Investigative reporting खोजी पत्रकारिता
· वैसे तो हर प्रकार की पत्रकारिता में समाचार बनाने के लिए किसी
न किसी रूप में जांच पड़ताल की जाती है और कुछ नया खोजने का प्रयास किया जाता है, लेकिन खोजी पत्रकारिता को तथ्यों को खोजने की वजह से थोड़ा अलग माना गया
है। तथ्यों पर आधारित खबर को खोज कर निकालना खोजी पत्रकारिता है। खोजी पत्रकारिता
वह है, जिसमें तथ्य जुटाने के लिए गहन पड़ताल की जाती है और
जैसे-जैसे जांच पड़ताल आगे बढ़ती है, वैसे-वैसे रहस्य की
परतें खुलती जाती हैं।
While every type of journalism is investigated in some way to make news and try to find something new, but investigative journalism has been considered a bit different because of the fact finding.Investigative journalism is the discovery of news based on facts. Investigative journalism is one in which an intensive investigation is done to gather facts and as the investigation progresses, layers of mystery are uncovered.
· ऐसे समाचारों को
सामने लाना खोजी पत्रकारिता है जिनमें-
-किसी भी प्रकार की जानकारी को दबाया या छिपाया
जा रहा हो
-जिनमें किसी प्रकार की लापरवाही, शोषण, अनियमितता, रिश्वतखोरी, गबन, भ्रष्टाचार आदि का
खुलासा हो रहा हो
-जिनमें जनता के धन को गलत ढंग से प्रयोग की बात
सामने आ रही हो
-जिनमें जनता का काम करने में जानबूझ कर अफसर
आनाकानी कर रहे हों।
Investigative journalism is to expose such news in which-
Any type of information is being suppressed or hidden
Any kind of negligence, exploitation, irregularity, bribery,
embezzlement, corruption etc. are being exposed
The matter of misappropriation of public funds is coming to light
The officers are deliberately doing inadvertence in doing public
work.
· सारांश यह है कि
किसी बात की तह तक जाना और सत्य को खोज कर निकालना ही खोजी पत्रकारिता है। बड़े
घोटालों या किसी विभाग में हो रही लापरवाही एवं भ्रष्टाचार को उजागर करना ही खोजी
पत्रकारिता है।
The gist is that investigative journalism is to get to the bottom
of something and discover the truth. Investigative journalism is the highlight
of big scams or the negligence and corruption in any department.
इतिहास
History
· खोजी
पत्रकारिता की विद्या की शुरुआत करने का श्रेय जोसेफ पुलित्जर को दिया जाता है।
पुलित्जर अमेरिका के ‘न्यूयार्क वर्ल्ड’ नामक समाचारपत्र के संपादक थे। संपादक
बनते ही उन्होंने भ्रष्टाचार, घूसखोरी के खिलाफ जमकर लिखा। उन्होंने बैल टेलीफोन,
स्टैंडर्ड ऑयल और न्यूयार्क सेंटर जैसे संस्थान में हो रहे भ्रष्टाचार का पर्दाफाश
किया।
Joseph Pulitzer is credited for introducing investigative journalism. Pulitzer was the editor of the newspaper ‘New York World’ of America. As soon as he became the editor, he wrote fiercely against corruption, bribery. He exposed corruption in institutions like Bail Telephone, Standard Oil and New York Center.
· 1970 के
दशक में खोजी पत्रकारिता में और तेजी आई। वाटरगेट कांड का पर्दाफाश करके ‘वाशिंगटन
पोस्ट’ के बॉब वुडवर्ड और कार्ल बेमस्टीन ने अमेरिका में हलचल मचा दी थी। इस खबर
का इतना असर हुआ कि तत्कालीन राष्ट्रपति को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था। ब्रिटेन के ज्यादातर टेबलॉयड
अखबार तो मात्र खोजी पत्रकारिता के सहारे ही दुनियाभर में पहचाने जाते हैं। खोजी
पत्रकारों की वर्तमान पीढ़ी में समूर हर्श का नाम सबसे ऊपर है। समूर सरकारी
घोटालों और अनसुलझे रहस्यों का पर्दाफाश करने में माहिर माने जाते हैं।
Investigative journalism gained momentum in the 1970s. The
Washington Post's Bob Woodward and Carl Bamstein created a stir in America by
exposing the Watergate scandal. This news had such an impact that the then
President had to resign from his post. Most of the tabloid
newspapers of Britain are recognized around the world only through
investigative journalism. Seymour Hersh's (The New Yorker Magazine) name tops
the current generation of investigative journalists. Samur is considered an
expert in exposing government scams and unsolved mysteries.
