Monday 18 May 2020

नवाजुद्दीन सिद्दीकी : बढ़िया अभिनेता ने बेवजह छीछालेदर करवा ली

Nawazuddin Siddiqui : Awesome actor earned his notoriety without any reason

  • हर काम समय पर ही करना अच्छा लगता है
  • महिलाओं के मामले में संवेदनशीलता भी जरूरी




कॉलेज के दिनों में किसी लड़के की किसी लड़की से अगर बातचीत भी हो जाती थी तो वह येन-केन-प्रकारेण अपनी इस "उपलब्धि" को अपने साथियों को बताने की फिराक में रहता था। और अगर बातचीत से आगे दोस्ती भी हो जाती थी तो फिर कमाल हो जाता था। दोनों ही मामलों में बढ़ा-चढ़ाकर इस प्रकार से बात करने की कोशिश होती जैसे कोई बहुत बड़ा तीर मार लिया हो। तिल का ताड़ बना दिया जाता। नतीजे में बाकी लड़के अपने आप को हीन महसूस करने लगते।

इसी चक्कर में प्रतिस्पर्धा भी होती थी और मारपीट जैसे किस्से भी खूब देखने-सुनने को मिलते थे। मुझे याद आ रहा है कि एक बार तो यह भी हुआ कि एक दादा टाइप लड़के ने हमारे एक सहपाठी को क्लास की एक लड़की के साथ बस (जी हां बस) कॉपी का आदान-प्रदान करते हुए देख लिया। फिर क्या था, वह हमारे पास आया और सहपाठी से बोला, "अपनी हद में रह, उस लड़की से ज्यादा मेलजोल बढ़ाने की कोशिश मत कर। वह मेरा माल है।"

अपने ही क्षेत्र (पश्चिमी उत्तर प्रदेश) से निकले और बढ़िया अभिनय से चर्चा में रहने वाले फिल्म अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दीकी भी संभवतः ऐसे ही माहौल में पढ़े-लिखे हैं। आर्डनरी मैन जो ठहरे। उन्होंने तो समय से पहले ही लिख दी गई अपनी जीवनी (बायोग्राफी) का नाम भी "आर्डनरी लाइफ" ही रखा था। लेकिन आर्डनरी लाइफ में वह एक्स्ट्राआर्डनरी सामग्री डालने का मोह छोड़ नहीं पाए। लिहाजा जिन लड़कियों के साथ संपर्क में रहे, उनके साथ अपने सच्चे-झूठे शारीरिक संबंधों का जिक्र भी जीवनी में शामिल कर लिया। 

ऐसा करना उन्हीं पर भारी पड़ गया और उनके संपर्क में आई महिलाओं द्वारा उन्हें झूठा, निर्लज्ज और महिलाओं का सम्मान न करने वाला करार देने के बाद सोशल मीडिया पर भी वह सभी के निशाने पर आ गए। कहां तो नवाजुद्दीन के अभिनय के चर्चे हो रहे थे और कहां अब चर्चा यह होने लगी कि वह भले ही कितने भी अच्छे अभिनेता क्यों न हों, लेकिन अच्छे इनसान नहीं हैं। घबराकर नवाजुद्दीन ने अपनी जीवनी वाली किताब वापस लेने की घोषणा कर दी।

वास्तव में नवाज को ऐसा नहीं करना चाहिए था। यदि उन्हें अपनी महिला मित्रों के साथ हुए अनुभवों को किताब में शामिल करना ही था तो वह उनका नाम दिए बिना ऐसा कर सकते थे। हैरत की बात यह भी है कि किताब को लिखने वाली पत्रकार ने भी उन्हें ऐसा करने से नहीं रोका, जबकि वह स्वयं महिला हैं। संभवतः नवाज को यह आशंका रही होगी कि यदि महिलाओं के नाम नहीं दिए तो शायद उनके व्यक्तित्व के मद्देनजर कोई उनकी कहानी पर विश्वास नहीं करेगा। 

इसकी भी एक पृष्ठभूमि है। कुछ अर्सा पहले नवाज की एक फिल्म की शूटिंग लखनऊ में थी। शूटिंग के दौरान एक नामचीन अभिनेत्री के साथ उनका अंतरंग दृश्य फिल्माया जाना था। लेकिन तभी खबर आई कि जब निर्देशक ने नवाज के साथ उस दृश्य की योजना अभिनेत्री को बताई और शूटिंग शुरू की तो अभिनेत्री गुस्से में सेट और शूटिंग छोड़कर लखनऊ से मुंबई रवाना हो गई। अभिनेत्री का आरोप था कि उसे इस दृश्य के बारे में पहले नहीं बताया गया था और दृश्य को फिल्माने के दौरान उसे निर्देशक और अभिनेता की मंशा भी ठीक नहीं लगी।

इस घटना से नवाजुद्दीन की यह छवि बनी कि अभिनेत्रियां उनके साथ अंतरंग दृश्य नहीं करना चाहती हैं। स्वयं नवाज ने भी एक-दो मौकों पर इस तरह के बयान दिए कि कोई निर्देशक उन्हें प्यार-व्यार के दृश्य नहीं देता। इन सबके बीच संभवतः नवाज पर यह दबाव रहा होगा कि वह फिल्म इंडस्ट्री और दुनिया को बताएं कि तुम लोग भले ही मुझे एक सांवला और साधारण शक्ल-सूरत वाला इंसान समझो, लेकिन महिलाओं से संबंधों के मामले में मैं भी कुछ कम नहीं हूं।

बहरहाल, एक बढ़िया अभिनेता ने बेवजह अपनी छीछालेदर करवा ली। वास्तव में अभी नवाजुद्दीन को अपनी जीवनी लिखने की जरूरत ही नहीं थी। अभी उन्हें अपने करियर को और आगे ले जाना चाहिए था, और ऊंचाइयां हासिल करनी चाहिए थीं। लेकिन फिल्मी दुनिया में लोगों में असुरक्षा की भावना बहुत रहती है। संभवतः नवाज को लगा होगा कि कल पता नहीं अभिनय का आज जैसा जलवा कायम रहे या नहीं, इसलिए बाद के काम भी अभी कर डालो। लेकिन हर काम समय पर ही सही लगता है।

- लव कुमार सिंह 

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