Leave Vikas Dubey, see the sea of real Vikas (development)
- मध्य प्रदेश के रीवा जिले में हुआ एशिया के सबसे बड़े सौर ऊर्जा प्लांट का उद्घाटन
- 750 मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता का यह प्लांट 1500 हैक्टेयर से ज्यादा भूमि में फैला है
यह कितनी बड़ी उपलब्धि है, यह इस तथ्य से समझिए कि एक ताप विद्युत संयंत्र को 750 मेगावाट बिजली बनाने के लिए 330 टन कोयला की जरूरत होती है, जबकि इस सौर ऊर्जा संयंत्र में 750 मेगावाट बिजली सूर्य की रोशनी से मुफ्त में बनेगी। इसके लिए किसी प्रकार के ईधन की जरूरत नहीं होगी।
सौर ऊर्जा के क्षेत्र में देश किस तरह से विकास कर रहा है, इसका पता इस तथ्य से लगता है कि 2014 में भारत के पास 2632 मेगावाट की सौर ऊर्जा की क्षमता थी। यह क्षमता 2020 में बढ़कर 37630 मेगावाट हो गई है। पिछले छह वर्ष में देश में सौर ऊर्जा का उत्पादन 2.6 गीगा वाट से बढ़कर 37 गीगा वाट हो चुका है।
रीवा मेें मौजूद इस सौर ऊर्जा प्लांट से केवल मध्य प्रदेश की औद्योगिक इकाइयों को ही फायदा नहीं मिलेगा बल्कि दिल्ली की मेट्रो रेल परियोजना भी इसका लाभ उठाएगी। इसकी 24 प्रतिशत बिजली दिल्ली मेट्रो को जाएगी। 76 प्रतिशत बिजली मध्य प्रदेश में उपयोग होगी। रीवा के साथ ही मध्य प्रदेश में शाजापुर, नीमच और छतरपुर में भी सौर ऊर्जा पावर प्लांट पर काम चल रहा है। रीवा के इस संयंत्र को विश्व बैंक की तरफ से भी नवाचार का पुरस्कार मिल चुका है।
उल्लेखनीय है कि भारत ने 2022 तक देश में 175 गीगा वाट रिन्यूएबल ऊर्जा उत्पादित करने का लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य को पाने की दिशा में रीवा सौर ऊर्जा प्लांट एक बहुत बड़ी उपलब्धि है।
मध्य प्रदेश में किसानों को सीएम सोलर पंप स्कीम के तहत 18068 सोलर पंप दिए जा चुके हैं, जबकि मार्च 2024 तक किसानों को 2 लाख सोलर पंप देने का लक्ष्य रखा गया है।
उल्लेखनीय है कि भारत ने फ्रांस के साथ मिलकर 2018 में अंतरराष्ट्रीय सोलर गठबंधन (इंटरनेशन सोलर एलायंस) बनाया था, जिसका मुख्यालय भी भारत के गुरुग्राम में है। आज इस गठबंधन के सदस्य देशों की संख्या 83 हो चुकी है।
आइए अब कुछ और फोटोग्राफ्ट के जरिये रीवा के इस विशालकाय सौर ऊर्जा प्लांट का नजारा देखते हैं-
- लव कुमार सिंह
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