भारत में इतिहास
History
in India
· भारत में खोजी पत्रकारिता की शुरुआत
बंगाल में हुई। देवव्रत बर्मा नामक एक बंगाली युवक ने 'जुगवाणी' नाम पत्रिका की
शुरुआत की। सरकारी तंत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ बर्मा ने हमेशा लिखा,
जिसके कारण उन्हें हमेशा याद किया जाता है।
Investigative journalism began in India in Bengal. A Bengali youth named Devavrata Burma started a magazine named 'Jugavani'. Burma always wrote against the corruption prevailing in the government system, due to which he is always remembered.
· इसके अलावा बंगाल से ही ‘जुगांतर’ नामक
एक और समाचार पत्र निकला। ये अखबार भी जुगवाणी की तरह की भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़ा
हुआ और इसने भी खोजी पत्रकारिता के जरिये घोटालों, भष्टाचार को उजागर किया।
Apart from this, another newspaper called 'Jugantar' came out from Bengal itself. This newspaper also stood up against corruption like Jugawani and also exposed scams and corruption through investigative journalism.
· बंगाल के बाद मुंबई से खोजी पत्रकारिता
की शुरुआत आर.के. करंजिया ने ‘ब्लिट्ज’ अखबार के जरिये की। ‘ब्लिट्ज’ अखबार ने खोजी पत्रकारिता को एक नया
आयाम दिया। 1960 में ‘ब्लिट्ज’ अखबार ने नानावती केस
के रहस्यों से पर्दा उठाकर सनसनी फैला दी थी। इस केस में एक नौसेना अधिकारी ने
अपनी पत्नी के प्रेमी की हत्या कर दी थी। इसी केस गुत्थी को अखबार ने सुलझाया था। ‘ब्लिट्ज’ की ही एक खोजी रिपोर्ट के कारण
महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री ए.आर अंतुले को मुख्यमंत्री को अपना पद छोड़ना
पड़ा था। (सीमेंट घोटाला 1982)
After Bengal, investigative journalism started from Mumbai. RK Karanjia did it through the 'Blitz' newspaper. The 'Blitz' newspaper gave a new dimension to investigative journalism. In 1960, the Blits newspaper created a sensation by revealing the secrets of the Nanavati case. In this case a naval officer killed his wife's lover. This case was solved by the newspaper. Due to an investigative report by Blitz, the then Chief Minister of Maharashtra, AR Antulay had to leave his post of the Chief Minister.
· इसके बाद एके राव के संपादन में
प्रकाशित अखबार ‘सर्चलाइट’ ने भी खोजी
पत्रकारिता को अपना हथियार बनाया। खोजी पत्रकारिता के इतिहास में बोफोर्स कांड को
हमेशा याद किया जाएगा। ‘इंडियन एक्सप्रेस’ में इस विषय से संबंधित छपी मात्र एक खबर से ही तत्कालीन
प्रधानमंत्री राजीव गांधी की कुर्सी हिलने लगी थी। बोफोर्स कांड के कारण ही
विश्वनाथ प्रताप सिंह का राजनीति के आकाश पर चमके और प्रधानमंत्री बने।
After this, the newspaper 'Searchlight' published in the editing of AK Rao also made investigative journalism its weapon. The Bofors scandal will always be remembered in the history of investigative journalism. Only one news related to this subject appeared in 'Indian Express', the chair of the then Prime Minister Rajiv Gandhi started shaking. Due to the Bofors scandal, Vishwanath Pratap Singh shone on the sky of politics and became the Prime Minister.
