How do girls their self defense? (Episode-1)
जब आत्मरक्षा की बात आती है तो सवाल उठता है कि क्या कोई महिला या लड़की बिना जूडो कराटे जाने, बिना शारीरिक संघर्ष किए भी किसी शोहदे-बदमाश से खुद का बचाव कर सकती है? इस सवाल के जवाब में आत्मरक्षा से जुड़े विशेषज्ञ कहते हैं, “अनेक परिस्थितियों में हां।” यहां इस हां का मतलब ये नहीं है कि किसी लड़की को अपने शरीर को मजबूत नहीं बनाना चाहिए, शरीर की तरफ से लापरवाह हो जाना चाहिए या जूडो, कराटे आदि नहीं सीखना चाहिए। उसे जरूर सीखना चाहिए, क्योंकि शारीरिक संघर्ष की स्थिति कभी भी आ सकती है, लेकिन जूडो कराटे सीखकर भी एक लड़की या महिला के लिए आत्मरक्षा का सबसे पहला मंत्र यही है कि पहले बिना लड़े खुद का बचाव कैसे किया जाए। लड़ने की मनाही नहीं है, लेकिन शारीरिक संघर्ष अंतिम विकल्प है और बहुत मुश्किल विकल्प भी है। सबसे पहला प्रयास यही होना चाहिए कि लड़ना भी न पड़े और आत्मरक्षा हो जाए।किसी पुरुष के साथ शारीरिक संघर्ष तभी टल सकता है जब किसी लड़की या महिला को यह पता हो कि विभिन्न परिस्थितियों में बिना लड़े खुद का बचाव कैसे किया सकता है। तो आइए उन सावधानियों और उपायों की चर्चा करें जिन पर अमल करके बिना लड़े खुद का बचाव किया जा सकता है।
1- सॉफ्ट टारगेट बनने से बचें
(Avoid becoming a soft target)
अपराधियों की मानसिकता और उनके अपराध के अंजाम देने के तरीके का अध्ययन करने वाले जानकार कहते हैं कि सेक्सुअल हमले में अपराध के चार चरण होते है। पहला- अपराधी सबसे पहले यह देखता है कि कोई महिला उसकी साफ्ट टारगेट है या नहीं। जब वह निश्चिंत हो जाता है तभी वह आगे कदम बढ़ाता है। अगर उसके मन में टारगेट को लेकर शंका होगी तो वह अगला कदम लगभग नहीं ही उठाएगा। सॉफ्ट टारगेट का चुनाव कुछ मिनट में भी हो सकता है और इसमें महीनों भी लग सकते हैं।
दूसरा- टारगेट तय होने पर अपराधी उसे पराजित करने (शारीरिक संघर्ष से या बहला-फुसलाकर) का प्रयास करता है। टारगेट को उस स्थान से हटाकर सुरक्षित अपराध स्थल पर ले जाने की कोशिश भी होती है।
तीसरा- टारगेट को पूरी तरह काबू में करने के लिए उसे ज्यादा चोट पहुंचाना।
चौथा- अपनी हवस पूरी करना।
जब बिना लड़े आत्मरक्षा की बात की जाती है तो उसका सीधा संबंध पहले चरण से है। यानी एक महिला की तरफ से ऐसे कदम उठाना जिससे उसका सामना किसी बदमाश से हो ही नहीं और यदि हो भी जाए तो बदमाश को वह महिला सॉफ्ट टारगेट न लगे या बदमाश असमंजस में रहे कि महिला सॉफ्ट टारगेट हो सकती है या नहीं। किसी महिला के लिए खुद को सॉफ्ट टारगेट नहीं बनने देने के कुछ उपाय इस प्रकार हैं-
2- खुद को कभी भी सुरक्षित न समझें
3- खतरे की
हैं दो पहचान, गलत जगह-गलत इनसान
4- गलत
पुरुष को उसकी हरकतों से पहचानें
