Sunday 21 June 2020

भारत और चीन में सबसे बड़ा अंतर क्या है?

What is the biggest difference between India and China?





भारत और चीन

दोनों ही भारी जनसंख्या वाले देश हैं

दोनों के पास भारी संख्या में सैनिक हैं

दोनों तरफ सैन्य साजो-सामान भी खूब है

दोनों परमाणु क्षमता से लैस हैं

दोनों ही दुनिया के सबसे बड़े बाजार हैं

फिर दोनों में अंतर क्या है?

मेरी नजर में तीन अंतर खास हैं


एक-


भारत के पास है-

मित्रता, स्वाभिमान, निर्भीकता, साहस, शौर्य और शक्ति

चीन के पास है-

धोखा, लिप्सा, महत्वाकांक्षा, विस्तारवाद और चालबाजी


दो-


चीन में तानाशाही है

भारत में लोकतंत्र है 


तीन-


दोनों में इनसे भी बड़ा एक अंतर और है

सोचिए क्या चीन में कोई भारत के साथ है?

बिल्कुल नहीं, हो भी तो हमें पता नहीं

क्या भारत में कोई चीन के साथ है?

बिलकुल हैं, और इनके चर्चे हर दिशा में हैं

सबको पता है, इनकी संख्या लाखों में है

चीन का पलड़ा यहीं कुछ बड़ा है 

दोनों में यही अंतर सबसे बड़ा है।


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देखिए भारत में चीन के हमदर्दों को एक वरिष्ठ पत्रकार ने कैसे व्यक्त किया है-


मालिक, चाचा, चाचा के बच्चे
और धूर्त, चालबाज चीन


पुरुषोत्तम कुमार (वरिष्ठ पत्रकार)

 

इसे ऐसे समझें। गांव में आपके दादाजी के नाम पर ढेर सारी जमीनें हैं। कुछ जमीन गांव की सीमा पर भी है। यहां की जमीन दूसरे गांव वाले कब्जा लेते हैं। मालिक आपके चाचाजी हैं। वो ध्यान नहीं देते। जमीन छुड़ाने नहीं जाते। कहते हैं, सीमा पर तो जमीन बंजर है। चाचाजी के बाद चाचाजी के बच्चे मालिक बने। उनकी भी हालत ऐसी है रहती है। परिवार के बाकी सदस्य उनसे उकता जाते हैं। खफा हो जाते हैं।


परिस्थितियों बदलती हैं। मालिक आप बनते हैं। आपको गांव-घर से प्यार है। कहते हैं, पुरखों की जमीन है, छोड़ूंगा नहीं। आप कब्जे वाली जमीन के पास तक पहुंचने का रास्ता सुगम करते हैं। हल-बैल के बाद ट्रैक्टर भी ले जाते हैं। कब्जा करने वाले को बताते हैं। एक-एक इंच जमीन तुमसे वापस लूंगा। वो अड़ता है तो आप ज्यादा अड़ते हैं। आप कहते हैं, चाचाजी का जमाना गया। अब सब कुछ बदल चुका है। लेकिन वह कब्जा क्यों छोड़ना चाहेगा। आपकी जमीन को वह अपना मान चुका है। ऐसे भी उसे आपके चाचाजी की आदत पड़ी है, जो कब्जाई गई जमीन पलटकर देखने भी नहीं गए। वो हर संभव कोशिश कर रहा है, आपको पुरानी स्थिति में रखने की।


...और आप हैं कि उसे औकात में लाकर जमीन वापस लेने की कोशिश में लगे हैं। उसे घेरने की कोशिश कर रहे हैं। आप चतुर भी हैं। उससे बात भी करते हैं, घेरते भी हैं। मारते भी हैं। लड़ाई है। चोट आपके लोगों को भी लगेगी। आप के लोग घर आएंगे तो आप उसका उपचार करने की सोचेंगे। लेकिन, इधर आपके मालिक बनने से नाखुश आपके चाचा के बाल-बच्चे आपको घेरेंगे, कोसेंगे, सवाल करेंगे। कब्जा करने वाला भी पिटा, लेकिन वह तो अपने घर चला गया। किसी को बताएगा भी नहीं कि पिट गया।


ऐसे में चाचा के बच्चे कहेंगे, कब्जा करने वाला पक्ष तो पिटा नहीं। आप पर तंज करेंगे। पूछेंगे, आ गए पिट के? कहां पिटे, अपने खेत में कि उनके खेत में? कितने थप्पड़, लाठी खाए तुम्हारे लोग?

उन्हें अपनी जमीन वापस लेने के आपके प्रयासों से मतलब नहीं है। उनका मकसद यह साबित करना है कि आप मालिक बनने के लायक नहीं हैं। पूरा गांव आपको पुरखों का सच्चा बेटा मानता हो, इस बात को भी वे नहीं मानेंगे। वो तो सिर्फ यही मानेंगे कि मालिक बनने के लायक तो बस वही हैं। इसलिए वो आपको चिढ़ाने के लिए सवाल करेंगे, जवाब पाने के लिए नहीं। आप जवाब देंगे तो उसे सुनेंगे नहीं। नया सवाल दागेंगे।


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