संपादक की भूमिका और जिम्मेदारियां
(Role and Responsibilities of Editor)
MJMC, Semester:-3
Paper:- Print
Journalism-2 (Editing and Layout)
प्रश्न- समाचार पत्र में संपादक की क्या भूमिका और जिम्मेदारी होती है?
What is the role and
responsibility of the editor in a newspaper?
उत्तर- समाचार
पत्र के संपादकीय विभाग का मुखिया संपादक होता है। वह संपादकीय टीम का लीडर होता
है, इसलिए अखबार में उसकी भूमिका बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है। समाचार पत्र में छपे
प्रत्येक समाचार के लिए उसे जिम्मेदार माना जाता है। हालांकि यह भी सच है कि
प्रत्येक समाचार को देखना उसके लिए संभव नहीं होता है। संपादक की भूमिका और
जिम्मेदारियां निम्न प्रकार की होती हैं-
Editor is the head of the editorial department of the
newspaper. He is the leader of the editorial team, so his role in the newspaper
becomes very important. He is
considered responsible for all news published in the newspaper. However it is
also true that it is not possible to him to see all news. The role and
responsibilities of the editor are as follows-
1-
प्राथमिकता
और नीति-नीति तय करना
Setting
Priority and Policy-Policy
संपादक की
सबसे महत्वपूर्ण जिम्मेदारी अखबार की प्राथमिकता और नीति तय करने की होती है। यह
प्राथमिकता रोजाना की प्राथमिकता भी होती है और एक नीति के रूप में निरंतर चलने
वाली प्राथमिकता भी होती है।
The editor's most important responsibility is to fix
the newspaper's preference and policy. This priority is also the priority of
daily and also has a continuous priority in the form of a policy.
रोजाना की
प्राथमिकता से तात्पर्य यह है कि उस दिन के अखबार में किन खबरों को ज्यादा प्राथमिकता
दी जाएगी। प्राथमिकता इससे तय होती है कि कोई अखबार किस प्रकार के पाठकों द्वारा
पढ़ा जाता है। मान लिया कि अखबार ‘ए’ केवल शहर के पाठकों तक जाता है,
जबकि अखबार ‘बी’ शहर के साथ ही गांव-देहात में भी
जाता है। ऐसी स्थिति में शहर में गन्ना किसानों का आंदोलन होता है। अखबार ‘ए’ का संपादक उस खबर को अपने अखबार
में छापेगा जरूर लेकिन बहुत बढ़ा-चढ़ाकर नहीं छापेगा। लेकिन अखबार ‘बी’ का संपादक उसे अखबार ‘ए’ के मुकाबले ज्यादा स्थान देगा।
Daily priority means that which news will be given
more priority in that
day's newspaper. Priority determines which types of readers are read the
newspaper. Suppose the newspaper 'A' only goes to the city, while the newspaper
'B' goes to the village along with the city itself. In such a situation, there
is a movement of sugarcane farmers in the city. The Editor of the newspaper 'A'
will print that news in his newspaper, but he will not give much space. But the
editor of the newspaper 'B' will give it more space than the newspaper 'A'.
नीतिगत
प्राथमिकता का अर्थ यह है कि अखबार की नीति क्या रहेगी। नीतिगत प्राथमिकता भी
अखबार के प्रसार क्षेत्र के हिसाब से तय होती है। उदाहरण के रूप में पश्चिमी उत्तर
प्रदेश के किसी अखबार का संपादक इस क्षेत्र की समस्याओं और मुद्दों के आधार पर
अपनी प्राथमिकता तय करेगा। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसी अखबार का संपादक
खेती-किसानी, हाईकोर्ट बैंच आंदोलन, बिजली, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि के मुद्दों को
ज्यादा प्राथमिकता देगा।
स्थानीय
मुद्दों के अतिरिक्त अन्य विषयों को लेकर भी संपादक प्राथमिकता तय करता है। जैसे
कि कोई संपादक तय कर सकता है कि वह अपराध की खबरों को ज्यादा प्रमुखता से नहीं
छापेगा। कोई संपादक तय करता है कि वह नकारात्मक खबरें नहीं छापेगा। कोई तय कर सकता
है कि वह शहर में हो रहे छोटे-छोटे कार्यक्रमों को ज्यादा प्राथमिकता देगा।
The meaning of policy priority is what will be the
policy of the newspaper. Policy priorities also determine the spread of
newspaper. For example, the editors of a Western Uttar Pradesh newspaper will
decide his priority based on the problems and issues of this area. He will give
more priority to the issues of farming, high court bench movement, electricity,
crime, education, health etc.
