Friday, 12 June 2020

कुछ समय के लिए निजी अस्पतालों का अधिग्रहण करिए

Government should take over private hospitals for some time



बड़ी मांग हो रही थी कि प्राइवेट अस्पतालों को भी कोरोना से लड़ाई में सहभागी बनाया जाना चाहिए। लेकिन जिसका डर था वही हो गया। सच मानिए यदि कोई ठीकठाक पैसे वाला व्यक्ति भी इन निजी अस्पतालों में भर्ती हो गया तो इन निजी अस्पतालों का खर्च इतना ज्यादा है कि संभव है कि उस व्यक्ति की न तो जान ही रहे और न उसके परिजनों का जहान ही रहे। ऐसा इसलिए क्योंकि एक तो कोरोना का कोई इलाज नहीं है, लिहाजा जान बचने की गारंटी तो है नहीं। दूसरे, खर्चा इतना ज्यादा है कि मरीज के परिजनों की सब जमा-पूंजी इलाज में खर्च हो सकती है।

यह देखिये यह है मैक्स अस्पताल के कोविड खर्च का बोर्ड। इसे देखिए और आकलने कीजिए कि क्या आप यहां इलाज कराने में सक्षम हैं। इस अस्पताल में केवल रूटीन वार्ड का प्रतिदिन का खर्च 25 हजार रुपये से अधिक है। प्राइवेट रूम चाहिए तो प्रतिदिन के 30 हजार रुपये से ज्यादा लगेंगे। यदि कहीं आईसीयू की नौबत आ गई तो प्रतिदिन का खर्चा 50 हजार रुपये से ज्यादा है और यदि आईसीयू के साथ वेंटीलेटर भी लग गया तो 72 हजार रुपये से ज्यादा प्रतिदिन लगेंगे। दवाइयों, एंबुलेंस आदि का खर्च अलग से है।

चकरा गया न दिमाग यह सब पढ़कर। आज जरूरत इस बात की है कि सरकार आगे आए और निजी अस्पतालों में होने वाले इलाज के खर्च को कम से कम कराने का प्रयास करे। यह कोई सामान्य स्थिति नहीं है कि निजी अस्पताल जैसी मर्जी आए वैसे पैसे लें। यह विशेष परिस्थिति है। यह महामारी का दौर है, इसलिए निजी अस्पतालों का अधिग्रहण करके उन्हें कुछ समय के लिए सरकारी सेवा के अंतर्गत ही लाया जाना चाहिए। यदि ऐसा नहीं किया गया तो सरकारी अस्पतालों के रूप में सरकार ने अपने नागरिकों की जो भी थोड़ा बहुत सेवा की है, वह मिट्टी में मिल जाएगी।

मैक्स अस्पताल की यह सूची जब सार्वजनिक हुई तो सरकार भी हरकत में आई और उसका दावा है कि उसने निजी अस्पतालों के दाम इस सूची के करीब-करीब आधे करा दिए हैं, लेकिन इसके बावजूद निजी अस्पतालों में इलाज कराना बहुत महंगा है। जब कोरोना के रोगियों का इलाज सरकारी अस्पतालों में मुफ्त में हो रहा है तो निजी अस्पतालों में इतना महंगा इलाज क्यों? कई जगह से ऐसी खबरें आ रही हैं कि निजी अस्पताल अपना लाखों का बिल चुकाए बिना मरीजों को डिस्चार्ज नहीं कर रहे हैं। यह बहुत ही गलत व्यवहार है। सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए और निजी अस्पतालों पर लगाम कसनी चाहिए। 

- लव कुमार सिंह

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