It was not a lockdown, it was a course
आप चाहे कुछ भी कह लो,
पर ये लॉकडाउन नहीं था
फिर ये क्या था?
ये कुछ दिन का कोर्स था
जीवन जीने का सोर्स था।
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इस कोर्स से हमने बहुत सीखा
इससे हमने क्या सीखा?
सीखा, रोटी खाना मुश्किल नहीं था
खर्च तो जीवनशैली, स्टेटस, आडंबर का था
जीवन का खर्चा ज्यादा नहीं था।
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सीखा, जीवन जीने के लिए
बस रोटी, कपड़ा और मकान ही जुटाना था
बाकी तो बेकार का रगड़ा था
जीवन बहुत सरल था
इसे फालतू की बातों में नहीं खपाना था।
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नदी, पर्वत, पेड़ देखकर पता चला
प्रदूषण के खात्मे में एक पैसा नहीं लगना था
बस मनुष्य का न्यूनतम हस्तेक्षप होता
और संसाधन कायदे से खर्च होते
तो प्रदूषण कोई मसला ही नहीं बनना था।
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जो न जा पाए विदेश कभी
उनके चेहरे पर अजीब खुशी देखी
अब उनकी हीनभावना का कहीं पता नहीं था
और जो अपनों से दूर-दूर रहते थे हमेशा
उनके लिए माटी के मोल को जानने का बहाना था।
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इस दौरान साफ-सफाई इतनी सीखी
कि जुकाम-खांसी को भी रास्ता भूल जाना था
और सुना है दिल के ऑपरेशन कम हो गए
दूसरे रोगों से भी मौत के आंकड़े घट गए
क्योंकि रोगियों का अपनों के बीच ठिकाना था।
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बड़े अजूबे भी देखे इस दौरान हमने
जैसे हवा साफ हो गई, पर नाक-मुंह बंद था
सड़कें खाली मगर लॉन्ग ड्राइव जाना पाबंद था
हाथ साफ थे, लेकिन किसी से मिला नहीं सकते
वक्त ही वक्त था, पर दोस्त का दरवाजा बंद था।
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पैसे वालों को खर्च करने का रास्ता नहीं दिखा
बेपैसे वालों के लिए कमाने का रास्ता बंद था
जो समय मांगते थे, उन्हें मिला, पर अब मन नहीं था
किसी ने दुनिया छोड़ी तो अपने देखने को तरस गए
क्योंकि दुष्ट कोरोना का नियम ही इतना सख्त था।
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कोरोना ऐसा दुश्मन निकला
जो हर जगह था, मगर दिखता नहीं था
उसने आदमी को उसकी औकात बता दी
क्योंकि अब जीवन जीने का तरीका ही अलग था
आदमी के पास सब कुछ था, पर कुछ भी नहीं था।
- लव कुमार सिंह
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