संसदीय रिपोर्टिंग (Parliamentary Reporting)
संसदीय रिपोर्टिंग के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी
Important Information
about Parliament Reporting
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मीडिया के लिए विधायिका (संसद, विधानसभा, विधान परिषद आदि)
समाचारों का एक बहुत बड़ा स्रोत है। प्रश्नकाल, शून्यकाल, कामरोको प्रस्ताव,
अलग-अलग मुद्दों पर विभिन्न समितियों की रिपोर्टें समाचारों की दृष्टि से मीडिया
के लिए बहुत काम की चीजें हैं।
The legislature (parliament, assembly,
legislative council etc) is a big source of news for the media. In terms of
news, Question Hour, Zero Hour, Kamaroko Proposal, Reports of various
Committees on different issues are very useful.
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प्रश्न काल में पहले से ही प्रश्न दे दिये जाते हैं, जिनके उत्तर
विभागों के मंत्री देते हैं। संसदीय रिपोर्टिंग में रिपोर्टर को
सूचनाओं का भंडार मिलता है। सिर्फ एक घंटे के प्रश्नकाल में ही इतने आंकड़े और
संदर्भ मिल जाते हैं कि उसे व्यवस्थित करना
और समझना किसी भी रिपोर्टर के लिए
एक बड़ा काम होता है।
Questions are already given in the Question Hour, which are answered by the Ministers of the Departments. In parliamentary reporting, the reporter gets a repository of information. In just one hour of question hour, so much data and references are found that arranging and understanding it is a big task for any reporter.
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बिना किसी मतभेद के प्रश्नकाल को संसदीय कार्यवाही
का सबसे ख़ास हिस्सा कह सकते हैं। ये वो क्षण होता है जब सांसदों के सवालों का
जवाब सरकार और उसके मंत्रियों को मौखिक रुप से देना होता है। किसी सवाल के जवाब
में कोई मंत्री कई ऐसे तथ्य सदन के सामने रखता है जो किसी मुद्दे पर नई रोशनी
डालता है। साथ ही जिसका जनता पर असर भी पड़ता है।
Without any differences, the Question Hour can be called the most important part of Parliamentary proceedings. This is the moment when the government and its ministers have to answer the questions of MPs verbally. In response to a question, a minister puts many such facts before the House which sheds new light on an issue. Also, it has an impact on the public.
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‘प्रश्नकाल’
की यह परंपरा है कि सप्ताह के किस दिन, कौन से मंत्रालय से संबंधित सवाल पूछे
जाएंगे। यह व्यवस्था जरूरत के अनुसार बदली भी जा सकती है। इसलिए रिपोर्टर को इसका
ध्यान रखना चाहिए।
It is a tradition of 'Question Hour' on which day of the week, questions related to which ministry will be asked. This system can also be changed as per the need. Therefore, the reporter should take care of it.
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शून्यकाल या जीरो आवर को यह नाम इसलिए मिला है क्योंकि यह दोपहर
में 12 बजे शुरू होता है। शून्यकाल में बिना पूर्व सूचना के लोक महत्व के विषय
उठाने की छूट दी जाती है। शून्यकाल में उठे प्रश्नों पर सदस्य तुरंत कार्रवाई
चाहते हैं।
Zero Hour or Zero Hour got this name
because it starts at 12 noon. In Zero Hour, it is allowed to raise matters of
public importance without prior notice. Members want immediate action on
questions raised during Zero Hour.
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संसद की रिपोर्टिंग के लिए हिंदी अखबारों में सबसे पहले 60
के दशक में “नवभारत
टाइम्स” ने
अलग से ब्यूरो की शुरआत की थी। उसके बाद ये सिलसिला चल पड़ा और कई अखबारों ने संसद
के लिए अलग के रिपोर्टिंग की व्यवस्था की।
In the 60s, "Navbharat Times" first started a separate bureau for reporting to Parliament in Hindi newspapers. After that, this trend started and many newspapers made separate reporting arrangements for Parliament.
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संसदीय सचिवालय अपनी
तरफ से प्रेस को कई तरह की सूचनाएं उपलब्ध कराता है। चाहे वो संसदीय स्थायी समिति की रिपोर्ट हो या कोई
विशेष बयान। इसलिए पत्रकार को संसदीय
सचिवालय के संपर्क में रहना चाहिए।
The Parliament Secretariat provides
various types of information to the press on its behalf whether it is a report
of a parliamentary standing committee or a special statement. Therefore the
journalist should keep in touch with the Parliamentary Secretariat.
