Which medicines are included in Patanjali's 'Coronil' which cures the patients of Corona?
पतंजलि ने कोरोना के इलाज की दवा 'कोरोनिल' के नाम से लांच करके तहलका मचा दिया है। पतंजलि ने यह दवा नेशनल इंस्टीट्यू ऑफ मेडिकल साइंस, जयपुर के साथ मिलकर बनाई है। मंगलवार 23 जून 2020 को बाबा रामदेव ने आचार्य बालकृष्ण और अन्य पदाधिकारियों के साथ मिलकर इस दवा को लांच किया। हालांकि लांच होते ही इस दवा को लेकर विवाद खड़ा हो गया। काफी दावों-प्रतिदावों के बाद आखिर आयुष मंत्रालय ने इस दवा की बिक्री की मंजूरी दे दी। हालांकि अब यह कोरोना वायरस की दवा के रूप में नहीं बिकेगी बल्कि इम्युनिटी बूस्टर के रूप में बिकेगी। दवा की बिक्री की मंजूरी के बाद 5 जून 2020 से यह दवा पतंजलि के स्टोरों पर उपलब्ध होने लगी थी।
आइए जानते हैं कि पतंजलि की दवा कोरोनिल में किन-किन तत्वों का प्रयोग किया गया है और ये तत्व क्या काम करते हैं।
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पतंजलि की कोरोनिल दवा में निम्नलिखित तत्व शामिल हैं-
- गिलोय
- अश्वगंधा
- तुलसी
- अणु तेल
- श्वासारि
क्या काम करती हैं ये आयुर्वेदिक दवाइयां
- अश्वगंधा- इसमें फाइटोकेमिकल और विथेनान नामक तत्व होते हैं जो वायरस को मानव कोशिकाओं में जाने से रोकते हैं। पतंजलि के आचार्य बालकृष्ण के अनुसार अश्वगंधा कोविड-19 के रिसेप्टर-बाइंडिंग डोमेन (आरबीडी) को शरीर के एंजियोटेंसिन कन्वर्टिंग एंजाइम (एसीई) से मिलने नहीं देती है। यानी कोरोना स्वस्थ मानव कोशिकाओं में घुस ही नहीं पाता है।
- गिलोय- इसमें टिनोकार्डिसाइड नामक तत्व होता है जो एंटीवायरल की तरह काम करता है। आयुर्वेद में गिलोय बुखार की भी रामबाण दवा है। गिलोय कोरोना के संक्रमण को रोकता है।
- तुलसी- इसमें भी एंटीवायरल के गुण होते हैं जिससे वायरस का संक्रमण कम करने में मदद मिलती है। तुलसी कोविड-19 के आरएनए पर हमला करती है और उसे मल्टीप्लाई होने से रोकती है।
- अणु तेल- यह आयुर्वेदिक तेल है जो सिरदर्द, एलर्जी, साइनस दर्द और नाक की श्लेष्मा झिल्ली की सूजन से छुटकारा दिलाता है। यह सिर, नाक, गर्दन, मस्तिष्क, आंखों, चेहरे और कान की बीमारी को रोकने में सक्षम है।
- श्वासारि बटी- अनेक जड़ी-बूटियों को मिलाकर बनाई गई श्वासरि की बटी या रस से फेफड़ों की सूजन और कफ को खत्म करने में मदद मिलती है।
कोरोनिल की लांचिंग के अवसर पर बाबा रामदेव ने बताया कि 280 मरीजों पर दवा के ट्रायल के दौरान 69 प्रतिशत रोगी 3 दिन में पॉजिटिव से नेगेटिव हो गए। सात दिन में सौ फीसदी मरीज ठीक हो गए। उन्होंने कहा कि इस दवा के ट्रायल के लिए तमाम नेशनल एजेंसियों से एप्रूवल लिए गए। उन्होंने बताया कि सात दिन में यह दवा पतंजलि के स्टोरों पर उपलब्ध हो जाएगी। दवा की डिलीवरी के लिए एक एप भी लांच किया जाएगा जिसके बाद आर्डर करने पर यह दवा तीन दिन में घर पर पहुंचा दी जाएगी।