· अरुण शौरी और एन.राम ने भी अपनी खोजी
पत्रकारिता से खूब नाम कमाया। उनके साथ ही चित्रा सुब्रमण्यम, नरसिम्हा राय, तरुण
तेजपाल और एसएनएम आब्दी जैसे पत्रकारों ने भी खोजी पत्रकारिता को नई ऊंचाई प्रदान
की। प्रभु चावला के संपादन में प्रकाशित ‘इंडिया टुडे’ ने भी कई खोजी खबरों को
प्रकाशित किया जिससे इस पत्रिका की लोकप्रियता खूब बढ़ी। इसके बाद ‘तहलका डॉट कॉम’
नामक पत्रिका तो खोजी पत्रकारिता के लिए ही जानी गई। इसके संपादक तरुण तेजपाल थे।
Arun Shourie and N. Ram also earned a lot of fame by their
investigative journalism. Along with them journalists like Chitra Subramaniam,
Narasimha Rai, Tarun Tejpal and SNM Abdi also gave new heights to investigative
journalism. ‘India Today’published under the editor Prabhu Chawla, also
published several investigative news which greatly increased the popularity of
this magazine. After this, the magazine 'Tehelka.com' was known only for
investigative journalism. Its editor was Tarun Tejpal.
खोजी पत्रकार का
सामाजिक दायित्व व जिम्मेदारी
Social
responsibility of investigative journalist
· खोजी पत्रकार का सबसे महत्वपूर्ण कार्य
है सत्य को सामने लाना।
· किसी भी स्थिति में समझौता नहीं करना
· भ्रष्टाचारियों की सच्चाई को समाज के
सामने लाना
· लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करना और
इन मूल्यों के प्रति जनता में निष्ठा की भावना जगाना
· देश के नागरिकों को उनके कर्तव्यों का
बोध कराना
· The most important
function of investigative journalism is to bring out the truth.
· No compromise in any case
· Bringing the truth of
corruption to the society
· Protecting democratic
values and inculcating public loyalty towards these values
· Making the citizens of the
country aware of their duties
खोजी पत्रकारिता की
सीमाएं
Limits of
Investigative journalism
सामान्य पत्रकारिता की तरह खोजी
पत्रकारिता की भी सीमाएं हैं। इसका अर्थ है कि खोजी पत्रकार को कुछ भी करते समय
हमेशा कानून के दायरे में रहते हुए अपना काम करना चाहिए। यदि किसी खोजी पत्रकार
किसी निर्दोष व्यक्ति के खिलाफ बिना तथ्य के कोई भी खबर छापता है और उसे दोषी बता
देता है तो उस पत्रकार पर मानहानि कानून के तहत मामला दर्ज हो सकता है। इसलिए किसी
भी पत्रकार या खोजी पत्रकार को मानहानि कानून के बारे में जानकारी का होना अति
आवश्यक है।
Like normal journalism,
investigative journalism also has limitations. This means that the
investigative journalist should always do his work within the ambit of the law.
If an investigative journalist prints any news without any fact against an
innocent person and declares him guilty, a case can be registered against the
journalist under the defamation law. Therefore it is very important for any
journalist or investigative journalist to have knowledge about defamation law.
खोजी पत्रकारिता में
समस्याएं और चुनौतियां
Problems
and challenges in investigative journalism
· खोजी पत्रकारिता कोई आसान काम नहीं है।
इसमें बहुत जोखिम होता है। कई बार तो खोजी
पत्रकारों पर न केवल हमले हुए हैं बल्कि उन्हें अपनी जान तक गंवानी पड़ी
है। खोजी पत्रकारिता करते समय किसी भी घटना की तह तक जाना होता है। इसमें ठोस
साक्ष्यों, कागजातों, अभिलेखों आदि के बारे में बताते हुए रहस्योद्गाटन किया जाता
है। यह सब कुछ एक चुनौती की तरह होता है। एक सामान्य खबर और खोज कर निकाली गई खबर
में यही विशेष अंतर होता है।
Investigative journalism is not an easy task. There is a lot of
risk in this. Many times investigative journalists have not only been attacked
but they have lost their lives. While doing investigative journalism, one has
to get to the bottom of any incident. In this, revelation is made about
concrete evidence, papers, records etc. It is all like a challenge. This is the
special difference between a general news and a searched news.
