Sunday 13 June 2021

सुरेश रैना ने भी आत्मकथा लिखी...जानें प्रमुख खिलाड़ियों की आत्मकथाओं के नाम

Suresh Raina also wrote autobiography... know the names of biographies of prominent players

भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व दिग्गज बल्लेबाज सुरेश रैना ने भी अपनी आत्मकथा लिख डाली है। 14 जून 2021 को इस किताब को ऑनलाइन लांच किया गया है। इस किताब में उन्होंने अपने क्रिकेट जीवन के सफर से जुड़े तमाम पहलुओं के बारे में विस्तार से बताया है।

सुरेश रैना ने अपनी आत्मकथा का नाम 'बिलीव' रखा है। इसमें उनके गाजियाबाद से कानपुर, लखनऊ होते हुए टीम इंडिया और फिर आईपीएल के सफर के बारे में रोचक ढंग से बताया गया है। इसमें उनके यूपी के स्पोर्ट्स हॉस्टल में रहने के दौरान के पलों को खासतौर से शामिल किया गया है। सुरेश रैना का कहना है इस किताब को पढ़कर युवा खिलाड़ी काफी कुछ सीख सकते हैं और अपने सपनों को सच करने की दिशा में उचित कदम उठा सकते हैं।

सुरेश रैना से पहले कई अन्य खिलाड़ी भी अपनी आत्मकथाएं लिख चुके हैं। कुछ प्रमुख आत्मकथाओं का विवरण इस प्रकार है--

सौरव गांगुली की आत्मकथा- 'ए सेंचुरी इज नॉट इनफ' 

सौरव ने इस किताब को बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष जगमोहन डालमिया को समर्पित किया है और लिखा है कि यदि डालमिया न होते तो सौरव आज इस मुकाम पर न होते। सौरव ने इसमें अपने पहले रूममेट और दिग्गज बल्लेबाज दिलीप वेंगसरकर के  साथ पहली कड़वी मुलाकात के साथ ही यह भी बताया है कि कैसे वेंगसरकर ने उन्हें कप्तान से पूछे बिना ड्रॉप कर दिया था। भारतीय टीम के पूर्व कोच ग्रेग चैपल के साथ विवाद का किस्सा तो इस किताब में है ही, सौरव के कैरियर में बाधा पहुंचाने वालों के बारे में भी खुलकर लिखा गया है। इसमें अजहरुद्दीन की कप्तानी पर भी सवाल हैं तो सचिन से लगाव के बावजूद उनकी कमियां भी बताई गई हैं। राहुल द्रविड़ द्वारा चैपल का साथ देने का जिक्र भी है। सौरव ने इसमें क्षेत्रवाद का भी जिक्र किया है और यह भी बताया है कि कैसे वे धोनी, सहवाग, हरभजन, जहीर जैसे खिलाड़ियों को चयनकर्ताओं से लड़कर टीम में लाए। सौरव ने इसमें यह भी खुलासा किया है कि 2007 के पहले टी-20 विश्व कप में वह खेलना चाहते थे लेकिन राहुल द्रविड़ ने उन्हें और सचिन को न खेलने के लिए मना लिया था।

शाहिद आफरीदी की आत्मकथा - 'गेम चेंजर'

2020 में आई यह किताब भारत में खासतौर से इसलिए चर्चा में आई क्योंकि आफरीदी ने इसमें गौतम गंभीर के बारे में तीखी टिप्पणियां की हैं। उन्होंने गंभीर के बारे में लिखा है कि गंभीर का अपना कोई व्यक्तित्व नहीं है। आफरीदी ने इसमें अपनी उम्र को लेकर भी खुलासा किया। इसमें उन्होंने अपनी जन्मतिथि 1975 बताई है, जबकि आधिकारिक रिकार्ड में यह 1980 है। यानी पांच साल का फर्क।

वीवीएस लक्ष्मण की आत्मकथा- '281 एंड बियांड'

स्टाइलिश बल्लेबाज रहे वीवीएस लक्ष्मण ने इस किताब का शीर्षक ईडन गार्डंस में आस्ट्रेलिया के खिलाफ अपनी 281 रनों की ऐतिहासिक पारी से जोड़कर रखा है। उनकी इस पारी ने उस यादगार श्रृंखला का रुख ही बदल दिया था। यह किताब 2018 में सामने आई थी। खेल पत्रकार आर.कौशिक इसके सह लेखक हैं। लक्ष्मण ने इस किताब में अपने जीवन के उतार-चढ़ावों के अलावा इस बात का भी जिक्र किया है कि कैसे कुछ  खिलाड़ी बहुत प्रतिभावान होते हुए भी अपनी सफलता को संभाल नहीं पाते हैं और उनका खेल करियर बहुत जल्द खत्म हो जाता है।

