंबर 2019 में सप्लाई इंस्पेक्टर से मारपीट के मामले में उसे इलाहाबाद हाईकोर्ट से जमानत मिली थी। सुप्रीम कोर्ट को यूपी सरकार की ओर से बताया गया कि विकास दुबे की रिहाई पैरोल से संभव हुई थी। इस जवाब से पता चलता है कि संभवतः जमानत मिलने के बाद विकास दुबे रिहा नहीं हुआ था, क्योंकि वह अन्य कई मामलों में जेल में बंद था और सजायाफ्ता अपराधी किसी एक मामले में जमानत मिलने से जेल से बाहर नहीं आ सकता। उसकी रिहाई पैरोल से हुई थी।

फिल्म अभिनेता संजय दत्त भी अपनी जेल यात्रा के दौरान इन शब्दों वाले नियमों की मदद से कई बार जेल से बाहर आए थे। आइए जानते हैं कि फरलो और पैरोल आखिर हैं क्या।

जेल के कानूनों के अनुसार किसी सजायाफ्ता कैदी के कानूनी रूप से कुछ अवधि के लिए जेल से बाहर आने के दो रास्ते हैं- 

एक- पैरोल से
दूसरा- फरलो नियम के तहत


डच शब्द वरलोफ से पैदा हुआ फरलो (furlough) जेल का एक ऐसा नियम है जिसमें किसी सजायाफ्ता कैदी को एक या दो साल की अवधि में एक बार 14 दिन की छुट्टी दी जाती है। फरलो का उद्देश्य यह होता है कि कैदी कुछ दिन जेल से बाहर जाकर अपने पारिवारिकसामाजिक संबंधों को बहाल कर सके और लगातार जेल जीवन के दुष्प्रभावों से बच सके। कैदी की मांग पर अधिकारी छुट्टी को और 14 दिन के लिए बढ़ा सकते हैं। संजय दत्त के केस में भी 2013 में एक अक्टूबर से उन्हें फरलो के तहत 14 दिन की छुट्टी मिलीजो बाद में और 14 दिन के लिए बढ़ाई गई थी। इसके बाद संजय दत्त ने पैरोल की सुविधा भी पा ली थी।

फरलो में छुट्टी पाने के लिए कैदी को जेल अधीक्षक को आवेदन देना होता हैजिसमें यह विवरण होता है कि वह जेल से बाहर किस जगह पर छुट्टी बिताएगाउसे जेल से कौन लेने आएगा आदि। आवदेन की जांच और श्योरिटी बांड भरवाने के बाद जेल अधिकारी कैदी को फरलो में छुट्टी की अनुमति देते हैं। सामान्यतः अच्छा आचरण करने वाले कैदी को ही ऐसी छु्टटी मिलती है। हालांकि नियम यह है कि उसी कैदी को छुट्टी मिलेगी जो दो साल जेल में बिता चुका होलेकिन संजय दत्त के अच्छे व्यवहार और खराब स्वास्थ्य की वजह से उन्हें पहले ही साल में छुट्टी मिल गई। हालांकि 2014 में वे फिर फरलो के तहत छुट्टी पा गएजिस पर विवाद खड़ा हो गया था।

