Canada made marijuana common..It will affect Punjab in India
कनाडा (Canada) दुनिया का पहला ऐसा विकसित देश (Developed Country) बन गया है जिसने मारिजुआना (भांग, चरस, गांजा, हशीश के लिए प्रयोग होने वाला कॉमन नाम) ड्रग्स की आम बिक्री को वैध घोषित कर दिया है। 17 अक्टूबर 2018 से मारिजुआना कनाडा के लोगों के लिए प्रतिबंधित पदार्थ नहीं रह गया। यह उनके लिए आनंद का वह वैध पदार्थ बन गया है जो अपने साथ स्वास्थ्य संबंधी बहुत सारे खतरे भी लेकर आता है।
कनाडा का यह समाचार भारत के पंजाब राज्य के लिए भी बुरी खबर है क्योंकि पंजाब में पहले से ही नशे की समस्या (Drugs Problem in Punjab) है। कनाडा में भारी संख्या में पंजाब से लोग गए हैं। कनाडा से प्रवासियों (NRI) का आवागमन पंजाब में होता रहता है और यहां से भी काफी संख्या में लोग कनाडा जाते रहते हैं। ऐसे में कनाडा में रहने वाले पंजाबियों को वहां पर आसानी से मारिजुआना जैसे ड्रग की उपलब्धता रहेगी जो कहीं न कहीं पंजाब तक अपना असर दिखाएगी।
यहां बताते चलें कि उरुग्वे दुनिया का पहला देश है जिसने 2013 में अपने यहां मारिजुआना के उत्पादन और बिक्री को वैध किया था। अपने देश में कांग्रेस के नेता शशि थरूर (Shashi Tharur) मारिजुआना को कानूनी रूप से वैध करने का सुझाव रख चुके हैं। बताया जाता है कि उनसे पहले योग गुरु रामदेव (Baba Ramdev) भी ऐसा सुझाव दे चुके हैं। दुनियाभर में ऐसे बुद्धिजीवी, प्रोफेसर, सेलेब्रिटी और अन्य तमाम लोग हैं जो मारिजुआना या गांजे को अवैध ड्रग्स के दायरे से बाहर रखना चाहते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका में 60 प्रतिशत लोग गांजे को वैध करने के पक्ष में हैं।
फायदे और नुकसान को लेकर विवाद
फायदे और नुकसान को लेकर विवाद
Controversy over the advantages and disadvantages of marijuana
मारिजुआना और इसके नशे को लेकर दुनियाभर में विवाद है। कई अध्ययनों में पाया गया है कि मिर्गी, पोस्ट ट्रामेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर, अल्जाइमर, पार्किंसंस, सिकल सैल और स्क्लीरोसिस जैसी बीमारियों के इलाज में मारिजुआना से फायदा हुआ है। लेकिन साथ ही इसमें भी कोई शक नहीं है कि कम आयु के लोगों के लिए यह नशीला पदार्थ नुकसानदेह है। इससे विकसित हो रहे मस्तिष्क पर विपरीत असर होता है। मानसिक क्षमता प्रभावित होती है। मारिजुआना 21 वर्ष से कम आयु के लोगों के लिए निश्चित ही नुकसानदायक है। एक अध्ययन के अनुसार मारिजुआना से सीखने और अनुभूति करने की क्षमता पर प्रभाव पड़ता है।
सबसे प्रचलित नशीला पदार्थ
The most popular Intoxicating substance on earth
मारिजुआना धरती पर सबसे अधिक प्रचलित नशीला पदार्थ है। मारिजुआना (भांग-चरस-गांजा-हशीश) का दूसरा नाम कैनाबिस भी है। यह कैनाबिस सैटाइवा (Cannabis sativa) नाम के पौधे से प्राप्त होता है। इसे गांजा के पौधे से भिन्न-भिन्न विधियों (गांजा, चरस और भांग) से बनाया जाता है।
