Saturday 18 July 2020

सरकार ही नहीं जनता भी मीडिया का इस्तेमाल सीख गई है

Not only the government, the public has also learned to use the media

  • वाराणसी में शिवसेना का छुटभैया नेता 1000 रुपये देकर नेपाली मूल के युवक का सिर मुंडवाकर मीडिया का इस्तेमाल कर गया
  • लोकभवन के सामने आत्मदाह कांड में एमआईएम और कांग्रेसी नेताओं ने मीडिया का बखूबी इस्तेमाल किया


अभी तक तो सरकारों पर ही यह आरोप लगता था कि वो मीडिया का अपनी इच्छानुसार इस्तेमाल करती हैं, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से खुराफाती लोग और आम जनता का एक वर्ग भी मीडिया का बखूबी इस्तेमाल करने लगा है। समय के साथ लोग मीडिया के इस्तेमाल में पारंगत होने लगे हैं और मीडिया भी खूब मजे से इस्तेमाल हो रहा है। अब देखिए ना, भारत-नेपाल विवाद के बाद वाराणसी में कथित नेपाली युवक का सिर मुंडवाने और उसके सिर पर ‘जय श्रीराम’ लिखवाने की कहानी पूरी तरह झूठी निकली है। लेकिन इससे पहले कि इस कहानी के झूठ का पता चलता, यह अपना काम कर चुकी थी। भारत में ही कुछ लोगों ने भारत की बदनामी कर डाली थी। सोशल मीडिया पर काफी लोग ‘हिंदू तालिबान’ लिखकर चर्चा करने लगे थे।

एक हजार रुपये लेकर सिर मुंडवाने वाला युवक

चलिए सोशल मीडिया को तो सब गैर-जिम्मेदार मानते हैं लेकिन इस मामले में तो इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और अखबार भी गच्चा खा गए। शिवसेना के एक छुटभैया नेता के दिमाग में खुराफात आई और उसने इसके लिए एक नेपाली मूल के युवक का चुनाव कर लिया। पुलिस के अनुसार इस युवक का जन्म भारत में ही हुआ है और इसके पास सभी भारतीय दस्तावेज भी हैं। छुटभैया शिवसेना नेता एंड कंपनी ने इस युवक को एक हजार रुपये देकर अपना सिर मुंडवाने और उस पर ‘जय श्रीराम’ लिखवाने के लिए तैयार कर लिया। एक नाई का भी इंतजाम किया गया और उसे भी बाल काटने के लिए 300 रुपये दिए गए। बाल काटने का वीडियो भी बनाया गया, जिसमें साफ दिखाई दे रहा है कि नेपाली मूल का युवक बड़े आराम से नदी किनारे अपना सिर मुंडवा रहा है। पुलिस ने शिवसेना के छुटभैया नेता के दोनों साथियों को गिरफ्तार कर लिया है। मुख्य आरोपी की तलाश जारी है।


लोकभवन के सामने आत्मदाह मामले में भी मीडिया इस्तेमाल हो गया


लखनऊ में लोकभवन के सामने आत्मदाह करने की कोशिश करने वाली अमेठी की दो महिलाओं के मामले में भी मीडिया इस्तेमाल हो गया। असली बात सामने आने से पहले खूब हंगामा मचा और योगी सरकार को न जाने क्या-क्या कहा गया। अब पता चला है कि कांग्रेस और एमआईएम के नेताओं ने दोनों महिलाओं को स्वयं को आग लगाने के लिए उकसाया था और कहा था कि तुम तेल छिड़ककर आग लगा लो। पूरी दुनिया को तुम्हारा मामला पता चल जाएगा। इसी बीच, हम तुम्हें बचा लेंगे। महिलाएं इन नेताओं की बातों में आ गईं और स्वयं को आग के हवाले कर बैठीं। लेकिन ये दुष्ट नेता उन्हें बचाने नहीं आए। उधर, मीडिया मामले को ले उड़ा। अब पुलिस ने दोनों महिलाओं को उकसाने के आरोप में एमआईएम नेता कादिर खान को गिरफ्तार किया है। साथ ही कांग्रेस नेता अनूप पटेल समेत 4 लोगों के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज किया है। साथ ही मौके पर तैनात चार पुलिसकर्मियों को ड्यूटी में लापरवाही बरतने के लिए निलंबित कर दिया गया है।