फरलो और पैरोल में अंतर


  1. फरलो को कैदी का अधिकार बनाया गया हैजबकि पैरोल उसका अधिकार नहीं हैबल्कि यह अधिकारियों की रिपोर्ट और अदालत के विवेक पर निर्भर करता है।
  2. फरलो में कैदी की छु्ट्टी की अवधि उसकी सजा में शामिल मानी जाती है। यानी वह उस छुट्टी के दौरान भी सजा काट रहा होता हैलेकिन पैरोल की अवधि कैदी की सजा में शामिल नहीं होती। जितने दिन कैदी पैरोल पर रहेगाउतने ही दिन उसे बाद में ज्यादा सजा काटनी होगी। 
  3. फरलो छुट्टी देने का अधिकार जेल अधिकारियों को होता हैजबकि पैरोल के तहत छुट्टी अदालत से मिलती है।
  4. पैरोल के तहत किसी इमरजेंसी के दौरान कैदी को जेल से रिहा किया जाता है। किसी परिजन की मृत्यु और कैदी की गंभीर बीमारी जैसे कारण इसमें शामिल होते हैं। पैरोल की अवधि 30 दिन की हो सकती है। बाद में इसे और 60 दिन के लिए बढ़ाया जा सकता है। पहले दो पैरोल के बीच एक साल की अवधि का नियम था यानी एक बार पैरोल पर छूटने के बाद और जेल में वापस आने के बाद कैदी को दोबारा पैरोल एक साल के बाद ही मिल सकती थीलेकिन अब यह नियम हो गया है कि यदि कैदी के साथ कोई गंभीर समस्या है तो एक साल के अंदर भी दूसरा पैरोल मिल सकता है।


फुर्र भी हो जाते हैं फरलोपैरोल वाले कैदी


अनेक कैदी फरलो और पैरोल का दुरुपयोग भी करते हैं। मुंबई हाईकोर्ट में 2011 में पेश एक रिपोर्ट के अनुसार उस वर्ष तक महाराष्ट्र में 800 से ज्यादा कैदी पैरोल या फरलो के तहत बाहर जाने के बाद तय समय पर जेल नहीं लौटे। यह केवल एक राज्य की संख्या थी। पूरे देश का आंकड़ा बहुत ज्यादा बैठेगा। मुंबई में कैदी के वापस न लौटने का सबसे बड़ा मामला 2009 में सामने आया जब कैसेट किंग गुलशन कुमार की हत्या में सजा पाया कैदी अब्दुल रउफ मर्चेंट फरलो के तहत जेल से बाहर आया मगर तय समय पर जेल में नहीं लौटा। यह हत्या 1997 में हुई थी और मर्चेंट को 2001 में गिरफ्तार किया गया था। मर्चेंट को इस केस में आजीवन कारावास की सजा मिली थी। मर्चेंट को हाईकोर्ट के आदेश पर फरलो के तहत छु्ट्टी मिली थीक्योंकि वह आजीवन कारावास की सजा पाया कैदी था।

विकास दुबे के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उसकी जमानत, पैरोल आदि का ब्योरा मांगा है। यूपी सरकार के जवाब से ही पता चलेगा कि आखिर विकास दुबे को किन परिस्थितियों में पैरोल की सुविधा दी गई थी। जैसा कि हमने ऊपर पढ़ा कि पैरोल अधिकारियों की रिपोर्ट और अदालत के विवेक पर निर्भर करता है तो अब सुप्रीम कोर्ट में यह राज खुलेगा कि विकास दुबे को किन अधिकारियों की रिपोर्ट पर और किस अदालत के विवेक पर पैरोल की सुविधा दी गई।

अमेरिका में आम जीवन में भी है फरलो


अमेरिका  में फरलो के तहत छुट्टी केवल जेल में ही नहीं आम जीवन में भी मिलती है। हालांकि आम जीवन के फरलो से आदमी दुखी होता है। अमेरिका में यदि सरकारकोई संस्था या कंपनी आर्थिक संकट में फंस जाती है तो वह अपने किसी भी कर्मचारी या कर्मचारियों को टेम्पोरेरी अनपेड लीव (अस्थायी गैरभुगतान छुट्टी) पर भेज सकती है। 2013 में अमेरिका में बजट पास न होने से वित्तीय संकट पैदा होने की खबर आई और वहां लाखों सरकारी कर्मचारियों को भी फरलो नियम के तहत छुट्टी पर भेज दिया गया। अमेरिका में यह प्रचलन बहुत आम है। सरकारी या निजी सभी कंपनियां इस नियम का इस्तेमाल करती हैं। अमेरिका में तो सेना में भी इसी तरह की छुट्टी देकर सैनिकों को घर भेज दिया जाता है।

- लव कुमार सिंह

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