Apart from local issues, the editor decides the
priority for other topics. For example an editor can decide that he will not
print crime reports more prominently. Another editor decides that he will not
publish negative news. Someone can decide that he will give more priority to
small programs in the city.
2-
प्रबंधन की
नीतियां लागू करने की जिम्मेदारी
Responsibility
for implementing management policies
अखबार
प्रबंधन की नीतियों को लागू करने की जिम्मेदारी भी संपादक पर ही होती है। ये
नीतियां प्रायः अखबार के प्रसार क्षेत्र के अनुसार ही तय होती है। प्रबंधन की कुछ
अन्य नीतियां भी हो सकती हैं। जैसे कि प्रबंधन द्वारा चलाया गया कोई विशेष प्रकार
का अभियान, जिसे आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी संपादक की ही होती है।
The responsibility of applying the policies of
management is also on the editor. These policies are often decided according to
the newspaper area. There may be some other management policies. Such as a
special type of campaign run by the management is the responsibility
of the editor to carry forward.
3-
गुणवत्ता
सुनिश्चित करना
Ensuring
quality
समाचार पत्र
की गुणवत्ता सुनिश्चित करने में संपादक की अहम भूमिका होती है। वैसे तो संपादक
रोजाना छपने वाली प्रमुख खबरों पर नजर रखता है, लेकिन बहुत ज्यादा व्यस्तता के
कारण वह सभी खबरों के अंदर नहीं झांक पाता है। लेकिन जब समाचार पत्र छपकर आता है
तो वह उस पर बारीकी से नजर डालता है और खबरों की गहनता से समीक्षा करता है।
Editor plays an important role in ensuring the quality
of the newspaper. By the way, the editor keeps an eye on the major daily news
updates, but due to the busy engagement, he does not see all the news in depth.
But when the newspaper comes in print, he looks at it closely and reviews the
news in depth.
·
संपादक
देखता है कि खबरों को उनके महत्व के हिसाब से लगाया गया है या नहीं।
·
किसी
अनावश्यक खबर को ज्यादा बढ़ा-चढ़ाकर तो नहीं छापा गया है या किसी महत्वपूर्ण खबर
को कम स्थान देकर महत्वहीन तो नहीं बना दिया गया है।
·
खबरों के
शीर्षक रोचक लगे हैं या नहीं।
·
कोई
महत्वपूर्ण खबर छपने से तो नहीं रह गई है।
·
दूसरे
समाचार पत्रों की सभी प्रमुख खबरें अपने समाचार पत्र में हैं या नहीं।
·
समाचार
पत्र का लेआउट यानी पेजों का निर्माण ठीक से हुआ है या नहीं।
·
The editor sees whether the news has been printed
according to their importance or not.
·
He ensures that unnecessary news gets less and
important news gets more space.
·
Whether news headlines are interesting or not?
·
No important news has been left to publish.
·
All the major news stories in other newspapers are present
in his newspaper or not.
·
Layout of the newspaper is proper or not.
इस प्रकार अखबार की गहन समीक्षा करके संपादक अपने मातहतों को जरूरी
दिशा-निर्देश देता है। ऐसा नियमित रूप से किया जाता है जिससे अखबार की गुणवत्ता
में वृद्धि होती है।
Thus, by giving a thorough review of the newspaper, the
editor gives necessary directions to his subordinates. This is done regularly
so that the quality of the newspaper increases.
4- समाचार पत्र को रोचक और पठनीय
बनाना
Making Newspaper Interesting and Readable
अखबार को रोचक, जानकारीपरक और पठनीय बनाने में भी संपादक की अहम भूमिका
होती है। इसके लिए संपादक अखबार में नए-नए कॉलम शुरू करता है। वह खबरों को रोचक
ढंग से प्रस्तुत करने का कोई तरीका अपना सकता है। नए पाठकों को जोड़ने के लिए भी
वह विभिन्न प्रकार के प्रयास करता है।
The editor also plays
an important role in making the newspaper interesting, informative and
readable. For this, the editor starts the new column in the newspaper. He can
adopt some interesting way of presenting the news.He also makes various efforts
to add new readers.
