Sunday 19 July 2020

मोदी की बढ़ी हुई दाढ़ी और मूंछ....हर व्यक्ति निकाल रहा अलग-अलग अर्थ

PM Modi's growing beard and mustache : Different people extracting different meanings



कोरोना और लॉकडाउन काल में हजारों आम लोगों का हुलिया बिल्कुल बदल गया है, लेकिन यदि राजनीति की तरफ नजर डालें तो तीन लोगों का हुलिया खास तौर से लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींच रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मूंछ और दाढ़ी में कोरोना अवधि के दौरान काफी बदलाव देखने को मिला है। उधर, राहुल गांधी के बड़े बाल और बेहद पतले चेहरे ने उनके प्रशंसकों और विरोधियों, दोनों का ध्यान खींचा। वीडियो संदेश में प्रियंका वाड्रा के चेहरे पर लगे बड़े चश्मे ने भी बदलाव का संकेत दिया। आइए अब एक-एक करके इनकी चर्चा करते हैं-

मोदी की मूंछ और दाढ़ी : कुछ लोगों की कल्पना की उड़ान रविंद्र नाथ टैगोर तक चली गई


यह फोटो 2017 की है जब मोदी ने नोटबंदी की घोषणा की थी। उसके बाद से मोदी का लुक कमोबेश ऐसा ही रहा है


यह फोटो 2020 में कोरोना काल की है जब मोदी ने कई बार राष्ट्र के नाम संदेश दिया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस पोस्ट में दिए गए पुराने और नए फोटो में साफ दिख रहा है कि अब उनकी मूंछें काफी मोटी हो गई हैं। वे उनके ऊपरी होठ पर भी आ रही हैं और थोड़ा घुमाव लेते हुए दाढ़ी के साथ मिल रही हैं। इसी के साथ नरेंद्र मोदी की दाढ़ी भी पहले के मुकाबले काफी बढ़ गई है। 2021 में इसकी लंबाई और भी ज्यादा बढ़ गई।

अगर इन दोनों लुक्स के प्रभाव की बात करें तो पुराने लुक में करीने से ट्रिम हुई दाढ़ी और मूंछ के साथ ही सिर पर थोड़े उठे हुए सेट बाल मोदी के लुक को सख्त, ठोस और थोड़ा आक्रामक बनाते थे। कोरोना काल के नए लुक में मोटी मूंछें जरूर थोड़ी रौबीली हैं, लेकिन ज्यादा बढ़ी हुई दाढ़ी और सिर के थोड़े से बढ़े और थोड़े कम संवरे बाल उनकी छवि को पहले से ज्यादा नरम और मृदुल बना रहे हैं। 
अब यह तो नरेंद्र मोदी ही जानें कि ऐसा जानबूझकर किया गया है या फिर यह कोरोना काल में उनकी अति व्यस्तता के कारण हुआ है। मोदी के बहुत से प्रशंसकों को इस नए लुक में उनकी शेर जैसी छवि भी दिखाई दे रही हैं तो कई लोगों को यह लुक दूसरी वजह से पसंद या नापसंद आ रहा है और वो वजह यह है कि इस लुक में वे थोड़ा वात्सल्य भाव लिए हुए, परिवार के बड़े बुजुर्ग जैसे, नरम स्वभाव वाले व्यक्ति नजर आते हैं।

मोदी के कोरोना काल के लुक को देखकर कुछ लोगों की कल्पना की उड़ान बंगाल चुनाव और रविंद्र नाथ टैगोर तक भी जा पहुंची। नीचे के चित्र में देखिए कि कैसे किसी ने कल्पना की है कि नरेंद्र मोदी की मूंछें और दाढ़ी बंगाल चुनाव तक बढ़ते-बढ़ते रविंद्र नाथ टैगोर जैसी हो जाएंगी। कुछ ऐसा हो भी गया। यह किसी मोदी विरोधी की कल्पना की उड़ान है, जिसमें उसने अनजाने में ही नरेंद्र मोदी की तुलना रविंद्र नाथ टैगोर से कर डाली है। हालांकि फोटो के नीचे की पंक्तियों में उसने हिसाब बराबर करने की कोशिश भी की है।


इसी बीच ज्योतिष का ज्ञान रखने वाले नरेंद्र मोदी की बढ़ी हुई दाढ़ी को दूसरी तरह से देख रहे थे। इस लेखक के फेसबुक मित्र और ज्योतिष के जानकार प्रयागराज के प्रमोद शुक्ला अपनी फेसबुक वाल पर लिखते हैं-

