Bijnor police gave riot control mantra to the police of the whole country
दैनिक जागरण के 29
फरवरी 2020 के अंक में छपे इस चित्र को देखें। एक नजर में यह दिल्ली का दृश्य
प्रतीत होता है और लगता है कि दंगों के बाद पुलिस ने छत से कुछ बरामद किया है।
निश्चित ही पुलिस ने छत से कुछ बरामद किया है लेकिन यह दृश्य दिल्ली का नहीं बल्कि
उत्तर प्रदेश के बिजनौर शहर का है। बिजनौर पुलिस ने शुक्रवार को जो किया, यदि पूरे
भारत की पुलिस उस पर अमल करे तो यह दंगा या किसी भी तरह के बवाल को नियंत्रित करने
के लिए एक मंत्र की तरह काम करेगा।
दरअसल दिल्ली में
हुए दंगों के बाद शुक्रवार 28 फरवरी को जुमे की नमाज थी। उत्तर प्रदेश के सभी
जिलों में इस दौरान सतर्कता बरती गई थी। बिजनौर पुलिस ने नया काम यह किया कि अमूमन दंगों
के बाद होने वाली कार्रवाई उसने किसी संभावित बवाल को रोकने के लिए पहले ही कर डाली। उसने खुफिया इनपुट के आधार पर बिजनौर में जामा मस्जिद के आसपास घरों में तलाशी अभियान चला डाला।
पुलिस को कई घरों में छतों पर ईंटों के ढेर मिले। दैनिक जागरण में छपे इस चित्र
में ऐसे ही ईंटों के एक ढेर को पुलिसकर्मी छत से नीचे फेंक रहे हैं।
इससे दंगा नियंत्रण
का यह मंत्र मिलता है कि तलाशी की जो कार्रवाई आप किसी दंगे या बवाल के बाद करते
हो, क्यों ने वह कार्रवाई पहले ही कर ली जाए। यदि हालात नाजुक हों और पुलिस को लगे
कि किसी इलाके में कुछ गंभीर घटना हो सकती है तो क्यों नहीं उस इलाके में पहले ही
तलाशी अभियान चला दिया जाए। और अब तो पुलिस के पास ड्रोन (#Dron) की भी सुविधा है। दिल्ली
में अब दंगों के बाद ड्रोन घुमाए जा रहे हैं। अगर पहले ही ड्रोन घूम जाते तो बहुत
कुछ रोकथाम की जा सकती थी। दिल्ली पुलिस (#DelhiPolice) के लिए आगे का सबक यह है कि यदि वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर या सरकार के कहने पर शाहीन बाग में सड़क को खाली कराने के लिए जाती है तो अपनी कार्रवाई से पहले उसे पूरे शाहीन बाग (#ShaheenBag) में ड्रोन घुमाने चाहिए। साथ ही घरों में तलाशी अभियान भी चलाना चाहिए। इसी के बाद सड़क खाली कराने की कार्रवाई करनी चाहिए।
इसके अतिरिक्त क्यों न ड्रोन
घुमाने की यह कसरत किसी भी जिले की पुलिस द्वारा सप्ताह या महीने में नियमित रूप
से की जाए? क्यों न जब-जब भी पुलिस फ्लैग मार्च निकाले तो संवेदनशील इलाकों में
तलाशी अभियान भी चलाए। किसी विवाद या आपत्ति से बचने के लिए वह इलाके के नामदार
लोगों और जनप्रतिनिधियों को भी अपने साथ रखे।
यह मैं पहले की पोस्ट में भी कह
चुका हूं कि दंगे की स्थिति में पुलिस को उस इलाके के जनप्रतिनिधियों (सांसद,
विधायक, पूर्व विधायक, पार्षद आदि) और नामदार लोगों को खाली नहीं छोड़ना चाहिए।
ऐसे सभी लोगों को अपने साथ रखना चाहिए और लोगों को समझाने के लिए इनका उपयोग करना
चाहिए। इससे दंगा नियंत्रण में बहुत मदद मिलेगी।
- लव कुमार सिंह
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