यहां बताते चलें कि अमेठी की रहने वाली एक मुस्लिम परिवार की महिला का अपने पड़ोसी से नाली का विवाद था। उस मुस्लिम महिला ने अमेठी के एमआईएम यानी ओवैसी का पार्टी के जिला अध्यक्ष कादिर खान से मदद मांगी। कादिर खान पहले कांग्रेस में था और कांग्रेस का प्रदेश प्रवक्ता था। कादिर खान दोनों मां बेटियों को लेकर लखनऊ आया और फिर उन्हें कांग्रेस दफ्तर में ले गया। वहां कांग्रेस के प्रवक्ता अनूप पटेल और कादिर खान ने मिलकर उस महिला आसमा और उसकी बेटी गुड़िया को यह पाठ पढ़ाया कि तुम अपने ऊपर पेट्रोल छिड़क लेना और हम तुम्हें बचा लेंगे। इस घटना से पहले मीडिया का भी इंतजाम कर लिया गया। जलने वाली महिला और कादिर खान तथा कांग्रेस प्रवक्ता की कॉल डिटेल भी सामने आई है जिसमें सब 2 दिन से काफी संपर्क में थे।

उधर अमेठी से मिली सूचनाएं बताती हैं कि महिला ने 9 मई 2020 को थाने में मारपीट की शिकायत लिखाई थी। इस पर पुलिस ने उसके पड़ोसी पक्ष के चार और महिला पक्ष के तीन लोगों को नामजद किया था। थाने से आगे महिला उच्च पुलिस अधिकारियों के पास नहीं गई थी। इसके बजाय वह नेताओं के उकसाने पर आत्मदाह करने सीधे लखनऊ पहुंच गई।

हालांकि यह बात ठीक है कि आत्मदाह की इस कोशिश से इस महिला का मामला पूरी दुनिया के सामने आ गया, लेकिन नेताओं के कहने में आकर उसे क्या मिला? अब वह और उसकी बेटी जिंदगी व मौत के बीच झूल रही है।

देखने में आ रहा है कि कलक्ट्रेट या किसी अधिकारी के दफ्तर के आगे मिट्टी का तेल छिड़ककर आत्मदाह की कोशिशें लगातार बढ़ रही हैं। कई मामलों में तो स्वयं मीडिया के लोगों को इसमें संलिप्त पाया गया है। कई बार फोटोग्राफर अच्छी बाइट मिलने के लिए लोगों को हंगामा करवाने के लिए उकसाते पाए गए हैं। धीरे-धीरे इसका नतीजा यह हुआ कि अब समाज में यह बात घर कर गई है कि यदि पुलिस-प्रशासन से कोई काम करवाना है तो जान देने का नाटक करो। इस नाटक के दौरान मीडिया को भी साथ रखो। मीडिया को इस प्रकार से इस्तेमाल करके कइयों का काम बन जाता है तो कई अपनी जान से भी हाथ धो बैठते हैं। चलिए जिनके सामने जीवन-मरण का प्रश्न है, उनके लिए तो ठीक, लेकिन जो इसे किसी चाल की तरह इस्तेमाल करते हैं, उनका क्या किया जाए? मध्य प्रदेश के गुना में भी यही हुआ। निश्चित ही पुलिस की कार्रवाई का तरीका बिल्कुल गलत था और उसकी निंदा होनी चाहिए लेकिन यह भी एक हकीकत है कि उस सरकारी जमीन को एक बसपा पार्षद ने काफी समय से कब्जा रखा था और आत्मदाह की कोशिश करने वाले पति-पत्नी को बटाई पर दे रखा था।


रोहतक की दो बहनें याद है न आपको


क्या आपको रोहतक की उन दो बहनों की याद है जिन्होंने बस में दो युवकों को छेड़खानी के आरोप में बुरी तरह से मारा था? उन बहनों को भी मीडिया ने बिना सच्चाई जाने नायिका बना दिया था। बाद में पता चला कि वे दोनों युवक एक बुजुर्ग महिला को बस में सीट देने के लिए खुद खड़े हो गए थे। तभी उस सीट पर वे दोनों लड़कियां बैठ गई। युवकों ने ऐतराज किया तो उन बहनों ने मोबाइल निकालकर कैमरा चालू किया और कैमरे के सामने उन युवकों को मारा। दोनों युवक सैनिक भर्ती में शामिल होने रोहतक गए थे। वे चुपचाप मार खाते रहे क्योंकि उन्होंने महिलाओं पर हाथ उठाना उचित नहीं समझा और मीडिया ने दोनों बहनों को रातों-रात नायिका बना दिया। बाद में जब बस के ड्राइवर, कंडक्टर और उन बुजुर्ग महिलाओं का बयान सामने आया तब पूरी कहानी पता चली।


