Wednesday 19 May 2021

इंटेलीजेंस विभाग की 'खुफिया रिपोर्ट' से प्रेरित लगते हैं केजरीवाल

Kejriwal seems inspired by Intelligence Department's 'Intelligence Report'



हमारे एक परिचित उत्तर प्रदेश सरकार के इंटेलीजेंस विभाग में काम करते थे। वे बड़े 'मुस्तैद' थे। उनके अनुसार जब भी दिवाली, होली, ईद या मोहर्रम जैसा कोई त्यौहार आता तो वे अपने दफ्तर में बैठकर एक रिपोर्ट तैयार करते थे और उसे प्रदेश सरकार के आला अधिकारियों को भेजते थे। रिपोर्ट का मजमून कुछ इस प्रकार होता था कि आगामी त्यौहार के मद्देनजर प्रदेश में कड़ी सतर्कता की जरूरत है। खुफिया इनपुट है कि असामाजिक तत्व इस मौके पर सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने का प्रयास कर सकते हैं। आतंकी संगठन भी इस मौके पर समाज में अशांति फैलाने का प्रयास कर सकते हैं।

इस रिपोर्ट के लिए उन अधिकारी या उनके इंटेलीजेंस विभाग को किसी तहकीकात या अनुसंधान की जरूरत नहीं होती थी या होती है। यह अपनी खाल बचाने और मुस्तैदी दिखाने का एक बहुत ही प्रचलित तरीका होता था और होता है। कॉमन सेंस की बात है कि अगर आपने इस तरह का खुफिया इनपुट नहीं दिया और कोई अप्रिय घटना हो गई तो अगले दिन ही शोर मच जाएगा कि खुफिया विभाग क्या कर रहा था? 

...तो  इस तरह की खुफिया रिपोर्ट से दोनों ही स्थितियों में इंटेलीजेंस विभाग की जिम्मेदारी पूरी हो जाती थी। यदि अप्रिय घटना हो गई तो विभाग के लिए राहत की बात होगी क्योंकि उसने तो पहले ही चेतावनी जारी कर दी थी। यदि सब कुछ शांति से निबट गया तो भी बढ़िया क्योंकि तब यह मान जाएगा कि विभाग ने चेताया, सरकार और पुलिस ने सतर्कता बरती और असामाजिक तत्वों या आतंकवादियों की हिम्मत ही नहीं हुई कि वे कुछ कर सकें।

यही ट्रेंड इधर राजनीति में देखने को मिल रहा है। आगे आने वाले दिनों में बहुत सी ऐसी घटनाएं हो सकती हैं जिनका पहले ही पूर्वानुमान लगाया जा सकता है। ऐसी घटनाएं ना हों तो भी कोई बात नहीं क्योंकि कहने वाले ने संभावना ही तो व्यक्त की थी। और यदि ऐसी घटनाएं हो जाती हैं तो कहने वाले की बल्ले-बल्ले, क्योंकि तब उसके शागिर्द चिल्ला-चिल्लाकर पूरी दुनिया को बताते हैं कि फलाने ने तो पहले ही इसकी आशंका जता दी थी और देखिए वही हुआ। फलाने कितने ज्ञानी हैं।

यही पिछले साल कोरोना के संबंध में राहुल गांधी ने किया। यही इस साल कोरोना की तीसरी लहर को लेकर प्रधानमंत्री के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार ने किया और ऐसा ही कुछ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल करते नजर आ रहे हैं। लेकिन मुश्किल यह है कि इंटेलीजेंस विभाग को कम से कम यह अधिकार तो होता है कि वह समाज में चल रही गतिविधियों के बारे में सरकार को बताए, लेकिन अरविंद केजरीवाल तो वहां भी टांग घुसा रहे हैं जहां उनका कोई मतलब नहीं है।

