Saturday 13 June 2020

क्या चंद्रशेखर ने असाध्य बीमारी होने के बावजूद रक्तदान किया और दूसरों की जिंदगी मुश्किल में डाली?


Did Chandrashekhar donate blood despite the incurable disease and made the lives of others difficult?



भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर उर्फ 'रावण' के स्वास्थ्य के संबंध में पता चला है कि उन्हें पॉलिसाइथीमिया नाम की बीमारी है। यह रक्त विकार की एक गंभीर बीमारी है और इस बीमारी के इंटरनेट पर दर्ज ब्योरे के अनुसार इस बीमारी के मरीज को यदि इलाज न मिले तो वह ज्यादा वर्षों तक जिंदा नहीं रह पाता है।


चंद्रशेखर की इस बीमारी का पता तब चला जब कुछ समय पहले अदालत में जमानत प्राप्त करने के लिए चंद्रशेखर के डॉक्टर हरजीत सिंह भट्टी द्वारा अदालत को इस बीमारी की जानकारी दी गई थी। यह बीमारी इसलिए भी चर्चा में आई क्योंकि पिछले दिनों एम्स में रक्तदान अभियान के दौरान चंद्रशेखर द्वारा रक्तदान करने का फोटो मीडिया में छपा। ये फोटो देखकर ऑल इंडिया दलित यूथ एसोसिएशन की सदस्य और एक्टिविस्ट प्रेरणा थिरुवाईपट्टी ने स्वास्थ्य मंत्रालय और एम्म दिल्ली को पत्रकर लिखकर यह दावा किया कि चंद्रशेखर ऐसी बीमारी से पीड़ित हैं जिसमें व्यक्ति रक्तदान नहीं कर सकता। प्रेरणा ने चंद्रशेखर द्वारा किए गए रक्तदान की जांच कराने की मांग भी की थी। 


मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस पर एम्स दिल्ली ने प्रेरणा को जानकारी दी कि चंद्रशेखर आजाद ने रक्तदान के समय किसी बीमारी की जानकारी नहीं दी थी। न ही चंद्रशेखर के डॉक्टर हरजीत भट्टी ने इस बीमारी के बारे में कुछ बताया। उस दौरान चंद्रशेखर ने यह भी बताया था कि उन्होंने एम्स में रक्तदान से पूर्व छह महीने पहले भी रक्तदान किया था। एम्स के डॉक्टर ने यह भी जानकारी दी कि जब उन्हें सोशल मीडिया से चंद्रशेखर की बीमारी के बारे में पता चला तो चंद्रशेखर के रक्त को अमान्य कर दिया गया। अब वह खून किसी को भी नहीं चढ़ाया जाएगा।


अब पॉलिसाइथीमिया नाम की बीमारी की बात करते हैं। इंटरनेट पर उपलब्ध ब्योरे के अनुसार यह एक ऐसी बीमारी है जिसमें बोन मैरो बहुत ज्यादा लाल रक्त कणिकाएं (आरबीसी) बनाता है। ज्यादा मात्रा में बनीं ये आरबीसी रक्त को गाढ़ा कर देती हैं, इसके बहाव को धीमा कर देती हैं, जिससे रक्त का थक्का जमने जैसी गंभीर समस्याएं पैदा होती हैं।


इस बीमारी में व्यक्ति को सिरदर्द, सुस्ती और कमजोरी महसूस होती है। उसे सांस लेने में दिक्कत होती है। इसके अलावा रोगी को अपने पेट का बायां हिस्सा स्पलीन के बढ़ने से पूरी तरह भरा हुआ महसूस होता है। साथ में व्यक्ति की आंखों से देखने की शक्ति भी बुरी तरह प्रभावित होती है।


ई-मेडिसिन डॉट मेडस्केप डॉट कॉम के अनुसार इस बीमारी के मरीज को यदि बिल्कुल इलाज न मिले तो डेढ़ से तीन वर्ष के अंदर उसकी मौत हो सकती है। इलाज के जरिये उसे 14-15 वर्ष तक स्वस्थ रखा जा सकता है और यदि रोगी 60 वर्ष से कम का है तो उसे 24-25 वर्ष तक इलाज के जरिये स्वस्थ रखा जा सकता है। अभी इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है। रोगी को दिया जाना वाला उपचार उसकी मुश्किलों को कम करने का प्रयास करता है। इलाज से बीमारी से होने वाली दुश्वारियों में कुछ कमी आती है।


यह बीमारी एक प्रकार का ब्लड कैंसर है और बहुत धीरे-धीरे बढ़ता है। वर्षों तक व्यक्ति इस बीमारी से अनजान रह सकता है। यह एक दुर्लभ बीमारी भी है यानी बहुत कम देखने को मिलती है।  


लेकिन यहां एक लोचा डॉक्टर हरजीत भट्टी भी हैं। डा. भट्टी कांग्रेस के अखिल भारतीय चिकित्सा सेल के राष्ट्रीय संयोजक हैं। वे भीम आर्मी के भी नजदीक हैं। पिछले दिनों वे अपने ट्वीट को लेकर काफी विवादों में रहे थे। कई वेबसाइट और पत्रकारों ने उन्हें कोरोना संकट के दौरान अव्यवस्थाएं दिखाने के लिए एम्स का प्रतिनिधि बनाकर पेश कर दिया था। जेएनयू हिंसा में भी उनका बयान विवादास्पद रहा था। ऐसे में यह भी हो सकता है कि डॉक्टर साहब, चंद्रशेखर रावण को जमानत दिलाने के लिए इस प्रकार की दुर्लभ बीमारी सामने ले आए हों। यह भी हो सकता है कि वास्तव में चंद्रशेखर इस बीमारी से पीड़ित हों। अगर ऐसा है तो यह गंभीर बात है क्योंकि यह बीमारी बहुत गंभीर है। लेकिन अगर ऐसा है तो चंद्रशेखर ने रक्तदान करके दूसरों की जिंदगी जोखिम मे क्यों डाली? उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था।


- लव कुमार सिंह


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