Thursday 4 June 2020

भारत में भी आपातकाल लागू होना चाहिए पर वो वाला नहीं जो इंदिरा गांधी ने लगाया था

Emergency should be imposed in India too but not the one which Indira Gandhi imposed


  • ब्रिटेन की जनता ने आंदोलन करके जलवायु आपातकाल लागू करवाया
  • जलवायु आपातकाल लागू करने वाला ब्रिटेन दुनिया का पहला देश बना
  • उसके बाद आयरलैंड ने भी अपने यहां जलवायु आपातकाल घोषित किया





आपातकाल (Emergency) वही नहीं होता, जो इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) ने भारत में 1975 में लगाया था। अब ऐसे आपातकाल भी सामने आ रहे हैं जिनकी मांग खुद जनता कर रही है। जी हां, पिछले वर्ष यानी 2019 में ब्रिटेन के लोग पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन को लेकर इस कदर आंदोलित हुए कि उन्होंने देश में जलवायु आपातकाल (Climate Emergency) लगाने की मांग कर डाली। दो हफ्ते तक चले विरोध प्रदर्शन के बाद जलवायु आपातकाल का प्रस्ताव विपक्ष की ओर से पेश किया गया। सरकार ने बात मान ली और 3 मई 2019 को ब्रिटेन जलवायु आपातकाल लगाने वाला दुनिया का पहला देश बन गया। (First country who declared Climate Emergency) इसके बाद नौ मई को आयरलैंड (Ireland) ने भी अपने यहां जलवायु आपातकाल लागू कर दिया।

आज भारत भले ही शौचालय, बिजली, पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं के बीच उलझा हुआ है लेकिन दुनिया में कुछ दूसरी ही चिंता चल रही है। पूरी दुनिया पृथ्वी के लगातार गर्म होने से चिंतित है। गर्मियां लंबी हो रही हैं जबकि सर्दियों का मौसम छोटा हो रहा है। प्राकृतिक आपदाएं बढ़ रही हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ कह रहा है कि जलवायु में बदलाव से होने वाली तबाही से बचने के लिए हमारे पास अब 10-12 साल का ही समय बचा है। यदि इस समय में हमने कुछ नहीं किया तो फिर तबाही को कोई नहीं रोक सकता।

इन्हीं चिंताओं ने ब्रिटेन के लोगों को इतना परेशान किया कि उन्होंने करीब दो हफ्ते तक देश को लगभग ठप ही कर दिया। इस पर सरकार को झुकना पड़ा और देश में जलवायु आपातकाल लागू करना पड़ा। हालांकि कई शहरों में तो आंदोलन के दौरान ही जलवायु आपात स्थिति घोषित कर दी गई थी।

जलवायु आपातकाल के तहत ब्रिटेन के लोगों ने निश्चय किया है कि वे 2030 तक कार्बन न्यूट्रल होने की कोशिश करेंगे। इसके तहत उतना ही कार्बन उत्सर्जन किया जाएगा जितना प्राकृतिक रूप से समायोजित हो सके। इसके लिए सरकार तो अनेक उपाय करेगी ही, लोगों ने व्यक्तिगत स्तर पर भी इसमें योगदान देने की घोषणा की है।

इसमें हम भारत वालों के लिए क्या है? अभी भले ही हम दूसरे मुद्दों में उलझे हों, आफत हमारे यहां भी आनी तय है। इसलिए जब तक सरकार जागे, तब तक व्यक्तिगत स्तर पर आप और हम निम्नलिखित उपाय कर सकते हैं-
  • ज्यादातर स्थानों पर पैदल, साइकिल या सार्वजनिक वाहनों से चलने की कोशिश करें।
  • कार क्लब बनाएं और कम संख्या में कारों का अधिक से अधिक लोगों द्वारा प्रयोग करें।
  • घरों में एलईडी बल्ब का प्रयोग करें।
  • उच्च क्षमता वाले ऐसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का इस्तेमाल करें जिनसे बिजली की खपत कम हो।
  • घर में बिजली का अनावश्यक उपयोग रोकें।
  • थर्मोसेट को 19 डिग्री से ऊपर न रख जाए।
  • मांसाहार के बजाय शाकाहार को अपनाएं।
  • ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने की कोशिश करें।
  • घरों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग स्थापित कराएं।
  • बिजली के लिए घरों में सोलर प्लांट लगवाएं।
  • खेतों में आग न लगाएं।
  • कूड़ा न जलाएं

ग्रेटा थनबर्ग जो यह मुद्दा उठाने के कारण नोबल पुरस्कार की दावेदार बन गई

Greta Thunberg who became a Nobel Prize contender due to this issue 



ये है स्वीडन की 16 वर्षीय लड़की ग्रेटा थनबर्ग जो पर्यावरण संरक्षण को लेकर चलाए जा रहे अपने अभियान के कारण पूरी दुनिया  प्रसिद्ध हो गई है। ब्रिटेन और आयरलैंड में जो जलवायु आपातकाल घोषित हुआ है, उसके पीछे भी ग्रेट थनबर्ग के आंदोलन का हाथ है। नार्वे के तीन सांसदों ने इस लड़की को नोबेल पुरस्कार के लिए नामित किया। ग्रेटा थनबर्ग ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी भारत में ग्रीन हाउस उत्सर्जन में कमी लाने के उपाय करने का आग्रह किया है।

- लव कुमार सिंह

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