संपादक के नाम पत्र
Letters to editors
महत्व/उद्देश्य/उपयोगिता
Significance/Purpose/Utility
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‘संपादक
के नाम पत्र’ का कॉलम समाचार पत्र का महत्वपूर्ण अंग होता है।
The column of 'Letter to the Editor' is an
important part of the newspaper.
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इस कॉलम
के जरिये उस समय के ज्वलंत मुद्दों पर पाठकों की राय, उनकी शिकायतें और आकांक्षाएं
इस कॉलम के जरिये सामने आती हैं।
Through this column, readers' opinion,
their grievances and aspirations come to the fore on the burning issues of that
time.
·
कहा
जाता है कि किसी अखबार की पहचान इस बात से होती है कि संपादकीय में उसके संपादक
क्या लिखते हैं और ‘संपादक के नाम पत्र’ कॉलम में पाठक क्या लिखते हैं। इसी से हम
समझ सकते हैं कि ‘संपादक के नाम पत्र’ कॉलम का कितना महत्व है।
It is said that a newspaper is identified
by what its editor writes in the editorial and what the readers write in the
column 'Letter to the editor'. From this we can understand how important is the
column 'Letter to the editor'.
·
यह कॉलम
संपादकीय पृष्ठ का हिस्सा होता है और पाठकों के साथ संवाद के माध्यम के रूप में
काम करता है। पाठकों से जो प्रतिक्रियाएं मिलती हैं वे समाचार पत्र की लोकप्रियता
का संकेतक होती हैं।
This column forms part of the editorial
page and serves as a medium of communication with the readers. The responses
received from readers are an indicator of the popularity of the newspaper.
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संपादक
के नाम पत्रों में सुधार के लिए सुझाव भी दिए जाते हैं और प्रकाशित सामग्री के
बारे में रचनात्मक आलोचना भी होती है। इससे संपादकीय डेस्क को पाठकों की पसंद और
नापसंद को लेकर सुधारात्मक कदम उठाने में मदद मिलती है।
Suggestions are also made for improvement
in letters to the editor and there is also constructive criticism about the
published material. This helps the editorial desk to take corrective steps
regarding the likes and dislikes of the readers.
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‘संपादक
के नाम पत्र’ कॉलम में छपे पत्रों पर सूचना विभाग और समस्याओं से संबंधित विभागों
के अधिकारी भी गौर करते हैं।
The letters printed in the column 'Letters
to the Editor' are also looked into by the officials of the Information
Department and the departments concerned with the problems.
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ऐसा भी
देखने में आया है कि जनता के जो काम महीनों से बहुत ध्यान दिलाने पर भी नहीं हो
पाते, अखबारों के पत्र कॉलम में उनके बारे में छपने पर तत्काल अमल किया जाता है।
It has also been seen that the works of
the public which could not get done even after getting much attention for
months, are implemented immediately when they are published in the letter
columns of the newspapers.
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कई बार
सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट ने भी जनहित में संपादक के नाम छपे पत्रों का नोटिस
लिया है।
Many times the Supreme Court and the High
Court have also taken notice of letters printed in the name of the editor in
public interest.
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पाठकों
के पत्र से सरकार को भी जनता की प्रतिक्रिया जानकर नीति निर्धारण में मदद मिलती
है।
Readers' letters also help the government
in policy making by knowing the public's reaction.
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इस
प्रकार संपादक के नाम पत्र न केवल पाठकों के लिए उपयोगी होते हैं बल्कि अखबार को
भी सुधारने, संवारने और उसका प्रसार बढ़ाने में मददगार होते हैं।
Thus letters to the editor are not only
useful to the readers but also help in improving, grooming and increasing the
circulation of the newspaper.
पत्रों का महत्व- कुछ तथ्य
Importance of letters- some facts
§ महात्मा गांधी अपने समाचार
पत्रों में पाठकों के पत्रों को बहुत महत्व देते थे।
Mahatma Gandhi used to give great importance to
readers' letters in his newspapers.
§ अंबिका प्रसाद
वाजपेयी ने 1905 में समाचार पत्र ‘हिंदी बंगवासी’ का प्रसार पाठकों के पत्रों के
जरिये ही बढ़ाया था। वे पाठकों की चिट्ठियों से समाचार बनवाकर भी छपवाते थे। यह
तरीका उस समय किसी ने भी नहीं अपनाया था।
In 1905, Ambika Prasad Vajpayee had increased the spread of
the newspaper 'Hindi Bangwasi' only through letters from readers. He used to
get news made from the letters of the readers and also got it printed. No one
had adopted this method at that time.
