सुमित्रानंदन पंत के बारे में 10 प्रमुख तथ्य जो प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए बहुत काम के हैं
- हिंदी साहित्य में छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक कहलाए। तीन अन्य स्तंभ थे जयशंकर प्रसाद, महादेवी वर्मा और सूर्यकांत त्रिपाठी निराला।
- जन्म वर्तमान उत्तराखंड के बागेश्वर जिले के कौसानी में 20 मई 1900 को हुआ। बचपन में नाम गोसाईं दत्त मिला जो उन्होंने अल्मोड़ा में हाईस्कूल की शिक्षा के दौरान बदलकर सुमित्रानंदन पंत कर लिया।
- चौथी कक्षा में ही कविता लिखना शुरू कर दिया था। काशी के क्वींस कॉलेज, इलाहाबाद के म्योर कॉलेज में पढ़ने के बाद असहयोग आंदोलन के दौरान कॉलेज छोड़कर घर पर ही पढ़ाई की। अनेक वर्ष कालाकांकर, प्रतापगढ़ में भी रहे।
- 1938 में मासिक पत्रिका ‘रूपाभ’ का संपादन किया। 1950 से 1957 तक आकाशवाणी से जुड़े रहे।
- 1958 में प्रकाशित काव्य संकलन ‘चिदंबरा’ के लिए 1968 में ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला।
- 1960 में काव्य संग्रह ‘कला और बूढ़ा चांद’ के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त हुआ।
- 1961 में पद्मभूषण सम्मान मिला। उन्हें सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार भी मिला।
- 1964 में विशाल महाकाव्य ‘लोकायतन’ प्रकाशित हुआ। ‘पल्लव’ उनका सबसे कलात्मक कविता संग्रह माना जाता है। वीणा, उच्छवास, युगांत, स्वर्णकिरण, स्वर्णधूलि, ग्राम्या, गुंजन, सत्यकाम उनके अन्य प्रसिद्ध काव्य संग्रह हैं।
- हरिवंश राय बच्चन के साथ संयुक्त रूप से उन्होंने ‘खादी के फूल’ नाम का कविता संग्रह प्रकाशित कराया।
- वे मार्क्सवादी विचारधारा के थे। लेकिन वे महात्मा गांधी और योगी अरविंद से भी प्रभावित थे। उनका पूरा साहित्य ‘सत्यं शिवं सुंदरम्’ के आदर्श से प्रभावित रहा। लेकिन फिर भी इसमें बदलाव देखने को मिलता है। उनकी प्रारंभिक कविताओं में प्रकृति और सौंदर्य के दर्शन होते हैं। दूसरे चरण में छायावाद की सूक्ष्म कल्पनाएं और कोमल भावनाएं मिलती हैं तो अंतिम चरण में प्रगतिवाद और विचारशीलता देखने को मिलती है। जीवनभर अविवाहित रहे। 28 दिसंबर 1977 को मृत्यु हुई।
- लव कुमार सिंह
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