Thursday 6 May 2021

हम कोरोना के खिलाफ क्यों हार रहे हैं?

Why are we losing against Corona?

How can we win against Corona?



हम कोरोना के खिलाफ क्यों हार रहे हैं?

1-
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सात मई 2021 को फोन करके राज्य के हालात जानने के बाद झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का ट्वीट......

“आज आदरणीय प्रधानमंत्री जी ने फोन किया। उन्होंने सिर्फ अपने मन की बात की। बेहतर होता यदि वो काम की बात करते और काम की बात सुनते।”

2-
कांग्रेस आलाकमान, कांग्रेस शासित मुख्यमंत्रियों के साथ कोरोना पर बातचीत करता है यानी सिस्टम का हिस्सा बनता है, लेकिन 'सिस्टम' केवल मोदी को बताता है। कांग्रेस के पास मौका है कि राहुल गांधी के पास जितनी भी काबिलियत और आइडिया हैं, उनका कांग्रेस शासित या कांग्रेस की भागीदारी वाले राज्यों में इस्तेमाल करें और देश को दिखा दें कि वे बेहतर विकल्प हैं।

3-
इसके उलट होता यह है कि सोनिया गांधी काफी पहले वैक्सीन लगवा लेती हैं लेकिन इसे सार्वजनिक नहीं करतीं कि कहीं केंद्र सरकार के विरोधी लोग वैक्सीन लगवाने को प्रोत्साहित न हो जाएं। ...और अब तो वैक्सीन-वैक्सीन का शोर मच ही रहा है।


हम कोरोना के खिलाफ कैसे जीत सकते हैं?


केरल को 73,38,806 वैक्सीन की डोज़ मिली थीं, जिनमें से उसने लोगों को 74,26,164 डोज़ दीं। यानी वहां 87,358 अतिरिक्त लोगों को वैक्सीन दी और वैक्सीन व्यर्थ नहीं गई। इस पर केरल के मुख्यमंत्री पी.विजयन का ट्वीट......

"केरल को भारत सरकार से 73,38,806 वैक्सीन की डोज़ मिलीं। हमनें 74,26,164 डोज़ उपलब्ध कराईं, हर शीशी से व्यर्थ जाने वाली डोज़ का इस्तेमाल करके हमने एक अतिरिक्त ख़ुराक बनाई। हमारे स्वास्थ्यकर्मी, ख़ासकर के नर्सें बेहद कुशल हैं और तहेदिल से प्रशंसा के लायक हैं।"

विजयन के ट्वीट पर प्रधानमंत्री का रिट्वीट.......

"हमारे स्वास्थ्यकर्मियों, नर्सों को देखकर ख़ुशी होती है कि वे वैक्सीन को व्यर्थ जाने से बचाने में एक उदाहरण पेश कर रहे हैं। कोविड-19 के ख़िलाफ़ मज़बूत लड़ाई के लिए वैक्सीन के नुक़सान को कम करना बेहद आवश्यक है।"

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....तो जैसे हमारे राजनीतिज्ञ अलग-अलग दिशा में रस्सी खींच रहे हैं, वैसे ही हम हैं। काफी लोग मदद में जुटे हैं तो बहुत सारे लूट-खसोट में। किसी ने अभी हाल ही में लिखा भी था कि "सरकारें हमारे सामने नंगी खड़ी हैं और हम सरकारों के सामने नंगे हैं और दोनों एक-दूसरे को देख रहे हैं।"

'यूनिटी इन डाइवर्सिटी' (विविधता में एकता) का भारत को दुनिया में सबसे अच्छा उदाहरण माना जाता है। लेकिन कोरोना काल ने हमारी इस विशेषता की पोल खोल दी है। हम यूनाइट कम हो रहे हैं और डाइवर्स ज्यादा। क्या करें...हम भारत वाले हैं, हमारे अंदाज निराले हैं....

एक बार ये भी सुनें....



- लव कुमार सिंह


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