Supermoon : Why does the moon look red?
आपके मन में सवाल होगा-
मून पर ये खून कैसा?
लाल क्यूं दिखता है चंदा?
वो तो था कुछ रूई जैसा
लालम लाल क्यूं है बंदा?
...तो ये बदलाव इस प्रकार संभव हुआ-
धरती से मिलने की ख्वाहिश
चांद के दिल में जगी,
धरती को चंदा की कोशिश
बहुत ही प्यारी लगी।
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एक ही रस्ते पे दोनों
मिलने को आगे बढ़े,
खुश बहुत थे दुनियावाले
देखने को आ जुटे।
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चांद जब नजदीक आया
बड़ा-था वो और खिलखिलाया,
धरती वाले हुए दीवाने
सुपरमून तब वो कहलाया।
लेकिन खून का क्या? लाल का
क्या?
हां-हां और सुनिए...
दोस्तों के इस मिलन में
एक घोटाला हो गया,
धरती की छाया से अपना
चांद काला पड़ गया।
चांद पर लग गई कालिख
चंद्रग्रहण यूं हो गया।
...........
पर सूर्य दादा वहीं पर
उसी रस्ते पर मौजूद थे,
वे खुश थे या नाराज थे
पर वहीं पर मुस्तैद थे।
..........
एक दृष्टि डाली तिरछी
शरमा गया अपना चंदा,
लंबी लाल किरणें छूकर
लालम लाल हुआ बंदा।
.........
लालम लाल हुआ बंदा
धरती को भा गया चंदा,
लालम लाल हुआ बंदा
धरती को भा गया चंदा।
.......
दोस्तो, यह कविता सुनने में और अच्छी लगती है। एक बार सुनें...
-लव कुमार सिंह
यह रचना गाए जाने पर और ज्यादा अच्छी लगेगी। अगर इसे गीत के रूप में सुनना चाहते हैं तो इस लिंक पर सुनें.... https://youtu.be/ijKEljuRFS8
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