Wednesday 26 May 2021

गत्यात्मक ज्योतिष के अनुसार पहलवान सुशील कुमार को सितंबर-अक्टूबर तक कोर्ट से राहत मिल सकती है

According to Gatyatmak Astrology, wrestler Sushil Kumar may get relief from the court by September-October



स्वयं को गत्यात्मक ज्योतिष का जनक कहने वाले विद्या सागर महथा के अनुसार साथी पहलवान की हत्या में आरोपित ओलंपिक पदक विजेता पहलवान को इस साल सितंबर-अक्टूबर तक कोर्ट से राहत मिल सकती है। यानी कोर्ट का फैसला सुशील कुमार के हक में आ सकता है।

उल्लेखनीय है कि गत्यात्मक ज्योतिष सिद्धांत के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में प्रत्येक 12 वर्षों में आधारभूत परिवर्तन होता है। विद्या सागर महथा अपनी फेसबुक पोस्ट में इस विषय पर लिखते हैं कि सुशील कुमार को 24 से 36 वर्ष के 12 वर्ष के कालखंड में कुश्ती जगत की राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में जबर्दस्त सफलता हासिल हुई। इसी कालखंड में सुशील कुमार 2008 के बीजिंग ओलंपिक में कांस्य पदक, 2012 के लंदन ओलंपिक में रजत पदक जीतकर लगातार दो ओलंपिक मुकाबलों में व्यक्तिगत पदक जीतने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बने। इसके अलावा सुशील कुमार को राजीव गाँधी खेल रत्न, अर्जुन पुरस्कार, पदम्श्री जैसे सम्मान भी मिले।


विद्या सागर महथा

विद्या सागर महथा के अनुसार सुशील कुमार की जन्मपत्री में जिस प्रकार ग्रहों की गति-स्थिति है, पिछले पांच छः वर्षों से बड़ी बड़ी सफलताओं के बावजूद कुछ समस्याएं इनके सामने उपस्थित होती रही हैं। महथा के अनुसार सुशील 2022 तक बाधाओं और समस्याओं से जूझते रहेंगे, फिर भी सितंबर-अक्टूबर 2021 में कोर्ट का फैसला उनके लिए राहत की खबर दे सकता है।

अपनी पोस्ट के साथ एक ग्राफ देते हुए महथा लिखते हैं कि गत्यात्मक ज्योतिष का गतिज ग्राफ बहुत नीचे नहीं गया है। अतः ऐसा लगता है कि आरोप से संभवतः बचने का रास्ता निकल जायगा। 2029, 2030, 2031 में ग्रहगति की बाधाओं के कारण इन्हें पुनः कुछ विरोधियों का सामना करना पड़ सकता है या कुछ झंझट परेशानी में फंस सकते हैं। फिर भी 54 वर्ष की उम्र तक आत्मविश्वास में कमी नहीं होगी, सहयोगियों का सहयोग मिलता रहेगा लेकिन इसके बाद ग्राफ नीचे जा रहा है, इसलिए सुशील कुमार को सतर्क रहने की जरूरत पड़ेगी।


यहां बताते चलें कि प्राचीन ज्योतिष के ग्रंथों में वर्णित ग्रहों की अवस्था के अनुसार मनुष्य के जीवन पर पड़ने वाले ग्रहों की गति के सापेक्ष उनकी शक्ति के प्रभाव के 12-12 वर्षों का विभाजन `गत्यात्मक दशा पद्धति´ कहलाता है। यह सिद्धांत, परंपरागत ज्योतिष पर आधारित होते हुए भी पूर्णतया नवीन दृष्टिकोण पर आधारित है।


- लव कुमार सिंह

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