Friday, 22 May 2020

कराची विमान हादसा- पायलट ने मदद के लिए ‘मेडे-मेडे-मेडे’ क्यों कहा?

Karachi plane crash- why did the pilot say 'mayday-mayday-mayday' for help?



कराची में 22 मई 2020 को हुए हृदयविदारक विमान हादसे की खबरों के दौरान हमें कई चैनलों पर यह सुनने को मिला कि विमान के पायलट ने अंतिम बार कंट्रोल रूम से ‘मेडे-मेडे-मेडे’ (mayday mayday mayday) कहा और इससे पहले कि विमान लैंडिग कर पाता, वह आबादी के ऊपर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। यहां सवाल उठता है कि ये ‘मेडे-मेडे-मेडे’ क्या है जो पायलट ने खतरे के समय इस शब्द को तीन बार कहा।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हवाई जहाजों की उड़ान या पानी के जहाजों के आवागमन के दौरान जब कोई इमरजेंसी जैसी स्थिति बनती है तो पायलट या कैप्टन द्वारा कंट्रोल रूप से रेडियो संचार के दौरान मदद के लिए ‘मेडे’ शब्द का प्रयोग किया जाता है। यह मदद मांगने के लिए ही इस्तेमाल किया जाता है। इस शब्द का तीन बार उच्चारण करना होता है। इसीलिए पाकिस्तान एयरलाइंस के विमान के पायलट ने विकट स्थिति देख तीन बार ‘मेडे-मेडे-मेडे’ कहा। 

जब कोई पायलट ऐसा कहता है तो इसका अर्थ यह होता है कि कंट्रोल रूम हवाई अड्डे पर बाकी सभी विमानों को होल्ड पर रखकर संकट में फंसे विमान को रास्ता दे। इसीलिए कराची एयरपोर्ट के कंट्रोल रूम ने जब पायलट की तरफ से ‘मेडे-मेडे-मेडे’ का उच्चारण सुना तो उसने जवाब दिया कि आपके लिए दोनों हवाई पट्टियां खाली हैं, आप किसी पर भी लैडिंग कर सकते हैं। लेकिन दुर्भाग्य से पायलट ऐसा नहीं कर पाया और लैंडिंग से पहले ही विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया।

कुछ देशों में अग्निशमन दल, पुलिस बल और परिवहन संगठन भी इस शब्द का इस्तेमाल करते हैं। संकटकाल में इस्तेमाल होने वाले इस मेडे शब्द की उत्पत्ति 1921 में लंदन के क्रॉयडन एयरपोर्ट के एक वरिष्ठ रेडियो अधिकारी फ्रेडरिक स्टेनली मॉकफोर्ड ने की थी। मॉकफोर्ड से कहा गया था कि वे एक ऐसा शब्द सोचें जो आपात स्थिति में सभी पायलटों और जमीनी कर्मचारियों को आसानी से समझ में आ जाए। मॉकफोर्ड ने इसके लिए फ्रेंच भाषा के शब्द मेडेर (m'aider) को अपनाया जिसका अर्थ होता है ‘हेल्प मी’ यानी मेरी मदद करो। फ्रेंच में पूरा वाक्यांश ‘वेनेज मेडेर’ (venez m'aider) होता है जिसका अर्थ है ‘आओ और मेरी मदद करो।’

‘मेडे’ से पहले इस प्रकार की कॉल के लिए कोड के रूप में SOS का प्रयोग होता था। लेकिन 1927 में वाशिंगटन के अंतरराष्ट्रीय रेडियोटेलीग्राफिक कन्वेंशन ने एसओएस रेडियोटेलीग्राफ (मोर्स कोड) कॉल के स्थान पर संकट कॉल के रूप में वॉयस कॉल ‘मेडे’ को अपना लिया। बाद में यह शब्द अंतराष्ट्रीय रूप से मान्य हो गया।

- लव कुमार सिंह


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