· खोजी पत्रकार के पास पर्याप्त संसाधनों
का होना भी जरूरी होता है। खोजी पत्रकारिता में पेन, बैग, घड़ी और चश्मे वाले
कैमरे जैसे उपकरण जरूरी होते हैं। ये सब उपकरण आजकल तो मिल भी जाते हैं लेकिन पहले
ये सब नहीं थे। तब पत्रकारों को कम साधनों में ही महत्वपूर्ण खबरों को खोज निकालना
होता था। अच्छे संस्थानों में खोजी पत्रकारों को संसाधन उपलब्ध कराए जाते हैं
लेकिन ज्यादातर संस्थानों में ऐसा नहीं होता है।
It is also necessary for the investigative journalist to have
sufficient resources. In investigative journalism, tools such as pens, bags,
watches and glasses cameras are necessary. All these devices are available
nowadays, but earlier they were not all. Journalists then had to find important
news in less means.In good institutions, resources are made available to
investigative journalists but in most institutions it is not.
· खोजी पत्रकार को कई बार जमीनी हकीकत और
सच्चाई को जानने के लिए उस स्थान पर जाना होता है जहां भ्रष्टाचार या घोटाला चल
रहा होता है। इस काम में काफी जोखिम होता है। इन समस्याओं और चुनौतियों के बावजूद खोजी पत्रकार अपने काम को
सही तरीके से अंजाम तक पहुंचाने के लिए तत्पर रहते हैं।
Investigative journalists often have to go to the place where
corruption or scam is going on to know the ground reality and truth. There is a
lot of risk in this work. Despite these problems and challenges, investigative
journalists are ready to carry out their work in the right way.
खोजी पत्रकारिता का
भविष्य
Future of
investigative journalism
· खोजी पत्रकारिता के भविष्य की बात करें
तो निश्चित ही इसमें जोखिम बहुत है लेकिन इसके दूरगामी परिणाम भी मिलते हैं।
Talking about the future of investigative journalism, there is
certainly a lot of risk in it, but it also has far-reaching consequences.
· जिस पत्रकार ने इस प्रकार की पत्रकारिता
की है, उसने अपनी एक अलग पहचान बना ली है, फिर चाहे वह विदेशी पत्रकार हो या
भारतीय पत्रकार।
The journalist who has done this kind of journalism has carved out
a distinct identity, whether he is a foreign journalist or an Indian journalist.
· जब भी पत्रकारों ने खोजी खबर दी है, उस
पर बवाल तो हुआ है लेकिन उसकी सच्चाई ने जनता को प्रभावित भी बहुत किया है।
Whenever journalists have given investigative news, there has been
a ruckus on it, but its truth has also influenced the public a lot.
· भ्रष्टाचार करने वालों का पर्दाफाश करके
खोजी पत्रकारिता ने यह बता दिया है कि वह समाज के प्रति अपने उत्तरदायित्व को
समझती है।
Investigative journalism has revealed that it understands its
responsibility towards society by exposing those who have committed corruption.
· खोजी पत्रकारिता में शुरूआत में जरूर
समस्याएं और चुनौतियां आती हैं, लेकिन एक बार जब आपके काम से लोग आपका नाम जान
लेते हैं तो आप एक स्टार खोजी पत्रकार बन जाते हैं।
Initially in investigative journalism there are problems and
challenges, but once people know your name by your work, you become a star
investigative journalist.
