Thursday, 12 March 2020

कोरोना पर कविता

Poem on Corona Virus



कोरोना जा..जा..जा / कलमुंहे जा
हमें ना भाए तेरा चेहरा / कलमुंहे जा.....2

जानलेवा /तेरी फितरत
कातिलाना / तेरी सेहत
प्रलयकारी /तेरी शोहबत
सत्यानाशी / तेरी उल्फत
पास आके /मौत लाके 
इस दुनिया को/ अब तू ना यूं डरा
कोरोना जा..जा..जा /कलमुंहे जा
हमें ना भाए तेरा चेहरा /कलमुंहे जा।
......
कोई भी कार्ड / ना था छपा
निमंत्रण भी / ना था बंटा
कोई आह्वान / ना था हुआ
इशारा भी / ना था किया
फिर क्यूं आया / बिन बुलाया
जैसे आया / वैसे ही निकल जा
कोरोना जा..जा..जा /कलमुंहे जा
हमें ना भाए तेरा चेहरा /कलमुंहे जा।
.......
स्वाइन फ्लू / हमने झेला
बर्ड फ्लू / हमनें पाला
वायरल फीवर / रोज देखा
कोल्ड-कफ को / गले डाला
इतने सारे / शत्रु हमारे
कोटा अब ना / किसी  बैरी का बचा
कोरोना जा..जा..जा /कलमुंहे जा
हमें ना भाए तेरा चेहरा /कलमुंहे जा।
........
प्याज-तुलसी / खा रहे हैं
हाथ नियमित / धो रहे हैं
बूंदे होम्यो / ले रहे हैं
नुस्खे देशी / पी रहे हैं
डर जा भाई / ओ कसाई
सबके मुंहे से हैं / निकले बद्दुआ
कोरोना जा..जा..जा /कलमुंहे जा
हमें ना भाए तेरा चेहरा /कलमुंहे जा।
.......
कहर जो तू / ढा रहा है
जान जो तू / खा रहा है
जल्दी टीका / आ रहा है
वक्त तेरा / जा रहा है
ले के बिस्तर / रख के सिर पर
अब नौ दो ग्यारह / जल्दी से हो जा
कोरोना जा..जा..जा /कलमुंहे जा
हमें ना भाए तेरा चेहरा /कलमुंहे जा।

यह कविता सुनने में और ज्यादा अच्छी लगेगी। इसे आप नीचे दिए लिंक पर जाकर सुन सकते हैं-
- लव कुमार सिंह



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