मादा भांग के पौधे के फूल, आसपास की पत्तियों और तनों को सुखाकर बनने वाला गांजा सबसे ज्यादा प्रचलित है। मादा पौधों से जो रालदार स्राव निकलता है, उसे हाथ से काछकर अथवा अन्य विधियों से संगृहीत किया जाता है। इसे चरस या सुल्फा कहा जाता है। कैनाबिस के सभी प्रकार के पौधों की पत्तियों से भांग तैयार की जाती है। कैनाबिस सैटाइवा की सूखी पत्तियां हशीश कहलाती हैं।
चिकित्सा क्षेत्र में उपयोग
गांजा और चरस का तम्बाकू के साथ धूम्रपान के रूप में प्रयोग होता है। भांग को विभिन्न पेय पदार्थों में मिलाकर प्रयोग किया जाता है। तीनों मादक द्रव्यों का उपयोग चिकित्सा क्षेत्र में उनके मनोल्लास-कारक और उनके अवसादक गुणों के कारण होता है। खासकर पाचन विकृति, अतिसार,काली खाँसी, अनिद्रा आदि समस्याओं में इनका उपयोग होता है। लेकिन इनके ज्यादा या लगातार सेवन से भूख मर जाती है, व्यक्ति अनिंद्रा का शिकार हो जाता है। शरीर में दुर्बलता आ जाती है।
दुरुपयोग और नुकसान की पूरी आशंका
चिकित्सक मारिजुआना और उसके प्रयोग के बारे में जानते हैं तो वे नियंत्रित मात्रा में रोगी को इससे संबंधित दवा दे सकते हैं, लेकिन यदि इसकी बिक्री खुले बाजार में वैध कर दी जाती है तो आम लोगों के लिए यह निश्चित ही एक खतरनाक स्थिति होगी।
चिकित्सकों के अनुसार लगातार गांजा पीने से इंसान को अवसाद या डिप्रेशन, फेफड़ों की बीमारी या फिर दौरे भी पड़ सकते हैं। बहुत से मामलों में पाया गया है कि गांजे के लगातार इस्तेमाल से याददाश्त कमजोर हो जाती है। तार्किक समझ और फैसले लेने में मुश्किल हो सकती है।
हशीश की बिक्री ब्लॉक के रूप में होती है। लेने वाले इसे तोड़कर धूम्रपान के रूप में इस्तेमाल करते हैं। हर व्यक्ति पर हशीश का असर एक जैसा नहीं पड़ता है बल्कि उसमें अंतर होता है। कुछ लोगों पर यह कम प्रभाव डालता है जबकि कुछ लोगों में बहुत ज्यादा। अपने प्रभाव में यह पदार्थ तेज शराब जैसा होता है यानी इसके इस्तेमाल के बाद वैसा ही प्रभाव पड़ता है जैसे तेज शराब पीने के बाद पड़ता है।
हशीश की लत भी बुरी तरह लगती है। हशीश का सबसे बड़ा नुकसान तो यह है कि इससे प्रतिरोधक क्षमता में कमी आती है। प्रतिरोधक क्षमता घटने से छोटी-बड़ी सभी प्रकार की बीमारियों घेरने लगती हैं। हशीश से स्मृति भी प्रभावित होती है। कोई चीज सीखने में दिग्कत आती है और व्यक्ति के विचार स्पष्ट नहीं रह पाते हैं। उसे समन्वय स्थापित करने में भी मुश्किल होती है।
जब किसी व्यक्ति को हशीश की लत लग जाती है तो वह व्यक्ति धीमा बोलने लगता है। उसकी आंखें लाल दिखाई देती हैं जबकि आंखों की पुतलियां फैली रहती हैं। व्यक्ति हर समय उनींदा सा बना रहता है। वह किसी काम को तेजी से नहीं कर पाता है।
कुल मिलाकर मारिजुआना जैसी चीजें दवा तक ही सीमित रहनी चाहिए। यदि इन्हें सर्वसुलभ कर दिया जाता है तो इनके दुरुपयोग से लोगों को भारी नुकसान हो सकता है।
- लव कुमार सिंह
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