5- खबरों के संबंध में मातहतों से
नियमित चर्चा, बैठक
Regular discussion, meeting with subordinates in
respect of news
एक टीम लीडर के रूप में संपादक रोजाना अपने नीचे काम करने वाले
संवाददाताओं और डेस्क पर कार्यरत पत्रकारों के साथ सुबह-शाम बैठक करता है। सुबह के
समय वह संवाददाताओं के साथ बैठकर उनकी स्टोरीज (विशेष खबरें) पर विचार-विमर्श करता
है। शाम की बैठक में खबरों के एकत्र होने के बाद अखबार का स्वरूप तय करता है।
As a team leader, the
editor meets every morning with the journalists working below and with the
journalists working at the desk. In the morning, he talks with reporters and
discusses their stories (special news). After the gathering of news in the
evening meeting, the nature of the newspaper decides.
6- विभागों के बीच समन्वय बनाना
Coordinate between departments
अखबार के विभिन्न विभागों के बीच समन्वय स्थापित करने की जिम्मेदारी भी
संपादक की ही होती है। इसके लिए संपादक नियमित अंतराल पर
दूसरे विभागों के प्रमुखों के साथ बैठकें करता है। दूसरे विभागों को संपादक न केवल
अपने विभाग की जरूरतें बताता है बल्कि दूसरे विभागों की भी जरूरतों को समझता है।
उदाहरण के रूप में यदि किसी दिन शहर में कोई बड़ी घटना हो जाती है तो संपादक विज्ञापन
व प्रॉडक्शन विभाग से खबरों के लिए ज्यादा स्थान की मांग करता है। पहले पेज को
खाली रखने के लिए कहता है।
The editor is
responsible for coordinating the various departments of the newspaper. For
this, the editor at regular intervals meets the heads of other departments.
Editor not only tells the needs of his department but also understands the
needs of other departments. As an example, if any major incident occurs in the
city, then the editor demands more space for news from the Advertising and
Production Department.
7- नियुक्ति, प्रोन्नति जैसे
प्रशासकीय काम
Appointments, promotions such as administrative work
संपादक को नियुक्ति, प्रोन्नति जैसे बहुत सारे प्रशासनिक काम भी करने
पड़ते हैं। इन कामों में उसका काफी समय व्यतीत होता है।
The editor also has
to do a lot of administrative work like appointments, promotions. It takes a
lot of time to do these things.
8- नियमित बैठकें करके फीडबैक लेना
Feedback by regular meetings
संपादक का बहुत सा समय बैठकों में व्यतीत होता है। अंतरविभागीय बैठकों और
संपादकीय विभाग की बैठकों के अतिरिक्त समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों से भी
संपादक मुलाकात करते रहते हैं। इसके उन्हें अखबार के बारे में फीडबैक मिलता है।
अखबार को लोगों तक पहुंचाने वाले हॉकरों के प्रतिनिधियों से भी संपादक की नियमित
बैठकें होती रहती हैं।
A lot of time of the
editor lasts in the meetings. Apart from the inter-departmental meetings and
the editorial department meetings, the editors also meet people from different
sections of the society. This gives him feedback about the newspaper. The
regular meetings of the editor are also held by the representatives of the
Hawker who bring the newspaper to the people.
9- संपादकीय लिखना
Writing editorials
नाम के अनुरूप संपादक का काम संपादकीय लिखना या खबरों का संपादन करना भी
होता है, लेकिन आजकल बहुत ज्यादा व्यस्तता के कारण वह यह दोनों काम कम ही कर पाता
है। कई अखबारो में संपादक अभी भी संपादकीय लिखते हैं, लेकिन ज्यादातर अखबारों में
इसकी जिम्मेदारी कुछ वरिष्ठ पत्रकारों की होती है।
संपादकीय लिखने के बाद वह संपादक को दिखा दिया जाता है और संपादक की सहमति
के बाद वह छपने के लिए दे दिया जाता है। इसी प्रकार संपादक खबरों का संपादन भी
नहीं कर पाते हैं। हां दिनभर की सभी प्रमुख खबरें उनके कंप्यूटर पर उपलब्ध होती
हैं। वह सभी प्रमुख खबरों पर नजर डालते हैं और उन्हें पढ़ने के बाद उनमें सुधार के
लिए जरूरी दिशा-निर्देश देते हैं।
Writing editorial or
editing news is also the work of editor, but due to the busy engagements
nowadays, he does not do these tasks. In many newspapers, editors still write
editorials, but in most of the newspapers this work is done by senior
journalists.