उल्लेखनीय है कि 18 मई 2021 को केजरीवाल ने दावा किया था कि सिंगापुर में पाया जाने वाला कोरोना का नया वैरिएंट खतरनाक है। इसलिए भारत सरकार को  इसे भारत आने से रोकने के लिए सिंगापुर की सारी फ्लाइट बंद कर देनी चाहिए। इसके बाद विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता ने बताया कि सिंगापुर सरकार ने उच्चायोग को केजरीवाल सरकार के बयान पर कड़ी आपत्ति जताने के लिए कॉल किया था। विदेश मंत्रालय ने केजरीवाल के 'सिंगापुर वैरिएंट' के नाम पर डर फैलाने को लेकर जवाब देते हुए कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री भारत के लिए नहीं बोलते।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस संबंध में ट्वीट किया और लिखा कि- हालांकि ये गैर जिम्मेदार रवैया है, वो भी उनका, जिनहें मालूम होना चाहिए कि इससे लंबे समय से चली आ रही साझेदारी खराब हो सकती है। इसलिए मैं साफ कर देना चाहता हूं कि दिल्ली के मुख्यमंत्री भारत के लिए नहीं बोलते।

इससे पहले सिंगापुर के स्वास्थ्य मंत्रालय ने अरविंद केजरीवाल के दावों को खारिज किया था। वहीं सिंगापुर के विदेश मंत्री विवियन बालकृष्णन ने दिल्ली के मुख्यमंत्री को तथ्यों के आधार पर बोलने की सलाह देते हुए कहा था कि सिंगापुर वैरिएंट जैसा कुछ नहीं है। इसके बाद उन्होंने एस जयशंकर का बयान देखकर उन्हें धन्यवाद कहा और लिखा कि- अपने-अपने देश के हालातों को सुधारने पर फोकस करते हैं और एक-दूसरे का ध्यान देते हैं। कोई भी सुरक्षित नहीं है जब तक हर कोई सुरक्षित न हो।

उल्लेखनीय है कि केजरीवाल ने अपने ट्वीट में लिखा था-

सिंगापुर में आया कोरोना का नया रूप बच्चों के लिए बेहद खतरनाक बताया जा रहा है। भारत में ये तीसरी लहर के रूप में आ सकता है। केंद्र सरकार से मेरी अपील- 

1- सिंगापुर के साथ हवाई सेवाएं तत्काल प्रभाव से रद्द हों।

2- बच्चों के लिए भी वैक्सीन के विकल्पों पर प्राथमिकता के आधार पर काम हो।

बहरहाल, केजरीवाल को संभवतः इस समय हो रही अपनी छीछालेदर से ज्यादा फर्क नहीं पड़ता लगता है। यह निश्चित है कि यदि भारत में तीसरी लहर आई और उसने बच्चों को बुरी तरह प्रभावित किया तो वह चिल्ला-चिल्लाकर कहेंगे कि उन्होंने तो पहले ही इसकी आशंका जता दी थी। और यदि ऐसा कुछ नहीं हुआ तो भी वे जानते हैं कि वे उस इंटलीजेंस अफसर की तरह सजग नागरिक तो बने ही रहेंगे।


ऑक्सीजन, वैक्सीन के मामले में भी यही रवैया


ऑक्सीजन और वैक्सीन के मामले में भी केजरीवाल जल्द से जल्द अपनी बात मीडिया के पास पहुंचा देना चाहते हैं ताकि बाद में उनके ऊपर कोई उंगली न उठा सके। साथ में गंदी राजनीति तो है ही जिसके तहत वह अपनी कमीज हर समय सफेद रखना चाहते हैं और खबरों में बने रहने के लिए भी कुछ न कुछ बोलना तो जरूरी होता है।

जब ऑक्सीजन की किल्लत हुई तो जहां बाकी राज्यों के मुख्यमंत्री इसकी व्यवस्था करने में जुटे थे, वहीं केजरीवाल बार-बार इसके लिए मीडिया के पास जा रहे थे। जब ऑक्सीजन ऑडिट की बात हुई तो दिल्ली में अचानक ऑक्सीजन सरप्लस में हो गई। ऑक्सीजन का मसला ठंडा पड़ा तो केजरीवाल ने वैक्सीन को पकड़ लिया। अन्य किसी भी राज्य का मुख्यमंत्री वैक्सीन पर ज्यादा कुछ नहीं बोल रहा है क्योंकि सबको पता है कि वैक्सीन का अभी उतना उत्पादन नहीं है जितनी मांग है, लेकिन केजरीवाल  इस मुद्दे पर भी लगभग रोज ही मीडिया में बयानबाजी कर रहे हैं।

- लव कुमार सिंह



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