Wednesday 9 June 2021

हे पत्रकार बंधु! फोटो ऐसा छापिए, जिसमें कुछ नजर तो आए

Hey journalist Bro! Print the photo in such a way that something can be seen


पश्चिमी यूपी के आसमान से अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन गुजरा। 8 जून 2021 के अखबार में फोटो समेत खबर छपी। जाहिर है इस खबर में फोटो का महत्व सबसे ज्यादा था। लेकिन खबर के साथ लगे फोटो को दाएं से देखा, बाएं से देखा, दूर से देखा, करीब से देखा, लेकिन सिवाय नीले स्क्रीन के कुछ नजर नहीं आया। हम अंतरिक्ष स्टेशन नहीं देख पाए। केवल खबर पढ़कर ही संतोष करना पड़ा।

अखबार की दुनिया में दसियों साल इस निर्देश को सीनियरों से सुने और फिर उसे जूनियरों को सुनाते हुए हो गए कि भाई अखबारों के कागज की क्वालिटी बहुत अच्छी नहीं होती है। इसीलिए कोहरे का फोटो हो, धुंध का फोटो हो या आकाश/अंतरिक्ष का फोटो हो तो सोच-समझकर ही अखबार में छापना चाहिए। कंप्यूटर स्क्रीन पर ऐसे फोटो काफी साफ दिखाई देते हैं, लेकिन अखबारी कागज पर उतरते ही फोटो में मौजूद चीजें पाठक को अपना चेहरा दिखाने से मना कर देती हैं। इस पोस्ट को आप कंप्यूटर या मोबाइल स्क्रीन पर पढ़ेंगे तो आपको चित्र के बीच में हल्का सी कोई आकृति दिखाई देगी, लेकिन अखबार में ये भी नहीं दिखाई दे रही है। इसीलिए ऐसे फोटो या तो बड़े आकार में लगाइए, या फिर मत लगाइए। 

लेकिन हालात जस के तस हैं। फोटो का महत्व सब जानते हैं, लेकिन अखबारों में अक्सर पत्रकार बंधु फोटो को हल्के में लेते हैं और बस फिलर की तरह उनका इस्तेमाल करते हैं। ऐसे में सीनियरों से मिले और फिर जूनियरों को दिए कुछ पुराने निर्देश याद दिला रहा हूं। फायदा उठाना है उठा लीजिए। बाकी आपकी मर्जी।

डेस्क के पत्रकार साथियों/फोटोग्राफरों के ध्यानार्थ


फोटो का चयन करते और फोटो लगाते वक्त किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?



