There is a difference of opinion among the doctors regarding the habit of Bruxism (grit the teeth) in children
- ऐसे में यदि बच्चा दांत किटकिटाए तो क्या करना चाहिए
- In this situation, what to do if the baby has a problem of bruxism?
कुछ बच्चों में यह आदत देखी जाती है कि वे सोते समय अपने दांत किटकिटाते हैं। मेडिकल की भाषा में दांत किटकिटाने को ब्रक्सिज्म (bruxism) कहा जाता है। कई बार तो यह दांत किटकिटाना इतना जोर से होता है कि आसपास सोने वालों की नींद भी खुल जाती है। कुछ विशेषज्ञ और आम लोग भी कहते हैं कि यदि कोई बच्चा रात में अपने दांत किटकिटाता है तो जरूर उसके पेट में कीड़े होंगे। लेकिन कुछ अन्य विशेषज्ञों का कहना है कि सोते समय दांत पीसना एक नुकसान रहित आदत है और पेट में कीड़ों का इससे कोई संबंध नहीं है।
मेरठ के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. उमंग अरोड़ा का
कहना है कि दांत किटकिटाने को पेट में कीड़ों की उपस्थिति से जोड़कर देखना सही
नहीं है। डॉ. अरोड़ा का कहना है कि दिन की गतिविधियां रात के समय बच्चे की नींद में
घूमती रहती हैं। दिन में अगर बच्चों की बातों को ध्यानपूर्वक सुना जाए, उन्हें
समझने का प्रयास किया जाए और उनकी समस्या का समाधान किया जाए तो बच्चों में तनाव
उत्पन्न नहीं होता और उनकी दांत किटकिटाने की आदत जाती रहती है। डॉ. उमंग अरोड़ा
के अनुसार शोध के दौरान यह सामने आया है कि दांत किटकिटाना कोई बीमारी न होकर एक
प्राकृतिक तरीका है जिससे हमारा शरीर जबड़े में दांतों को पीसता है। इसके जरिये दांतों
को अपनी जगह में बिठाने का प्रयास होता है।
लेकिन डॉ अनूप मोहता ऐसा नहीं मानते। हरिभूमि डॉट
कॉम पर सवालों के जवाब देते हुए डॉ. मोहता स्पष्ट कहते हैं कि दांत पीसने का
सीधा कारण पेट में कीड़े होना ही होता है। इसके लिए बच्चों को 6 महीने के अंतराल
पर डी वार्मिंग (कीड़े की दवा) की दवा देते रहना चाहिए।
कुछ अन्य विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चे
पारिवारिक तनाव, स्कूल की किसी समस्या, अधिक काम के बोझ, दोस्तों से सही तालमेल
नहीं होने आदि को लेकर तनाव में हो सकते हैं। बच्चों का यह तनाव दांत किटकिटाने का
प्रमुख कारण बनता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि बच्चे दिन में अपना गुस्सा पी
जाते हैं और रात में यह तनाव उनके दांत किटकिटाने का कारण बनता है। ये बातें डॉ
उमंग अरोड़ा के तनाव वाले कारण जैसी ही हैं।
दांतों में किसी प्रकार का कोई छिद्र होना, दांतों की बनावट ठीक नहीं होना, दांतों में फिलिंग सही न होने के कारण न केवल बच्चों बल्कि बड़ों में भी दांत किटकिटाने की आदत पनप सकती है। ये बातें डॉ उमंग अरोड़ा की उस बात से मेल खाती हैं कि हमारा शरीर दांतों को अपनी जगह बिठाने के प्रयास में जबड़े में दांतों को पीसता है।
क्या किया जाए?
दांत पीसने के कारणों में विरोधाभास होते हुए भी
कुछ बातें हमें पता चलती हैं-
- यह बच्चों में तनाव के कारण हो सकता है
- यह बच्चों के पेट में कीड़ों के कारण हो सकता है
- यह दांतों की बनावट में किसी दोष के कारण हो सकता है
अच्छा यही है कि हमें किसी उलझन में पड़ने के बजाय इन तीनों बातों पर ही
ध्यान देना चाहिए। जैसा कि डॉ उमंग अरोड़ा ने कहा कि बच्चों में तनाव इसका कारण हो
सकता है, इसलिए हमें सबसे पहले बच्चों का तनाव दूर करने का प्रयास करना चाहिए। उनकी
बात ध्यान से सुननी चाहिए। उन्हें कोई समस्या है तो उसका हल ढूंढना चाहिए। घर में
उन्हें हंसी-खुशी का माहौल देना चाहिए। यह भी ध्यान
रखना चाहिए कि बच्चे सोने से पहले टीवी पर हिंसात्मक कार्यक्रम न देखें। बच्चा डरा
हुआ भी हो सकता है। यदि वह अकेला सोता है तो वह डर महसूस कर सकता है। इसलिए बच्चे
को अच्छी तरह से आश्वस्त करके सुलाएं। अगर दांत किटकिटाने की समस्या ज्यादा गंभीर
है तो कुछ डॉक्टर रबर गार्ड लगाने की भी सलाह देते हैं ताकि दांतों को कोई क्षति न
पहुंचे।
भले ही दांत किटकिटाने का कारण पेट में कीड़ों का
संकेत ना हो, तब भी हर छह महीने में बच्चों को पेट के कीड़ने मारने की दवाई देने
की सलाह तो सभी डॉक्टर देते ही हैं। इसलिए छह महीने पर यह दवा बच्चों को जरूर दे
देनी चाहिए। इससे पेट के कीड़े भी मर जाएंगे और यह आशंका भी नहीं रहेगी कि पेड़
में कीड़े के कारण बच्चा दांत किटकिटा रहा है।
तीसरे कारण के रूप में बच्चे की दांतों की बनावट
में कोई दोष हो सकता है, इसलिए यदि बच्चा दांत किटकिटाता है तो इस पक्ष पर भी
ध्यान देना चाहिए। यदि दांतों की बनावट में कोई दोष है तो दांतों के डॉक्टर से
संपर्क करना चाहिए और यदि ऐसा कुछ नहीं है तो बेकार में परेशान नहीं होना चाहिए।
इस प्रकार तीनों ही उपाय करके और ज्यादा परेशान न
होकर हम बच्चे की इस आदत से खुद को परेशान होने से बचा सकते हैं। बच्चे में तनाव
को दूर करने का काम हमें गंभीरता और प्राथमिकता से करना चाहिए क्योंकि यदि बच्चा
तनाव में रहेगा तो उसके लिए न केवल दांत किटकिटाना बल्कि और भी कई स्वास्थ्य
समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
- लव कुमार सिंह
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