Love.....not hate
नफरतों से प्यार करके
चैन नहीं पाओगे
इन्हें दिल से निकाल फेंको
तभी आदमी बन पाओगे
लहू की प्यासी हैं ये
नफरतें
जो तुम इन्हें भड़काओगे
ये हड्डियां भी चूस लेंगी
और खाक में मिल जाओगे।
नफरतों से प्यार करके....
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मान कल जो हुआ बुरा था
नहीं कहता मैं तुम भूल जाओ
पर ये भी मुनासिब नहीं
बिछौना यादों का कल की
बनाओ
यदि कल में ही जीते रहे तो
कैसे आज को बनाओगे?
कैसे कल को संवार सकोगे?
कैसे अपनों को खिलाओगे?
नफरतों से प्यार करके....
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रखवाले हो तुम इस वतन के
कई आएंगे तुम्हें बहकाने
मशाल देकर कहेंगे उजाला
फिर चलेंगे घरों को जलाने
चिंगारी को दीया यदि समझे
तो बड़ा पछताओगे
ना घर ही सलामत रहेगा
ना पता अपना पाओगे।
नफरतों से प्यार करके....
000
सारी दुनिया में नजरें
घुमा लो
बस प्रेमी सराहे गए हैं
बलशाली कितने रहे हों
हत्यारे नकारे गए हैं
तभी तो छोड़ के यदि तुम भी
नफरत
बंशी प्रेम की बजाओगे
तो तुम भी खिलने लगोगे
इस फिजा को भी महकाओगे।
नफरतों से प्यार करके....
- लव कुमार सिंह
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