जब बिना लड़े आत्मरक्षा की बात की जाती है तो उसका सीधा संबंध पहले चरण से है। यानी एक महिला की तरफ से ऐसे कदम उठाना जिससे उसका सामना किसी बदमाश से हो ही नहीं और यदि हो भी जाए तो बदमाश को वह महिला सॉफ्ट टारगेट न लगे या बदमाश असमंजस में रहे कि महिला सॉफ्ट टारगेट हो सकती है या नहीं। किसी महिला के लिए खुद को सॉफ्ट टारगेट नहीं बनने देने के कुछ उपाय इस प्रकार हैं-
जब आप घर से बाहर हों When you are out of the house
- उजाले वाले इलाके में ही चलें और ऐसे ही इलाके में अपना वाहन पार्क करें।
- अपने पैदल आने-जाने के रास्ते और समय को यथासंभव बदलती रहें।
- घर में मौजूद परिवार के सदस्यों को थोड़े-थोड़े अंतराल पर अपने बारे में जानकारी देती रहें। परिजनों को भी चाहिए कि वे थोड़े-थोड़े समय बाद आपके बारे में पूछते रहें।
- झाड़ियों, दरवाजों, किसी रास्ते के मुहाने, खड़े वाहनों के झुंड के निकट से न गुजरें।
- खोई-खोई सड़क पर न चलें। हमेशा सतर्क रहें। अपने आसपास को लेकर सजग रहें।
- हमेशा भीड़ भरे रास्ते से जाएं। जल्दबाजी के चक्कर में सुनसान रास्ता न चुनें।
- अपरिचित इलाके में रात के समय मोबाइल पर गाने न सुनें।
- सकुचाई और घबराई हुई न चलें। ऐसा न लगे जैसे आप निरुद्देश्य चल रही हों।
- दफ्तर में कभी किसी को कमरे का दरवाजा बंद न करने दें।
- घर से बाहर कपड़े और जूते ऐसे होने चाहिए जिससे आप आसानी से मूव कर सकें। कपड़े आपके शरीर से आसानी से उतरने वाले नहीं होने चाहिए।
- किसी अनिश्चित सुरक्षा वाली जगह में बालों को कसकर छोटा रखना ही ठीक रहेगा।
- बैग में चिली स्प्रे, सुरक्षा अलार्म, बॉल प्वाइंट पेन, नेल कटर, छोटा पेचकस जैसी चीजें भी रखें, जिससे आत्मविश्वास बना रहे और जरूरत पड़ने पर इनका इस्तेमाल भी हो सके।
- बाहर से आने पर घर के दरवाजे या खिड़कियों पर ऐसा संकेत देखती हैं जिससे पता चलता है कि संभवतः अंदर कोई घुसा है तो अंदर न जाएं। परिचितों, पुलिस को फोन करें।
- पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करते वक्त दरवाजे के आसपास ही बैठें।
- मोबाइल को हमेशा ऑन रखेें और सुरक्षा वाले नंबरों को स्पीड डायल पर रखें।
- अपने कार्यस्थल के आसपास के वैकल्पिक रास्तों की पूरी जानकारी रखें।
- शहर के सुरक्षा संबंधी नंबर, हेल्पलाइन नंबर हर समय अपने पास रखें।
जब आप घर में हों When you are at home
- घर के सबसे बाहर के दरवाजे में ताला लगाकर रखें।
- घर में अकेली हों तो सभी बाहरी दरवाजे और खिड़कियां अच्छी तरह से बंद कर लें।
- अक्सर हम पिछवाड़े या सीढ़ी का दरवाजा बंद करना भूल जाते हैं। ऐसी चूक न करें।
- फोन पर या गेट के पास किसी से बातों के दौरान जाहिर न होने दें कि आप अकेली हैं।
- घर में अलार्म सिस्टम लगवाएं। अलार्म नहीं है तो कार के रिमोट को ही बिस्तर के पास रख लें। जब भी अनजानी आवाज सुने, रिमोट दबा दें। दरअसल अपराधियों को आवाज या शोर से बहुत कोफ्त होती है। अलार्म बजने पर वे आसानी से किसी घर में प्रवेश नहीं करते।