सचिन तेंदुलकर की आत्मकथा- 'प्लेइंग इट माय वे'

सचिन की आत्मकथा 2014 में प्रकाशति हुई। 2015 में इसका हिंदी संस्करण 'मेरी आत्मकथा' के नाम से बाजार में आया। इस पुस्तक के सह लेखक बोरिया मजूमदार हैं। इस किताब में सचिन के शुरुआती दिनों, उनके 24 साल के अंतरर्राष्ट्रीय करियर और जीवन के बारे में उनके उस दृष्टिकोण को सामने लाया गया है जो जिसे अभी तक लोग नहीं जानते थे। सचिन की यह किताब बहुत चर्चित रही और बेस्ट सेलर भी साबित हुई। इसने भारत में बिक्री के कई रिकार्ड भी तोड़ दिए थे। इस किताब ने लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड्स की कथा और गैर कथा श्रेणी में सबसे ज्यादा बिकने वाली पुस्तक का रिकार्ड बनाया था।

इस किताब में सचिन ने इस बात का भी सनसनीखेज खुलासा किया है कि 2007 के विश्व कप से कुछ माह पहले भारतीय टीम के तत्कालीन कोच ग्रेग चैपल, सचिन के घर आए और सुझाव दिया कि उन्हें राहुल द्रविड़ से कप्तानी संभालनी चाहिए, जो उस समय टीम के कप्तान थे। हालांकि चैपल ने सचिन की इस बात का खंडन किया है। 

इस किताब में कपिल देव पर भी कड़ी और आलोचनात्मक टिप्पणियां की गई हैं। उल्लेखनीय है कि कपिल तब भारतीय टीम के कोच बने थे जब सचिन टीम के कप्तान बने थे और कप्तान के रूप में सफल नहीं रहे थे।

राहुल द्रविड़- 'द नाइस गाय हू फिनिश्ड फर्स्ट'

अपनी टिकाऊ बल्लेबाजी के कारण भारतीय क्रिकेट टीम में 'द वाल' (दीवार) के नाम से जाने गए राहुल द्रविड़ की एक जीवनी 2005 में प्रकाशित हुई जिसका नाम 'द नाइस गाय हू फिनिश्ड फर्स्ट' है। इसे देवेंद्र प्रभुदेसाई ने लिखा है।


अन्य खिलाड़ियों की आत्मकथाएं

  • मेजर ध्यानचंद की आत्मकथा- 'गोल'
  • हॉकी के प्रसिद्ध खिलाड़ी बलबीर सिंह की आत्मकथा- 'गोल्डन हैट्रिक'
  • कपिल देव की आत्मकथा- 'बाई गॉड्स डिक्री'। कपिल ने दो पुस्तकें और लिखीं- 'क्रिकेट माइ स्टाइल' और 'स्ट्रेट फ्राम द हार्ट'
  • रिकी पोंटिंग की आत्मकथा- 'पोंटिंग-एट द क्लोज ऑफ प्ले'
  • शोएब अख्तर की आत्मकथा- 'कंट्रोवर्शियली योर्स'
  • एडम गिलक्रिस्ट की आत्मकथा- 'ट्रू कलर्स'
  • सुनील गावस्कर की आत्मकथा- 'सनीज डेज' (इसके अलावा उन्होंने तीन आत्मकथात्मक पुस्तकें और लिखी हैं। ये हैं- 'आइडल', 'रन एंड रुइंस' और 'वन डे वंडर्स'। 
  • प्रसिद्ध हॉकी खिलाड़ी डेविड बेकहम की आत्मकथा- 'माई साइड'
  • पीटी उषा की आत्मकथा- 'गोल्डन गर्ल'
  • विश्वनाथन आनंद की पुस्तक- 'माई बेस्ट गेम आफ चेस'
  • डॉन ब्रेडमैन की आत्मकथा- 'फेयरवेल टु क्रिकेट'
  • टाइगर वुड्स की पुस्तक- 'हाउ आई प्ले गोल्फ'
  • पेले की आत्मकथा- 'पेले'
  • टेनिस खिलाड़ी मारिया शारापोवा की आत्मकथा- 'अनस्टॉपेबल- माई लाइफ सो फार'
- लव कुमार सिंह

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