मेरठ भी बना पतंजलि के ट्रायल का स्थल
कोरोनिल के लांच होने से तीन-चार दिन पहले आपको इस लेखक ने बताया था कि पतंजलि ने इस आयुर्वेदिक दवा का दावा यूं ही नहीं कर दिया था बल्कि उसने कोरोना से संक्रमित मरीजों पर क्लीनिकल केस स्टडी की है। उत्तर प्रदेश के मेरठ स्थित लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज में कोरोना के एल-3 स्तर के मरीजों का इलाज हो रहा है। ये कम गंभीर मरीज होते हैं। एल-1 स्तर के मरीजों को मेरठ में ही खरखौदा के पास स्थित मुलायम सिंह यादव मेडिकल कॉलेज में रखा गया है। ये वे मरीज होते हैं जो कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं लेकिन उनमें या तो अभी कोरोना के कोई लक्षण नहीं हैं या बहुत हल्के लक्षण हैं। पतंजलि ने इसी एल-3 स्तर के छह मरीजों पर क्लीनिकल केस स्टडी की।
मेरठ के सीएमओ डॉ. राजकुमार ने जानकारी दी है कि एल-1 केंद्रों (जहां कोरोना के बिना लक्षण वाले या हल्के लक्षण वाले मरीज रखे जाते हैं) पर मरीजों की सहमति से आयुर्वेदिक दवाइयां या काढ़ा दिया जा सकता है। इसके लिए अनुमति की जरूरत नहीं होती है। इस प्रकार पतंजलि ने छह मरीजों पर अपनी स्टडी की। आचार्य बालकृष्ण के अनुसार इसी प्रकार से देशभर में अलग-अलग स्थानों पर मरीजों पर परीक्षण किया गया।
परीक्षण के समय अखबारों में छपी खबरों के अनुसार कोरोना संक्रमित मरीजों को नाश्ते से एक घंटा पहले उनकी नाक के दोनों छिद्रों में चार-चार बूंद अणु तेल डाला गया। इसी के साथ दो गोली श्वासारि बटी की, दो गोली शुद्ध गिलोय बटी की और एक-एक गोली शुद्ध अश्वगंधा व तुलसी घनबटी की दी गईं। ये गोलियां गुनगुने पानी के साथ दी गईं। आचार्य बालकृष्ण के अनुसार ये सभी छह मरीज 31 मई से 12 जून के बीच पॉजिटिव से निगेटिव हो गए। उल्लेखनीय है कि सामान्यत कोरोना से संक्रमित मरीजों को संक्रमण से मुक्त होने में 14 से 27 दिन का समय लगता है।
आचार्य बालकृष्ण के अनुसार इन छह मरीजों के अतिरिक्त उन्होंने मेरठ में क्वारंटाइन में रखे गए 40 अन्य लोगों को भी ये दवाएं दीं और ये सभी लोग संक्रमण से मुक्त रहे। ये वायरस से संक्रमित ही नहीं हुए।
लेकिन हमें ध्यान रखना चाहिए कि पतंजलि ने कोरोना के जिन मरीजों पर क्लीनिकल ट्रायल किया है, वे कोरोना के कम गंभीर मरीज थे। गंभीर रूप से पीड़ित मरीजों पर इस दवा का परीक्षण होना अभी बाकी है। हालांकि बाबा रामदेव की इस बात में भी दम है कि अगर कम गंभीर मरीजों को यह दवा दी जाएगी तो उनके गंभीर मरीज बनने की नौबत ही नहीं आएगी।
यहां ध्यान देने वाली बाद है कि कोरोना वायरस के संक्रमण को दूर करने के लिए भारतीय बाजार में उतारी गई पहली अंग्रेजी दवाई फेविपिराविर या फैबिफ्लू का ट्रायल भी अभी कम गंभीर मरीजों पर ही हुआ है।
- लव कुमार सिंह
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