After writing an
editorial, it is shown to the editor and after the consent of the editor it is
given to publish. Similarly, editors do not edit news. Yes, all the major news of
the day are available on their computers. He looks at all the major news and
after reading them he gives the necessary guidelines for improvement.
10-
असमंजस में
निर्णय लेना
Make
decision in Dilemma
असमंजस की स्थिति में अंतिम निर्णय संपादक ही करता है। जैसे कि अखबार को
बाजार में भेजने का समय हो गया है, लेकिन कोई महत्वपूर्ण खबर लगनी बाकी है। खबर
अभी आई नहीं है। यदि अखबार समय से नहीं छोड़ा गया तो अखबार बाजार में लेट
पहुंचेगा। यदि खबर छूट गई तो इससे भी अखबार की प्रतिष्ठा को काफी नुकसान होगा। ऐसी
स्थितियों में संपादक ही फैसला लेता है कि क्या किया जाना चाहिए।
In the state of
confusion, the final decision is made by editor. For example it is time to send
the newspaper to the market, but there is an important news to be published.
The news has not come yet. If the newspaper is not left in time then the
newspaper will late in the market. If the news is missed, then the reputation
of the newspaper will be greatly damaged. In such situations, the editor
decides what should be done.
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संपादक के सामने चुनौतियां
Challenges before editors
संपादक का काम चुनौतीपूर्ण होता है। संपादक को कई प्रकार के
दबावों के बीच काम करना पड़ता है। संपादक के सामने आने वाली कुछ प्रमुख चुनौतियां
इस प्रकार हैं-
The editor's work is challenging. The editor
has to work among a variety of
pressures. Here are some key challenges to the Editor:
1- तथ्यों के साथ सही तस्वीर प्रस्तुत करने की चुनौती
Challenge
of presenting the right picture with facts
संपादक के सामने चुनौती होती है कि वह सत्यपूर्ण तथ्यों के माध्यम
से संपूर्ण यथार्थ को प्रस्तुत करे। अक्सर किसी एक पहलू पर ध्यान केंद्रित करने से
दूसरे पहलू की अनदेखी हो जाती है। तथ्य अपने आप में सच होते हैं, लेकिन अगर उनका
किसी संदर्भ में प्रयोग किया जा रहा हो तो उन तथ्यों का पूरे विषय के संदर्भ में
प्रतिनिधित्वपूर्ण होना जरूरी है।
There
is a challenge before the editor that he will present the entire reality
through the meaning of the true facts.
2- खबरों के बीच निष्पक्ष रहने की चुनौती
Challange of creating fairness in news
संतुलन और निष्पक्षता एक अच्छे संपादन की आधारशिला हैं।
संतुलन के कारण ही पाठक को किसी मसले पर दोनों तरफ की तस्वीर देखने को मिलती है।
निष्पक्षता होगी तो समाचार किसी का पक्ष नहीं ले रहा होगा,
बल्कि निष्पक्षता से अपनी बात कहेगा। इसका यह भी अर्थ है कि समाचार में किसी
राजनीतिक पार्टी, संस्थान, समुदाय या व्यक्ति का बेवजह समर्थन नहीं किया जाएगा।
संतुलन और निष्पक्षता एक पेशेवर रिपोर्टर का उत्तरदायित्व
होता है, जबकि संपादक की यह जिम्मेदारी होती है कि वह इन दोनों सिद्धांतों को
समाचार में लागू करवाए।
Balance and fairness is the
cornerstone of a good editing. Due to balance, the reader can get a picture on
both sides of the issue.
If there will be fairness then the news will
not take sides, but rather speak fairly about it. It also means that no
political party, institution, community or person will be given unnecessary
support in the news.
Balance and fairness are the responsibilities of a professional reporter, while the editor has the responsibility to implement these two principles in the news.