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प्रेस गैलरी में बैठकर कई बार किसी सवाल के जवाब की बारीकियां रिपोर्टर
से छूट जाती हैं। ऐसे में प्रश्नकाल के शुरू होते ही मौखिक, लिखित और शॉर्ट नोटिस वाले सवालों के
उत्तर भी लिखित रूप में सचिवालय के पब्लिक-प्रेस रिलेशन विभाग में उपलब्ध होते हैं।
ऐसा नहीं होने की हालत में इसकी व्यवस्था विशेष अनुरोध पर हो सकती है।
Many times, sitting in the press gallery, the
nuances of the answer to a question are missed by the reporter. In such a
situation, the answers to oral, written and short notice questions are also
available in written form in the public-press relations department of the
Secretariat. In the event of this not happening, it can be arranged on special
request.
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‘एजेंडा’ एक ऐसी कार्यसूची होती है जो इसकी सूचना देता है कि किसी
भी सदन के किसी कार्यवाही वाले दिन क्या-क्या होगा। जैसे कि कौन-सा विधेयक सदन में
प्रस्तुत किया जाएगा या किस स्थायी समिति की रिपोर्ट प्रस्तुत होगी। एजेंडा ये भी
बताता है कि किस मुद्दे पर किस नियम के तहत चर्चा होनी तय की गई है। एजेंडे की
जानकारी प्राप्त करके पत्रकार पहले से न्यूज स्टोरी की तैयारी कर सकता है। इसके
अतिरिक्त एजेंडे की जानकारी होने से उसके पास उस दिन की रूपरेखा भी मौजूद रहती है।
The 'agenda' is a working list that informs what
will happen on any given day in any House, such as which bill or report of
which standing committee will be
presented in the House? The
agenda also states that under which rules the issue is decided to be discussed.
The journalist can prepare the news story in advance by getting the agenda
information. Apart from this, with the information of the agenda, he also has
the outline of that day.
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संसद के दोनों सदनों में परंपरा यही है कि प्रश्नकाल के तुरंत बाद संसदीय स्थायी समिति की रिपोर्ट प्रस्तुत की जाती
हैं। इसके अलावा कई दूसरी समितियों की रिपोर्ट भी प्रस्तुत की जाती है। ये रिपोर्ट
अपने आप में कई ख़बरों का स्रोत बनती हैं।
It is a tradition in both houses of
Parliament that the report of the Parliamentary Standing Committee is presented
immediately after the Question Hour. Apart from this, reports of several other
committees are also presented. These reports in themselves become the source of
many news stories.
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संसदीय कार्यवाही
में कई बार देखा गया है कि कोई मंत्री या खु़द प्रधानमंत्री, राष्ट्रीय या
अंतर्राष्ट्रीय स्तर के मुद्दों पर देश और सरकार का पक्ष सांसदों के सामने स्पष्ट करते हैं। ऐसे ज्यादातर मौकों पर देखा गया
है कि इस तरह के बयान अपने साथ ब्रेकिंग न्यूज़ लेकर आते हैं।
It has been seen many times in
parliamentary proceedings that a minister or the Prime Minister, on the issues
of national or international level, make the country's and government's side
clear before the MPs. It has been seen on most of such occasions that such statements
bring with them breaking news.
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संसद सत्र के दौरान राजनीतिक पार्टियां संसद भवन में ही अपनी प्रेस
वार्ता करते हैं। ये वार्ता आमतौर पर संसदीय कार्यवाही पर पार्टी विशेष के
रुख के बारे में होती हैं। पत्रकार यहां संसद के किसी मुद्दे विशेष पर राजनीतिक
पार्टियों की राय ले सकते हैं। आमतौर पर यहां से पत्रकार संसद की किसी घटना की तह
में जाने की कोशिश करता है।
Political parties hold their press conferences in Parliament House during the session of Parliament. These conferences are usually about the party's stand on parliamentary proceedings. Journalists can take the opinion of political parties on a particular issue of Parliament here. Usually, the journalist tries to get to the bottom of an event in Parliament.