जिन लोगों को यह लगता है कि मोदी जी ज्योतिष को नहीं मानते, वो मूर्ख हैं। जब से उन्हें ज्योतिष की गहराइयों का ज्ञान हुआ मोदी जी ने दाढ़ी बनाना छोड़ दिया। अब राहुल बाबा टाइप के लोग कितना भी हल्ला मचाते रहें कि "चोर की दाढ़ी में तिनका" पर मोदी जी जीवन पर्यन्त दाढ़ी नहीं बनवाएंगे। यह बात उतनी ही अटल सत्य है जितना यह कि सूर्य को पूर्व दिशा से ही निकलना है। इसके पीछे छिपा एक ज्योतिषीय रहस्य है। दरअसल शनि व शुक्र की युति से मोदी जी की कुंडली के बारहवें घर में बना प्रचंड शत्रुहंता राजयोग एक ओर जहां छठें घर में बैठे शत्रु राहु का दमन करता है, वहीं दूसरी ओर शनि की दसवीं दृष्टि भाग्य भाव को पुष्ट करती है। और यही शनि खुद पुष्टि पाता है दाढ़ी से क्योंकि उसकी तीसरी दृष्टि दूसरे घर में बैठे चंद्रमा पर है। चंद्रमा को कमजोर कर के शनि तो खुश होता है पर चंद्रमा जितना ही कमजोर होता है, राजयोग की शक्ति उतनी ही द्विगुणित होती जाती है। क्योंकि चंद्रमा कुंडली में दसमेश अर्थात राजगद्दी का कारक है। ध्यान रहे कि चंद्रमा की ही मोदीजी की महादशा भी चल रही है।
दूसरी ओर राहु की शत्रु दृष्टि भी चन्द्रमा पर पड़ रही है। इस राहु के लिए भी मोदीजी ने बड़ी बारीकी से उपचार किया है। देश के बाहर नेपाल में जाकर भोले बाबा के दरबार में ढाई हजार किलो चंदन दान दे आए। चंदन राहु का प्रतीक होता है। चंदन का दान वो भी भोलेनाथ के दरबार में, तो भोले बाबा ने जो चमत्कार किया उससे पूरी दुनिया चमत्कृत है। नरेन्द्र तो अपने नाम के अनुरूप नरों के इंद्र होते गये, पर नेपाल बहुत ही बुरी तरह से राहु रूपी ड्रैगन अर्थात चीन के चंगुल में जकड़ता गया। उधर चीन ख़ुश हो रहा है कि उसने नेपाल को भारत के विरुद्ध कर दिया। पर चीन यह नहीं देख पा रहा है कि मोदी ने पूरी दुनिया को ही चीन के खिलाफ खड़ा कर दिया है।

उधर, कुछ लोग इसे छत्रपति शिवाजी की शैली वाली दाढ़ी बता रहे हैं। लेकिन  जेएनयू की पूर्व छात्रा शेहला राशिद ने मोदी की वर्तमान दाढ़ी को 'एर्तुग्रुल दाढ़ी' (Ertugrual Beard) कहा है। अयोध्या में राम मंदिर के भूमि पूजन के दिन 5 अगस्त 2020 को शहला राशिद ने ट्वीट करके सवाल किया कि मोदी 'एर्तुग्रुल दाढ़ी' क्यों रख रहे हैं? यहां बताते चलें कि 'एर्तुग्रुल तुर्की मूल का शब्द है जिसका एक अर्थ जंगली चिड़िया होता है। इसी के साथ 'स्वच्छ हृदय वाला' और 'सच्चे योद्धा' को भी 'एर्तुग्रुल  कहा जाता है। मुस्लिमों में कई लड़कों का नाम भी 'एर्तुग्रुल रखा जाता है।

इसके बाद यह प्रसंग और भी आगे बढ़ गया जब कांग्रेस नेता शशि थरूर ने पत्रकार बरखा दत्त के चैनल पर मोदी की दाढ़ी पर चर्चा की। थरूर का विचार था कि मोदी दाढ़ी-मूंछ बढ़ाकर ऐसा दिखाना चाहते हैं कि वे नए भारत के 'ऋषिराज' हैं। वे एक राजर्षि की भूमिका में खुद को दिखाना चाहते हैं, जो भगवा वस्त्र पहने हुए है। बरखा दत्त  ने इसे म़ॉडर्न पॉलिटिक्स बताया। बरखा ने कहा कि आप क्या दिखाना चाहते हैं, क्या संदेश देना चाहते हैं और कैसी छवि प्रदर्शित करना चाहते हैं- ये सब आजकल की आधुनिक राजनीति का अंग बन गए हैं।


राहुल गांधी का चेहरा और बाल- ये बदलाव कैसे हुआ?