3- खबरों में संतुलन बनाए रखने की चुनौती
Challange
of creating balance in news
निष्पक्षता की अगली कड़ी संतुलन है। आमतौर पर मीडिया पर
आरोप लगाया जाता है कि समाचार कवरेज संतुलित नहीं है यानी यह किसी एक पक्ष की ओर
झुका है। आमतौर पर संतुलन की आवश्यकता वहीं पड़ती है जहां किसी घटना में अनेक पक्ष
होते हैं और उनका आपस में किसी ने किसी रूप में टकराव होता है। उस स्थिति में
संतुलन का तकाजा यही है कि सभी संबंधित पक्षों की बात समाचार में अपने-अपने
समाचारीय वजन के अनुसार स्थान पाए।
The sequel to fairness is
the balance. Usually the media is charged that news coverage is not balanced,
that is, it is tilted towards one side.
Usually, balance is needed
only there, where many parties are involved in an event and there is a conflict
in some form or another. In that situation, the demand for balance is that all
the relevant parties have a place in the news.
4- विभिन्न प्रकार के दबावों के बीच काम करने की चुनौती
The
challenge of working between different kinds of pressures
संपादक को कई प्रकार के दबावों के बीच काम करना पड़ता है।
इन दबावों के तहत अखबार मालिक का दबाव, विज्ञापनदाताओं का दबाव, राजनीतिक नेताओं
का दबाव, पुलिस और स्थानीय अधिकारियों का दबाव, सरकारी दबाव आदि शामिल होते हैं।
The editor has to work among a variety of
pressures. Under these pressures, pressure of newspaper owner, pressure of advertisers,
pressure of political leaders, pressure of police and local officials, pressure
of governments etc. are included.
5- समय की चुनौती
Challenge of time
इसके अतिरिक्त संपादक पर समय का भी बहुत दबाव होता है। उसे
एक सीमित समय में तुरंत निर्णय लेकर अखबार प्रकाशित करना होता है। अखबार के दफ्तर
में समाचारों का आवागमन निरंतर होता रहता है। इसी के साथ पहले आ चुके समाचारों में
संशोधन भी होता रहता है। इन सबके बीच अखबार को प्रकाशित करने का एक निश्चित समय
होता है, अतः संपादक को पाठकों के सामने एक तय समय में ताजातरीन, संशोधित समाचार
प्रस्तुत करना होता है।
Besides, there is also a lot of pressure on the editor of the ‘time’. He has to publish a newspaper in a limited period of time.
6- सीमित स्थान की चुनौती
Challege of limited space
संपादक के सामने अखबार में उपलब्ध सीमित स्थान में ज्यादा
से ज्यादा समाचारों को प्रकाशित करने की भी चुनौती होती है। अखबारों में कभी
विज्ञापन की वजह से स्थान कम हो जाता है तो कभी बहुत सारी घटनाएं एक ही दिन में घट
जाती है, इसलिए सभी प्रमुख घटनाओं को अखबार में समुचित स्थान देने की चुनौती आ
खड़ी होती है।
There is also the challenge of publishing more and more news in the limited space available in the newspaper.
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पत्रकारिता में संपादक को कैसे
दबावों का सामना करना पड़ता है?
What
kind of pressures does the editor face in journalism?
पत्रकारिता करते समय एक संपादक पर कई प्रकार के दबाव पड़ते
हैं। इस प्रकार के दबावों से उसे लगातार जूझना होता है। ये दबाव निम्नलिखित प्रकार
के हो सकते हैं-
At the
time of journalism, there is a lot of pressure on an editor. With such
pressure, he has to struggle constantly. These pressures can be of the
following types:
1- मालिक का दबाव-
संपादक
पर सबसे अधिक दबाव और प्रभाव मालिक का होता है। मालिक के अखबार के अतिरिक्त भी
अन्य कई कारोबारी हित हो सकते हैं। चूंकि मालिक का मुख्य उद्देश्य व्यवसाय करना
होता है, इसलिए कई मुद्दों पर अक्सर मालिक और संपादक के बीच टकराव की नौबत आ सकती
है।
Owner's pressure- The highest
pressure on the editor is from the newspaper's owner. The owner of the
newspaper may have many other business interests. Since the main objective of
the owner is to do business, so many issues can often be confronted between the
owner and the editor.
2- विज्ञापनदाताओं का दबाव-
समाचार
पत्र और संपादक पर बड़े-बड़े विज्ञापनदाताओं का भी बहुत दबाव होता है। समाचार पत्र
में विज्ञापन देने वाले कारोबारी अपने या अपने उत्पाद व सेवा के खिलाफ आलोचनात्मक
खबर को पसंद नहीं करते हैं। इससे संपादक को काफी दबाव में काम करना पड़ता है।
Advertisers’ pressures- Big advertisers
also have a lot of pressure on the newspaper and the editor. Businessmen who
advertise in the newspaper do not like critical news against themselves or
their products and services. Due to this, editor has to work under great
pressure.
