Sunday 7 June 2020

आदमी के कब्रिस्तान/श्मशान स्थल की तरह अंतरिक्ष यानों का भी कब्रिस्तान है पृथ्वी पर

Like man's cemetery / cremation site, space vehicles have graveyard on earth

  • अंतरिक्ष से पृथ्वी पर आए अंतरिक्ष यानों/उपग्रहों को इसी कब्रिस्तान में गिराने की कोशिश की जाती है
  • Efforts are made to bring down spacecraft and satellites from space to earth in this cemetery




जिस प्रकार मनुष्य की मृत्यु के बाद उसकी देह को जलाने या दफनाने के लिए श्मशान घाट और कब्रिस्तान होते हैं, उसी प्रकार दुनिया में एक जगह पर अंतरिक्ष यानों का भी कब्रिस्तान मौजूद है। इस कब्रिस्तान में अभी तक करीब 300 अंतरिक्ष यानों को दफनाया जा चुका है। 3-4 अप्रैल 2018 को अंतरिक्ष से पृथ्वी पर गिरा चीन का अंतरिक्ष स्टेशन 'तियातोंग' भी इसी कब्रिस्तान में आकर गिरा था।

अंतरिक्ष यानों के इस कब्रिस्तान का नाम है- प्वाइंट निमो (#PointNemo)। यह दक्षिणी प्रशांत महासागर में स्थित एक बिंदु है जिसे पृथ्वी पर स्थल यानी जमीन से सबसे दूरदराज वाला स्थान माना जाता है। पृथ्वी के ज्यादातर स्थलीय स्थानों से इसकी दूरी 2400 किलोमीटर है।

वैज्ञानिकों ने नियंत्रण खो चुके या अपनी अवधि पूरी करने के बाद जमीन पर आए अंतरिक्ष यानों को खपाने के लिए इस स्थान का चुनाव इसीलिए किया है क्योंकि दक्षिण प्रशांत महासागर में यह जगह वहां से काफी दूर है जहां जहां पृथ्वी पर मानव आबादी निवास करती है। इससे किसी प्रकार के विस्फोट, विकिरण आदि की स्थिति में कम से कम नुकसान सुुनिश्चित किया जा सकता है।

इस वर्ष मार्च के अंत और अप्रैल के शुरू में जब इस तरह की खबरें आईं कि अंतरिक्ष में स्थापित चीन की अंतरिक्ष प्रयोगशाला 'तियातोंग' नियंत्रण से बाहर हो गई है और पृथ्वी पर गिरने वाली है तो लोग इस खबर को पढ़कर चिंता में पड़ गए थे। लेकिन जब इस अंतरिक्ष लैब ने पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश किया तो इसका अधिकांश हिस्सा वहीं पर जल गया और बाकी हिस्सा दक्षिण प्रशांत महासागर में प्वाइंट निमो के आसपास गिरा। यह अंतरिक्ष लैब चीन ने 2011 में स्थापित किया था।

कॉस्मास, स्काईलैब और मीर


अंतरिक्ष यानों के अपने समय से पहले ही पृथ्वी पर गिरने की इससे पहले तीन बड़ी घटनाएं हुई हैं।

1978 में रूस का उपग्रह 'कॉस्मास' पानी में न गिरकर कनाडा में गिरा था और कनाडा में उसका परमाणु कचरा बिखर गया था। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस तरह का नियम है कि यदि किसी देश का अंतरिक्ष यान या उपग्रह किसी दूसरे देश पर गिरेगा तो अंतरिक्ष यान को छोड़ने वाले देश को दूसरे देश को भारीभरकम  मुआवजा देना पड़ेगा। कॉस्मास के मामले में कनाडा ने रूस से मुआवजा मांगा था और रूस ने कुछ मुआवजा दिया भी लेकिन उतना नहीं जितना तय किया गया था।

दूसरी घटना 1979 में स्काईलैब के गिरने की हुई थी जो उस समय बहुत ज्यादा चर्चा का विषय बनी थी। स्काईलैब अमेरिका का अंतरिक्ष केंद्र था। उस समय इसे लेकर भारत में भी बहुत हलचल थी। उस समय अखबारों में इस तरह की भी खबरें छपीं थीं कि कुछ लोगों ने उस दौरान पैदा हुए बच्चों का नाम स्काईलैब रख दिया था। बहरहाल, अंत में स्काईलैब का मलबा आस्ट्रेलिया के जंगलों में गिरा और अमेरिका को आस्ट्रेलिया को मुआवजा देना पड़ा।

2001 में रूस का अंतरिक्ष केंद्र 'मीर' पृथ्वी पर आया लेकिन उसे रूस ने मनचाहे तरीके से पानी में गिराने में सफलता मिल गई थी।

- लव कुमार सिंह


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