Thursday 20 May 2021

होम्योपैथी में ब्लैक फंगस के लिए क्या इलाज है?

What is the treatment for black fungus in homeopathy?


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म्यूकोरमाइकोसिस या ब्लैक फंगस उतना भयानक नहीं है जितना इसके बारे में प्रचारित हो रहा है, क्योंकि इसकी मारटेलिटी रेट ज्यादा होने पर भी संक्रामकता अत्यधिक कम है। यह फंगस हम सब के आसपास मिट्टी और हवा में हमेशा मौजूद रहता है, हम भी उसके साथ रहने की आदी हैं। स्वस्थ एवं रोग प्रतिरोधक क्षमता से युक्त किसी भी व्यक्ति को यह फंगस कोई नुकसान नहीं पहुंचाता। इसलिए बहुत बीमार और रोग प्रतिरोधक क्षमता खो चुके लोगों को छोड़कर अन्य किसी को इससे डरने की जरूरत नहीं। यह कहना है एमडीहोमियो लैब प्राइवेट लिमिटेडमहाराजगंजगाज़ीपुरउप्र, के प्रबंध निदेशक डॉ. एमडी सिंह का। 

डॉ एमडी सिंह ने सोशल मीडिया पर लिखी अपनी पोस्ट में बताया है म्यूकोरमाइकोसिस को जाइगोरमाइकोसिस के नाम से भी जाना जाता रहा है। यह बहुत ही कम होने वाला मारक फंगल डिजीज है। यह आमतौर पर पहले से अत्यधिक बीमार, अंग प्रत्यारोपण करवाए हुए, कैंसर जैसे अनेक कठिन रोगों से पूर्व पीड़ित एवं अनेक जीवन रक्षक औषधियों तथा आक्सीजन, वेंटिलेटर आदि के सपोर्ट पर जीवित रोग प्रतिरोधक क्षमता खोए हुए लोगों को प्रभावित करता है।

इस फंगस के स्रोत धूल, मिट्टी, पशुओं के डंग(गोबर), सड़ रहे खर-पतवार, निर्माण कार्य चल रहे स्थल हैं। अस्पतालों में जहां साफ-सफाई की सुविधा कम हो , लंबे समय से लगे राइस ट्यूब, कैथेटर, ऑक्सीजन ट्यूब एवं बैंडेज इत्यादि भी इस फंगस के रिहायशी स्थल हैं। गर्मी के दिनों में वायु में भी इसके पोर्स पाए जाते हैं।

डॉ. एमडी सिंह के अनुसार होम्योपैथी में इस रोग का प्रभावी इलाज मौजूद है। इसके लिए होम्योपैथी में कई दवाइयां मौजूद हैं।

होम्योपैथी में ये इलाज है....


उपाय रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए ताकि रोग होने ही न पाए...


रोग प्रतिरोध के लिए होम्योपैथी की दो औषधियां हैं

  • मैंसीनेला 200 एवं
  • हिप्पोजेनियम 200

इनका प्रयोग एक-एक हफ्ते पर एक खुराक बारी-बारी से जीर्ण मरीजों को देकर इस फंगस के प्रकोप से बचाया जा सकता है। इन दोनों औषधियों को रोग होने से पहले ही रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए भी लिया जा सकता है।


उपाय जब रोग हो जाए...


संभावित दवाएं ये हैं, जिन्हें अपने पूरे लक्षण बताकर किसी योग्य होम्योपैथिक चिकित्सक की सलाह पर लेना चाहिए। होम्योपैथिक चिकित्सा में लक्षण बहुत महत्वपूर्ण हैं। ब्लैक फंगस के भी कई प्रकार होते हैं, इसलिए रोग के ठीक होेने के लिए सही लक्षण के अनुसार सही दवा का चुनाव जरूरी होता है। इसलिए चिकित्सक का परामर्श अनिवार्य हो जाता है।

  • आरम मेटालिकम
  • एरम ट्रिफलम
  • अरण्डो
  • मेजेरियम
  • मैलेन्ड्रिनम
  • मर्क्यूरियस
  • प्रूनस स्पाइनोसा
  • सिन्नाबेरिस
  • रस टाक्स
  • टिकुरियम मेरम वेरम
  • आर्सेनिक एल्बम
  • एसिड नाइट्रिक
  • काली आयोडेटम
  • एसिड म्यूर
  • आर्स ब्रोमाइड 
  • काण्डुरैंगो
  • क्रिएजोट

उपाय ताकि ये रोग न हो...

  • चिंता और तनाव से मुक्त रहकर अपनी शारीरिक रोग प्रतिरोधक क्षमता को बनाए रखना चाहिए।
  • शुद्ध आसानी से पचने वाले ताजा भोजन एवं ताजी मौसमी फलों का प्रयोग करना चाहिए।
  • योग, व्यायाम एवं प्राणायाम द्वारा अपनी शारीरिक क्षमता को सदैव ठीक रखना चाहिए।
  • अपने आसपास के वातावरण को को साफ और शुद्ध रखने का भरसक प्रयास करना चाहिए।
  • पेट को अजीर्ण और कब्ज से से बचा कर रखना चाहिए।
  • रुग्ण अवस्था में मरीज के वार्ड, बेड, कैथेटर, बैंडेज, राइस ट्यूब एवं ऑक्सीजन ट्यूब आदि का प्रॉपर तरीके से समय-समय पर सफाई हो जाना चाहिए।
  • ऐसे कमजोर मरीजों के रूम ने अच्छा एयर फिल्टर लगा होना चाहिए।
  • कोई भी लक्षण मिलने पर तुरंत एंटीफंगल औषधियों का प्रयोग करना चाहिए।

डॉ. एमडी सिंह का ईमेल पता है- md@mdhomoeo.com


- प्रस्तुति लव कुमार सिंह


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