3- समाचार पत्र विक्रेता का दबाव-
समाचार
पत्र विक्रेता भी संपादक पर अपने क्षेत्र के समाचारों को छापने के लिए और यहां तक
कि मनचाहे संवाददाताओं की नियुक्ति के लिए भी दबाव डालते हैं।
Newspaper vendors’ pressure - Newspaper
vendors also put pressure on the editor to print news in their area. They even
put pressure on the appointment of the desired correspondents.
4- आंदोलनकारियों का दबाव-
समाज
में कई प्रकार के आंदोलन हर समय होते रहते हैं और हर आंदोलनकारी या प्रदर्शनकारी
अपने पक्ष की खबर को छपवाने के लिए संपादक पर तरह-तरह से दबाव डालते हैं।
The pressure of the agitators - There are many
kinds of movement in the society at all times, and every agitator or protestor
puts pressure on the editor in different ways to print the news of his side.
5- धार्मिक और सामाजिक नेताओं का दबाव-
विभिन्न
धर्मों और और समाजों के प्रतिष्ठित या स्वयंभू नेता भी दबाव के जरिये संपादक को
प्रभावित करने की कोशिश करते हैं।
Pressure of religious and social leaders - Distinguished or
self-proclaimed leaders of different religions and other societies also try to
influence the editor through pressure.
6- पुलिस और स्थानीय अधिकारियों का दबाव-
छोटे
शहरों में पुलिस और स्थानीय अधिकारी भी संपादक को प्रभाव में लेने की कोशिश करते
हैं ताकि उनके खिलाफ किसी प्रकार की खबर न छपे।
Pressure of the police and local officials - In small towns,
the police and local officials also try to take the editor under influence so
that any kind of news against them could not be published.
दबावों के रूप
Forms
of pressure
संपादक पर दबाव मुख्यतः दो रूपों में डाला जाता है-
The pressure on the editor is
mainly put in two forms-
1- प्रलोभन देकर
इसके
तहत संपादक को धन, पद, सम्मान, शराब, यात्राओं आदि का प्रलोभन दिया जाता है।
By temptation
Under this, the editor is given the temptation of wealth,
rank, honor, liquor, visits etc.
2- धमकी देकर
इसके
तहत विभिन्न प्रकार के परिणाम भुगतने की चेतावनी दी जाती है।
Threatening
Under this, various types of results are warned to
suffer.
संपादक दबावों का सामना कैसे करे
How the editors face pressure
संपादक को दबाव की स्थिति में निम्नलिखित उपाय करने चाहिए-
In the situation of pressure, the editor should
take the following measures-
1-
हर परिस्थिति में विवेक से विचार
करे और फिर निर्णय ले।
In every situation, think prudently and then take a
decision.
2- संतुलन बनाए रखे। सभी पक्षों को समाचार पत्र
में स्थान दे।
Maintain balance. Publish the version of each side in the
newspaper.
3-
यदि किसी समाचार पर प्रतिवाद या
आपत्ति आती हो तो उसे भी प्रकाशित करना चाहिए।
If there is a dispute or objection to a news item, then
it should also be published.
4-
स्वयं को किसी झंझट या विवाद में
नहीं डालना चाहिए।
Do not indulge yourself in any confusion or dispute.
5-
समाज व मानवता के हित तथा मालिक के
हितों के बीच संतुलन व सामंजस्य बनाना चाहिए।
Balance and reconciliation should be made between the
interests of the society and humanity and the interests of the owner.
6-
सभी विषयों (स्थानीय, राष्ट्रीय या
अंतरराष्ट्रीय) की जानकारी रखनी चाहिए। इससे न केवल आत्मविश्वास बढ़ेगा, बल्कि
अज्ञानी समझकर लोग दबाव डालने से भी बचेंगे।
The editor should be aware of all the subjects of local,
national or international level. This will not only boost self confidence, but
also people will not put pressure on the editor to be ignorant.
7-
समाज के अन्य अंगों से स्वयं को
ज्यादा विवेकशील रखना चाहिए।
The editors should keep themselves more discriminative
than other parts of the society.
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