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संसदीय सत्र
के अंत में संसदीय कार्यमंत्री और ज्यादातर मौक़ों पर
ख़ुद लोकसभा अध्यक्ष स्वयं प्रेस को
संबोधित करते हैं। किसी भी संसदीय
रिपोर्टर के लिए ये ख़ास मौक़ा होता है। यहां न सिर्फ पूरे सत्र का संक्षेप में आकलन हो जाता है बल्कि संसद में उठे मुद्दों पर सीधे सवाल भी
पूछे जा सकते हैं। ख़बरों के लिहाज़ ये प्रेस वार्ता संसदीय पत्रकार
के लिए बड़ा मौका होता है।
At the end of the parliamentary session,
the Minister of Parliamentary Affairs and on most occasions the Lok Sabha
Speaker himself addresses the press. This is a special opportunity for any
parliamentary reporter. Here not only the entire session is briefly assessed,
but the questions raised in Parliament can also be asked directly. This press
conference is a big opportunity for a parliamentary journalist in terms of
news.
ध्यान रखने योग्य बातें
Things
to Remember
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संसद या विधानसभा की रिपोर्टिंग करते समय विशेष सावधानी
रखनी पड़ती है क्योंकि विधायिका (संसद और विधानसभाएं) को कुछ विशेषाधिकार मिले हुए
हैं।
Special care is required
when reporting the Parliament or Assembly because the legislature (Parliament
and Legislatures) has got some privileges.
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यदि इन विशेषाधिकारों का ध्यान न रखा जाए तो रिपोर्टिंग
के दौरान गड़बड़ हो सकती है। इसलिए किसी भी पत्रकार को विधायिका (लेजिसलेचर) के
विशेषाधिकारों को ध्यान में रखकर ही रिपोर्टिंग करनी चाहिए।
If these privileges are
not kept in mind then there may be a mess during reporting. Therefore, any journalist
should do the reporting only by keeping the privileges of Legislature in mind.
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इसके अतिरिक्त संविधान में संसद के कुछ विशेषाधिकारों
का वर्णन है, लेकिन बाकी विशेषाधिकार अपरिभाषित हैं। उनकी प्रकृति और विस्तार
अनिश्चित है। इनकी प्रकृति और विस्तार आदि को तय करने का अधिकार भी विधायिका को ही
दिया गया है, इसलिए मीडिया को संसदीय रिपोर्टिंग करते समय सावधानी की जरूरत होती
है।
Apart from this, some
privileges of Parliament are described in the Constitution, but the rest privileges
are undefine. Their nature and extent are uncertain. The right to decide their
nature and expansion etc. has been given to the legislature also, so there is a
great need for caution while doing parliamentary reporting by the media.
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सदन की गोपनीय कार्रवाई के प्रकाशन पर संबंधित व्यक्ति
को दंड देने का अधिकार है, इसलिए पत्रकारों को इस संबंध में जागरूक रहना चाहिए।
On the publication of the house's
secretive action, the House has the right to punish the person concerned. So journalists should be aware in this
regard.
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संसदीय कार्यवाही की रिपोर्टिंग के संबंध में निम्नलिखित दो विषयों
पर पत्रकारों को सबसे ज्यादा खतरा होता है-एक- संसदीय कार्यवही की रिपोर्टिंग में
किसी गड़बड़ी की स्थिति में और दो- सांसदों, विधायकों के खिलाफ किसी ऐसी टिप्पणी
करने से जिससे वे अपनी प्रतिष्ठा या गरिमा में गिरावट महसूस करें।
Regarding reporting of parliamentary proceedings, journalists are
most at risk on the following two subjects-One- In case of any disturbance in
the reporting of parliamentary proceedings and two- By making any remarks
against MPs, MLAs, which make them feel degraded in their reputation or
dignity.
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संसदीय कार्यवाही (प्रकाशन का संरक्षण) विधेयक के
अनुसार यदि संसद की कार्यवाही की उचित, सही और विद्वेष से रहित रिपोर्ट प्रकाशित
की जाती है तो मीडिया को हर प्रकार की कारर्वाई से छूट होगी।
According to the parliamentary
proceedings (Protection of Publications) bill if the proper, true and unbiased
report of Parliament's proceedings is published then the media will be exempted
from all kinds of actions.
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अगर मीडिया की रिपोर्ट पर्याप्त रूप से सच्ची होगी तो
सिविल या आपराधिक कोई कार्रवाई नहीं होगी।
If the media report is sufficiently truthful
then no civil or criminal action will be taken.
