Friday 10 September 2021

कार कंपनी फोर्ड ने भारत से अपना बोरिया बिस्तर क्यों बांध लिया?

कार कंपनी फोर्ड ने भारत से अपना बोरिया बिस्तर क्यों बांध लिया?




10 सितंबर 2021 को एक ऐसी खबर आई है जो सीधे-सीधे करीब 50 हजार लोगों का रोजगार छीनने जा रही है। अमेरिकी की मशहूर कार कंपनी 'फोर्ड' ने भारत से अपना बोरिया बिस्तरा समेटना का ऐलान कर दिया है। कंपनी ने 9 सितंबर 2021 को घोषणा की कि वह अक्तूबर-दिसंबर 2021 के दौरान अपनी गुजरात के सानंद में स्थित फैक्ट्री को बंद कर देगी। कंपनी अपनी चेन्नई में स्थित दूसरी फैक्ट्री को 2022 में अप्रैल-जून के बीच बंद कर देगी।

कंपनी भारत में ये कारें बेचती थी-  इकोस्पोर्ट, फिगो, एंडेवर, फ्रीस्टाइल और एस्पायर। हालांकि कंपनी भारत में आयात की जाने वाली कार 'मस्टैग' को बेचती रहेगी।

इस बड़े फैसले का कारण सिर्फ एक ही है और वह है घाटा। फोर्ड मोटर के प्रेसिडेंट और सीईओ जिम फर्ले ने स्वीकार किया कि उनकी कंपनी भारतीय कार बाजार के बारे में सही अनुमान नहीं लगा सकी। पिछले एक दशक में उसे भारत में कारोबार करते हुए दो अरब डॉलर यानी करीब 15 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। साथ ही 80 करोड़ डॉलर की परिसंपत्तियों में निवेश पर हानि उठानी पड़ी है।

बताते चलें कि फोर्ड तब भारत आई थी जब 1991 में भारत में आर्थिक सुधारों की शुरुआत हुई थी। चौंकाने वाली बात यह है कि फोर्ड कंपनी पांच महीने पहले तक भारत में डीलर नियुक्त कर रही थी।


पांच वर्षों में पांच कंपनियां चली गईं


पिछले पांच वर्षों में फोर्ड पांचवीं बड़ी ऑटो कंपनी है जो भारतीय बाजार से अपनी दुकान समेट रही है। इससे पहले अमेरिका की ही कार निर्माता कंपनी जनरल मोटर्स और बाइक निर्माता कंपनी हार्ले डेविडसन भारत से जा चुकी हैं। हालांकि  हार्ले डेविडसन ने हीरो मोटोकॉर्प के साथ अपनी प्रीमियम बाइक बेचने का समझौता भी कर लिया।  उधर, मैन ट्रक्स और यूएम मोटरसाइकिल्स भी भारत में अपनी उत्पादन इकाइयां बंद कर चुकी हैं। इनके अलावा होंडा कार कंपनी नोएडा में स्थित अपनी उत्पादन इकाई बंद कर चुकी है, हालांकि राजस्थान के तापूकारा में उसने एकीकृत उत्पादन बेस बनाया हुआ है।

फरवरी 2021 में संसद में इस संबंध में प्रश्न भी पूछा गया था। तब यह प्रश्न भी उठा था कि क्या लालफीताशाही और ऊंची टैक्स दरों की वजह से ऐसा हो रहा है तो इस आरोप को सरकार ने सिरे से नकार दिया था।

कुल मिलाकर हमारे घर के पास स्थित बाजार की कोई दुकान हो या फिर फोर्ड जैसे मल्टीनेशनल कंपनी, बिजनेस करना आसान नहीं है। घर के पास बाजार में अक्सर देखने को मिलता है कि फलां दुकान में कुछ दिन पहले तक फ्रिज की दुकान थी, लेकिन फिर वहां साड़ी की दुकान खुल गई। फिर साड़ी की दुकान भी बंद हो गई और इन्वर्टर की दुकान शुरू हो गई।  अब वहां जनरल स्टोर खुला हुआ है।

लोग कहते हैं कि बिजनेस के लिए मौके की जगह होनी चाहिए। अब मौके की जगह का हाल भी देख लीजिये। घर के पास ही मुख्य सड़क पर दो दुकानें आमने-सामने बहुत ही मौके की जगह पर हैं। एक दुकान हलवाई की है और दूसरी कॉस्मैटिक्स की। दोनों ही चीजों की हर समय अच्छी मांग भी रहती है। लेकिन हलवाई को ग्राहकों से होश नहीं है और कॉस्मैटिक्स वाला दुकानदार उंगलियों पर ग्राहक गिन रहा है। दिलचस्प बात यह है कि उस कॉस्मैटिक्स की दुकान के बगल में स्टेशनरी की दुकान खूब चल रही है।


कारण क्या है?