§ रांची से प्रकाशित ‘प्रभात
खबर’ समाचार पत्र ने ‘पत्रों की पत्रकारिता’ का अभियान चलाया और पाठकों के पत्र को
बहुत महत्व दिया। इसी के बल पर उसने अपना प्रसार भी खूब बढ़ाया।
The 'Prabhat Khabar' newspaper published from Ranchi
launched a campaign of 'journalism of letters' and gave great importance to the
letter of the readers. On the strength of this, it also increased its circulation
greatly.
§ ‘प्रभात खबर’ समाचार
पत्र ने पाठकों के पत्रों को संपादकीय पृष्ठ के अतिरिक्त पहले पेज पर भी छापा। इस
समाचार पत्र ने पाठकों के पत्रों का पूरा पेज भी निकाला। इसी के साथ इस समाचार
पत्र ने पाठक के पत्र को अपनी पत्रिका की कवर स्टोरी भी बनाया।
The 'Prabhat Khabar' newspaper printed the readers'
letters on the first page in addition to the editorial page. This newspaper
also brought out a full page of readers' letters. Along with this, this newspaper
also made the reader's letter the cover story of its magazine.
§ कई संपादकों ने
संपादक को दी गई गालियों वाले पत्र भी छापने से परहेज नहीं किया। अपने समय की
लोकप्रिय समाचार पत्रिका ‘रविवार’ के संपादक उदयन शर्मा ऐसे ही साहसी संपादकों में
से एक थे। अपने समय की लोकप्रिय पत्रिका ‘सारिका’ में तो अटपटे पत्रों के लिए इस
प्रकार का कॉलम भी छपता था- ‘ऐसे भी खत आते हैं’।
‘संपादक के नाम पत्र’ लिखने के लिए जरूरी बातें
Important things to write a letter to the editor
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जैसा कि
नाम से ही पता चलता है ‘संपादक के नाम पत्र’ किसी समाचार पत्र या प्रकाशन के
संपादक को संबोधित होने चाहिए।
As the name suggests, letters to the
editor should be addressed to the editor of a newspaper or publication.
·
इस
प्रकार के पत्र के लेखक को विषय का परिचय कराने में अपना समय बरबाद नहीं करना
चाहिए। इसके बजाय उसे सीधे मुद्दे पर बात करनी चाहिए।
The writer of this type of letter should
not waste his time in introducing the subject. Instead he should speak directly
to the issue.
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संपादक
के नाम पत्र में सजावटी भाषा के प्रयोग से बचना चाहिए। सरल और स्पष्ट भाषा का
प्रयोग करना चाहिए ताकि व्यक्त किया गया विचार साफ-साफ समझ में आ जाए।
The use of ornamental language in the
letter to the editor should be avoided. Simple and clear language should be
used so that the idea expressed is clearly understood.
·
संपादक
के नाम पत्र को छोटा और संक्षिप्त होना चाहिए। अलग-अलग विचार अलग-अलग पैराग्राफ
में लिखने चाहिए।
Letter to the editor should be short and
concise. Different views should be written in separate paragraphs.
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संपादक
के नाम पत्र नपा-तुला, संक्षिप्त और ठोस तथ्यों पर आधारित होना चाहिए।
Letters to the editor should be measured,
concise and based on concrete facts.
·
ऐसा
पत्र क्रमबद्ध और बिंदुवार लिखना चाहिए। जिन समस्याओं को उभारना चाहते हैं, उन्हें
महत्व देना चाहिए ताकि असली बात शब्दों की भीड़ में खो न जाए।
Such a letter should be written
sequentially and point-wise. The problems that you want to raise should be
given importance so that the real point is not lost in the rush of words.
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पत्र
में निजी आरोप नहीं लगाने चाहिए। पत्र में किसी का चरित्र हनन नहीं होना चाहिए।
साथ ही भाषा में असभ्यता, उजड्डपन नहीं दिखना चाहिए।
Personal allegations should not be made in
the letter. There should be no character assassination in the letter. At the
same time, rudeness, stupidity should not be seen in the language.
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पत्र
में भावुकता से भी बचना चाहिए। यूंकि पत्र को सभी लोग पढ़ते हैं, इसलिए उसमें
अनावश्यक वक्तव्य न हों। दृष्टिकोण संकुचित न होकर व्यापक होना चाहिए।
Emotions should also be avoided in the
letter. Since the letter is read by all, it should not contain unnecessary
statements. The approach should be broad, not narrow.
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पत्रकार
बनने के इच्छुक युवाओं के लिए लेखन की शुरुआत करने का ‘संपादक के नाम पत्र’ कॉलम
एक बढ़िया जरिया हैं। इसलिए ऐसे युवाओं को स्थानीय समाचार पत्रों में संपादक को
विभिन्न विषयों पर पत्र लिखना शुरू करना चाहिए। इसके लिए उन्हें ऐसे विषयों का
चुनाव करना चाहिए जो जनता से जुड़े हों। उसके बाद इन विषयों पर अपने विचारों को
स्पष्ट तरीके से व्यक्त करना चाहिए। इससे उन्हें आगे चलकर खबरें, रिपोर्ट और फीचर
आदि लिखने में बहुत मदद मिलेगी।
The 'Letter to the Editor' column is a
great way for young people aspiring to become journalists to start writing. So
such youth should start writing letters on various topics to the editor in
local newspapers. For this, they should choose such subjects which are related
to the public. After that, you should express your views on these subjects
clearly. This will go a long way in helping them write news, reports and
features in the future.