· खोजी पत्रकारिता
के तहत स्टिंग ऑपरेशन का प्रभाव बहुत ही तीव्र और व्यापक होता है और देखने वालों
पर गहरा प्रभाव डालता है। स्टिंग ऑपरेशन एक
पत्रकार की ही नहीं बल्कि उसके प्रकाशन या प्रसारण माध्यम की भी छवि, साख और प्रतिष्ठा का निर्माण करता है। इस प्रकार के ऑपरेशन समाज की भीतर
पनपने वाली सभी प्रकार की अनियमितताओं को हटाने या नष्ट करने का सटीक तरीका माने
जाते हैं।
In investigative journalism, Sting Operation’s effect is very intense
and broad and has a profound impact on the viewers. Sting operation not only
makes images, credentials and reputation of a journalist but also its
publication or broadcast media. Such types of operations are
considered to be the exact way to remove or destroy all types of irregularities
in the society.
· जब तक खोजी पत्रकारिता है तब तक
घोटालेबाजों और भ्रष्टाचारियों को डर लगा रहता है कि कहीं कोई उनका भांडाफोड़ न कर
दे।
As long as investigative journalism is there, the scamsters and
corrupt people are afraid that someone can expose them.
· इसी डर के कारण लोग गलत काम के जरिये
पैसा कमाने से भी डरते हैं। यदि खोजी पत्रकारिता नहीं होगी तो भ्रष्टाचारी लोग
खुलकर भ्रष्टाचार करेंगे।
Due to this fear, people are also afraid of earning money through
wrongdoing. If there is no investigative journalism, then corrupt people will
openly do corruption.
· प्रिंट मीडिया के अतिरिक्त इलेक्ट्रॉनिक
मीडिया में भी खोजी पत्रकारिता हो रही है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में यह हमें स्टिंग
ऑपरेशन के रूप में ज्यादा दिखाई देती है।
In addition to print media, investigative journalism is also taking place in electronic media. In electronic media, we see this more as a sting operation.
· यह भी देखने में आ रहा है कि
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में ज्यादातर न्यूज चैनलों के लिए खोजी पत्रकारिता टीआरपी के
खेल का हिस्सा बनकर रह गई है। इसी वजह से कई चैनल मीडिया की मर्यादा और सीमा को
लांघने लगे हैं।
It is also seen that investigative journalism has remained a part
of the TRP game for most news channels in electronic media. For this reason,
many channels are crossing the limits of the media.
· पिछले कुछ वर्षों में राजनीति, मीडिया और कॉरपोरेट के
गठजोड़ के कारण खोजी पत्रकारिता की रफ्तार धीमी पड़ी है। पत्रकार जोसी जोसेफ लिखते हैं कि एक
दशक पहले उन्होंने अपने ईमेल में ‘मुर्दाघर’ नाम से एक फोल्डर बनाया था। इस फोल्डर
में वे ऐसी न्यूज स्टोरी रखते थे जो पत्रकारिता के मानकों पर तो खरी थीं लेकिन छप
नहीं सकती थीं। जोसेफ ने अनेक मीडिया संस्थानों में नौकरी की और इस दौरान उनके इस
फोल्डर का वजन बढ़ता ही गया। इससे हमें यह पता चलता है कि खोजी पत्रकारिता करने
वाले पत्रकारों की कमी नहीं है लेकिन ज्यादातर मीडिया हाउस उन खबरों को नहीं छापते
हैं जिससे उनके संबंध राजनीतिक दलों या उद्योगपतियों से खराब होने की आशंका हो।
The pace of investigative journalism has slowed due to the nexus
between politics, media and corporate in last few years. Journalist
Josie Joseph writes that a decade ago, he created a folder named 'Morgue' in
his email. In this folder, he kept a news story that was right on the standards
of journalism but could not print. Joseph worked in many media institutions and
during this time the weight of this folder kept increasing. This shows us that there is no dearth of journalists
doing investigative journalism but most media houses do not publish the news
which is expected to spoil their relations with political parties or
industrialists.