2- खुद को कभी भी सुरक्षित न समझें
Never consider yourself safe
- अगर आप यह सोच लें कि आपको कुछ नहीं हो सकता और आप बिल्कुल सुरक्षित हैं तो यह भ्रम आपको बहुत बड़े संकट में डाल सकता है। किसी के साथ कुछ भी हो सकता है।
- अगर हम सोचेंगे नहीं और विपत्ति अचानक टूट पड़ेगी तो ज्यादा संभावना यही है कि हम कुछ न कर पाएं। जिंदगी के संभावित खतरों के बारे में समय मिलने पर जरूर विचार करें।
- अगर आप शहर में रेप की कोई खबर पढ़ती या टीवी पर देखती है तो यह जरूर सोचें कि यदि उस स्थिति में आप होतीं तो बचने के लिए क्या करतीं। जरूरी नहीं कि आप सटीक उपाय सोच पाएं लेकिन दुर्भाग्यवश यदि कभी आपको ऐसी या उससे कुछ अलग स्थिति का सामना करना पड़ गया तो आप बच निकलने में उस महिला से अपने को ज्यादा सक्षम पाएंगी जिसने ऐसी स्थिति के बारे में कभी नहीं सोचा था।
- सोचने का तरीका ये है कि जो चीज आपको चिंता में डाल रही है, उसके बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी जुटाएं। पढ़ें, उस विषय से संबंधित फिल्म देखें। उस विषय पर, जिन लोगों से संभव हो सके, चर्चा करें। इस तरह से कुछ नई बातें निकलकर आएंगी जो न सिर्फ आपको सहज बनाएंगी बल्कि संकट के समय आपको बच निकलने के उपाय भी सुझाएंगी।
- अगर आप अपनी जिंदगी से जुड़े विभिन्न हालातों और उनसे निकलने के बारे में सोचेंगी तो आप पाएंगी कि आप खतरे की घंटी को जल्दी सुन लेती हैं। आपका सिक्स्थ सेंस ज्यादा तेजी से काम करने लगता है। आप माहौल को ज्यादा अच्छी तरह पढ़ लेती हैं।
3- खतरे की
हैं दो पहचान, गलत जगह-गलत इनसान
(There are two identities of danger, wrong place
- wrong man)
- किसी महिला को दो स्थितियों में सबसे ज्यादा खतरा होता है:- एक- उसे गलत पुरुष का साथ मिल जाए। दो- वह गलत जगह (खतरे की जगह) पर पहुंच जाए या फंस जाए। ये दोनों स्थितियां अलग-अलग हों तो हो सकता है कि महिला के बचाव की गुंजाइश बन जाए, लेकिन वहां स्थिति खतरनाक हो जाती है जब जगह और पुरुष, दोनों ही गलत हों।
- अनेक बार सुरक्षित जगह पर भी खतरे के कई स्थान होते हैं। जैसे एक बड़ा मॉल है। खूब लोग हैं, भीड़भाड़ है। सुरक्षा के भी इंतजाम हैं। यानी ठीक जगह है, लेकिन यहीं कई खतरे की जगह भी हैं। जैसे पार्किंग, एक लंबी गैलरी पार करके पड़ने वाला टॉयलेट, महिलाओं का चेंज रूम आदि
- जैेसे सड़क पर ट्रैफिक है, लोग भी आ-जा रहे हैं। एक जगह पेट्रोलिंग पुलिसकर्मी भी खड़े दिखाई दे रहे हैं, लेकिन इसी सड़क पर कुछ आगे कई सारे वाहनों का झुंड खड़ा है। इसी सड़क पर एक किनारे काफी दूर तक झाड़ियां ही झांड़ियां हैं। ये इस सही स्थान पर भी खतरे की जगह हैं। पैदल चलते वक्त इन जगहों से हटकर चलें।