‘संपादक
के नाम पत्र’ के प्रकार
Types of 'Letter to the Editor'
संपादक
के नाम पत्रों को हम कई श्रेणियों में बांट सकते हैं। इनके प्रमुख प्रकार
निम्नलिखित हैं-
We can divide the letters to the editor into several categories.
Their main types are as follows-
1-
शिकायती
पत्र- इसमें पाठकों की
विभिन्न विभागों से संबंधित निजी शिकायतें होती हैं।
Complaint letter- In this, there are
personal complaints of readers related to various departments.
2-
जनसमस्या
प्रधान पत्र-
ऐसे पत्रों में भी शिकायतें होती हैं, लेकिन वे जनसमस्याएं होती हैं।
Public problem letter- There are
complaints in such letters too, but they are public problems.
3-
नीति
विषयक पत्र-
इसमें पाठक किसी खबर को लेकर प्रशंसा या आलोचना करते हैं।
Policy related letter- In this, readers
praise or criticize any news.
4-
सरकारी
नीति संबंधि पत्र-
ऐसे पत्र सरकारी नीतियों, योजनाओं आदि पर प्रतिक्रिया जताते हैं।
Government Policy Related Letters- Such
letters give feedback on government policies, schemes etc.
5-
राजनीतिक
पत्र- ये पत्र राजनीतिक
दलों के कार्यक्रमों, आंदोलनों, नीतियों आदि के बारे में होते हैं।
Political letters- These letters are
about the programs, movements, policies etc. of political parties.
6-
अराजनीतिक
पत्र- ऐसे पत्र खेलकूद,
फिल्म, प्रतियोगिताओं, पर्यटन आदि विषयों पर हो सकते हैं।
Apolitical letters- Such letters can be
on subjects like sports, films, competitions, tourism etc.
7-
आलोचनात्मक
पत्र- इनमें संपादकीय पेज
पर छपे लेखों, संपादकीय पर प्रतिक्रियाएं होती हैं।
Critical Letters- In these, the articles
printed on the editorial page, there are reactions to the editorial.
8-
स्पष्टीकरण
संबंधी पत्र-
इनमें समाचार के किसी तथ्य को लेकर सही/गलत का स्पष्टीकरण होता है।
Letter of Explanation - In these, there
is an explanation of true / false about any fact of the news.
9-
कुरीतियों संबंधी पत्र- ऐसे पत्रों के विषय समाज में फैली कुरीतियां, रीति-रिवाज आदि होते
हैं।
Letters related to evils- The subjects
of such letters are the evils, customs etc. spread in the society.
10- शोध संबंधी पत्र- ये पाठकों द्वारा किसी प्रकाशित शोध या
नए दृष्टिकोण के संबंध में होते हैं।
Research papers related letter- These
are in relation to any published research or new point of view by the readers.
पत्र जो प्रकाशित नहीं हो सकते
Letters that cannot be published
किसी
पत्र के प्रकाशित न होने की निम्नलिखित परिस्थितियां हो सकती हैं-
The following circumstances may occur for non-publishing of a
letter-
·
अगर
किसी पत्र में पाठक ने अपनी बात स्पष्ट नहीं की है
If the reader has
not made his point clear in a letter
·
अगर
किसी पत्र में किसी व्यक्ति के प्रति दुष्प्रचार हो रहा है
If any person is
being misrepresented in the letter
·
अगर
पत्र किसी व्यक्ति का चरित्रहनन करने वाला हो
If the letter is
defamatory of any person
·
अगर
पत्र का विषय न्यायालय के विचाराधीन हो
If the subject of
the letter is sub-judice
·
अगर
पत्र किसी धर्म या समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुचांता हो
If the letter hurts
the sentiments of any religion or community
·
अगर
पत्र किसी कानून का उल्लंघन करता हो
If the letter violates any law
·
अगर
पत्र में आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग किया गया हो
If objectionable
language is used in the letter
·
अगर
पत्र में गलतबयानी की गई हो
If the letter is misrepresented
अगर किसी पत्र में
उपरोक्त कोई भी बात होगी तो संभव है कि उसे संपादकीय पृष्ठ पर ‘पाठकों के पत्र’
कॉलम में स्थान न मिले।
If a letter
contains any of the above, it may not find a place in the 'Letters from
Readers' column on the editorial page.
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