The Rain no longer romanticizes us
ये बारिश हमें अब
रोमांटिक नहीं करती
राज-नरगिस के गीतों पे
ध्यान नहीं धरती
ना उम्र का तकाजा है
न नकारात्मक है मति
बात कटु यथार्थ की है
बड़ी विकट है स्थिति।
ये बारिश हमें अब
रोमांटिक नहीं करती....
...............
यूं ही एक दिन, चली आई बारिश
घर में अकेले, वे थे दंपत्ति
देख बेईमान मौसम, मचल गया दिल
पर नीचे जो देखा, तो थी दुर्गति
बाहर की गली को, नदिया बनाके
ड्राइंग रूम में आ धमकी, वो नटखटी
रोमांस क्षण में, हुआ रफूचक्कर
और घुटनों तक पानी में, रात वो कटी।
ये बारिश हमें अब
रोमांटिक नहीं करती....
..............
बैठ सामने टीवी के, अहसास ये अजब है
मानो बिहार-असम की नदियां, हमीं से हैं सटी
देख दर्द उनका, अटके गले में रोटी
कहीं डूबता है कोई, सांस हमारी घुटी
सड़क पे जो बंधु तुम, रूमानी होना चाहो
याद आती है वो, जो मिंटो ब्रिज पर घटी
कइयों की बेबसी, बखान से परे है
खौफ-ए-बारिश से, उनकी आखें हैं फटी।
ये बारिश हमें अब
रोमांटिक नहीं करती....
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फटते हैं कहीं बादल, और गिरे है बिजुरिया
करते हैं दोनों मिलकर, बहुत भारी क्षति
चारों तरफ है दिखता, बस पानी ही पानी
पर पी नहीं सकते, है ऐसी त्रासदी
बतलाओ ऐसे में, रुमानी कैसे हो कोई
रोमांस की फुलझड़ियां, बारिश में भीगतीं
हर सुकूनी ठिकानों के, बंद होते रस्ते
पानी में डोलें लूलू, और रात ना कटी।
ये बारिश हमें अब
रोमांटिक नहीं करती....
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एक दिन बंदे ने, अखबार यूं ही छोड़ा
और रिमोट टीवी का, दूर धर आया पति
मगर ऑडियो बीवी का, न बंद कर सका वो
उसे सुनना था जरूरी, वरना दुर्घटना घटी
बोली...बैठक का फर्श, ऊंचा कराना है
सीवर लाइन की मरम्मत, भी कराओ अभी
बाथरूम में निकलते, कॉकरोच मारो
करो नए घर का वादा, तो लगे प्रेम की झड़ी।
ये बारिश हमें अब
रोमांटिक नहीं करती...
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बेशक, बारिश भी, बहुत है जरूरी
पर बादलों को देख, क्यों देह कांपती?
बारिश होती बाहर, और नाला आता घर में
ये कौन सा रस्ता है, ये कौन सी गति?
बेशक बहुत से, बारिश में मगन गाते
पर उनका क्या हो जिनकी, दुनिया उजड़ती?
क्या ऐसा नहीं संभव, कि चेहरे खिलें सबके
सभी साथ गाएं, और करें मटरगश्ती?
ये बारिश हमें अब
रोमांटिक नहीं करती.....
- लव कुमार सिंह
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