समाचार पत्र में फोटो लगाते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए-
  • कोई भी फोटो निरर्थक नहीं होना चाहिए अर्थात समाचार पत्र में फोटो केवल स्थान घेरने के लिए नहीं लगाना चाहिए बल्कि उस फोटो का कोई अर्थ होना चाहिए। फोटो किसी उद्देश्य (रंग-रूप निखार, पठनीयता, पाठक से जुड़ाव आदि) की पूर्ति के लिए लगाया जाना चाहिए।
  • ऐसे फोटो का चयन करना चाहिए जो ऐसी सूचना प्रेषित करे जो पाठक को खबर में नहीं मिल पाती है
  • अगर एक ही घटना के कई फोटो लगाए जा रहे हैं तो प्रत्येक फोटो में कोई अलग बात होनी चाहिए। एक ही फोटो को अलग-अलग कोण से छापना केवल समाचार पत्र के कीमती स्थान की बर्बादी करना होगा
  • छोटे-छोटे ऐसे फोटो नहीं लगाने चाहिए जिनमें बड़ी संख्या में लोग मौजूद हों। इससे पाठक फोटो में कुछ भी नहीं देख पाता है। जीवंत और ज्यादा लोगों की मौजदूगी वाले फोटो को बड़े आकार में लगाना चाहिए
  • समाचार पत्र के फोटोग्राफ में यह जरूरी है कि फोटो में मौजूद लोग कैमरे की तरफ नहीं देख रहे हों। फोटो में मौजूद लोग कैमरे की तरफ देखने के बजाय अपने काम में मगन होने चाहिए। कुल मिलाकर फोटो में जीवन अपनी सामान्य गति में दिखाई देना चाहिए। उसमें बनावट नहीं लगनी चाहिए।
  • फोटो में मौजूद लोग वास्तविक भी लगने चाहिए। उदाहरण के लिए फोटोग्राफर यह दिखाना चाहता है कि किसी समस्या को लेकर लोगों में रोष है और उन्होंने कलक्ट्रेट या किसी प्रशासनिक भवन के सामने प्रदर्शन किया है। ऐसे में फोटो में मौजूद लोगों के चेहरे पर रोष दिखना चाहिए। ऐसा न हो कि उन्होंने नारे लगाने के लिए हाथ तो खड़े कर रखे हैं, लेकिन उनके चेहरे पर मुस्कान दिखाई दे रही है। 
  • समाचार पत्रों में बेवजह अधिकारियों के फोटो देने से भी परहेज किया जाता है। उदाहरण के तौर पर किसी पुरस्कार समारोह में मुख्य अतिथि का एक फोटो देकर बाकी फोटो उन व्यक्तियों के दिए जाते हैं जिन्हें वह पुरस्कार मिला होता है। इसी तरह पुलिस अधिकारियों के फोटो उसी स्थिति में दिए जाते हैं जब पुलिस ने किसी बड़े अपराध का खुलासा किया होता है।
  • समाचार पत्र के लिए वीभत्स फोटो का चुनाव करने से भी बचना चाहिए, क्योंकि समाचार पत्र सुबह-सुबह लोगों के हाथों में पहुंचता है और सुबह-सुबह ऐसे वीभत्स फोटो देखकर पाठक का मन खराब हो जाता है।
  • ज्यादातर समाचार पत्रों के कागज की गुणवत्ता बहुत उत्तम नहीं होती है। ऐसे में उन्हीं फोटो का चुनाव करना चाहिए जिनमें व्यक्ति या वस्तुएं क्लोज अप शॉट में हों। ऐसे फोटो अखबारी कागज पर ठीक से उभरते हैं। लॉन्ग शॉट वाले फोटो अखबार कागज पर छपकर पहले से भी ज्यादा धूमिल लगने लगते हैं
  • यदि किसी व्यक्ति की पहचान को खबर में छुपाया जा रहा है तो उसकी पहचान फोटो में भी छिपानी जरूरी है। इसके लिए या तो फोटो छापना ही नहीं चाहिए और यदि छापना जरूरी है तो उसके चेहरे को धुंधला (ब्लर) करके छापना चाहिए।
  • अखबार में किसी भी फोटो के आकार को न तो ज्यादा घटाना (रिड्यूस) चाहिए और न ही ज्यादा बढ़ाना (एक्सपेंड) चाहिए। इससे उसकी गुणवत्ता प्रभावित होती है। समाचार पत्रों में फोटो को प्रायः 5 प्रतिशत तक रिड्यूस या एक्सपेंड करने की अनुमति दी जाती है। इससे ज्यादा नहीं।
  • फोटो का चयन करने के बाद फोटो को पेज पर लगाते वक्त भी खास सावधानी की जरूरत होती है। सबसे जरूरी सावधानी तो यह रखनी चाहिए कि फोटो समाचार पत्र के मुड़ने के स्थान (समाचार पत्र के आधे हिस्से पर पड़ने वाली लाइन) पर नहीं लगना चाहिए। यदि वहां पर लगाने की मजबूरी हो तो भी फोटो का आधा से ज्यादा हिस्सा समाचार पत्र के ऊपरी फोल्ड पर होना चाहिए।
  • समाचार पत्र के किसी पेज पर फोटो लगाते समय संतुलन का भी उसी प्रकार से ध्यान रखना होता है जिस प्रकार खबर लगाते समय किया जाता है। ऐसा नहीं होना चाहिए कि किसी पेज पर सारे फोटो पेज के किसी एक ही हिस्से (ऊपर, नीचे, बाएं या दाएं) में लग जाएं। ऐसा होने पर पेज का संतुलन बिगड़ जाता है। यदि किसी पेज पर दो बड़े फोटो हैं तो एक फोटो ऊपरी हिस्से में और दूसरा निचले हिस्से में होना चाहिए। इसी के साथ दोनों फोटो ऊपर नीचे एक ही सीध में नहीं होने चाहिए। यदि ऊपरी हिस्से का फोटो बाएं तरफ लगा है तो नीचे के हिस्से वाला फोटो दाएं तरफ लगाना चाहिए।
  • अमूमन अखबारों में पेज के निचले दाएं हिस्से में विज्ञापन लगे होते हैं। ये विज्ञापन भी एक प्रकार से फोटो का ही काम करते हैं। यदि विज्ञापन निचले दाएं हिस्से में लगा है तो पेज का प्रमुख फोटो समाचार पत्र के ऊपरी हिस्से पर बाएं तरफ लगना चाहिए।

- लव कुमार सिंह




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