Sunday 23 February 2020

मैले-कुचले व गंदे कपड़ों में इंटरव्यू देने पहुंचे स्टीव जॉब्स मगर फिर भी चुन लिए गए

Steve Jobs arrives for an interview in dirty clothes but is still selected

नौकरी मिली तो कंपनी के इंजीनियर ने साथ काम करने से मना कर दिया

#SteveJobs #Apple


वीडियो गेम बनाने वाली मशहूर कंपनी अटारी ने उन दिनों टेक्नोलॉजी हेल्पर के रूप में नौकरी का विज्ञापन निकाला था। इंटरव्यू के दिन कंपनी के दफ्तर में अनेक युवा जमा थे। हर युवा इंटरव्यू के लिए उपयुक्त ड्रेस में सजकर वहां पहुंचा था, लेकिन एक युवा के साथ ठीक इसका उलट था। उसके पैरों में जूतों की जगह सैंडिल थी। करीने से संवरे होने के बजाय बाल बहुत लंबे और बेतरतीब थे। कपड़े मैले-कुचले और गंदे थे। वह युवा स्टीव जॉब्स थे जो कहीं से भी उम्मीदवार नजर नहीं आ रहे थे। इसके बजाय वह कोई हिप्पी और गंदे व्यक्ति नजर आ रहे थे।

जॉब्स उन दिनों अपने माता-पिता के पास वापस जरूर आ गए थे और नौकरी की खोज भी कर रहे थे मगर रहन-सहन का अंदाज बिल्कुल फक्कड़ व्यक्ति जैसा था। जाहिर है उन दिनों माता-पिता भी उनसे खुश नहीं थे। दोस्तों की मदद से जॉब्स की जिंदगी आगे बढ़ रही थी। इस बीच, कॉलेज से निकलकर स्टीव जॉब्स ने कैलीग्राफी का प्रशिक्षण ले लिया था और अब नौकरी की खोज में अटारी के दफ्तर में आ पहुंचे थे।

अटारी के कर्मचारियों ने स्टीव जॉब्स को वहां से वापस भेजने की कोशिश की मगर उन्होंने जोर-जोर से बोलकर घोषणा कर दी कि वे इंटरव्यू देकर ही जाएंगे और इस नौकरी को लेकर ही रहेंगे। आखिरकार उनका इंटरव्यू हुआ। कंपनी के मालिक बुशनेल सुलझे हुए इंसान थे। उन्होंने जॉब्स के बाहरी रूप पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। इसके बजाय उन्होंने उनके अंदर मौजूद क्षमताओं को जानने की कोशिश की। उन्हें वे काम के आदमी लगे और वहां मौजूद लोगों ने देखा कि नौकरी पाने वाले 50 युवाओं की सूची में जॉब्स का नाम भी शामिल था। इन सबको पांच डॉलर प्रति घंटे की भुगतान दर से नौकरी पर रखा गया था।

लेकिन समस्या अभी खत्म नहीं हुई थी। कंपनी के जिस सेक्शन में स्टीव जॉब्स भेजे गए वहां के इंजीनियर ने उन्हें अपने साथ रखने से मना कर दिया। उसका कहना था कि स्टीव के शरीर से बुरी गंध आती है जो उसे सहन नहीं होती। यहां फिर मालिक बुशनेल ने हस्तक्षेप किया और स्टीव की शिफ्ट ही बदल दी। उन्हें अब दिन के बजाय रात में काम करना था। इस तरह स्टीव अटारी में रात में काम करने लगे।

( यह अंश '21वीं शताब्दी के महानायक- स्टीव जॉब्स'  नामक पुस्तक से लिया गया है। मेरे द्वारा लिखी गई इस पुस्तक को पुस्तक महल दिल्ली ने प्रकाशित किया है। इस रोचक पुस्तक को पढ़कर हमें पता चलता है कि जिस व्यक्ति ने कॉलेज की पढ़ाई पूरी नहीं की, जो व्यक्ति हार्डवेयर का इंजीनियर नहीं रहा, जो व्यक्ति सॉफ्टवेयर प्रोग्रामर भी नहीं रहा, यहां तक कि उसने प्रबंधन का कोई गुर भी कहीं से नहीं सीखा, लेकिन वही व्यक्ति कंप्यूटर और सेलफोन के क्षेत्र में कॉरपोरेट जगत के शीर्ष पर जा पहुंचा। उसी व्यक्ति ने तकनीक को बदल डाला। उसी व्यक्ति ने जिंदकी और काम के प्रति लोगों का नजरिया बदलकर रख दिया और अंततः उसी व्यक्ति ने दुनिया को भी बदलकर रख दिया।

अगर आप यह पुस्तक पढ़ना चाहते हैं और आपको यह पुस्तक अपने आसपास नहीं मिल पा रही है तो आप पुस्तक महल दिल्ली से इसे प्राप्त कर सकते हैं।
- लव कुमार सिंह

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