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मीडिया संसद की कार्यवाही में शामिल हर बात प्रकाशित कर
सकता है, लेकिन शर्त यही है कि प्रकाशित सामग्री संसदीय कार्यवाही की रिपोर्ट हो,
लेख या टिप्पणी नहीं।
Media can publish everything in
Parliament's proceedings but the condition is that the published material
should be report of the parliamentary proceedings, not an articles or comments.
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संसद में दिए गए भाषणों या खुल्लम-खुल्ला आरोपों के अंश
भी प्रकाशित/प्रसारित किये जा सकते हैं, लेकिन शर्त यह है कि इसका उद्धेश्य मात्र
प्रेस-रिपोर्टिंग ही होना चाहिए।
Speeches in Parliament or excerpts of
open charges can also be published / broadcasted. But the condition is that the
purpose of this should be only press-reporting.
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सदन के किसी गोपनीय सत्र की कार्यवाही प्रकाशित नहीं की
जा सकती। इसी प्रकार से सदन की कार्यवाही से हटाए गए किसी अंश को भी प्रकाशित नहीं
किया जा सकता है।
The proceedings of a secret session of the House can
not be published. Similarly, any excerpts removed from the proceedings of the
House can not be published.
मामले जब पत्रकार या प्रेस को संसद के विशेषाधिकार हनन का
दोषी ठहराया जा सकता है
Cases when a
journalist can be convicted for contempt of parliamentary privileges
निम्नलिखित मामलों में पत्रकार या प्रेस को संसद के
विशेषाधिकार हनन का दोषी ठहराया जा सकता है-
In the
following cases a journalist or a press may be held guilty of contempt or
violation of parliamentary privileges –
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संसदीय कार्यवाही का गलत व झूठा विवरण प्रकाशित, प्रसारित करने पर।
On publishing and disseminating
incorrect and false statement of parliamentary proceedings
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गोपनीय बैठक की रिपोर्ट छापने पर।
On printing the report of the
confidential meeting
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एक्सपंज किए गए (रिकॉर्ड से निकाले गए) शब्दों या वाक्यों को
प्रकाशित करने पर।
On publishing words or sentences expunge
(withdrawn from the record).
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सदन के किसी सदस्य के भाषण को दबाने पर।
On pressing the speech of a member of
the House
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संसदीय समिति की रिपोर्ट, उसमें प्रस्तुत साक्ष्य/टिप्पणी की संसद
में पेशी से पहले प्रकाशित करने पर।
On publishing the report of the
Parliamentary Committee, evidence or remarks presented in it before presenting
it in Parliament
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अध्यक्ष की मंजूरी से पूर्व किसी प्रश्न, प्रस्ताव, संकल्प या उनके
उत्तर को प्रकाशित करने पर।
On publishing a question, proposal,
resolution or their reply before the Speaker's approval
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संसद या उसकी किसी समिति की गरिमा कम करने वाली बात प्रकाशित करने
पर।
On publishing the matter of reducing the
dignity of Parliament or any of its committee
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फर्जी कागजों को संसदीय दस्तावेज के रूप में प्रकाशित करने पर।
On publishing fake papers as a
parliamentary document
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सदन या सदस्यों को कार्य से रोकने के उद्देश्य से कुछ छापना या
किसी सदस्य को बदनाम करने पर।
On printing something with the purpose
of preventing the House or members from working
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अध्यक्ष के लिए अपमानजनक बातें लिखने या अपमानजनक पत्र लिखने पर।
On writing abusive things for the
chairperson or writing abusive letters.
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सदन की खिल्ली उड़ाने वाली, बदनाम करने वाली, घृणा का भाव फैलाने
वाली बातें प्रकाशित करने पर।
On publishing stories of ridiculous,
defamatory, spresding hate regarding the House.
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अध्यक्ष या विशेषाधिकार समिति के समक्ष विचाराधीन किसी मामले पर
टिप्पणी करना।
Comment on any matter in question before
the Chairperson or the Privilege Committee.
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संसदीय समिति के समक्ष साक्ष्य देने वाले को ऐसा करने से रोकने पर
या साक्ष्य को प्रकाशित करने पर।
On preventing the person giving evidence
to the parliamentary committee or publishing evidence
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सदन की कार्यवाही में बाधा डालने पर, परिसर में अभद्रता करने या
अशांति फैलाने पर।
On obstructing the proceedings of the House or spreding unrest or abusively in the campus of the House
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