राहुल गांधी कोरोना काल से पहले

राहुल गांधी कोरोना काल में

कोरोना काल में राहुल गांधी के लुक में भी भारी बदलाव आया। 2020 में उनका चेहरा पहले के मुकाबले काफी पतला और कमजोर दिखा। कुछ फ्रेम में तो ऐसा लगता है जैसे उनका चेहरा दोनों तरफ से दबा दिया गया हो। इससे उनकी नाक भी पहले से ज्यादा लंबी नजर आई। उनके बाल बढ़े हुए थे। बालों की यह शैली कुछ-कुछ उनके पिता राजीव गांधी जैसी दिखी। हालांकि राजीव गांधी उतने बड़े बाल नहीं रखते थे जितने बड़े बाल राहुल गांधी के 17 जुलाई 2020 के विदेश नीति वाले वीडियो में नजर आते हैं। 

राहुल गांधी मार्शल आर्ट के जानकार हैं। हो सकता है कि कोरोना काल में उन्होंने अपने शरीर पर जबर्दस्त मेहनत की हो। उनके नए लुक को देखकर ऐसा भी लगा कि वे कुछ अलग प्रकार का डाइट प्लान भी फॉलो कर रहे थे। हालांकि बहुत से आम लोगों को राहुल अपने इस नए लुक में बीमार जैसे भी नजर आए, क्योंकि इस लुक में वे काफी कमजोर और उम्रदराज लगे। जहां तक लुक के प्रभाव की बात है तो कोरोना काल का लुक पहले वाले लुक से थोड़ा ज्यादा गंभीर नजर आता है। अब यह जानबूझकर किया गया है या अनायास हो गया है, यह तो राहुल गांधी ही बता सकते हैं। हालांकि यह भी सच है कि वे विरोधियों द्वारा बना दी गई अपनी 'पप्पू' वाली छवि से बाहर निकलने के लिए जबर्दस्त प्रयास कर रहे हैं और हो सकता है कि यह उसी दिशा में किया गया एक प्रयास हो।

वैसे राहुल गांधी के बदले लुक से एक रोचक सवाल भी उठा। 10 जुलाई 2020 को राहुल गांधी ने छात्रों की परीक्षा न कराने के संबंध में वीडियो डाला था। उसमें उनके बाल बिल्कुल छोटे थे। 17 जुलाई को उन्होंने भारत की विदेश नीति पर वीडियो डाला। इसमें अचानक उनके बाल काफी बड़े दिखाई दिए। विरोधियों को अच्छा मसाला मिल गया। वे पूछने लगे कि केवल सात दिन में किसी के बाल इतने बड़े कैसे हो सकते हैं? सवाल में थोड़ा दम भी था क्योंकि 10 जुलाई को बाल बड़े हों तो वे 17 जुलाई को मनचाहे ढंग से छोटे किए जा सकते हैं लेकिन यदि 10 जुलाई को बाल बहुत छोटे हों तो वे 17 जुलाई को मनचाहे ढंग से बहुत ज्यादा बढ़ नहीं सकते। तो क्या 17 जुलाई के वीडियो में किसी विग या अन्य ट्रिक का इस्तेमाल किया गया? इसका जवाब भी राहुल गांधी ही अच्छी तरह दे सकते हैं। आप भी 10 और 17 जुलाई के दोनों फोटो को देखिए-

 

बाएं है राहुल गांधी के 10 जुलाई का वीडियो का चित्र और दाएं है 17 जुलाई के वीडियो का चित्र 

प्रियंका गांधी वाड्रा- अपनी अलग पहचान बनानी होगी




कोरोना काल में प्रियंका गांधी भी थोड़े नए लुक में नजर आईं। समय-समय पर वे जो वीडियो जारी कर रही थीं, उनमें उनके चेहरे पर बड़े फ्रेम वाला चश्मा नजर आ रहा था। यह चश्मा उनके लुक को नया प्रभाव दे रहा था। इसमें वे पहले से ज्यादा गंभीर और ज्यादा परिपक्व महिला नजर आईं।

अभी तक प्रियंका गांधी के लुक के बारे में ज्यादातर यही कह दिया जाता था कि उनकी नाक अपनी दादी इंदिरा गांधी से मिलती है। लेकिन चूंकि 2022 के उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में प्रियंका गांधी संभवतः कांग्रेस की तरफ से मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवार के रूप में उतरेंगी तो निश्चित ही उन्हें अपनी दादी की मिलती-जुलती नाक से आगे देखना होगा। यह चश्मा प्रियंका गांधी की उम्र का तकाजा भी हो सकता है और एक धीर-गंभीर छवि बनाने का प्रयास भी हो सकता है। देखना यह होगा कि यह चश्मा हमेशा उनके चेहरे पर रहेगा या फिर केवल पढ़ते-लिखते समय ही दिखाई देगा।

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अंत में....

राजनीति में लुक या व्यक्तित्व एक सीमा तक ही प्रभाव डाल सकता है। राजनीति में व्यक्ति का लुक या व्यक्तित्व उसके कामों से बनता है। इसलिए देश और समाज के लिए काम करना जरूरी होगा। अच्छे कामों से अपने आप अच्छी छवि बनती चली जाती है, वहीं निष्क्रियता और गलत निर्णय अच्छी से अच्छी छवि को भी बिगाड़ देते हैं।

- लव कुमार सिंह

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