Saturday 15 February 2020

क्या 2022 तक वेस्ट यूपी को मिल सकती है हाईकोर्ट बेंच?


Can West UP get a High Court Bench by 2022?


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क्या 2022 तक वेस्ट यूपी को मिल सकती है हाईकोर्ट बेंच? गट फीलिंग हो रही है कि मिल सकती है। लेकिन इसके लिए पश्चिमी यूपी के वकीलों को तीन काम करने होंगे। 

एक


प्रधानमंत्री का दावा और कथन है कि हम समस्याओं को लटकाने-भटकाने में विश्वास नहीं रखते। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के वकील साहेबान को इसे ब्रह्म वाक्य मानकर नरेंद्र मोदी के पीछे लग जाना चाहिए। 2022 से पहले आपके पास वेस्ट यूपी में हाईकोर्ट बेंच लाने का सुनहरा मौका है। यदि सही से प्रयास किए जाएं तो बेंच चाहे यूपी के वर्तमान नक्शे में आए या नए नक्शे में आए, 2022 से पहले आ सकती है। ऐसी गट फीलिंग होती है। इसके लिए वकीलों को तोड़फोड़ नहीं बल्कि प्रधानमंत्री व भाजपा को यह समझाने से काम चलेगा कि अगर वे वेस्ट यूपी में हाईकोर्ट की बेंच देते हैं तो इससे भाजपा का बड़ा राजनीतिक फायदा होगा। एक बार बात सही से समझ में आ गई तो काम बहुत आसान हो जाएगा।

दो


वेस्ट यूपी के माननीय वकील साहेबान, क्या आप कभी इलाहाबाद गए? अरे मुकदमा लड़ने नहीं, बल्कि वहां के वकीलों व जनता के सामने गांधीगिरी करने, उनकी मान-मनव्वल करने। आप इलाहाबाद जाओ। वहां के वकीलों की मनुहार करो। उन्हें समझाओ, उन्हें फूल दो, अपनी और क्षेत्र की समस्या बताओ। वहां के प्रबुद्ध नागरिकों से मिलकर अपनी बात कहो। वे आपको ‘गो बैक’ कहें तो हिम्मत मत हारो। वे नारे लगाएं, आप हाथ जोड़ दो। वे हाथ उठाएं, आप बुरा मत मानो। आपकी मांग तार्किक है। इसे नैतिकता का वजन दो। आपका आंदोलन देश-दुनिया में ध्यान खीचेंगा। केंद्र सरकार का भी ध्यान खींचेगा।
          

तीन


काम से छुट्टी करके आंदोलन नहीं होता। इससे तो जनता को ही परेशानी होती है सर। ऐसे में जनता की सहानुभूति आपके साथ कैसे होगी? जनता को साथ लाने के लिए आपको 'फ्री मुकदमे' जैसी कुछ योजनाएं भी पेश करनी होंगी। तो जनता को साथ लीजिए और अपने आंदोलन को कुछ रचनात्मक रूप दीजिए।


तथ्य- एक से ज्यादा खंडपीठ (बेंच) वाले उच्च न्यायालय


  • बंबई उच्च न्यायालय की तीन खंडपीठ नागपुर, पणजी और औरंगाबाद में हैं।
  • मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की दो खंडपीठ इंदौर और ग्वालियर में हैं।
- लव कुमार सिंह

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