Corona : Take only one small step without spending and get profit
मुख्य डॉक्टर
साहब/जिलाधिकारी साहब/सरकार साहब!
बिना खर्चे वाला सिर्फ एक छोटा सा कदम उठाइए और लाभ पाइए
क्या लाभ होगा?
- आप तीनों साहिबान की टेंशन कम होगी।
- आपके जिले/प्रदेश में अफरातफरी कम होगी।
- चीख-पुकार कम मचेगी, आरोप-प्रत्यारोप कम होंगे।
- कोरोना पीड़ितों का हौसला बढ़ेगा।
- मरीज को बचाने के डॉक्टर के प्रयास ज्यादा सार्थक होंगे।
- डॉक्टरों और अन्य स्टाफ की जवाबदेही बढ़ेगी।
- ठीक होने वाले मरीजों की संख्या बढ़ेगी यानी मौतें कम होंगी।
कैसे?
- आज कोरोना के मरीज को जितनी दवा चाहिए उतना ही हौसला चाहिए।
- कोरोना के मरीज को अपने परिजनों का सहारा चाहिए।
- मरीज के परिजन को अपने प्रिय की आवाज चाहिए, उसका चेहरा, शरीर चाहिए।
- हौसले और हिम्मत के बिना दवा भी असर नहीं करती है।
तो क्या करें?
- जिन कोरोना मरीजों के परिजन उनकी देखभाल करने को तैयार हैं, उन्हें पीपीई किट आदि जरूरी सामान के साथ वार्ड में जाकर मरीजों की देखभाल करने दीजिए। वे अपने मरीजों को समय पर दवाएं, खाना, भाप आदि ज्यादा अच्छी तरह से दे सकेंगे।
- ऐसे परिजन अपने मरीजों का हौसला बढ़ा सकेंगे। परिजन को पास में पाकर मरीज का हौसला नहीं टूटेगा। उसे जल्दी ठीक होने की उम्मीद बंधेगी।
- यदि मरीज की हालत खराब भी हुई तो वह परिजन के सामने होगी। मौत भी हुई तो परिजन के सामने होगी। तब आज जैसे आरोपों में कमी आएगी। तब परिजन को इस बात का संतोष होगा कि चलो विधाता को जो मजूर था वो हुआ, पर जो हुआ उनके सामने हुआ।
- अगर आप परिजन को देखभाल
की अनुमति नहीं दे सकते तो कम से कम दिन में एक बार तो उसे पीपीई किट आदि पहनकर
मरीज से मिलने की अनुमति दें।
- रोजाना बारी-बारी से किसी मंत्री, विधायक, सांसद, जिलाधिकारी, पुलिस अधिकारी का हर जिले के अस्पताल के कोविड वार्ड में दौरा कराएं। ये जनप्रतिनिधि और अधिकारी मरीजों से बात करें, उनका हौसला बढ़ाएं और व्यवस्थाएं देखें।
कोविड वार्ड में जाने से मरीज के परिजन संक्रमित हो गए तो?
- यह खतरा तो अब भी है।
मरीजों के परिजन कहां रहते हैं? वे कोविड वार्ड के बाहर ही दिन-रात भटकते रहते हैं। वहां, जहां पर मरीज आते-जाते रहते हैं।
- ..और तीसरी लहर के बारे
में कहा जा रहा है कि उसमें बच्चे ज्यादा संक्रमित होंगे तो ऐसे में उनके
माता-पिता में से किसी एक को कोविड वार्ड में रहने की अनुमति देनी होगी। ...तो
क्या तब उनके संक्रमित होने का खतरा नहीं होगा।
- पहली और दूसरी लहर में भी
छोटे बच्चों के कई ऐसे केस आए हैं जिनमें उनकी स्वस्थ माता या पिता उनके साथ कोविड
वार्ड में रहे हैं। उन्हें बच्चे के साथ रहने की अनुमति दी गई।
(जानकार मित्रों, कुछ गलत लिख गया होऊं तो ठीक कर दीजिएगा, क्योंकि
मैं कोई विशेषज्ञ तो हूं नहीं। बस एक विचार आया कि किसी परिजन की मौत से हमेशा ही
भयंकर पीड़ा होती है, लेकिन मौत जब कोरोना से हो तो पीड़ा की
कोई सीमा ही नहीं रहती। ...क्योंकि दस-पंद्रह दिन से मरीज की सूरत नहीं देखी होती
और ऐसे में जब मौत की खबर आती है तो शव सीधा अस्पताल से श्मशान जाता है। ऐसे में
दिल में जो हूक और दर्द उठता है, उसे शब्दों में बयान नहीं
किया जा सकता है। अंतिम समय पर कुछ कह लेते, कुछ सुन लेते,
पार्थिव शरीर का कुछ सम्मान कर लेते...इतना संतोष भी कोरोना से हुई
मौत को मंजूर नहीं है। मौत तो सभी की आएगी किसी न किसी दिन, लेकिन
काश वो कोरोना काल में न आए।)
- लव कुमार सिंह
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