- किसी शानदार विशाल भवन की ऊंची-ऊंची दीवारें, उन दीवारों में खुलने वाले दरवाजे भी ध्यान देने योग्य हैं। यदि कोई महिला दीवार के सहारे-सहारे चलती है तो हो सकता है कि दीवार के खत्म होते ही दीवार के दूसरी तरफ खड़ा पुरुष उसे अचानक खींच ले। इसी तरह दीवार के सहारे-सहारे चलने पर दीवार में खुले दरवाजे में आप अचानक खींची जा सकती हैं। यानी आपको दीवार और ऐसे दरवाजों से दूरी बनाकर चलना चाहिए।
- किसी भवन की लिफ्ट और सीढ़ियां भी किसी अच्छे स्थान पर खतरे की जगह हैं। आप यह देखें कि लोग लिफ्ट से ज्यादा जा रहे हैं या सीढ़ियों से। अगर लोग सीढ़ियों से भी जा रहे हैं तो आप सीढ़ियों का इस्तेमाल कर सकती हैं। लिफ्ट में भीड़भाड़ है तो लिफ्ट ठीक है।
- एक होटल या पार्टी स्थल पर भारी चहल-पहल है, लेकिन इसी ठीक जगह पर यदि आप किसी पुरुष के साथ अकेली किसी कमरे में आ गई हैं तो समझिए कि आप एक सही स्थान पर भी खतरे की जगह में आ गई हैं। यदि पुरुष ने शराब पी रखी है तो यह खतरा दो गुना हो जाता है और यदि आपने भी शराब पी रखी है तो खतरा चौगुना हो जाता है।
4- गलत
पुरुष को उसकी हरकतों से पहचानें
Identify the wrong man with his antics
यदि कोई बदमाश पुरुष खुद को विनम्रता के आवरण के
पीछे छिपा रहा है तो एक महिला निम्न लक्षणों के आधार पर उसे पहचान सकती है।
- ऐसा पुरुष बहला-फुसलाकर महिला को एकांत जगह पर ले जाने का प्रयास करता है।
- उसका प्रयास होता है कि महिला खुद पर नियंत्रण खो दे और उसके कहे अनुसार चले।
- ऐसा पुरुष खुद को वैसी ही दशा या दुर्दशा में होना दर्शाता है, जैसी दशा में महिला होती हैं। वह खुद और महिला के बीच बहुत सी बातें कॉमन बताता है।
- ऐसा अजनबी पुरुष जरूरत से ज्यादा नम्र और अच्छा दिखने की कोशिश करता है।
- ज्यादा विश्वसनीय दिखाने को अपने बारे में जरूरत से ज्यादा जानकारी देने लगता है।
- मदद न मांगने पर भी मदद का उपक्रम शुरू कर देता है।
- वह वादा भी करने लगता है। जैसे “मेरा विश्वास करें” या “मेरी तरफ से निश्चिंत रहें।”
- बेशक कोई सभ्य पुरुष भी आपकी मदद को तत्पर हो सकता है, लेकिन सभ्य और बदमाश का फर्क आप अपनी एक “ना” से तुरंत कर सकती हैं। यानी यदि आप मदद के लिए एक नहीं कई बार मना कर चुकी हैं, लेकिन वह बार-बार आपकी ना को अनसुना करके मदद का उपक्रम कर रहा है तो समझ जाइए कि आप खतरे के नजदीक हैं। एक सभ्य पुरुष के लिए आपकी गंभीर ना का मतलब ना ही होगा। वह बार-बार आपकी ना को अनसुना नहीं करेगा। विशेषज्ञ कहते हैं कि “ना” अपने आप में पूरा वाक्य है। एक महिला को अपनी “ना” का महत्व समझना चाहिए। यदि उसकी “ना” को कोई पुरुष महत्व नहीं दे रहा है तो समझिए कि उसकी नीयत ठीक नहीं है।
- लड़कियां अपनी आत्मरक्षा कैसे करें...कड़ी-2
https://stotybylavkumar.blogspot.com/2020/03/How-do-girls-their-self-defense-Episode-2.html
- लड़कियां अपनी आत्मरक्षा कैसे करें..कड़ी-3
https://stotybylavkumar.blogspot.com/2020/03/How-girls-do-their-self-defense-Episode-3.html
- लव कुमार सिंह
No comments:
Post a Comment