Wednesday 5 May 2021

कई मामलों में लोकसभा और विधानसभा चुनाव से भी बढ़कर और भयंकर हैं पंचायत चुनाव

In many cases, Panchayat elections are more fierce than Lok Sabha and Vidhan Sabha elections



इस बार कई परिचित पत्रकार साथियों ने, पंचायत चुनाव में, प्रधान पद के लिए, अपनी उम्मीदवारी पेश की, मगर दुर्भाग्य से, विजयश्री किसी के हाथ नहीं लगी।

पत्रकारिता के क्षेत्र से अलग भी, कई युवा और होनहार परिचितों को, हार का सामना करना पड़ा है।

दरअसल...ज्यादातर गांवों में, जीत के फैक्टर, विधानसभा और लोकसभा चुनाव से भी बढ़कर और भयंकर हैं।

  • जबर्दस्त पैसा होना पहली शर्त है, जो हर चुनाव में होता ही है।
  • दावत के लिए हलवाई का इंतजाम 24 घंटे रखना है।
  • दारू इतनी खरीदें, कि वो नालियों में बहे और गांव के कुत्ते भी उसके आदी हो जाएं। मात्रा ज्यादा है तो दारू घटिया भी होती है, इसलिए ग्रामीणों की मौत पर जेल जाने को भी तैयार रहें।
  • कपड़े बांटिये, बर्तन बांटिये, गिफ्ट दीजिए और नकद पैसे भी बांटिए। एक बार नहीं कई बार बांटिए।
  • वोट चाहिए तो विकास का नहीं अपात्रों को कोटा, पट्टा, शौचालय और योजनाओं का लाभ दिलाने का वादा करना होगा।
  • सबसे ज्यादा नखरा चाचा, ताऊ और नजदीकी परिवारों का होता है। उन्हें मनाने के लिए तैयार रहें।
  • पहले से रंजिश है तो भुगतिए और नई रंजिश को गले लगाने के लिए तैयार रहिए।
  • जोड़तोड़ करने और खून-खराबे से बचने के लिए लाठी भी मजबूत होनी चाहिए।
  • हालांकि अपवाद तो हर चीज के, हर जगह होते ही हैं, इसलिए जो प्रत्याशी ये सब न करके जीते हैं, उन्हें मेरी तरफ से जीत की बहुत-बहुत बधाई।

अंत में बस इतना ही कि...

गांव में जो पैसों की बरसात हो रही है

दूध की नदियां बहें, ये आस हो रही है

पर बावला हूं मैं निरा, जिसे समझा जीवनधारा

दारू है वो, गले से गट-गट, पास हो रही है।

कई सारे मर्ज हैं, मेरे गांव में पसरे हुए

कभी खेत में, कभी कोर्ट में, बस राड़ हो रही है

सब कहे हैं, गांव वाले, सीधे-सादे भोले भाले

फिर इस कदर क्यों, रंजिशों की, ठाठ हो रही है?

- लव कुमार सिंह


No comments:

Post a Comment