Sunday, 16 February 2020

जानें ‘असाधारण’ नवीन पटनायक के अंदर के ‘साधारण’ आदमी को

Know the 'ordinary' man inside 'extraordinary' Naveen Patnaik




उड़ीसा के मुख्यमंत्री रहे दिग्गज नेता बीजू पटनायक के पुत्र नवीन पटनायक ने पांचवीं बार उड़ीसा का मुख्यमंत्री बनकर इतिहास रच दिया है। नवीन पटनायक बहुत अध्ययनशील हैं। अब तक चार पुस्तकें लिख चुके हैं। वे मुख्यमंत्री के रूप में बेहद लोकप्रिय हैं और मुख्यमंत्री के रूप में अपने काम के लिए संयुक्त राष्ट्र समेत कई पुरस्कार जीत चुके हैं। 

लेकिन ऐसे असाधारण नवीन बाबू के अंदर एक साधारण व्यक्तित्व भी छिपा हुआ है। ऐसा व्यक्तित्व जिसकी झलक हमें सामान्य जीवन जीने वाले बहुत से व्यक्तियों में दिखाई देती है। इस पोस्ट में जानते हैं असाधारण नवीन बाबू के व्यक्तित्व की कुछ साधारण मगर रोचक बातें-

उड़िया सीखने को ट्यूटर लगाया मगर सफल नहीं हुए


उड़िया भाषा नवीन पटनायक की कमजोरी रही है और कई दशक तक उड़ीसा की राजनीति करने के बावजूद उड़िया भाषा उन्हें मुश्किल में डाल देती है। अपनी रैलियों में वह रोमन (अंग्रेजी) लिपि में लिखी उड़िया भाषा का इस्तेमाल करते हैं। विधानसभा में वे अंग्रेजी में बहस करते हैं।

राजकिशोर मिश्रा नाम के शिक्षक से नवीन पटनायक ने करीब दो वर्ष तक उड़िया सीखने की कोशिश भी की, लेकिन विफल रहे। नतीजा यह रहा कि शिक्षक और शिष्य दोनों ने ही ट्यूशन क्लास से तौबा कर ली। दरअसल उड़िया नवीन पटनायक की मातृ भाषा नहीं रही है। नवीन की नानी ब्रिटिश थीं। उनकी मां ज्ञान पटनायक पंजाबी थी और वे नवीन से अंग्रेजी में बात करती थीं। 

राजकिशोर मिश्रा के साथ नवीन पटनायक की उड़िया कक्षाएं सन 2000 में शुरू हुई थीं। उड़िया सीखने में विफलता का कारण यह रहा कि एक तो नई भाषा सीखने के प्रति नवीन पटनायक अनिच्छुक रहे यानी उन्होंने स्वयं से बहुत लगन नहीं दिखाई। दूसरे ट्यूशन कक्षा के दौरान राजनीतिक गहमागहमी भी चलती रहती थी। लोग नवीन पटनायक से मिलने आते रहते थे। इस वजह से एकाग्रता भी नहीं बन पाई। लेकिन नवीन पटनायक के उड़िया न जानने से उनके राजनीतिक कैरियर पर कोई असर नहीं पड़ा और उड़ीसा के लोगों उन्हें लगातार भरपूर प्यार दे रहे हैं।

चेन स्मोकर और शराब के शौकीन


नवीन पटनायक की जीवनी के अनुसार उनकी सुबह संतरे के जूस के गिलास के साथ शुरू होती है। इसके अतिरिक्त वह तरबूज या पपीपा के कुछ स्लाइस लेते हैं और साथ ही एक कप कॉफी भी पीते हैं। इसके बाद उनके घर पर बैठकों का दौर शुरू हो जाता है। इस दौरान एक के बाद एक सिगरेट भी नवीन बाबू पीते जाते हैं। नवीन बाबू को डनहिल ब्रांड की सिगरेट पसंद है। 

11 बजे के आसपास वे राज्य सचिवालय के लिए रवाना होते हैं और तब वह नारियल पानी का एक गिलास पीना पसंद करते हैं। दोपहर में लंच बहुत हल्का लेते हैं। लंच लेने के लिए वह घर लौटते हैं। लंच में ज्यादातर खिचड़ी, दही, साधारण रोटी और सूप होता है। वह फिर दफ्तर लौटते हैं और शाम को घर वापस आते हैं। रात में 9 बजे के बाद वह प्रसिद्ध ग्राउज व्हिस्की लेते हैं, जबकि बीजू जनतादल के संविधान में बाकायदा लिखित में दर्ज है कि पार्टी के सदस्यों को एल्कोहॉलिक ड्रिंक और ड्रग्स से दूर रहना चाहिए। रात में डिनर वह पूरी तबीयत के साथ खाते हैं। अन्य पकवानों के अतिरिक्त थाई चिकन करी उनकी पसंदीदा डिश बताई जाती है।

बचपन का नाम पप्पू


नवीन पटनायक को उनके परिवार और दोस्तों के बीच प्यार से ‘पप्पू’ कहकर बुलाया जाता था, लेकिन नवीन ऐसे पप्पू निकले जिसने बड़े होकर देश की राजनीति में इतिहास बना दिया। आगे से यदि आप किसी को पप्पू कहने से पहले दस बार सोच लें क्योंकि नवीन बाबू की कहानी बताती है कि ‘पप्पू’ महान भी होते हैं।

