Dexamethasone : It weakens the immune system, cannot be taken with other diseases, then how did it become Corona's panacea drug?
- क्या है ये डेक्सामेथासोन जिसे कोरोना
की सस्ती और रामबाण दवा कहा जा रहा है?
- What is this dexamethasone which is being called cheap and panacea of Corona?
इंग्लैंड में डेक्सामेथासोन (#Dexamethasone) नामक दवा को कोरोना की सस्ती और रामबाण दवा कहा जा रहा है। वहां के शोधकर्ताओं ने पाया है कि मरीजों की जान बचाने में इस दवा ने कमाल का काम किया है और इसके इस्तेमाल से कोरोना से गंभीर रूप से बीमार मरीजों की मृत्यु दर एक तिहाई घट गई है। यह दवा सस्ती भी बताई जा रही है और इसे ब्रिटेन के सरकारी अस्पतालों में कोरोना मरीजों के इलाज के कोर्स में शामिल भी कर लिया गया है। यह दवा अंतरराष्ट्रीय दवा बाजार में ‘डेक्सपैक’ जैसे ब्रांड नाम से मिलती है। ब्रांड नेम के मुकाबले इसकी जेनरिक दवा सस्ती मिलती है। इंग्लैंड से मिली अच्छी खबरों के बाद भारत में भी कोरोना वायरस के इलाज में इस दवा को शामिल किया गया है।
डेक्सामेथासोन एक स्टेरॉयड है जो शरीर
में जाकर उन पदार्थों को रिलीज करने से रोकता है जो शरीर में सूजन का कारण बनते हैं।
अभी तक इस दवा का इस्तेमाल एलर्जी, त्वचा संबंधी समस्याओं, बड़ी आंत की बीमारी अल्सरेटिव
कोलाइटिस, हड्डियों की बीमारी आर्थराइटिस, ऑटो इम्यून बीमारी लुपस चर्मक्षय (जब
शरीर की प्रतिरोधी प्रणाली शरीर के ऊतकों पर हमला करती है), सांस संबंधी दिक्कतों
और सोरायसिस में किया जाता रहा है।
16 जून 2020 के दैनिक जागरण में छपी
खबर के अनुसार ब्रिटेन में हुए एक अध्ययन में करीब दो हजार कोरोना संक्रमित मरीजों को यह दवा दी
गई। जब इन मरीजों का उन मरीजों से तुलनात्मक अध्ययन किया गया जिन्हें यह दवा नहीं
दी गई थी तो परिणाम चौंकाने वाले आए। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ता पीटर
होर्बी के अनुसार मृत्यु दर कम करने में और ऑक्सीजन की मदद करने वाले मरीजों में
इस दवा से बहुत फायदा देखने को मिला है। इसी अध्ययन में मलेरिया की दवा हाईड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन
को कोरोना के इलाज में अनुपयोगी करार दिया गया है।
हालांकि डेक्सामेथासोन के बारे में इंटरनेट
पर उपलब्ध ब्योरा कुछ अलग ही जानकारी देता है। www.rxlist.com, www.healthline.com आदि वेबसाइट्स पर विशेषज्ञों के लेखों के अनुसार यह एक बेहद शक्तिशाली स्टेरॉयड है और यदि आपको शरीर में कहीं भी फंगल इन्फेक्शन है
तो डेक्सामेथासोन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इसी के साथ यदि किसी को निम्नलिखित
समस्याएं हैं तो इस दवा के इस्तेमाल से पहले अपने डॉक्टर को जरूर बताना चाहिए-
- लिवर की बीमारी
- किडनी की समस्या
- थायरॉयड की समस्या
- मलेरिया
- टीबी
- हड्डियों की बीमारी ऑस्टियोपोरोसिस
- मांसपेशियों की बीमारी माइस्थेनिया ग्रेविस
- डायबिटीज क्योंकि स्टेरॉयड लेने से रक्त या पेशान में ग्लूकोज का स्तर बढ़ सकता है
- आंखों की समस्या ग्लूकोमा या कैटेरेक्ट
- आंखों में हरपीज इन्फेक्शन
- पेट में अल्सर, आंत में समस्या
- डिप्रेशन या कोई मानसिक बीमारी
- हाई ब्लड प्रेशर
उल्लेखनीय है कि कोरोना से जिन मरीजों
की मृत्यु हो रही है उनमें से ज्यादातर मरीज ऐसे हैं जिनमें उपरोक्त में से कोई न
कोई बीमारी पहले से मौजूद पाई गई है। इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि स्टेरॉयड
मेडिकेशन से हमारा इम्यून सिस्टम प्रभावित होता है। इससे हम कोई भी इन्फेक्शन
आसानी से लग सकता है। इसके अलावा यदि आपको पहले से कोई इन्फेक्शन है तो स्टेरॉयड
मेडिकेशन उसे और भी गंभीर बना देता है।
डेक्सामेथासोन के इस्तेमाल से जी
मिचलाना, उल्टी, पेट की गड़बड़, सूजन, सिरदर्द, सुस्ती, मूड में बदलाव, नींद आने
में समस्या, बेचैनी, थकान, रक्त में ग्लूकोज का उच्च स्तर और हाई ब्लड प्रेशर जैसे
साइड इफेक्ट देखने को मिलते हैं। ये साइड इफेक्ट हल्के भी हो सकते हैं और गंभीर
भी। हल्के साइड इफेक्ट समय के साथ गायब हो जाते हैं।
डेक्सामेथासोन एंटीबायोटिक, एंटीफंगल
ड्रग, खून को पतला करने वाली दवाओं, कोलेस्ट्रॉल में प्रयुक्त होने वाली दवाओं,
डायबिटीज में इस्तेमाल होने वाली दवाओं, एड्स, दिल, टीबी जैसे रोगों की दवाओं के
साथ लिए जाने पर शरीर पर गलत प्रभाव डाल सकती है या अपना प्रभाव खो सकती है।
अब इतनी संवेदनशील, बहुत सारे किंतु-परंतु
के साथ ली जाना वाली और इम्यून सिस्टम को कमजोर करने वाली दवा डेक्सामेथासोन किस
प्रकार से कोराना मरीजों को ठीक करने के लिए रामबाण दवा मानी जा रही है, यह सवाल
मेरे मन में उठ रहा है। यह सवाल इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि कोरोना से उन्हीं
मरीजों की ज्यादा मौत हो रही है जो पहले से किसी न किसी रोग से पीड़ित हैं। ऐसे
में इस प्रकार के मरीजों को डेक्सामेथासोन किस प्रकार से ठीक कर सकती है, यह एक
बड़ा सवाल है। अभी मुझे इस सवाल का जवाब कहीं नहीं मिला है। हो सकता है कि गुजरते
समय के साथ इसका जवाब मिले। फिलहाल अगर ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ता इस
दवा को कोरोना की रामबाण दवा कह रहे हैं तो उसका कुछ आधार जरूर होगा और एक सामान्य
नागरिक होने के नाते हमें विशेषज्ञों की बात माननी ही होगी।
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