Tuesday 15 June 2021

सोने के कारोबार में हॉलमार्किंग क्या होती है और यह क्यों चर्चा में है?

What is hallmarking in gold business and why is it discussed?

सोने के कारोबार में हॉलमार्किंग क्या होती है और यह क्यों चर्चा में है?



केंद्र सरकार ने 15 जून 2021 से सोने के जेवरों और कलाकृतियों पर हॉलमार्किंग को अनिवार्य कर दिया है। हालांकि इसके तहत सालाना 40 लाख से कम के आभूषणों की बिक्री करने वालो को अनिवार्य हॉलमार्किंग के दायरे से बाहर रखा गया है। 

हॉलमार्क सोने की शुद्धता का पैमाना होता है। इसके तहत सोने की हर ज्वैलरी पर भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस- ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड) अपने निशान यानी मार्क के जरिये शुद्धता की गारंटी देता है। हॉलमार्क अनिवार्य होने के बाद अब देश में केवल 14, 18 और 22 कैरेट के प्रमाणित स्वर्ण आभूषणों की बिक्री की अनुमति होगी।

हॉलमार्क प्रणाली का फायदा 

सरकार के इस कदम से ज्वैलरी में मिलावट करने वाले हतोत्साहित होंगे। विक्रेता सोने की शुद्धता बनाए रखने के लिए बाध्य होंगे। हॉलमार्क का चिह्न सोने की शुद्धता की गारंटी होगा और ज्यादा कैरेट बताकर कम कैरेट का सोना नहीं बेचा जा सकेगा। रीसेलिंग के दौरान सही दाम तय करने में हॉलमार्क मददगार होगा।

पहचान कैसे होगी?

अब सवाल है कि  क्या एक आम नागरिक हॉलमार्क ज्वैलरी की पहचान कर सकता है? उत्तर है- हां। आम नागरिक हॉलमार्क ज्वैलरी की पहचान निम्न प्रकार से कर सकता है। 

49 ज्वैल्स डॉट कॉम से साभार

पहली पहचान

ज्वैलरी पर मानक ब्यूरो का लोगो होगा, जैसा कि इस पोस्ट में लगे चित्र में दिया गया है। यह लोगो मानक ब्यूरो का तिकोना निशान होता है जो सोने के कैरेट की शुद्धता के निशान के बगल में होता है। ज्वैलरी पर निर्माण का वर्ष और उत्पादक का लोगो भी होता है।

दूसरी पहचान

हर आभूषण में कैरेट का जिक्र होगा। यदि ज्वैलरी पर 916 लिखा है तो इसका मतलब होगा कि यह आभूषण 22 कैरेट के सोने से बना है। 22 कैरेट कासोना 91.6 फीसदी शुद्धता का होता है।

यदि आभूषण पर 750 लिखा है तो इसका अर्थ है कि वह 18 कैरेट सोने का है यानी 75 फीसदी शुद्ध है।

यदि गहने पर 585 लिखा है तो इसका अर्थ है कि वह आभूषण 14 कैरेट गोल्ड का है यानी 58.5 फीसदी शुद्धता वाला है।

तीसरी पहचान

प्रत्येक आभूषण पर एक दिखाई देने वाला पहचान चिह्न (आइडेंटिफिकेशन मार्क) होगा जो हॉलमार्क सेंटर का नंबर होगा।

चौथी पहचान

हर आभूषण पर एक दिखाई देने वाला पहचान चिह्न (आइडेंटिफिकेशन मार्क) होगा जो ज्वैलर का कोड होगा। इससे यह पता चलेगा कि वह आभूषण किस ज्वैलर के यहां बना है।

- लव कुमार सिंह


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