मोदी सरकार के विरोधी फोर्ड के इस फैसले को उसकी कथित खराब नीतियों से जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन अगर तथ्यों को ध्यान मेें रखकर बात की जाए तो हकीकत कुछ और ही है।

1- आर्थिक क्षेत्र के जानकार कहते हैं कि फोर्ड मोटर पिछले 25 वर्षों से भारत में कार्यरत है। इसके बावजूद यह अभी तक भारतीय बाजार में कंसीडरेबल मार्केट शेयर नहीं बना पाई। यह कंपनी शुरुआत से ही कभी भी कार बाजार की पटरी पर चढ़ी नहीं दिखाई दी। इसका वर्तमान मार्केट शेयर 2 परसेंट से नीचे है।

2- इसका प्रमुख कारण यह है कि भारतीय उपभोक्ता फ्यूल एफिशिएंट कारों को अधिक महत्व देते हैं और जापानी इंजन फोर्ड के इंजन से कहीं अधिक फ्यूल एफिशिएंट है, बेहतर माइलेज देते हैं। यही कारण है कि फोर्ड की कारें भारत में ह्युंडई, मारुति, टाटा मोटर्स, महिंद्रा व टोयोटा जैसा स्थान नहीं बना पाईं।
3- आर्थिक मामलों के जानकार कहते हैं कि अर्थव्यवस्था की हालत खराब होने को तब सत्य माना जाता जब हुंडई, मारुति, टाटा मोटर्स, महिंद्रा, टोयोटा जैसी कंपनियों की सेल्स ऑल टाइम लो होती, इन्वेंटरीज अपने चरम पर होती और ये कंपनियां अपना माल बेचने के लिए भारी डिस्काउंट दे रही होतीं। परंतु स्थिति एकदम उल्टी है.। ग्लोबल स्तर पर सेमीकंडक्टर्स की कमी के कारण सप्लाई से कहीं अधिक डिमांड है और कई कंपनी अब अपने विभिन्न मॉडल के दाम तक बढ़ा रही हैं।
4- उल्लेखनीय है कि फोर्ड मोटर्स ने ब्राजील में भी अपना पैसेंजर कार बिज़नेस समेट लिया है। 2018 में ही फोर्ड मोटर्स ने अमेरिका में पैसेंजर कार बिजनेस को छोड़ केवल एसयूवी और पिकअप पर फोकस करने की नीति का ऐलान किया था, यानी फोर्ड मोटर एक नीति के अंतर्गत कम मार्जिन वाले पैसेंजर कार बिजनेस को छोड़कर हाई मार्जिन वाले एसयूवी की तरफ जा रही है। वैसे भारत में फोर्ड मोटर्स ने अपना पूरा धंधा नहीं समेट लिया है, केवल पैसेंजर कार बनाना बंद किया है। अपने प्रोडक्शन यूनिट में वे इंजन व कई अन्य ऑटो कॉम्पोनेन्ट अभी भी बनाते रहेंगे।

5- एक चीज और भी है कि ऑटोमोबाइल सेक्टर इस समय एक बहुत बड़े परिवर्तन के शुरुआती दौर में है। यह वह समय है जब पेट्रोल डीजल वाले इंटरनल कॉम्बस्शन इंजन को छोड़कर यह इंडस्ट्री इलेक्ट्रिक वाहनों की तरफ ट्रांजिशन करती दिखेगी। यह तो समय ही बताएगा कि यह परिवर्तन किस गति से होगा, किंतु होगा तो अवश्य, और इस परिवर्तन में केवल वही कंपनियां बच सकेंगी जो समय रहते स्वयं को नई टेक्नोलॉजी के अनुसार एडेप्ट कर सकेंगी, अन्यथा उनकी परिणति भी नोकिया और कोडेक जैसी हो जाएगी।

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किसी भी कंपनी के बंद होने से या कारों की बिक्री कम होने से रोजगार पर बड़ी चोट लगती है, लेकिन इस मुद्दे पर भी जरूर गौर किया जाना चाहिये.....एक बार पढ़ें...

कारें कम ही बिकनी चाहिए....

https://stotybylavkumar.blogspot.com/2020/02/auto-industry-is-worried-that-car-sales-have-decreased-we-say-cars-should-be-sold-less.html


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