संजय गांधी और कमलनाथ के सहपाठी


नवीन पटनायक की पढ़ाई देहरादून के दून स्कूल में हुई जहां संजय गांधी और कमलनाथ जैसे लोग उनके सहपाठी थे। कला नवीन बाबू का प्रिय विषय रहा है और ऑयल पैंटिंग में उनकी गहरी रुचि रही है। दून स्कूल के अतिरिक्त नवीन पटनायक दिल्ली के किरोड़ीमल कॉलेज में भी पढ़े हैं।

दिल्ली में खोला था फैशन बुटीक


आज केवल सफेद कुर्ता, ऊंचा सा पाजामा पहनने वाले और पैरों में स्लिपर डालकर चलने वाले नवीन पटनायक ने 1960 के दशक में अपने दोस्तों के साथ मिलकर दिल्ली के ओबेराय होटल में फैशन बुटीक भी खोला था जिसका नाम ‘साइकदेल्ही’ रखा गया था। उस समय अनेक मशहूर हस्तियां उनके बुटीक की ग्राहक हुआ करती थीं। लेकिन आज नवीन बाबू फैशन से बहुत दूर हैं। बड़े से बड़े कार्यक्रम में वह कुर्ता, ऊंचा सा पाजामा और स्लीपर डालकर चले जाते हैं।

लिख डालीं चार पुस्तकें


पैंटिंग के अतिरिक्त नवीन पटनायक को पढ़ने-लिखने का बहुत शौक रहा है। उन्होंने अब तक चार पुस्तकें लिख दी हैं। इन किताबों के नाम ‘ए सेकेंड पैराडाइज’, ‘ए डिजर्ट किंगडम’, ‘द पीपुल ऑफ बीकानेर’ और ‘गार्डन ऑफ लाइफ- एन इंट्रोडक्शन ऑफ हीलिंग प्लांट्स ऑफ इंडिया’ हैं। चौथी पुस्तक धार्मिक नगरी पुरी के बारे में है।

जैकलीन कैनेडी से भी थी मित्रता


50 वर्ष की आयु तक नवीन पटनायक ने भारत के बाहर जबरदस्त भ्रमण कर लिया था। उस दौरान विदेश ही उनका मुख्य ठिकाना था जबकि उड़ीसा एक प्रकार से छुट्टियों का ठिकाना था। अमेरिका में मिक जैगर और जैकलीन कैनेडी (अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति कैनेडी की पत्नी) उनके मित्रों में शामिल थीं।

फिल्म में छोटा सा रोल किया


पुस्तकों के अलावा नवीन पटनायक को फिल्मों का भी शौक है। 1988 में आई मर्चेंट आइवरी की एडवेंचर फिल्म ‘द डिसीवर्स’ में नवीन बाबू ने भी एक छोटा सा रोल किया था। इस फिल्म में पाइअर्स ब्रोसनन और सईद जाफरी जैसे कलाकारों ने काम किया था।

पहले राजनीति में नहीं आना चाहते थे


1997 में जब नवीन पटनायक के पिता बीजू पटनायक की मृत्यु हुई तो नवीन को न उड़िया भाषा आती थी और न उड़ीसा से उनका ज्यादा परिचय था। नवीन स्वयं इन बातों को स्वीकार करते थे इसलिए वह पिता की राजनीतिक विरासत को संभालने के इच्छुक नहीं थे, लेकिन तब के प्रधानमंत्री इंद्रकुमार गुजराल के साथ मुलाकात में उनका मन बदला और वे उड़ीसा में काम करने को तैयार हो गए। उसके बाद एक नौसिखिया से करिश्माई नेता बनने की कहानी हर कोई जानता है।
  

दोस्तों के लिए कानून में दखल नहीं


भुवनेश्वर के घर में नवीन पटनायक अकेले ही रहते हैं। उन्होंने शादी नहीं की है। शुरुआती वर्षों में ड्रिंक में उन्हें कंपनी देने के लिए वरिष्ठ राजनीतिज्ञ ए.यू. सिंह देव और बिजनेसमैन से राजनीतिज्ञ बने बैजयंत जय पांडा आते थे। बैजयंत पांडा अब भाजपा में शामिल हो गए हैं। एक समय उड़िया के सबसे बड़े दैनिक अखबार ‘समाज’ के महाप्रबंधक ब्रज भाई भी नवीन पटनायक के मित्रों में शामिल थे। उस दौर में तमाम नेता भी नवीन पटनायक की नजरों में आने के लिए ब्रज भाई के दफ्तर के चक्कर लगाते थे। मुख्यमंत्री निवास में जाने पर स्वयं नवीन पटनायक उन्हें कार तक छोड़ने आते थे। लेकिन बाद में ऐसे दिन फिरे कि ब्रज भाई का अखबार पर नियंत्रण नहीं रहा और कंपनी के फंड में गड़बड़झाले के कारण उन्हें जेल जाना पड़ा। उस समय नवीन पटनायक ने कानून को अपना काम करने दिया और बीच में नहीं आए।

सख्त फैसले भी लेते हैं


नवीन पटनायक ऊपर से बहुत नरम से व्यक्ति नजर आते हैं, लेकिन वे सख्त फैसले लेने से नहीं हिचकते हैं। एक बार उन्होंने काम में कोताही करने वाले आधा दर्जन से ज्यादा अयोग्य आईएएस अधिकारियों को घर भेज दिया था। अधिकारियों से उन्होंने कह दिया कि अब सरकार को उनकी जरूरत नहीं है। अधिकारियों की कार भी छीन ली गई थी। उस समय नवीन पटनायक के इस कदम की उड़ीसा में बहुत प्रशंसा हुई थी और अफसरशाही पटरी पर आ गई थी।
- लव कुमार सिंह

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