0000
Sting Operation
स्टिंग ऑपरेशन
इतिहास
History
स्टिंग शब्द
1930 के अमेरिकन स्लेंग से निकला है, जिसका अर्थ है- चोरी या धोखेबाजी
की ऐसी क्रिया, जिसकी योजना पहले से ही तैयार कर ली गई हो।
1970 के आसपास यह शब्द अमेरिकन उपयोग में आने लगा जिसका अर्थ था- पुलिस द्वारा डिजाइन गुप्त आपरेशन जो किसी अपराधी को फंसाने के लिए किए जाता
है।
धीरे-धीरे
स्टिंग किसी अपराधी को पकड़ने के लिए जाल बिछाने का पर्याय बन गया। बाद में इस
क्रिया को पत्रकारिता ने भी अपना लिया।
-
Sting
is derived from the American slang of 1930, which means - Such an act of theft
or fraud, whose plan has already been prepared.
-
Around
the 1970s, the word was used in American usage, which means the secret
operation designed by the police is done to trap any culprit.
-
Gradually,
sting became synonymous with trapping a trap to catch a criminal. Later this
process was adopted by journalism.
अर्थ
Meaning
स्टिंग ऑपरेशन में शामिल है-
- किसी गड़बड़ी का छिपकर फिल्मांकन करना
- पहचान छिपाकर छल से किसी कुकृत्य, गैरकानूनी काम, मिलावट, साजिश, लापरवाही, अपराध, जालसाजी या
रिश्वतखोरी को उजागर करना
स्टिंग ऑपरेशन को घात पत्रकारिता या डंक
पत्रकारिता भी कहा जाता है। दरअसल घात पत्रकारिता, खोजी पत्रकारिता की कोख से ही
निकली है। इसमें दस्तावेज से अधिक दृश्य या फोटो का विशेष महत्व होता है। इस
प्रकार की पत्रकारिता में दृश्यों को सुबूत की तरह इस्तेमाल किया जाता है।
Sting operation includes-
-
Making
a film of derangement in hiding
-
Illuminate
an unrighteous, unlawful work, adulteration, conspiracy, negligence, crime,
forgery or bribery by deceitful with hidden identity
Sting operation is also called
‘trap/ambush journalism’ or ‘Dank journalism’.
Actually, trap journalism has emerged from the womb of investigative
journalism. In this, views or photos have special significance more than the
document. In this type of journalism, scenes are used as evidence.
उद्देश्य/कार्य
Purpose / work
·
स्टिंग ऑपरेशन सनसनी पैदा करने का काम करता है। इसका प्रभाव बहुत ही तीव्र
और व्यापक होता है और देखने वालों पर गहरा प्रभाव डालता है।
Sting operation works to create sensation. Its effect is very intense
and broad and has a profound impact on the viewers.
·
स्टिंग ऑपरेशन एक पत्रकार की ही नहीं बल्कि उसके प्रकाशन या प्रसारण माध्यम
की भी छवि, साख और प्रतिष्ठा का निर्माण करता है।
Sting operation not only makes images, credentials and reputation of a
journalist but also its publication or broadcast media.
·
इस प्रकार के ऑपरेशन समाज की भीतर पनपने वाली सभी प्रकार की अनियमितताओं को
हटाने या नष्ट करने का सटीक तरीका माने जाते हैं।
Such types of operations are considered to be the exact way to remove or
destroy all types of irregularities in the society.
·
जिस प्रकार एक डॉक्टर ऑपरेशन के ज़रिए किसी मरीज को नवजीवन देता है, उसे बीमारी से मुक्ति देता है और सावधानियों के लिए प्रेरित करता है। उसी
प्रकार स्टिंग ऑपरेशन भी समाज, प्रशासन, राजनीति और व्यवस्था में पनप रही बुराई को दूर करने का प्रयास कता है और
गलत काम न करने के लिए आगाह भी करता है।
Just as a doctor gives a new life to the patient through the operation,
he frees him from illness and inspires for precautions. In the same way, sting
operation also strives to remove the evil that flourishes in society,
administration, politics and system and warns not to do wrong things.
