सरकारें ले ये फैसले....कम खर्चा होगा और ज्यादा वाहवाही होगी
अहा, पांच दिन का
हफ्ता। कभी भोगने का मौका नहीं मिला, पर सुनकर व सोचकर अच्छा लगता है। पांच दिन
काम के बाद दो दिन की एकमुश्त छुट्टी। आदमी काफी काम निपटा सकता है और आराम भी कर
सकता है। संबंधियों, मित्रों से मेल-मिलाप भी कर सकता है।
पांच दिन का कामकाजी हफ्ता
करने के महाराष्ट्र सरकार के फैसले से विचार आता है कि सरकारें ऐसे कई फैसले ले
सकती हैं, जिनमें उनका एक भी पैसा खर्च नहीं होगा और जनाधार व लोकप्रियता का बढ़ना
तय है-
जैसे- शव पहुंचने के बाद डॉक्टरों को एक तय की गई न्यूनतम अवधि में पोस्टमार्टम
करके शव परिजनों को सौंपना होगा।
जैसे- विधायक, मंत्री, मुख्यमंत्री और
प्रधानमंत्री किसी गरीब के घर मेहमान नहीं बनेंगे, बल्कि अपने बंगले पर हफ्ते के
अंत में लंच या डिनर पर किसी गरीब परिवार की मेजबानी करेंगे और उनका दुख-दर्द दूर करेंगे।
जैसे- प्रदेश में कोई
भी अंतरजातीय विवाह होगा तो उसमें राज्य के मुख्यमंत्री अवश्य शामिल होंगे।
जैसे- हर
बाजार में साप्ताहिक बंदी के दिन सड़क पर सामान बेचने वाले बंद दुकानों के सामने
अपना माल बेचेंगे।
जैसे- लोगों को घर में दुकान खोलने की इजाजत होगी।
जैसे- निजी
कार वालों को भी सवारी बैठाने की छूट होगी आदि-आदि।
- लव कुमार सिंह
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