जसलीन कौर का किस्सा भी सुन लीजिए


आम आदमी पार्टी की एक सदस्य जसलीन कौर ने ट्रैफिक सिग्नल पर एक सिख युवक पर आरोप लगाया था कि उस युवक ने उसके साथ छेड़खानी की है, जबकि सीसीटीवी फुटेज और वहां मौजूद दूसरे लोगों ने इस बात से इनकार किया था। उस लड़की को अरविंद केजरीवाल ने अपने ऑफिस में बुलाकर सम्मानित किया था। रातोंरात जसलीन कौर मीडिया में नायिका बन गई। लेकिन जब मामले की कोर्ट में सुनवाई हुई तो लगातार 12 सुनवाई में कोर्ट द्वारा बार-बार समन भेजने के बावजूद भी वह लड़की कोर्ट में नहीं आती।


जवान की दाल में भी मीडिया इस्तेमाल हुआ


एक जवान तेज बहादुर यादव ने अपने सामने रखी सब्जी को छिपा लिया या अलग रख दिया। फिर केवल दाल दिखाकर वीडियो बना डाला और मीडिया का पूरा इस्तेमाल करते हुए सारी दुनिया को दिखाया कि सेना के जवानों को किस प्रकार का खाना मिलता है। दूसरे जवानों ने ही तेज बहादुर की पोल खोली कि उन्हें उस दिन दाल के साथ दो तरह की सब्जियां भी मिली थीं।


गाजियाबाद की निशा शर्मा याद है?


दहेज के खिलाफ आवाज उठाकर और बारात लौटाकर 2003 में सुर्खियों में आई युवती निशा शर्मा शायद आपको जरूर याद होगी। निशा शर्मा को मीडिया ने रातों-रात पूरे भारत में नायिका बना दिया था, जिसने कथित रूप से दहेज लोभी पति को दरवाजे से वापस लौटा दिया था। हर चैनल पर मेहंदी लगाकर चुनरी ओढ़ कर निशा शर्मा इंटरव्यू देती थी। उसके दरवाजे पर मीडिया की सैकड़ों ओबी वैन खड़ी रहती थीं। इस केस में जिस लड़के से निशा शर्मा की शादी तय हुई थी उसके और उसके पूरे परिवार की जिंदगी बर्बाद हो गई । लड़के की नौकरी छूट गयी। वह एक साल जेल में रहा फिर 8 साल वह कोर्ट कचहरी के धक्के खाता रहा। लड़के की मां सरकारी नौकरी में थी। वह भी जेल जाने से सस्पेंड हो गई और लड़के के पिता की हार्ट अटैक से मृत्यु हो गई। बाद में पता चला कि निशा शर्मा ने अपने बॉयफ्रेंड से शादी करने के लिए यह पूरा ड्रामा रचा था और मीडिया का इस्तेमाल करके वह अपने ड्रामे में सफल रही। 

निशा शर्मा

2012 में आए फैसले में अदालत ने निशा से शादी करने पहुंचे मुनीष दलाल और उसके पूरे परिवार को निर्दोष बताकर रिहा करने का आदेश दिया और पूरे मामले को फर्जी मानते हुए एक अखबार के रिपोर्टर के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए। उधर, निशा शर्मा को अदालत तो सजा नहीं दे पाई, लेकिन ईश्वर ने जरूर सजा दी। 2012 में ही उसकी खुद की सगी भाभी मनीषा शर्मा ने अपने पूरे ससुराल वालों पर दहेज उत्पीड़न का केस किया और उस केस में निशा शर्मा और उसके पूरे परिवार को जेल में जाना पड़ा।

...तो मीडिया खूब इस्तेमाल हो रहा है। ऐसा भी कह सकते हैं कि वह खुद का इस्तेमाल होने दे रहा है। वह अपने इस्तेमाल होने की परवाह करता भी नहीं लगता है। ऐसा इसलिए भी क्योंकि इससे उसे कुछ समय के लिए तो जोरदार मसाला मिल ही जाता है। उसके बाद जब सच्चाई सामने आती है तो या तो वह मुंह छिपा लेता है या फिर उस सच्चाई को भी थोड़ा-बहुत छाप देता है या प्रसारित कर देता है और खानापूर्ति कर देता है।

फिर इस समस्या का हल क्या है? अपनी इस समस्या का हल मीडिया को स्वयं खोजना होगा, लेकिन एक हल हम पाठकों/दर्शकों के पास भी है। हल यह है कि किसी भी खबर पर प्रतिक्रिया देने से पहले 24 घंटे रुक जाइए। अगर वह खबर गलत होगी तो 24 से 36 घंटे के अंदर उसका खुलासा जरूर हो जाएगा। पहले इस काम में देर लगती थी, लेकिन आज के आईटी सेल और फैक्ट चेक के जमाने में कोई भी असत्य खबर ज्यादा देर टिक नहीं पाती है। थोड़ा इंतजार करेंगे तो आप उस शर्मिंदगी से बच जाएंगे जो आपको किसी मामले में बढ़-चढ़कर और अनाप-शनाप प्रतिक्रिया देने से उठानी पड़ती है।

- लव कुमार सिंह

 

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