सुप्रीम कोर्ट : स्टिंग ऑपरेशन को क़ानूनी वैधता नहीं
What is the legal validity of sting operation?
25 अप्रैल 2014 को सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फ़ैसले में कहा
है कि स्टिंग ऑपरेशन की कोई क़ानूनी वैधता नहीं है। न्यायालय ने साथ ही किसी
व्यक्ति को लालच देकर फंसाए जाने पर सवाल भी उठाए।
On
April 25, 2014, the Supreme Court has
said in an important decision that sting operation has no legal validity. The
court also raised questions about being implicated by luring a person.
न्यायालय ने कहा, ''भले ही एक अपराधी को पकड़ने के लिए स्टिंग ऑपरेशन चलाया जाता हो, लेकिन इससे कुछ नैतिक सवाल खड़े होते हैं। पीड़ित, जो अन्यथा बेक़सूर होता है, को स्थितियों के बारे में पूरी गोपनीयता बरतने का वादा कर अपराध करने के लिए प्रेरित दिया जाता है।''
The court said,
"Even though a sting operation is conducted to catch a criminal, some
questions arise from this. The victim, who otherwise innocent, is motivated to do crime by
promising full privacy about the circumstances."
सुप्रीम
कोर्ट ने पूर्व केन्द्रीय मंत्री दिलीप सिंह जूदेव के ख़िलाफ़ स्टिंग ऑपरेशन करने
वाले दो अभियुक्तों की याचिका को ख़ारिज करते हुए यह आदेश दिया। इस स्टिंग ऑपरेशन में जूदेव को पैसे लेते हुए
दिखाया गया था।
The Supreme Court gave this
order to dismiss the
petition of the two accused who done sting operation against former Union
Minister Dilip Singh Judeo. In this sting operation Judeo was shown taking
money.
भारत में स्टिंग ऑपरेशन के कुछ
उदाहरण
Some examples of sting
operations
ऑपरेशन दुर्योधन
Operation
Duryodhana (Cash
for question scam)
धन लेकर
संसद में प्रश्न पूछने की बीमारी भारत में बहुत समय से है। पैसे लेकर प्रश्न लगाने
का रोग तो प्रथम लोकसभा को ही लग गया था। लेकिन तब एक-दो सांसद ही इसके शिकंजे में
थे। अब यह रोग महामारी का रूप ग्रहण कर चुका है। इस संबंध में ऑपरेशन दुर्योधन का जिक्र
जरूरी हो जाता है।
In India, the problem of
asking question in
Parliament by taking money has been a long time. The
disese of asking question in lieu of money, was seen in the first Loksabha. But
then only one or two MPs were in its clutches. Now this disease has
taken the form of epidemic. In this regard, mention of Operation Duryodhana
becomes necessary.
2005 में करीब
10 महीनों तक
चले ‘ऑपरेशन दुर्योधन’ को कोबरापोस्ट-आजतक की खोजी पत्रकारों की टीम ने किया था।
इस टीम ने 11 सांसदों (लोकसभा के 10 और राज्यसभा का एक सांसद) को संसद में सवाल
उठाने के नाम पर रिश्वत लेते कैमरे में कैद किया। पत्रकार 'नॉर्थ इंडिया
स्मॉल मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन' (निस्मा) नामक काल्पनिक संस्था के प्रतिनिधि
बनकर इन सांसदों से मिले थे।
Operation Duryodhana,
which lasted for almost 10 months in 2005,
was done by a team of
investigating reporters of the Cobrapost-Aaj Tak. The team captured 11 MPs (10
members of the Lok Sabha and one MP from the Rajya Sabha) in the camera taking
a bribe in the name of raising questions in the Parliament. These Journalists
met these MPs as representatives of a fictional body called 'North India Small
Manufacturers Association' (NISMA).
इन सांसदों में बसपा, भाजपा, कांग्रेस और राजद के सांसद शामिल थे। राजद को छोड़कर
सभी पार्टियों ने अपने सांसदों को निलंबित कर दिया। इन सांसदों के खिलाफ अदालत में
भी मुकदमा दर्ज हुआ। दोनों सदनों ने जांच कमेटी भी बनाई थी। जांच
के बाद सभी सांसदों को 23 दिसंबर 2005
को बर्खास्त कर दिया था। 2017 में राजधानी की एक विशेष अदालत ने इन
सांसदों के खिलाफ मुकदमा चलाने का भी आदेश दिया। कोर्ट ने सभी पर रिश्वत और आपराधिक साजिश
के आरोप तय करने का फैसला किया।
These MPs included
BSP, BJP, Congress and RJD MPs. All the parties except the RJD have suspended
their MPs. A case has also been filed against these MPs in the court. The two
houses also formed the inquiry committee. After the investigation, all MPs were
dismissed on December 23, 2005. In 2017, a special court in the capital also ordered the
prosecution of these MPs. The court decided to fix the charges of bribery and
criminal conspiracy on all of them.
कास्टिंग काउच
Casting Couch
2005 में इंडिया टीवी ने एक चर्चित
स्टिंग ऑपरेशन बॉलीवुड में किया। इस ऑपरेशन का नाम था- ‘कास्टिंग काऊच’। इसमें एक मशहूर
अभिनेता शक्ति कपूर को एक लड़की के साथ जबरदस्ती करते हुए दिखाया गया था। इसमें
कास्टिंग काउच करने वाली टीम में शामिल एक महिला शक्ति कपूर से मिलने एक होटल के
कमरे में जाती है। वह उससे फिल्मों में रोल दिलवाने के लिए आग्रह करती है। वह मोहक
अदाओं के साथ शक्ति कपूर को शराब का सेवन भी कराती है। इसके बाद शक्ति कपूर द्वारा
कही गई बातें और हरकतें कैमरे में कैद कर ली जाती हैं। साथ ही स्टिंग टीम लड़की का
साथ देने होटल भी पहुंच जाती है।
In 2005,
India TV made a popular sting operation in Bollywood. The name of this
operation was 'Casting Cow'. It was shown that a prominent actor Shakti Kapoor
was doing bad behaviour with
a girl. In this, a woman sting team goes to a hotel room to meet Shakti Kapoor.
He urges him to get a role in the films. She also serves alcohol to Shakti
Kapoor. After that, the words and actions spoken by Shakti Kapoor are captured
in the camera. Along with this, the sting team reaches at hotel to save the
woman from the actor.
ऑपरेशन प्राइम मिनिस्टर
Operation
Prime Minister
2014 में
न्यूज एक्सप्रेस न्यूज चैनल ने जनमत सर्वेक्षण करने वाली 11 कंपनियों का स्टिंग ऑपरेशन
किया। इसे ‘ऑपरेशन प्राइम मिनिस्टर’ नाम दिया गया। इस स्टिंग ऑपरेशन में इन
कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारी यह कहते देखे गए कि वे सर्वेक्षण के आंकड़ों में
हेरा-फ़ेरी कर सकते हैं। एक कंपनी के बिजनेस डेवलपमेंट मैनेजर को यह कहते दिखाया
गया कि सर्वेक्षण के आंकड़ों में हेर-फेर करने के लिए अलग से रकम ली जाएगी। इस
स्टिंग ऑपरेशन के बाद कई राजनीतिक दलों ने इस तरह के सर्वेक्षणों की वैधता पर सवाल
खड़े किए। इन दलों ने चुनाव आयोग से मांग की कि वह इस तरह के सर्वेक्षणों पर
प्रतिबंध लगाए।
In 2014, News Express News channel conducted sting operation of 11 opinion polling companies. It was named 'Operation Prime Minister'. In this
sting operation, senior officials of these companies were seen saying that they
could mess up the survey data. A business development manager of a company has
been shown to say that money will be taken separately to manipulate survey
data.
After
this sting operation, many political parties questioned the legitimacy of such
surveys. These parties demanded from the Election Commission that commission
should ban such surveys.
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